पता नहीं क्या बात है
सब कुछ तो है ठीक-ठाक
फिर भी कुछ फीका सा लगता है
किसी के साथ न होने का एहसास
वह तो दिल के पास है
लेकिन कुछ वजह से दूर है
यह दूरियाँ कब मिटें
इसका है इंतजार
मन लौट लौट कर उसकी यादों में
उसकी बातों में
उसकी हंसी में
उसकी जिद में
उसके गुस्से में
उसकी ना समझी में
जाकर ठहर जाता है
एक पल को उदासी तो दूसरे क्षण हंसी
एक पल को गुस्सा तो दूसरे ही पल भूलना
कुछ गिले शिकवे भी
याद है कि जाती नहीं
घूम - फिर कर फिर वहीं अटक जाती है
यादों से तो जी नहीं भरता
जब तक सामने न हो
साथ न हो
जब तक दिल न खुले
बतिया न ले
तब तक खुशी कहाँ??
No comments:
Post a Comment