रावण को कब से बनाया जा रहा था
तमाम कारीगर लगे थे
बहुत से सामान का इस्तेमाल हुआ
फिर उसको सजा संवार कर खडा किया
यह हमारी फितरत में है क्या
हम रावण को खडा ही क्यों करते हैं
उसे उसी समय खत्म क्यों नहीं करते
जब पानी सर से गुजरता है
तब हम सचेत होते हैं
अन्याय का तुरंत ही विरोध क्यों नहीं करते
अधर्म को होने देते हैं
रावण और बलवान होता जाता है
तब किसी का कुछ नहीं चलता
तब ईश्वर को आना पडता है
इस कलियुग में तो वह नहीं आनेवाले
अपनी लडाई तो स्वयं लडनी पडेगी
किसी भी रावण को ऊपर उठने नहीं देना है
तुरंत एक्शन लेना है
आज अगर नहीं तो कभी नहीं
रावण विभिन्न रूपों में हमारे सामने है
उनका दहन करना है
खडा ही नहीं करना है
स्वयं राम बनकर अपनी लडाई लडना है
अन्यथा ये रावण अपना विस्तार करते जाएंगे
एक शीश से दस शीश तक
अपनी सोने की लंका बनाते जाएंगे
सब लूट खसोट कर अपनी लंका में
ये तो छूपे रुस्तमे-हिन्द है
रातोरात करोड़पति और अरबपति
सब हजम और डकार तक नहीं
फिर लोग रोते कलपते रहे
जरा भी शर्म - हया नहीं
ऐसे रावण बहुत घातक है
सब खोखला कर जाते हैं
उनका दहन सभी को मिलकर करना पडेगा
इन आसुरी शक्तियों को खत्म करें
तभी सही मायने में विजयादशमी होगी
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Wednesday, 9 October 2019
स्वयं राम बनकर रावण को खत्म करें
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