यह कैसा वक्त
मचा सब जगह हाहाकार
कभी तूफान
कभी महामारी
कभी युद्ध की आहट
लगता है वक्त कहीं थम सा गया
वक्त ही वक्त
रह गया है बस
घर में बैठा दिया है
न हिल डुल रहा है
न छोड़ कर जा रहा है
कुंडली मार कर
फन फैला कर बैठा है
कब दंश देगा
पता नहीं
वक्त के जाने का इंतजार सबको
पर कितना वक्त लगा रहा है
वक्त कभी काटने को नहीं
आज कटता नहीं
ऐसा वक्त नहीं चाहता कोई
वक्त तो वह है
जो खुशियों से सराबोर हो
मानसिक शांति दे
सबको करीब लाए
सपने दिखाए
अनिश्चितता हो जहाँ
वक्त का मोल कहाँ
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Sunday, 21 June 2020
वक्त
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