Monday, 31 December 2018

Happy New year

पुराना साल खत्म हुआ कल  उसकी बिदाई का आखिरी दिन था
यह तो प्रकृति का नियम है हर किसी को जाना है
फिर चाहे वह हम हो या फिर प्रकृति का और कोई अंग
ऐसा नहीं है कि यह हमारे जीवन में पहली बार हो रहा है  यह सिलसिला तो जबसे हम इस पृथ्वी पर आए है तबसे चल रहा है
रोते हुए आते हैं पर जाते समय ?ह तो प्रश्नचिन्ह है 
हमने क्या खोया ,क्या पाया
 लिया ,क्या दिया
क्या लेकर जा रहे हैं लोगों की दुआ या बद्दुआ
यह वर्ष भी जा रहा है कभी हम हँसे होंगे ,कभी रोये भी होंगे  
कभी किसीने हमारा दिल दुखाया होगा
कभी किसी ने बुरा -भला कहा होगा
कभी गलती न होने पर सजा मिली होगी
और हम सोचते रहते हैं और दुखी भी होते हैं
क्योंकि हम इंसान है 
भूल जाओ कहना आसान है पर भुलना मुश्किल
हम संवेदन शील जो हैं
पर क्या करे कोई चारा भी तो नहीं है
भूलना तो पडेगा ही नहीं तो जीवन आगे कैसे बढेगा
अनवांछित को तो निकाल कर बाहर करना पडेगा
क्योंकि हम अकेले नहीं हैं हमारे परिजन हमसे जुडे हुए है जो हमसे बिना लाग -लपेट के और हर अच्छाई -बुराई के साथ प्यार करते हैं
फिर सोचना क्या अपनों के लिए जीना और वह भी रोकर नहीं हँसकर
उनके चेहरे पर एक मुस्कराहट की कीमत बेकार की बातों में सोचने में क्यों जाया किया जाय
शायद यह ईश्वर की मंजूरी हो कि हम इस संसार में मजबूती से खडे रह सके और हर परिस्थिती का सामना कर सके
क्योंकि यहॉ कुछ व्यर्थ नहीं जाता 
सागर की लहरे भी जाते जाते  अपना वजूद छोड जाती है तो यह तो पूरा एक साल की बात है
बहुत कुछ सीखा ,कुछ पाया कुछ खोया
जो भी इसके कारण हो सभी को तहे दिल से धन्यवाद
समय को बिदा करना है बीते हुए कल को 
आने वाले का स्वागत भी तो करना है

नव वर्ष का तहे दिल से स्वागत  .. ..  ़  ँँ



नववर्ष का स्वागत

पुराना साल रिटायर हो रहा है
नये का आगमन हो रहा है
पिछले बरसों मे हमने क्या -क्या उपलब्धि हासिल की
क्या -क्या गलतियां की
क्या सबक सीखा
कौनसी बात फिर नहीं दोहराएंगे
कौनसा सा कार्य अधूरा है
कौनसे सपने पूर्ण करने हैं
कौनसी जिम्मेदारी निभाना है
संबंधों को कैसे संवारना है
रूठे हुए को मनाना है
दूर गए को पास लाना है
समय का पालन करना है
जीवन को केंद्रित करना है
नववर्ष मे स्वयं खुश रहना है
लोगों मे खुशियों को बांटना है
नवजीवन का संचार करना है
स्वयं और सगे -संबंधियों मे भी
अपना भी ख्याल और सबका भी
नैराश्य को छोडकर चैतन्य होना है
पुराना और नये की दहलीज पर खड़े
        साल -- वर्ष  को
आज बिदा कर देना है
Before 2⃣0⃣1⃣8⃣Ends,
Let Me Thank All The Good People Like U👍,
Who Made 2018 Beautiful For Me.
I Pray that U B Blessed With a Faithful Year ahead

I Wish U A
🌹joyful JANUARY🌹
🌄🌄🌄🌄🌠🌠
🍁Fabulous FEBRUARY🌺
🌾 😀
🌾Marvelous MARCH🌴
👫👫👫💝
🌸Awesome APRIL🌻
♨♨♨♨
💐Meaningful MAY🌷
🌈🌈🌷🍁💐
🍀Joyous  JUNE🐚
😄😄😄😄�👌🏾
🌹Jubilant JULY🌻
👋🏾👋🏾👏👏�👐🏾👯
🍀Amazing AUGUST🌴
🙋🏾🙅🏾🙎🏾💆🏾
🍃Successful September🍂
🎁✈✈✈🚘🚗♨
🌾Optimistic OCTOBER🍁
🌻 🏠🏡
🌻Nuturing NOVEMBER🌾

💐Divine DECEMBER.🌷
💒⛪🌇🌄🌅
👍Have A VICTORIOUS YEAR!👍

✨Hope I'm the 1st Person To Wish U A Happy 12 Months Of 2019😊😃🍃🌾🍂

Sunday, 30 December 2018

2०18 -- 2019

दो हजार उन्नीस इंतजार कर रहा है
कह रहा है अब मेरी बारी है
बहुत कुछ कर लिया
अब तुम बिदा हो जाओ
मेरा भी लोगों को स्वागत करने दो
यह तो प्रकृति चक्र है
आना और जाना है
जो आएगा वह जाएगा
जाते जाते अपनी छाप छोड़ जाएगा
हर वर्ष का अपना महत्व
हर वर्ष की अपनी यादें
हर वर्ष का अपना करिश्मा
हर वर्ष का अपना योगदान
कभी हंसाया
कभी रूलाया
कभी सर चढ़ कर बोला
कभी आसमान पर
कभी जमीं पर
बहुत कुछ छोड़ जाता है
कहता जाता
मैं तो जा रहा हूँ
मुझे भूलाना मत
मैं आपके जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष
दो हजार अठारह हूँ
जा रहा हूँ दुआ देते
उन्नीस को रास्ता दे रहा हूँ
स्वागत है
अलविदा

का बरखा जब कृषि सुखाने

बस जी लेना तो जिंदगी नहीं
वह तो हर जीव करता है
खाना ,पीना ,सोना ,मरना
इसलिए तो आप इस दूनिया मे नहीं आए
हर जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए
वह आपको तय करना है
जीने का पैमाना
जो सबसे अलग हो
आपका असतित्व सिद्ध कर रहा है
जिंदगी वह फिल्म है
जिसमें आप अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय कर रहे हैं
अंतिम पड़ाव पर जब आप पीछे मुडकर देखेंगे
पूरी फिल्म और एक -एक क्षण चित्रित हो जाएगा
आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे
यह तो.बहुत कम है
काश थोडा और
यह जिंदगी ठहर जाती
पर वह कहाँ ठहरने वाली है
वह तो मुसाफिर है
जैसे ही यात्रा समाप्त होगी
वह तो वहीँ ठहर जाएगी
तब जब समय है तभी सोचना है
नहीं तो आप हाथ मलते रह जाएंगे
जिंदगी को जाते हुए देख मायूस हो जाएंगे
पर अब क्या फायदा
समय हाथ से रेत की तरह फिसल गया
     .  का बरखा
     ...        जब कृषि सुखाने

Saturday, 29 December 2018

मृत्यु के बाद -- श्रीमद्भगवद्गीता

♨️🔥♨️🔥♨️🔥
🔥मृत्यु के बाद क्या होता है❓
🌿📙श्रीमद भागवत गीता📙🌿
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे हैं। अर्जुन पूछता है – हे त्रिलोकीनाथ! आप आवागमन अर्थात पुनर्जन्म के बारे में कह रहे हैं, इस सम्बन्ध में मेरा ज्ञान पूर्ण नहीं है। यदि आप पुनर्जन्म की व्याख्या करें तो कृपा होगी।
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – इस सृष्टि के प्राणियों को मृत्यु के पश्चात् अपने-अपने कर्मों के अनुसार पहले तो उन्हें परलोक में जाकर कुछ समय बिताना होता है जहाँ वो पिछले जन्मों में किये हुए पुण्यकर्मों अथवा पापकर्म का फल भोगते हैं। फिर जब उनके पुण्यों और पापों के अनुसार सुख दुःख को भोगने का हिसाब खत्म हो जाता है तब वो इस मृत्युलोक में फिर से जन्म लेते हैं। इस मृत्युलोक को कर्मलोक भी कहा जाता है। क्योंकि इसी लोक में प्राणी को वो कर्म करने का अधिकार है जिससे उसकी प्रारब्ध बनती है।
🔥🔥
अर्जुन पूछते हैं – हे केशव! हमारी धरती को मृत्युलोक क्यों कहा जाता है?
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – क्योंकि हे अर्जुन, केवल इसी धरती पर ही प्राणी जन्म और मृत्यु की पीड़ा सहते हैं।
🔥🔥
अर्जुन पूछता है – अर्थात दूसरे लोकों में प्राणी का जन्म और मृत्यु नहीं होती?
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – नहीं अर्जुन! उन लोकों में न प्राणी का जन्म होता है और न मृत्यु। क्योंकि मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि मृत्यु केवल शरीर की होती है, आत्मा की नहीं। आत्मा तो न जन्म लेती है और न मरती है।
🔥🔥
अर्जुन फिर पूछते हैं – तुमने तो ये भी कहा था कि आत्मा को सुख-दुःख भी नहीं होते। परन्तु अब ये कह रहे हो कि मृत्यु के पश्चात आत्मा को सुख भोगने के लिए स्वर्ग आदि में अथवा दुःख भोगने के लिए नरक आदि में जाना पड़ता है। तुम्हारा मतलब ये है कि आत्मा को केवल पृथ्वी पर ही सुख दुःख नहीं होते, स्वर्ग अथवा नरक में आत्मा को सुख या दुःख भोगने पड़ते हैं।
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – नहीं अर्जुन! आत्मा को कहीं, किसी भी स्थान पर या किसी काल में भी सुख दुःख छू नहीं सकते। क्योंकि आत्मा तो मुझ अविनाशी परमेश्वर का ही प्रकाश रूप है। हे अर्जुन! मैं माया के आधीन नहीं, बल्कि माया मेरे आधीन है और सुख दुःख तो माया की रचना है। इसलिए जब माया मुझे अपने घेरे में नहीं ले सकती तो माया के रचे हुए सुख और दुःख मुझे कैसे छू सकते हैं। सुख दुःख तो केवल शरीर के भोग हैं, आत्मा के नहीं।
🔥🔥
अर्जुन कहता है – हे केशव! लगता है कि तुम मुझे शब्दों के मायाजाल में भ्रमा रहे हो। मान लिया कि सुख दुःख केवल शरीर के भोग हैं, आत्मा इनसे अलिप्त है। फिर जो शरीर उनको भोगता है उसकी तो मृत्यु हो जाती है। वो शरीर तो आगे नहीं जाता, फिर स्वर्ग अथवा नरक में सुख दुःख को भोगने कौन जाता है?
➖➖➖➖✍️✍️
♨️🔥♨️🔥♨️🔥♨️  COPY PEST

हनुमानजी कौन हैं???

हनुमान जी कौन हैं।
पार्वती के भडाक से दरवाजा बंद करने के और चलने के अंदाज से ही शिव समझ गए थे कि बात कुछ गंभीर है। रही सही कसर कार्तिक और गणेश के रुआंसे चेहरे ने बयान कर दी । शिव जी जानते थे इस समय बोलने का मतलब आफत मोल लेना है इसलिए मौन रहकर पार्वती के बोलने का इंतजार करने लगे। आखिर पार्वती फूट पड़ी, महादेव अपने इस भक्त को कैलाश आने से रोक दीजिए वरना किसी दिन मैं इसे अग्नि में भस्म कर दूंगी यह जब भी आता है इसके दस सिर देखकर ही एक तो मेरे बच्चे डर जाते हैं
दूसरे वह कभी कार्तिक के कान खींच लेता है और कभी गणेश की सूंड खींच कर उसे परेशान करता है यह बात मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। आप इसे समझा दीजिए यह कैलाश में प्रवेश न करें। शिव जी जानते थे की पार्वती सिर्फ उनके वरदान की मर्यादा रखने के लिए रावण को कुछ नहीं कहती हैं अन्यथा वह उन्हें फूटी आंख भी नहीं सुहाता है । वह चुपचाप उठकर बाहर आकर देखते हैं । रावण नंदी को परेशान कर रहा है शिव जी को देखते ही वह हाथ जोड़कर प्रणाम करता है । प्रणाम महादेव। आओ दशानन कैसे आना हुआ ?  मैं तो बस आप के दर्शन करने के लिए आ गया था महादेव। अखिर महादेव ने उसे समझाना शुरू किया देखो रावण तुम्हारा यहां आना पार्वती को बिल्कुल भी पसंद नहीं है इसलिए तुम यहां मत आया करो । महादेव यह आप कह रहे हैं आप ही ने तो मुझे किसी भी समय आप के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आने की छूट दी है और अब आप ही अपने वरदान को वापस ले रहे हैं । ऐसी बात नहीं है रावण लेकिन तुम्हारे क्रियाकलापों से पार्वती परेशान रहती है और किसी दिन उसने तुम्हें श्राप दे दिया तो मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा इसलिए बेहतर यही है कि तुम यहां पर न आओ। फिर आप का वरदान तो मिथ्या हो गया महादेव । मैं तुम्हें आज एक और वरदान देता हूं तुम जब भी मुझे याद करोगे मैं स्वयं ही तुम्हारे पास आ जाऊंगा लेकिन तुम अब किसी भी परिस्थिति में कैलाश पर्वत पर मत आना। अब तुम यहां से जाओ पार्वती तुमसे बहुत रुस्ट है। रावण चला जाता है।
समय बदलता है हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं और रावण उनका कुछ नहीं कर सकता है । वह सोचते सोचते परेशान हो जाता है कि आखिर उस बन्दर में इतनी शक्ति आई कहां से। परेशान हो कर वह महल में ही स्थित शिव मंदिर में जाकर शिवजी की प्रार्थना आरंभ करता है।
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले ।
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।।
उसकी प्रार्थना से शिव प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं। रावण अभिभूत हो कर उनके चरणों में गिर पड़ता है। कहो दशानन कैसे हो ? शिवजी पूछते हैं।
आप अंतर्यामी हैं महादेव सब कुछ जानते हैं प्रभु । एक अकेले बंदर ने मेरी लंका को और मेरे दर्प को भी जला कर राख कर दिया । मैं जानना चाहता हूं कि यह बंदर जिसका नाम हनुमान है आखिर कौन है ? और प्रभु उसकी पूंछ तो और भी ज्यादा शक्तिशाली थी किस तरह सहजता से मेरी लंका को जला दिया। मुझे बताइए कि यह हनुमान कौन है ?
शिव जी मुस्कुराते हुए रावण की बात सुनते रहते हैं और फिर बताते हैं कि रावण यह हनुमान और कोई नहीं मेरा ही रूद्र अवतार है । विष्णु ने जब यह निश्चय किया की वे पृथ्वी पर अवतार लेंगे और माता लक्ष्मी भी साथ ही अवतरित होंगी तो मेरी इच्छा हुई कि मैं भी उनकी लीलाओं का साक्षी बनूं। और जब मैंने अपना यह निश्चय पार्वती को बताया तो वह जिद कर बैठी कि मैं भी साथ ही रहूंगी  लेकिन यह समझ नहीं आया कि  उसे इस लीला में किस तरह भागीदार बनाया जाए। तब सभी देवताओं ने मिलकर मुझे यह मार्ग बताया आप तो बंदर बन जाइये और शक्ति स्वरूपा पार्वती देवी आपकी पूंछ के रूप में आपके साथ रहे तभी आप दोनों साथ रह सकते हैं। और उसी अनुरूप मैंने हनुमान के रूप में जन्म लेकर राम जी की सेवा का व्रत रख लिया और शक्ति रूपा पार्वती ने पुंछ के रूप में और उसी सेवा के फल स्वरूप तुम्हारी लंका का दहन किया। अब सुनो रावण तुम्हारे उद्धार का समय आ गया है अतः श्री राम के हाथों तुम्हारा उद्धार होगा मेरी सलाह है कि तुम युद्ध के लिए सबसे अंत में प्रस्तुत होना जिससे कि तुम्हारा समस्त राक्षस परिवार भगवान श्री राम के हाथों से मोक्ष को प्राप्त करें और तुम सभी का उद्धार हो जाए । रावण को सारी परिस्थिति का ज्ञान होता है और उस अनुरूप वह युद्ध की तैयारी करता है और अपने पूरे परिवार को राम जी के समक्ष युद्ध के लिए पहले भेजता है और सबसे अंत में स्वयं मोक्ष को प्राप्त होता है।
अब आप सभी लोग निश्चय कीजिए की हनुमान दलित है मुसलमान हैं खिलाड़ी है, आदिवासी है या जाट। वैसे कितनी प्रसन्नता की बात है कि हनुमान को सभी लोग अपना बनाने के लिए आतुर है और यही हनुमान जी की खासियत है जय श्री हनुमान।जय श्रीराम।
स्रोत-सोशल मीडिया
COPY PEST

द एक्सीडेन्टल प्राइम मिनिस्टर

मनमोहन सिंह विशाल और महान भारत के प्रधानमंत्री
देश के इस पद पर कार्य करने का सौभाग्य उन्हें दो बार मिला
वे दस वर्षों तक इस पद पर विराजमान रहे
उन्होंने अपना कार्यभार भी बखूबी संभाला
वे भारत ही नहीं विश्व के माने हुए अर्थशास्त्री भी हैं
नीली पगड़ी धारी वाला यह सौभ्य सरदार पर शक की गुंजाइश ही नहीं है
उनकी योग्यता पर सवाल तो उठाया ही नहीं जा सकता
हाँ ,प्रधानमंत्री पद उन्हें मिला
कांग्रेस और सोनिया गांधी का फैसला था
यह शायद उनकी ईमानदारी और निष्ठा का परिणाम था
वह धीमे बोलने वाले व्यक्ति हैं
वाचाल नहीं हैं
इसका यह मतलब तो नहीं
वे कठपुतली थे
उन्हें शिखंडी भी कहा गया
पर कहीं से भी कोई उन्हें अयोग्य सिद्ध नहीं कर पाया
विश्व मे उनका सम्मान है
यहाँ तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मन मे भी उनके लिए काफी सम्मान था
वह कुछ अवसरों पर दिखा भी है
एक्सिडेंटल ही सही हर कोई तो हर जिम्मेदारी नहीं निभा सकता
भारत जैसा विशाल देश चलाना आसान तो नहीं
उग्र और कठोर वचन और दमदार भाषण करनेवाले वे नेता भले न हो
पर काबिल तो थे ही
जब पूरा विश्व मंदी से गुजर रहा था
उस समय भी भारत की अर्थ व्यवस्था पटरी पर थी
इस महान शख्सियत की नकल करना
उनका अभिनय करना
माखौल उड़ाना
यह सब तो कोई भी अभिनेता या मसखरा कर सकता है पर यह उचित है क्या
विश्व पटल पर भारत के प्रधानमंत्री की क्या छबि दिखेगी
आनेवाला इतिहास क्या कहेगा
आने वाली पीढी पर क्या असर होगा
मजबूत भारत का प्रधानमंत्री कमजोर
यह बात तो कहीं से भी मेल नहीं खाती
वे एक्सिडेंटल प्रधानमंत्री नहीं
एक योग्य प्रधानमंत्री थे
जिसने दस सालों तक देश का नेतृत्व किया
कार्यभार संभाला
इससे पहले भी अनेक बड़े पद उन्होंने संभाला था
वे आदर के पात्र
व्यक्ति के रूप मे
प्रधानमंत्री के रूप मे भी
यह सरदार ऐसा -वैसा नहीं
सरदारों का सरदार है
यह साबित भी कर दिखाया है

कोरी किताब

जीवन जब मिला तब वह कोरी किताब था
हर पन्ना खाली था नया था
हर पन्ने पर कुछ न कुछ लिखा
कुछ बहुत सुंदर
कुछ बेतरतीब
कुछ खराब हो गए
उनको फाड़ कर फेंक दिया
कुछ को मोड़ दिया
कुछ को लाइन मार दी
आज जब वह किताब खोल कर देख रही हूं
तो कुछ धुंधले पड़ गए हैं
कुछ अस्पष्ट हो रहे हैं
कुछ लिखावट समझ में नहीं आ रही है
कुछ अधूरे रह गए हैं
कुछ शुरू ही नहीं हुए
कुछ को मोड़ दिया गया
अब तो कुछ ही पन्ने भरना बाकी है
अब तो अनुभव भी साथ है
सोच रही हूँ
अब हर पन्ना बढ़ियां होगा
संभव है क्या??
नियति करने देगी
जैसे वह आज तक नचा रही थीं
वह कैसे छोड़ देंगी
हम सोचते कुछ
करते कुछ
होता कुछ
सब सोचा विचारा धरा रह जाता है
अनुभव कुछ काम नहीं करता
हम बस पन्ना भरे
हर पन्ना कुछ न कुछ कहता है
कुछ न कुछ सिखाता है
कोरा नहीं छोड़ना
बस भरना 

किताब भी पास है उसके पन्ने भी ,स्याही 

उंगलियों से खेलना और सही रूप से चलाना

यह तो हमारे हाथ.

दस्तक

दस्तक तो देना ही पड़ता है
अन्यथा दरवाजा खुलेगा कैसे
कैसे पता चलेगा
हम क्या चाहते हैं
अंदर क्या है
जरूरत पर हर दरवाजा खटखटाना चाहिए
क्या पता हमारा काम बन जाय
कोशिश तो करना ही चाहिए
अगर दस बंद कर लेंगे
कोई एक ऐसा भी होगा
जो खोल देगा
शायद उन्हें भी हमारी जरूरत हो
यह बात जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है
हम निराश हो जाते हैं
उम्मीद छोड़ देते हैं
लगता है यह दुनिया हमारे लिए बनी ही नहीं है
अगर हमें नौकरी की जरुरत है
तो उन्हें भी अच्छे कर्मचारी की
तो भाई जंग लड़ते रहिए
दस्तक देते रहिए
क्या पता कौनसा द्वार आपकी किस्मत बदल दे
कोशिश करने मे हर्ज ही क्या है
कौन सा हर्जाना लगेगा
बस दस्तक ही तो देना है
बिना प्रयत्न के कुछ हासिल नहीं
पेट का सवाल है
और यह तो हर जीव को करना है
कौए को भी हर घर से रोटी नहीं मिलती
पर वह हर दरवाजे और खिड़की पर जाता है
काव काव की रट लगाता है
कोई भगा देता है
तो कोई बुलाकर देता है
श्राद्ध मे तो और भी ज्यादा
इंतजार होता है
यह तो दस्तक है
देना ही पड़ता है
और दरवाजा खुलने का इंतजार  भी

Friday, 28 December 2018

सरसो

यह सरसो है
छोटे दानों वाली
हार नहीं मानने वाली
पत्थर पर ऊग आई
हरी भरी लहरा रही
मुस्कान भी बिखेर रही
पीले पीले पुष्पों के साथ झूम रही
हवा संग बतिया रही
अकेली है
फिर भी मदमस्त खड़ी है
इसे परवाह भी नहीं
किसकी नजर पड़े
कौन उखाड़ ले
निडर है
उसे पता है
उखाड़ लेगे तो साग बनाएंगे
अगर छोड़ देंगे
तो फिर इसकी फलियों को धूप मे सुखाएंगे
फिर डंडे से पीटेंगे
और फिर यह तेल मे डालकर छौंक लगा दी जाएगी
यानि उसको तो जलना ही है
कड़ाही या और बर्तन में
पर मायूस नहीं है
नियति के आगे हारी भी नहीं है
पत्थर मे भी अकेले उग आई है
लोगों को भा भी रही है
अकेले ही अपने असतित्व को साबित भी कर रही है
  पीली पीली सरसो
   महकी महकी सरसो
   हरी भरी ,मन भरी भरी
   गाती -झूमती है
   रानी अपने मन की

नजर उतारी जाती जिससे

      उसे 
  नजर न लगे किसी की
  

चौकीदार चोर नहीं

चौकीदार चोर नहीं ईमानदार है
वह तो पहरा दे रहा है
नकेल कस रहा है
जो खाने वालों को पच नहीं रहा है
लगातार निंदा किए जा रहे हैं
उनकी नींद जो हराम हो गई है
चौकीदार दिन रात एक कर रहा है
विकास की गति बढ़ा रहा है
जनता की आवश्यकताओं को समझ रहा है
देश को सुधार रहा है
स्वच्छता की तो जैसे उसने कसम ले रखी है
देश की तस्वीर बदल रहा है
लोगों का नजरिया बदल रहा है
अतिथियों को देश की झाँकी दिखा रहा है
दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है
विश्व पटल पर भारत की शाख कायम कर रहा है
नये संबंध बना रहा है
पुराने पड़ गए संबंधों को फिर से संवार रहा है
उसकी लाठी तो बहुत मजबूत है
पर चोर सामने दरवाजे से नहीं
यहाँ -वहाँ से दस्तक दे रहा है
वह भी एक्सपर्ट है
बरसो से आदत जो पड़ी है
पर चौकीदार भी जिद्दी है
चैन तो किसी को नहीं लेने देगा
वह भी दिन रात जाग रहा है
सतर्क भी है
उसके रहते खतरा हो ही नहीं सकता
लोग निश्चिंत हो सकते हैं
आराम से रह सकते  हैं
अभी अभी तो यह नया चौकीदार आया है
समय दे
देश एकदम सुरक्षित हाथों में है
चौकीदार तन-मन से कार्यरत है
बस भरोसा करें
वह कमजोर भी नहीं चोर भी नहीं
बस देशभक्त हैं
देश ही उसका धर्म
देश ही उसका ईमान

मौसम गर्म है संसद का

बाहर कड़ाके की ठंड है
मौसम बहुत सर्द है
संसद का मौसम कुछ और है
वहाँ चर्चा चल रही गर्म है
वाद विवाद हो रहे
तर्क पर तर्क दिए जा रहे
एक ,दूसरे की बात काट रहा है
कुछ समर्थन मे
कुछ विरोध मे
नारे भी  लग रहे हैं
बात तलाक बिल पास करने की जो है
महिलाओं के अधिकार की है
उनके स्वाभिमान की है
तीन बार तलाक कह उनसे छुटकारा पा लेना
उन्हें असहाय छोड़ देना
उनके बच्चों का दयनीय हालत कर देना
हमेशा डर मे रहना
कब शौहर को क्या नागवार लगे
कब मुख से तीन बार तलाक निकले
तलाक की तलवार सर पर लटकते रहना
कम से कम उससे तो निजात मिलेगा
भयमुक्त तो रहेगी
मर्द भी मनमानी नहीं कर पाएगा
उस पर जो लगाम रहेगी
कानून की
ब्याह जैसे बंधन का दुरूपयोग नहीं कर पाएगा
नेता सोचे ,विचारे ,संशोधन करें
पर तलाक बिल पास होने मे सहयोग करें
यह नारी के अस्मिता और सम्मान से जुड़ा है
तलाक नहीं अधिकार दे

Wednesday, 26 December 2018

नसरुद्दीन शाह को डर लगता है

नसरुद्दीन शाह को डर लगता है
भविष्य मे क्या होगा
उनके बच्चे का भविष्य सुरक्षित है या खतरे मे
हिंदुस्तान मे किसी को डरने की जरूरत नहीं है
वह भाजपा हो कांग्रेस हो या कोई और
कोई यह नहीं चाहेगा
सबको आजादी है
तभी तो वे बोल रहे हैं
और लोग सुन भी रहे हैं
प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं
कुछ पक्ष मे कुछ विरोध में
शाह को काफी मान -सम्मान मिला है
उनके अभिनय के कदरदान रहे हैं लोग
उन्हें अचानक ऐसा क्यों लगने लगा
उनके साथ कभी भेदभाव हुआ क्या??
इतना बड़ा देश है
यहाँ का हिंदू सहिष्णु है
तभी तो अल्पसंख्यक सर उठाकर चलते हैं
बहुसंख्यक ही सब सहन करता है
बडे भाई की भूमिका वह बखूबी निभाता है
हाँ ,कुछ दंगे फसाद जरूर हुए हैं
पर ताली तो दोनो हाथ से बजती है
गंगा जमुनी तहजीब है हिंदुस्तान की
यहाँ सब मिलकर रहते हैं
रहे हैं और रहेंगे
आप भी आराम से रहिए
आपका घर है
आपकी सरकार है
आपका देश है
अपने घर मे डरना नहीं
अधिकार से रहना है
संपूर्ण देशभक्ति और निष्ठावान तथा कर्त्तव्यवान बन

क्रिसमस

मन झूम रहा मन नाच रहा
आ गया क्रिसमस
खुशियों की सौगात लेकर
क्रिसमस ट्री का बल्ब जगमगा रहा
लोगों की आँखों मे प्यार का समंदर लहरा रहा
झूमेंगे ,नाचेंगे ,गाएंगे
नये साल का स्वागत करेंगे
पुराना सब भूलेंगे
नये राह पर चलेंगे
हंसी-खुशी बिखेरेंगे
प्यार-स्नेह बांटेंगे
शांति और सौहार्द्र फैलाएंगे
सबसे मिल जुलकर रहेंगे
ईष्या द्वेष को छोड़ेंगे
स्वच्छता अभियान के भागीदार बनेंगे
प्रदूषण फिर वह मन का हो
या वातावरण का
सबको दूर भगाएंगे
ईश्वर का नाम लेंगे
उनका आभार मानेंगे
जिंदगी को खुशहाल बनाएंगे
स्वयं खुश रहेंगे
दूसरों को भी खुशी देंगे
दीन -दुखियों की सहायता करेंगे
अपरिचित को भी परिचित बनाएंगे
प्रेम का आदान-प्रदान
यह है हमारी क्रिसमस की सौगात

Tuesday, 25 December 2018

माता -पिता

आपने हमें जिंदगी दी
हमने आपको दर्द दिया
ऐसा क्यों होता है
याद आती है जाने के बाद
जो चले गए
वापसी नहीं होती
बस पीड़ा होती है
दर्द होता है
मन सालता है
एक टीस उठती है
अब सर पर हाथ फेरने वाले
गले लगाने वाले
सारी गलतियों को माफ करनेवाले
नादानियों को नजरअंदाज करनेवाले
वे होते हैं
माता -पिता
निस्वार्थ प्रेम बस उनका ही

प्रभु राम

प्रभु राम मर्यादा पुरूषोत्तम
आदर्श राजा
आदर्श पुत्र
आदर्श पति
गोस्वामी तुलसीदास ने प्रभू राम को घर घर पहुंचा दिया
कोई हिंदू ऐसा न होगा
जो रामचरित के बारे मे न जानता हो
आज भी राम से सब परिचित है
पर राम जी विवादों के घेरे मे हैं
जिसको जो मन आया
वह बक रहा है
यहाँ तक कि पवनपुत्र हनुमान को भी नहीं बख्शा जा रहा है
उनकी जाति और धर्म को बताया जा रहा है
कही ऐसा न हो कि
हमारे आराध्य राम और  हनुमानजी को ईश्वर ही  मानने से इंकार कर दिया जाय
मंदिर तो नहीं बना
बनेगा या नहीं
यह तो प्रश्न चिन्ह है
मामला कोर्ट में है
लोगों की भावनाओं का कोई महत्व नहीं
हजारों बरसों से पूजा की जा रही है
पर उनकी जन्मभूमि नहीं
हिंदुस्तान ने तो न जाने किस किस को अपनाया है
उनका भी फर्ज तो बनता है
वे क्यों नहीं आगे आते
भारत उनका शरणगाह रहा है
उन लोगों ने ही उनके भगवान को शरणार्थी बना दिया

याद आए अटल जी

भारत की राजनीति
अटल बिहारी वाजपेयी बिना अधूरी
ऐसा नेता जो पार्टी का निष्ठावान हो
सौम्य चेहरा पर दृढ निश्चय
अकेले एक पूर्ण बहुमत वाली पार्टी के सामने खड़ा होना
संसद मे अपना लोहा मनवाना
जिसके भाषण का पूरा हिंदुस्तान कायल हो
कवि हदृय हो
पर राजनीति का माहिर खिलाड़ी भी हो
ऐसी शख्सियत के मालिक थे अटल जी
ऐसे नेता बिरले ही मिंलेगे
राजनीति के कीचड़ मे वे खिलता हुआ कमल थे
आज वे नहीं है
पर उनकी आवाज ,कविताएं हमारे साथ है
वे महामानव तो नहीं पर वह इंसान थे
जिनके दिल मे प्रेम और इंसानियत थी
राजनीति मे चाणक्य तो नहीं थे
फिर भी राजनीति को दमदार बनाया
     भावभीनी श्रद्धांजलि

मैं और मेरे शब्द

मैं और मेरा मन अक्सर बातें करते रहते हैं
अगर ऐसा होता तो
अगर ऐसा न होता तो
मैं अक्सर दुविधा मे पड़ जाती हूँ
क्या करू
क्या न करू
क्योंकि यह कभी हाँ कहता
कभी ना कहता
एक ही बात हो तब भी
एक मन कहता
यह सही है करें
दूसरी कहीं से छोटी सी आवाज आती है
छोड़ो यह सब बेकार है
तब मै उस छोटी आवाज के सामने विवश
पर यह सही तो नहीं
फिर सही क्या??
दृढ़ निश्चय
स्वयं से वादा
स्वयं के शब्द
हम उस पर टिके रहे
स्वयं से वादाखिलाफी न करें
अपने शब्दों का मान रखें
उसे अलग अलग शब्दावली मे न उलझाए
मन तो चंचल है
उस पर लगाम लगाना चाहिए
तभी आप अपनी व्यक्तित्व को निखार सकते हैं
जीवन मे उंचाईयों को छू सकते हैं
अपने शब्द को सार्थक बनाना है
यह कार्य तो हमें ही करना है
कोई रैकेट या स्टोरी नहीं
बस शब्द और वचन
वचनबद्ध बिना तो सब ढुलमुल
जीवन ढुलमुल से नहीं चलता
निर्णय से संचालित होता है
तो बस अपने और शब्द के बीच जीना है

बाबूजी

आज आप हमारे साथ नहीं
पर आपका आशीर्वाद तो अवश्य होगा
ऊपर अलग जहां से देख रहे होंगे
अपने घर परिवार को
जब तक साथ रहता है इंसान
हम समझ ही नहीं पाते उनको
या फिर समझते हैं पर व्यक्त नहीं कर पाते प्यार को
हां अपना क्रोध और चिड़चिड़ापन जरूर निकालते हैं
क्योंकि वह हमारे अपने हैं
इसलिए सहन कर लेते हैं
आज मैं यह भी कहना चाहती हूँ
कि मुझे आपसे बहुत बेहिसाब प्यार तो था पर तकलीफ भी सबसे ज्यादा मैंने ही दी होगी
यह पिता -पुत्री का संबंध ही नहीं
आप मेरे दोस्त ,मार्गदर्शक और पालनहार भी थे
जो कुछ भी मैं हूँ
वह आपकी वजह से
मेरी गलतियों को क्षमा करना
  एहसास तब होता है
  जब साथ छूटता है
  अगर पहले ही हो जाय
  तब रिश्ता मिठास बन जाय
  प्यार करते हैं आपके अपने
तभी तो आपको सहते हैं
अन्यथा नाता तो वह भी तोड़ सकते हैं
प्यार के बंधन में बंधे हैं वे
यही उनका कसूर
नहीं तो मोहताज वे भी नहीं
   प्रणाम और नतमस्तक हूँ
जैसी भी हूँ
    आपकी ही हूँ
आपसे ही हम हैं और रहेंगे
जिंदगी के साथ भी
         जिंदगी के बाद भी
👏👏👏👏👏👏👏