Thursday, 12 December 2019

किस पर विश्वास करें

जब पिता  ही बन जाए कत्ली
तब किस पर विश्वास करें
जब पति ही बन जाए कातिल
तब किस पर विश्वास करें
जब बेटी बेटा ही बन जाए शत्रु
तब किस पर विश्वास करें
जब पडोसी ही बन जाए हत्यारा
तब किस पर विश्वास करें
जब रक्षक ही बन जाए भक्षक
तब किस पर विश्वास करें
जब अपने ही बोलने लगे बिगडे बोल
तब किस पर विश्वास करें
विश्वास पर आधारित होती है जिंदगी
जब सब जगह अविश्वास ही व्याप्त हो
तब तो हर पल काटना मुश्किल
मन में भय
अनिच्छा ,निराशा
हो जाय हावी
तब जीवन हो जाय भारी
जिसको ढोते ढोते निकल जाय जान
जान रहते हुए भी हो जाए बेजान

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