Thursday, 19 November 2020

अपनी अपनी फितरत

क्या हुआ बैटरी खत्म
सारी उर्जा गायब
चैतन्य का अभाव
रिचार्ज हो जाओ
भर लो उर्जा स्वयं में
अनचाहा डिलीट कर दो
होता है ऐसा भी
जीवन में असफलता
तब निराशा और उदासी भी
लगता है
अब सब खत्म
अरे भाई
अभी तो शुरूवात है
हटा दो हर अवसाद को
लग जाओ फिर से काम पर
कुछ हंसो
कुछ बोलो
कुछ पढो
फिर से मन में दीप प्रज्वलित करो
दीया जो बुझने की कगार पर है
तेल - घी डाल दो
जल उठेगा
बस प्रयास की जरूरत है
शक्ति की जरूरत है
तन - मन दोनों में
बैठना नहीं चलना है
चलना नहीं दौड़ना है
कहीं तो कभी तो
मंजिल मिलेंगी ही
इतनी आसानी से हार मान लेना
यह तो अपनी फितरत में नहीं है यारों

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