Thursday, 11 August 2022

जिंदगी की खुशी

मेरे पास दो ऑखें हैं 
दो कान हैं 
दो हाथ हैं 
दो पैर हैं 
मन लेकिन एक ही है
अगर एक ऑख में तकलीफ होती है
हाथ , पैर , कान में हो 
तब एक की तकलीफ भारी पड जाती है
परेशान हो जाते हैं 
वैसे ही संतान का है
माता के लिए तो दोनों उसकी ऑखें हैं 
एक ऑख में तकलीफ हो
तब वह खुश कैसे रह सकती है
वही बात शरीर के सब अंगों का हैं 
एक में कुछ समस्या आ जाएं 
तब काम तो चल जाता है 
संतोष करना पडता है
पर वह खुशी नहीं होती
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं 
तेरे बिना जिंदगी भी जिंदगी नहीं  ।

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