Saturday, 6 February 2021

तब तक चलते रहेंगे

तुम्हारा हाथ पकड़ कर चली थी
तुम आगे-आगे
मैं पीछे - पीछे
बिना सोचे समझे
बिना देखे ताके
चल दी थी
न जाने कौन सा विश्वास था
एक शख्स जो अंजान था
आज वह सब कुछ था
दुनिया बदल गई थी
उसकी  दुनिया अपनी दुनिया हो गई थी
मैं से हम हो गए थे
सब कुछ अलग-अलग था
तब भी लगता अपना था
आज भी तुम आगे-आगे
मैं पीछे - पीछे
चलते चले जा रहे हैं
पीछे मुड़कर देखते जा रहे हैं
एक - एक पैर आगे रखते जा रहे हैं
संग संग चल रहे हैं
जब तक सांस चल रही है
तब तक चलते रहेंगे

No comments:

Post a Comment