Thursday, 11 November 2021

जीवन के प्रस्थान की तैयारी

जीवन के प्रस्थान की तैयारी करना है
यहाँ- वहाँ जो बिखरा पडा है
उसे संवार कर अब निश्चिंत हो जाना है

इसके लिए उसके लिए
न जाने क्या क्या करना है
यहाँ जाना है वहाँ जाना है
यह सब अपेक्षा इच्छा छोड़ना है
बस जितना संभाल सको
उतना ही साथ रखना है
हल्का हो जाना है
भार से मुक्त हो जाना है

आज तक उम्र के इस अलमारी में
न जाने क्या  - क्या जमा करते रहे
भर - भर रखते रहें
वे गिरते रहे पडते रहे
हम संभालते रहे
क्या रखा है कहाँ रखा है
यह बार-बार देखते थे
अब सब भूल जाना है

लोगों ने बहुत कुछ दिया
किसी ने दुख दिया
किसी ने ताना दिया
किसी ने नीचा दिखाया
किसी ने उपहास उडाया
यह सब बातें भूल जाना है

अब इस मान - अपमान से परे होना है
इनसे बाहर निकलना है
अलमारी में अब कुछ नहीं रखना है
बस एक ही
वह है ईश्वर का नाम
सृष्टि कर्ता को सब सौंप मुक्त हो जाना है
अलमारी की चाभी उसे सौंप देना है
उसकी सुंदरता को जी भर निहारना है
रिक्त - मुक्त हो बस उसी के नाम के साथ विचरण करना है ।

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