Monday, 11 March 2019

यही तो हो रहा है अब तक

नेता गाड़ी मे घूमे
जनता ट्रेन और बस के धक्के खाएं
किसान अनाज उपजाए
मुनाफा बनिया ले जाए
गगनचुंबी  मजदूर बनाए
रहने को झोपड़ी मे मजबूर हो
जनता टेक्स अदा करें
अफसर राज करे
पुलिस सुरक्षा करें
और लोगों की गालियां सुने
नेताओं की छत्रछाया मे गुंडे पले
चुनाव निष्पक्ष हो
पर होती है
शराब और मटन खिलाकर जनता को वश मे करना
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर
हर रोज बांटा जाना
जाति को खत्म करने की अपेक्षा
जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़
पार्टियों का एक दूसरे पर जम कर प्रहार
शालीनता को भूलकर किसी भी हद तक जाना
ईश्वर के नाम पर बरगलाना
यही तो हो रहा है अब तक

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