Thursday, 7 November 2019

जितना खाना उतना लेना

भोजन का स्वाद
पेट भरने की तृप्ति
वह कब
जब भूख लगी हो
पेट भरा है
सामने पकवान का ढेर लगा है
वह केवल देखने के लिए
खाने के लिए नहीं
छोटा सा पेट
कितना भरेगा
भर भर कर हालत तो नहीं खराब करेगा
अगर ज्यादा खाया तो हाजमा खराब
आज जहाँ जाओ
वहाँ पकवानो के ढेर
फिर वह शादी हो या और कोई समारोह
लोग भर तो लेते हैं
प्लेट भर भर
पर कितना खा पाएंगे
बाद में उसे फेंकना
सब एक ही प्लेट में मिलकर अजब ही स्वाद बना देते
आजकल कई ऐसे होटल भी है
रिसोर्ट है
बूफे सिस्टम
वही हाल है
पकवान का स्वाद तो धरा रह जाता है
खाने से ज्यादा बर्बाद करना
भोजन पेट भरने के लिए
स्वाद लेने के लिए
न कि दिखावट
न फेंकने के लिए
न जाने कितनों को पेट भर भोजन भी नसीब नहीं
कोई फेंकता है
अन्न का अपमान
ईश्वर का अपमान
किसान का अपमान
बनाने वाले का अपमान
प्रकृति का अपमान
माँ अन्नपूर्णा का अपमान
और यह तो सरासर गलत
तब अगली बार सोच समझकर
जितना खाना उतना लेना

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