Tuesday, 12 March 2019

कन्यादान सर्वोत्तम दान

बिटिया रानी कब बड़ी हो गई
यह तो पता ही न चला
अभी तो कल ही गोद मे चढ़कर खेलती
आईस्क्रीम की मांग करती
कहानी सुनाने की जिद करती
स्कूल नहीं जाना चाहती थी
लेकिन जबरदस्ती भेजना ही पड़ता था
सुकून था शाम को घर आ जाएगी
भविष्य जो बनाना था

आज वह बड़ी हो गई है
उसकी शादी तय हो गई है
बिछुड़ना तो नहीं चाहते
पर वह तो होगा ही
शादी कर घर बसाना है
जीवन जो संवारना है
बिटिया रानी कब बड़ी हो गई
यह तो पता ही न चला

अब वह बड़ी हो गई है
अब तो मुझे भी डाटने लगी है
घर देर से आने पर
दवाई न लेने पर
मेरे खाने -पीने पर भी पांबदी
सेहत का ख्याल जो रखती है
उससे डरता हूँ
तभी तो आँख मे आए आँसू को भी रोक लेता हूँ

उसे पता न चले
वह मेरी लाड़ली जो है
उसकी खुशी मेरी खुशी
मैं तो बाप हूँ
उसमे तो मेरी जान बसती है
अपनी जान को किसी और को सौंपना
इससें बड़ा दान क्या होगा??
तभी तो कन्या दान उत्तम दान
सब फीके इसके सामने

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