अपनी पहचान बनाना चाहती थी
सपने साकार करना चाहती थी
उडान भरना चाहती थी
सब धरे के धरे रह गए
प्रेम और कर्तव्य की बलिवेदी चढ गए
अपनी पहचान क्या
घर का नेम प्लेट भी नाम का न रहा
घर की बात तो छोड़ो
पहले बेटी
फिर पत्नी
फिर माँ
इन सबके साथ जुडी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया
फिर भी लोगों को याद न आया
तुमने किया ही क्या है
तुमने देखा ही क्या है
घर से बाहर निकलती तब पता चलता
न जाने कितने पापड बेलने पडते हैं
घर में रहकर जो पापड बेले हैं
उसका क्या ??
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