Saturday, 18 January 2020

जीवन नैया

उसने बोला
इसने बोला
इनसे बोला
उनसे बोला
ऐसा बोला
वैसा बोला
ऐसा किया
वैसा किया
यह सब है सामान्य
नहीं उसमें कोई विशेष
जो जैसा है
उसको वैसा रहने दो
छोड़ दो ऐसी बातें
वैसी बातें
बातों का क्या है
नित नई बनती है
खुसर फुसर करती है
एक कान से दस कान
भ्रमण करते करते न जाने क्या बन जाती
इनमें जो भ्रमण किया
वह खुद खो गया
इस भूलभूलैया में नहीं जाना है
अपने में भ्रमण करना है
नए रास्ते तलाशने है
बातों को छोड़कर
कर्म में विश्वास
तभी जीवन की होगी
    नैया पार

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