नेता गाड़ी मे घूमे
जनता ट्रेन और बस के धक्के खाएं
किसान अनाज उपजाए
मुनाफा बनिया ले जाए
गगनचुंबी मजदूर बनाए
रहने को झोपड़ी मे मजबूर हो
जनता टेक्स अदा करें
अफसर राज करे
पुलिस सुरक्षा करें
और लोगों की गालियां सुने
नेताओं की छत्रछाया मे गुंडे पले
चुनाव निष्पक्ष हो
पर होती है
शराब और मटन खिलाकर जनता को वश मे करना
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर
हर रोज बांटा जाना
जाति को खत्म करने की अपेक्षा
जाति के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़
पार्टियों का एक दूसरे पर जम कर प्रहार
शालीनता को भूलकर किसी भी हद तक जाना
ईश्वर के नाम पर बरगलाना
यही तो हो रहा है अब तक
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Monday, 11 March 2019
यही तो हो रहा है अब तक
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