अच्छे दिन थे
समय ही समय था
दिन भर मस्ती, खेलकूद
कोई चिंता नहीं
आई जवानी
समय नहीं है
संपत्ति है
शक्ति है
चिंता ग्रस्त है
भविष्य की योजना
आया बुढापा
अब समय ही समय
संपत्ति भी हो
लेकिन शक्ति नहीं है
शरीर क्षीण हो गया है
यही प्रकृति का नियम
पूर्णता कहीं नहीं
किसी के पास समय
किसी के पास शक्ति
किसी के पास संपत्ति
यही तो जीवन है
बचपन , जवानी और बुढ़ापे के बीच
झूलता
No comments:
Post a Comment