Wednesday, 18 November 2020

मन की रंगोंली

रंगोली रंगों की
रंगोली फूलों की
रंगोली मन की
रंगोली निकाल घर द्वार सजाया
भिन्न-भिन्न चित्रकारी
भिन्न-भिन्न रंगों से संवारा
अलग अलग फूलों से
रंग बिरंगी साथ में पत्ते भी
क्या नजारा
हर कोई ठिठक जाता
एक क्षण निहार लेता
ऑखों में प्रशंसा के भाव
मन को भी जरा रंग ले
भिन्न-भिन्न भावों से भरे
सुन्दर सी रंगोंली अंतर्मन में भी
दया , प्रेम , सहानुभूति , क्षमा
ये कितने प्यारे रंग
संसार ही रंगों से भरा
नीला आसमान
सुबह की सुनहरी किरणें
जब सजती है
तब वह रंगोंली भी लाजवाब
प्रकृति भी रंगों से भरी
हरा , पीला , नीला , लाल , नारंगी
और न जाने कितने रंग
तब जीवन क्यों रंगों से विहीन
उसे बेरंग क्यों बनाया जाय
हर दिन नया रंग भरा जाय
मन को सजाया जाय

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