Monday, 11 March 2019

ये हमारे बुजुर्ग हैं

सुबह सुबह पौधों मे पानी डालते दादाजी
बेंच पर हाथ मे माला फेरती माताजी
मंदिर की घंटी बजाते बुजुर्ग
हाथ मे लाठी ले चहलकदमी करते वृद्ध
सबको हाथ जोडकर नमस्कार करते
पीठ पर स्नेह से हाथ फिराते
त्योहार पर तोरणहार बनाते
जन्मदिन पर रुपये बांटते बड़े
उपवास -व्रत का ध्यान दिलाते
श्राद्ध की मन से तैयारी करते
बिना नहाये पानी भी न पीते
रसोईघर मे पैर भी न रखते
कौए के लिए रोटी निकालते
वृद्ध भले हो गए
हर काम मे तत्पर
यही बड़े बूढ़े तो रौनक है घर की
मेहमान के स्वागत मे पलके बिछाए
फोन पर रिश्तेदारो का हाल चाल पूछने
जन्मदिन पर नाती पोतों को रूपया देते
बनिए और पोस्टमैन से भी नाता जोड़नेवाले
घर आए हर अंजान शख्स को भी पानी पिलाने वाले
पाई पाई का हिसाब रखने वाले
फिजूलखर्ची न करनेवाले
घर के ही खाने को प्रधानता देने वाले
भगवान के लिए भोग निकालने वाले
भोर मे उठने वाले
समय के पाबंद
यही बुजुर्ग तो हमारे घर और सोसायटी की शान है
उन्हें ज्यादा कुछ नहीं चाहिए
बस प्रेम और अपनापन
यह तो उनका अधिकार भी बनता है
जीवन दिया है
सीनियर सीटिजन ने
सम्मान के हकदार तो है ही
घर ,परिवार और समाज की रौनक भी है
यह बुजुर्ग नींव है
जिस पर हम खड़े हैं
छायादार पेड़ है
जिसकी घनी छाया मे सुकून से सांस लेते हैं
ये हमारे बुजुर्ग हैं

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