Friday, 1 November 2024

मैं दीपक

मैं जला रात भर
तब तक जब तक तेल था मुझमें
जी भर जला 
जितना प्रकाश था भरपूर दिया
अब खाली पड़ा हूं
बच्चे शायद एक - दो दिन खेल ले 
बाद में कचरे के ढेर पर
इसका मुझे कोई मलाल नहीं 
जीया तब तक जी भर
अपने जीवन को सार्थक समझ रहा हूं
उजाला देता रहा
अंधेरा दूर भगाता रहा 
खुशियां बांटता रहा 
वैसे भी सबको यहां से कभी न कभी जाना है
मिट्टी में मिलना ही है 
मैं तो मिट्टी से ही बना हूं
किस बात का मलाल
जहाँ से आया वहीं जाना है 

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