डूबते हुए सूर्य की भी पूजा की जाती है
एक बिहारी सब पर भारी
बिहारी बिकाउ नहीं टिकाऊ
राजनीति की दिशा और दशा यही से तय होती है
क्रांति के जनक यही से
अब देखना है
वर्तमान राजनीति कौन सा करवट लेती है
परिवर्तन का बिगुल बज चुका है
वह कहाँ तक जाएगा
यह तो भविष्य के गर्भ में है
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