Thursday, 30 October 2014

सूर्य के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

दिवाली के छटे दिन मनाया जाने वाला छट पर्व,
षष्टी माता की पूजा पुरे पवित्र मन से,
जिसमे गलती से भी गलती नहीं होना चाहिए,
सूर्य का महत्व, भगवान भास्कर की उपासना,

उगते हुए सूर्य का ही नहीं, अस्त होते हुए सूर्य की भी पूजा अर्चना,
अगर सूर्य भगवान न हो तो संसार के जीवो की हालत की कल्पना भी नहीं की जा सकती,
धार्मिक ही नहीं कितना वैज्ञानिक दृश्टिकोण है हमारे पूर्वजो का,
भगवान भास्कर को कोटि  - कोटि नमन।


Wednesday, 29 October 2014

दिवाली मन से और सोच समझ कर मनाए।

दीपावली बीत गयी, अब साल भर बाद आएगी,
पर इसके साथ बहुत सवाल छोड़ गयी,
ध्वनि प्रदुषण, वायु प्रदुषण, शोर - शराबा, धुँआ,
पटाको के बारूद के कर्ण अभी भी वातावरण में विद्यमान है।

समय के साथ त्योहारो का भी माप - दंड बदल रहा है,
रंगोली, तोरण, दिए ख़ुशी के प्रतिक थे,
लेकिन आज चका - चौंध त्योहारो पर हावी हो गया है,
जितनी हैसियत उतना दिखावटी खर्च, कही ऐसा तो नहीं की दिवाली ने दिवाला कर दिया हो ?

दिवाली रौशनी और स्वच्छता का संदेश देती है,
अंतरमन - बाह्यमन दोनों को,
त्यौहार मनाये जरूर जाए, पर दिखावे के लिए नहीं,
न उनसे कुछ नुक्सान हो, तभी दिवाली का आनंद है।


Tuesday, 28 October 2014

भ्रष्टाचार से देश कब मुक्त होगा ???

आजकल सरकारी सहायता, योजनाये आला अफसरों और चालाक नेताओ के लिए दूधारू गाय बनकर रह गई है, मनरेगा जैसी योजना का भी यही हाल है। मजदूर को काम देने के बदले कमीशन, ग्रामप्रधान के पास जो पैसे पहुँचते है उसका ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लोगो की जेबो में जाता है। यहाँ तक की बच्चो को जो मिड - डे मील बाटा जाता है उसमे भी लोगो का हिस्सा।

आखिर यह भ्रष्टाचार रुकने का नाम क्यों नहीं ले रहा है ?
सरकारी नौकरी तो लगता है पैसो का खजाना ही प्राप्त हो गया है,
इन सभी पर नकेल कसने की जरूरत है।



Sunday, 26 October 2014

हर बेटी का जीवन अमूल्य है।

दूधो नहाओ पुतो फलो, पुत्रवती भव, यह आशिर्वाद सदियों से चला आरहा है।
क्यों बेटी क्यों नहीं ? लड़कियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है।
हरयाणा और पंजाब जैसे प्रान्त में बेटी तो नहीं चाहिए लेकिन बेटे के लिए दुल्हन जरूर चाहिए।
कल्पना चावला, सानिया नेहवाल जैसी बेटियो ने यही जनम लिया है।

बेटिया आज हर क्षेत्र में अपने परचम लहरा रही है।
जो माँ बच्चे  जन्म देती है उसको अपने ही जनम के लिए संघर्ष करना पड़ा होगा।
यह समाज की कितनी बड़ी विडंबना है।
जीवन दायनी अगर रहेगी तो संसार में जीवन भी रहेगा।

अतः अभी से सचेत हो जाये नहीं तो इसका भयंकर दुष्परिणाम भुगतना पड़ सकता है।
बेटी यह ईश्वर का दिया हुआ आशीर्वाद तथा जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी और चमत्कार है।
बेटा होना अगर भाग्य है तो बेटी होना बहुत बड़ा सौभाग्य है।


Friday, 24 October 2014

भारत की दशा और दिशा, प्रधानमंत्रीजी आपके हाथ में है।

मोदी, मोदी, मोदी, सारा भारत मोदीमय हो रहा है,
एक करिश्माई व्यक्तित्व, गजब के वक्ता,
जोश और उत्साह से लबालब, चेहरे पर मुस्कराहट,
अपनी बातो से विरोधियो को भी चित्त कर देना,
सबको दोस्ती का पैगाम देना,

जुझारू नेता, विद्वता नहीं लेकिन जमीन से जुड़ा हुआ नेता,
लोगो में जोश भरना और प्रेरणा देने की कला,
अपने व्यवहार से सबको मोह लेना,
यह बात नरेंद्र मोदी को मालुम है।

पहले स्वच्छता अभियान, फिर स्किल डेवलपमेंट, मेडिकल छात्रों से बातचित,
सियाचिन में जाके सैनिको के साथ दिवाली,
जम्मू - कश्मीर में बाढ़पीड़ितो के साथ समय बिताना,
भारत की दशा और दिशा दोनों मोदीजीके हाथो में है।

पूत के पाव तो पालने में ही दिखाई दे जाते है,
शुरुआत अगर ऐसी है तो आनेवाला समय अच्छा ही होगा,
इसमें कोई दो राय नहीं है।
प्रधानमंत्रीजी जनता के साथ चलिए तो जनता भी आपके साथ ही है।




Tuesday, 21 October 2014

जिंदगी एक पहेली है।

ग्रन्थ, किताबें, साहित्य तो बहुत पढ़ लिया,
पर शायद जीवन की किताब नहीं पढ़ी,
कल्पना में खोना और सपने की उड़ान भरना अलग बात है,
पर जिंदगी जीना इतना आसान नहीं है,

यथार्थ के धरातर पर कदम रखते ही सारी कल्पनायें कपूर की तरह उड़ जाती है,
जीवन को समझना इतना मुश्किल है क्या ?
ताउम्र हम कोशिश करते है फिर भी समझ नहीं पाते,
जिसने जिंदगी को समझ लिया उसने सब कुछ हासिल कर लिया।

जिंदगी रूपी पहेली को हल करने की कोशिश कभी नहीं छोड़नी चाहिए।




हैप्पी दीवाली।

जग - मग - जग - मग करती आई दीवाली,
रौशनी का त्यौहार, ख़ुशी और मेल - मिलाप का त्यौहार,
स्वच्छता, प्रकाश को फैलाती दीवाली,
हर मन को प्रकाशित करती दीवाली,
दीवाली पर सभी को शुभकामना।
हैप्पी दीवाली।


Monday, 13 October 2014

हर हाथ शक्ति … हर हाथ तरकी। यही तो है कांग्रेस की पहचान।

हाथ का साथ निभाना है, कांग्रेस को जीताना है,
पंडित नेहरू के पंचशील का सन्देश, लाल बाहादुर शाश्त्री का ताश्कनद समजौता,
गूंगी गुड़िया, इंदिरा की हुंकार, राजीव गांधी का इकीसवीं सदी का भारत,
नरसिम्हा राओ जैसे कुशल राजनीतिज्ञ,
मनमोहम जैसे मंदी में भी प्रभाव न पड़ने देनेवाला अर्थशाष्त्री,

रोटी, शिक्षा, धर्मनिरपेक्षता, उद्योग में विकास,
सड़के, नहर, यातायात के साधनो का निर्माण,
घर - घर में दूरदर्शन, हर हाथ में मोबाइल,
सर्व धर्म समभाव, सर्वजन हिताय,
विकास की ओर अग्रसर होता भारत,
साठ सालो में कांग्रेस के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।


शांति और अहिंसा का पथ ही सबसे अच्छा पथ है।

कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसूफ जई, दोनों को शान्ति का सयुंक्त नोबल पुरस्कार,
हिन्दू और मुस्लिम, भारतीय और पाकिस्तानी,
एक प्रौढ़ तो दूसरी बच्ची, दोनों का कार्य बालश्रम और शिक्षा से जुड़ा हुआ है,
बचपन बचाओ आंदोलन के करता - धर्ता,
आज भारत - पाकिस्तान सीमा पर जो जंग छिड़ी है, उन्हें सबक सीखना चाहिए।

जान लेने से जान बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है,
जीवन में शान्ति, अहिंसा, शिक्षा आतंकवाद से बड़ा है,
बच्चो को उनके बचपन, शिक्षा और खेलने का अधिकार मिलना ही चाहिए,
भारत और पाकिस्तान दोनों को बधाई।



Thursday, 9 October 2014

स्वयं जियो और दुसरो को भी जीने दो।

जो पेड़ आपको कड़ी धुप से बचाता है, छाया देता है, फूल और फल देता है उसी को सर्दियों में काट कर हम अलाव  जलाते है।  जीवन भी इसीतरह है, जो लोग हमें मुसीबत में सहारा देते है, उसी के हम दुश्मन बन जाते है। छोटी - छोटी बातो को लेकर झगड़ा, क़त्ल आम बात होगयी है। नैतिकता लुफ्त हो गयी है। भाई - भाई का दुश्मन बनता जा रहा है। पडोसी - पड़ोसी को देखना नहीं चाहता। मन में द्वेष और ईर्ष्या व्याप्त है। लेकिन चेहरे पर बनावटी मुस्कान ओढ़े हुए है, सहकर्मी को शान्ति से रहते देख नहीं सकते।

यह कैसी मानसिकता में हम जी रहे है। हम खाली हाथ आये थे, खाली हाथ ही जायेंगे।
रोते हुए आए लेकिन जाये इस तरह की दूसरे लोग हमे याद करे तो हमारी याद में उनकी आँखों में भी आँसू आजाये।


Wednesday, 8 October 2014

अबकी बारी, देश की रक्षा की जिम्मेदारी।

पाकिस्तान कर रहा वार पर वार,
कब तक सहेगा हिन्दुस्तान,
निरपराध लोग मरे जा रहे है,
हर दिन उसकी नापाक गति - विधिया जारी है,

सीज़ फायर का उल्लंघन किया जा रहा है,
उसके नेताओ बिलवाल, शरीफ, मुशर्रफ का बयान जारी है,
वह मार रहा है और हम बकरी ईद की मिठाई भेट कर रहे है,
यह कौन सा रिश्ता भारत निभा रहा है ?

बहुत होगयी बयान - बाज़ी,
अब तो कुछ ठोस कदम उठाओ मोदी सरकार,
जनता ने तुम्हारे वादे पर किया भरोसा,
अब तो है आपकी बारी,
होजाओ पाकिस्तान पर भारी,

महाराष्ट्र, हरयाणा छोड़ निभाओ देश की रक्षा की जिम्मेदारी है।



Sunday, 5 October 2014

युवा अपनी ताकत को पहचाने …

हाथ में पत्थर, होटो पर नारा,
यह है आज के युवा की तस्वीर,
जब भी किसी राजनितिक पार्टी को जरूरत होती है,
तो अपने हथियार के लिए युवाओ का इस्तेमाल करते है,
युवा भी जोश में आकर नारे बजी, तोड़ - फोड़ करना शुरू कर देता है,
चुनाव के समय तो इनका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है,
कितने सारे बेरोज़गार युवा है जो काम करने की बजाय कभी त्योहारो का तो कभी चुनाव का इंतज़ार करते रहते है, ताकि यह समय खा - पी कर आराम से कटे,
बाकी समय ताश के अड्डे जमाय हुए यहाँ - वहॉ बैठ कर टाइम पास करता हुआ मिल जायेगा।
काम की कमी नहीं है, पर खेती करने में शर्म, ड्राइवर, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, वॉचमैन बनने में शर्म।
छोटा - मोटा रोजगार करने में शर्म,
अगर भारत में हर कोई काम करने की सोच ले तो भूखा तो कोई नहीं मरेगा।



Saturday, 4 October 2014

लो भूली बात फिर याद आगयी - यह आकाशवाणी है।

यह आकाशवाणी रेडियो है, यह हवामहल है,
यह बिनाका  गीत माला है, अमिन सयानी की आवाज़,
आज तक कानो में गुजती है।  फौजी भाइयो का कार्यक्रम,
पुराने सदाबहार गीत, क्रिकेट की कमेंट्री, नए - नए अतिथियों को बुलाना,
समाचार, नेताओ के भाषण, क्या दिन थे वे, हमेशा इन कार्यक्रमों का इंतज़ार रहता था।

आज टीवी के सामने बैठ कर रिमोट कभी इस चैनल पर तो कभी उस चैनल पर,
एक भी कार्यक्रम व्यवस्थित नहीं देख पाते,
रेडियो को वापस लाना  अपने आप में बड़ा कदम है,
आज भी सबके पास टेलीविज़न नहीं है, लेकिन रेडियो तो जन - जन तक पहुंच सकता है।

मोदीजी की यह पहल सराहनीय है तथा मन की बात में उनका भाषण काफी प्रेरणादायी लगा।
आज पूरे संसार में रेडियो डे मनाया जा रहा है 
भारत में इसे फिर से वापस लाने  का श्रेय मोदी जी को है
उनकी मन की बात को गौर से सुना जा रहा है
अब फिर से रेडियो की आवाज गूंजने लगी है
रेडियो कहीं गया नहीं था 
किसी न किसी रूप में विद्यमान था।।


Friday, 3 October 2014

विजयादशमी … अधर्म पर धर्म की विजय।

विजयादशमी, अधर्म पर धर्म की, बुराइओं पर अच्छाई की विजय,
यह युद्ध दो व्यक्तियों का युद्ध नहीं बल्कि दो विचार धाराओ का युद्ध था,
एक ओर अहंकारी और कामी रावण तो दूसरी तरफ मर्यादापुर्षोत्तम राम,
रावण का दस मुख काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, मत्सर आदि का प्रतिक है,

सारे द्वेष, ईर्ष्या, द्भेष, भेदभाव को ख़त्म कर दशहरा मनाए,
मानव का मानव से प्रेम हो,इंसानियत, मानवता, सेवा की भावना से परिपूर्ण हदय  हो,
स्वतंत्र व्यक्ति, संगठित समाज को भावी पीढ़ी के सामने रखे,
हर व्यक्ति, समाज और देश की जय ही सच्चे अर्थो में विजयादशमी है।

राम जैसे नम्र, विचारशील और महान बने,
रावण जैसा विद्वान बने,
सारी इच्छा का दमन कर,
केवल अच्छा इंसान बने।
रावण जैसे महाप्रतापी ,विद्वान ,चारो वेदों के ज्ञाता ,और शिव के महान भक्त को उसके अहम " मैं " ने मारा
अंहकार सब खत्म कर देता है.

Thursday, 2 October 2014

महाराष्ट्र की राजनीति किस करवट लेगी ???

महाराष्ट्र की राजनीति, नए - नए समीकरण बना रही है,
घडी रुकने को तैयार नहीं, हाथ को किसी का साथ नहीं चाहिए,
कमल को कोमल नहीं पड़ना और शिवशेना को अपने तरकश से तीर नहीं छोड़ना,
सब अड़े हुए है, सबको मुख्यमंत्री बनना है,

अपने तो अलग हुए ही जनता को भी अलग - अलग बाट दिया,
अब तो प्रांतवाद, भाषावाद और जातिवाद जोर पकड़ेंगे,
देश विकास और महाराष्ट्र का विकास छोड़ सब अपना अपना  विकास करने में लगे हुए है,
किसका बहुमत, किस का अल्पमत यह तो समय ही बताएगा,
पहले दिल्ली, फिर मुंबई बिना मुख्यमंत्री के,
यह हमारे महान भारत के महानगर है,
इन महानगरो को हमारे महान नेता कहाँ ले जा कर खड़ा करेंगे पता नहीं।

एक आर्थिक राजधानी, और दूसरी राजनितिक,
दोनों का भविष्य देश के इन कर्ण धारो पर अवलम्बित है,
अतः सभी समझदारी से काम ले, आपसी सहमति बनाए तो अच्छा है,
कही ऐसा न हो की ये पार्टिया वापस चुनाव के कगार पर खड़े हो।