आज सब कुछ बदल गया
सोच बदल गई
मायने बदल गए
हवा का रूख भी बदल गया
वह खाकी वर्दी अब अपनी लगने लगी
भय की जगह सम्मान ने ले लिया
अब शिकायत नहीं
डाक्टर बस पैसे के भूखे हैं
मरीज से ठीक से बात नहीं करते
बस राउंड लगा कर चले जाते
वह भी देरी से
आज वह मोहल्ले मोहल्ले जाकर राउंड लगा रहे हैं
घायल हो रहे हैं
पत्थर और मार खाकर भी
रात दिन एक कर जिंदगी बचा रहे हैं
अब वह सचमुच के भगवान बन गए हैं
वह नर्स की हेकडी गायब हो गई है
वह प्यारी सिस्टर बन गई है
उसके सिवा कोई पास नहीं फटकता
वह सफाई कर्मचारी
जो बराबर साफ सफाई नहीं करता
आज अपनी जान पर खेलकर झाडू लगा रहा है
हम घर में बैठे हैं
वह हमारे स्वास्थ्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर रहे
जतन से अपना काम कर रहे
वह सब्जी वाला
वह गैस वाला
वह सिक्यूरिटी गार्ड
वह बैंक कर्मचारी
लगता था
हमारी बात अनसुनी कर रहे
बस फोन पर लगे हुए रहते हैं
आज ये सब सुसज्ज है
अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं
हवा का रूख बदल गया
या फिर
हमारी सबके प्रति धारणा बदल गई
अब ये सब अपने से लगते हैं
आज सब कुछ बदल गया
सोच बदल गई
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Saturday, 2 May 2020
सोच बदल गई
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