दो कान हैं
दो हाथ हैं
दो पैर हैं
मन लेकिन एक ही है
अगर एक ऑख में तकलीफ होती है
हाथ , पैर , कान में हो
तब एक की तकलीफ भारी पड जाती है
परेशान हो जाते हैं
वैसे ही संतान का है
माता के लिए तो दोनों उसकी ऑखें हैं
एक ऑख में तकलीफ हो
तब वह खुश कैसे रह सकती है
वही बात शरीर के सब अंगों का हैं
एक में कुछ समस्या आ जाएं
तब काम तो चल जाता है
संतोष करना पडता है
पर वह खुशी नहीं होती
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं
तेरे बिना जिंदगी भी जिंदगी नहीं ।
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