Thursday, 6 January 2022

मुखौटा

हर व्यक्ति यहाँ मुखौटा लगाए
दोहरी जिंदगी जीते हुए
अंदर से कुछ ऊपर से कुछ
दिल जार जार रोए
तब भी होठों पर है मुस्कान छायी
अंदर से चिंतित बाहर से प्रसन्न चित्त
अंदर से डरा हुआ बाहर से साहस
अंदर से कमजोर बाहर से मजबूत
अंदर से गुस्से में उबलना
बाहर शांत चित्त दिखना
जरा सा भी धीरज नहीं
अपने को धैर्य वान दिखाना
ह्रदय में कडवाहट मुख पर मिठास
मन में कोसना
बाहर से प्रशंसा करना
अंतर्मन में द्वेष बाहर से प्रेम
अंदर घृणा का वास बाहर से प्रशंसा
जैसा है जो वैसा
यह दिखना बडा मुश्किल
बडे से बडे महात्मा हो या आम आदमी
कोई नहीं इस दोहरेपन से बचता
विश्वास और अविश्वास के बीच झूलता इंसान
आज कुछ तो कल कुछ
दिखावटी मुखौटा ओढे इंसान
जीता है
ऑखमिचौनी खेलता है
आता है रोते हुए
जाता है रुलाते हुए

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