बडी खुशी का दिन
इसी अमृत की प्राप्ति के लिए
न जाने कितनों ने विष धारण किया
लाठी खाई
जेल गए
फांसी पर चढे
जिंदगी दांव पर लगा दी
शिव शंभु बन कंठ में विष धारण किया
दर्द दर भटके
सरकारी नौकरी छोड़ी
घर - परिवार छोड़ा
भूमिगत हुए
आशा - अरमान छोड़े
वर्तमान और भविष्य दांव पर लगा दिया
यह हमारे स्वतंत्रता सेनानी थे
तिरंगा जिनकी आन - बान - शान था
बलिदान हो गए
ये भारत माता के सपूत
कुछ याद हैं कुछ नहीं
कुछ को लोग जानते हैं कुछ गुमनाम
योगदान तो सबका है
हर उस बलिदानी का
इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती
कम से कम उनको याद कर सकते हैं
उनकी अहमियत समझ सकते हैं
चाहे जो भी हो
जिस तरह भी हो
सबका एक ही उद्देश्य था
आजादी ,आजादी ,आजादी
उन्हीं की देन हैं
परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है
फिर भी यह याद रखें
कि योगदान उनका है
हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं
तब केवल दिखावा न हो
विज्ञापन न हो
झंडे का मन से सम्मान हो
ऐ मेरे वतन के लोगो
फहरा लो तिरंगा प्यारा
जरा याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आएं ।
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