Thursday, 28 February 2019

अभिनंदन के लिए प्रार्थना करें

अभिनंदन के लिए हर शख्स को प्रार्थना करनाहै
मंदिर ,मस्जिद, गुरूद्वारे ,चर्च मे दुआ मांगना है

अभिनंदन का अभिनंदन करना है
बस आज की रात जानी है
कल के सूरज के उदय के साथ ही इस जाबांज की रिहाई का स्वागत है
सब तैयार रहे
जश्न मने
उनके हर घाव पर मरहम लगाना देश का कर्त्तव्य
हर भारतवासी उनके साथ खड़ा है
यह एहसास हर जवान को करवाना है
तभी तो जज्बा कायम रहेगा
हमारे वीर जवानों का
वह अपना कर्तव्य निभाने सीमा पार करें
हम उनका दिल से सम्मान करें

वाह । क्या कहने

शरीर सुंदर हो
आकर्षक लगे
इसके लिए न जाने कितने जतन
पावडर ,क्रीम से लेकर मेनीक्योर, पेडीक्योर तक
जिम ,योगा ,एक्सरसाइज ,स्वीमिंग ,साइक्लिंग
सब आजमाया जाता है
सुंदर देहयष्टि किसे नहीं अच्छी लगती
इसी शरीर मे एक सुंदर मन भी बसता है
उसका ध्यान नहीं दिया जाता
ईर्ष्या ,द्वेष ,जलन ,कुढ़न उसमें समाया रहता है
बदले की भावना
पीठ पीछे बुराई
कमी ढूढ़ना
कर्कश ध्वनि
झगड़ा -टंटा
यह सब उस समय -समय पर प्रकट होते रहते हैं
मन उसी के इर्दगिर्द घूमता रहता है
अगर उसमें
क्षमा ,करूणा ,दया  ,सहनशीलता ,धीरज ,संतोष और वाणी की मिठास भर दे
तब देखे आप कैसे लगते हैं
सुंदर शरीर मे सुंदर मन
यह ईश्वर की बेजोड़ और अनुपम रचना होगी
सोने पर सुहागा होगा
सही भी है न
तन भी सुंदर
मन भी सुंदर
वो कितना सुंदर होगा
इंसान को इंसानियत की खुशबू से महकाए
इत्र और मंहगे सेंट न भी लगाए
कोई फर्क नहीं पड़ता
आपकी एक प्यारी सी मुस्कान ही दिल जीतने के लिए काफी है
एक मीठी प्यारी सी आवाज ही किसी की प्रसन्नता का कारण बन सकती है
स्वस्थ्य और सुंदर शरीर
उसमें बसे सुंदर मन
तब तो बरबस ही बोल उठे सब
वाह ।   क्या कहने

वाह । क्या कहने

शरीर सुंदर हो
आकर्षक लगे
इसके लिए न जाने कितने जतन
पावडर ,क्रीम से लेकर मेनीक्योर, पेडीक्योर तक
जिम ,योगा ,एक्सरसाइज ,स्वीमिंग ,साइक्लिंग
सब आजमाया जाता है
सुंदर देहयष्टि किसे नहीं अच्छी लगती
इसी शरीर मे एक सुंदर मन भी बसता है
उसका ध्यान नहीं दिया जाता
ईर्ष्या ,द्वेष ,जलन ,कुढ़न उसमें समाया रहता है
बदले की भावना
पीठ पीछे बुराई
कमी ढूढ़ना
कर्कश ध्वनि
झगड़ा -टंटा
यह सब उस समय -समय पर प्रकट होते रहते हैं
मन उसी के इर्दगिर्द घूमता रहता है
अगर उसमें
क्षमा ,करूणा ,दया  ,सहनशीलता ,धीरज ,संतोष और वाणी की मिठास भर दे
तब देखे आप कैसे लगते हैं
सुंदर शरीर मे सुंदर मन
यह ईश्वर की बेजोड़ और अनुपम रचना होगी
सोने पर सुहागा होगा
सही भी है न
तन भी सुंदर
मन भी सुंदर
वो कितना सुंदर होगा
इंसान को इंसानियत की खुशबू से महकाए
इत्र और मंहगे सेंट न भी लगाए
कोई फर्क नहीं पड़ता
आपकी एक प्यारी सी मुस्कान ही दिल जीतने के लिए काफी है
एक मीठी प्यारी सी आवाज ही किसी की प्रसन्नता का कारण बन सकती है
स्वस्थ्य और सुंदर शरीर
उसमें बसे सुंदर मन
तब तो बरबस ही बोल उठे सब
वाह ।   क्या कहने

मुझे ही छोड़ दिया

जबसे होश संभाला
ख्वाब देखने का सिलसिला शुरू हुआ
ख्वाहिशें तो अनंत
नित नई जुड़ती जाती
एक पूरी हुई नहीं कि दूसरी की बारी आ जाती
हमेशा इसी मे मशरूफ रहे
नित नई चुनौती
पूरी करने का जुनून
आगे बढ़ते गए
पीछे देखने का मौका ही न मिला
बहुत कुछ हासिल कर लिया
जो चाहा वह किया
हर प्रयास
हर प्रयोग
दिन रात एक कर
उच्च मुकाम पर पहुंच कर पीछे देखा
सोचा अब तो कुछ बाकी नहीं
हाँ लेकिन कोई अंदर से कह रहा था
हाँ मुझे पीछे छोड़ दिया
जिंदगी को जीना भूला दिया
मुझे ही उंचाई पर पहुंचाते - पहुंचाते
मुझे ही छोड़ दिया

जंग जायज तो नहीं

जंग जरूरी नहीं मजबूरी है
जंग किसी समस्या का हल तो नहीं
इसमें तो नुकसान ही है
जान- माल का ,जीव का
समय का ,विकास का
जंग से तो इंसानियत का खून होता है
रक्त तो दोनों तरफ से बहता है
वह है मानव का
यह बेघर करता है
अनाथ करता है
निराधार करता है
सुहाग छिनता है
असहाय करता है
सब कुछ नष्ट कर डालता है
जिसे खड़े करने मे सदियों लग जाते हैं
पूरी पीढी को भुगतना पड़ता है
विनाश के बाद शांति छा जाती है
कोई जीतता तो कोई हारता है
लेकिन मसला तो हल होता ही नहीं
घृणा और नफरत की आग दिलों मे धधकती रहती है
दूश्मनी और बढ़ जाती है
इस बात को समझ लिया जाय
शांतिपूर्ण से मामला सुलझा लिया जाय
यह पहल दोनों तरफ से जरूरी है
एक हमेशा वार करें
दूसरा सहन करता रहे
एक आंतकवाद फैलाता रहे
खून बहाता रहे
बम फे़कता रहे
दूसरा शांति और अहिंसा के नाम पर शांति से बैठा रहे
यह कैसे मुमकिन है
सहनशीलता की भी हद होती है
चूड़ियाँ तो कोई नहीं पहन कर बैठा है
डरपोक भी कोई नहीं है
फिर भी जंग जायज तो नहीं
एक ,दूसरे को हराने के लिए
नीचा दिखाई के लिए
गर्वित होने के लिए
जंग छेड़ देना
यह तो कोई उपाय नहीं
समझना होगा
ठोस कदम उठाना होगा
ध्यान रहे
ताली एक हाथ से नहीं बजती
दोनों को साथ आना होगा
मिल बैठ कर बात करना होगा
पुरानी दूश्मनी को खत्म करना पड़ेगा
नये सिरे से शुरुआत करनी होगी
ऐसा न हो कि
कोई सिरफिरा ऐसा निर्णय ले ले
कि सदियों तक पछताना पड़े
मानव पहले बम बाद मे
जीवन पहले मृत्यु अंत मे
हर जीवन बहुमूल्य
वह तुम्हारा हो
वह हमारा हो
बहता तो लहू ही है
मां की ही गोद सूनी होती है
किसी भी सूरतेहाल मे
जंग जायज तो नहीं ।

Wednesday, 27 February 2019

व्यक्ति की अहमियत

आम फलों का राजा
व्यक्ति जीवों का राजा
आम हरा - पीला
खट्टा - मीठा
व्यक्ति के भी अलग अलग रंग
संबधों मे भी अलग अलग स्वाद
हर स्वाद अनुपम
हर रंग निराले
कुछ भी बना लो
हर रूप मे स्वादिष्ट
अचार हो या चटनी
अमचूर हो या अमावट
पके फल की तो बात ही अलग
फिर वह लंगड़ा हो
तोतापुरी हो
हापुस हो
या और कोई प्रकार हो
वैसे ही व्यक्ति भी अलग अलग प्रकार के
पर उसकी उपस्थिति महत्व
सबकी अहमियत है

मराठी भाषा दिन

हिन्दी आणि मराठी ही दोघी बहिण
माझी मातृभाषा हिंदी
पण मला मराठी पण खूप आवड़ते
उत्तर प्रदेश माझी जन्मभूमि
महाराष्ट्र माझी कर्मभूमि
मला मराठी बद्दल खूप अभिमान आहे
आज भाषा ची स्थिति खूप वाईट होती चालली आहे
हे थांबायला पाहिजे
सर्व भारतीय भाषा आपलीच आहे
तिचा सम्मान आमचा सम्मान आहे
मराठी भाषा दिनांची शुभेच्छा

स्वार्थपरता

संबंध बहुत अच्छे हैं
वह बहुत अच्छा है
हम बहुत जल्दी विश्वास कर लेते हैं
यह मानवी स्वभाव है
असलियत तो तब पता चलती है
जब मुसीबत मे हो
मदद की दरकार हो
केवल मीठा बोलना ही काफी नहीं
शिद्दत से संबंधों को निभाना भी जरूरी
स्वार्थी से दूर रहना
अपना काम है तो राम राम
तुम्हारा है तो दुआ सलाम
तब तो मुंह छिपाएंगे
आँख भरकर देखेंगे भी नहीं
हमारा सामान लेते समय तो मुस्कराना
मांगते समय खीज
यह क्यों भाई
तब तो यह स्वार्थपरता हुई
बचना है ऐसो से
कब धोखा दे जाय
कब पीठ मे छूरा भोंक दे
कह नहीं सकते
इससे तो बेहतर अकेले रहना

Tuesday, 26 February 2019

तब तो कोई बात हो

हवा के साथ साथ चले
यह हमें गंवारा नहीं
हवाओं का रूख बदल दे
उसकी दिशा को मोड़ दे
तब तो कोई बात हो
दिन को दिन
रात को रात
सभी कहते हैं
हम अंधेरे मे भी उजाला कर दे
तब तो कोई बात हो
मिट्टी मे फूल खिलते हैं
हम पत्थर मे भी फूल खिला दे
तब तो कोई बात हो
वसंत का मौसम तो सुहावना होता ही है
हम पतझड़ को भी वसंत बना दे
तब तो कोई बात हो
परम्परानुसार तो सभी चलते हैं
हम नयी परम्परा शुरू कर दे
तब तो कोई बात हो
लीक पर तो सभी चलते हैं
भेड़चाल तो आदत मे शुमार है
हम अपनी अलग राह चुने तो कोई बात हो
तूफानों से डरे नहीं
उससे भिड़ जाय
तब तो कोई बात हो
हर क्षण हर पल डरे रहे
निर्णय लेने मे हिचकिचाते रहे
बेपरवाह हो करें
जो होगा वह देख लेंगे
तब तो कोई बात हो
दुनिया क्या कहेगी
लोग क्या कहेंगे
इस किस्से को खत्म करें
तब तो कोई बात हो
मजबूरी को छोड़ मजबूती अपनाएं
जिंदगी को अपने अनुसार बनाए
तब तो कोई बात हो

Monday, 25 February 2019

शहीद का बेटा

मासूम पिता के शव के पास बैठा है
समझ नहीं पा रहा है
हो क्या रहा है
सब क्यों रो रहे हैं
तिरंगा पापा के शरीर पर क्यों लिपटा है
इसे तो फहराया जाता है
मौत क्या होती है
वह अनभिज्ञ है
शहीद कौन होते हैं
वह उसे मालूम नहीं
बस पापा की गोद मालूम थी
वह इतना क्यों सो रहे हैं
उठ क्यों नहीं रहे
उनके आसपास इतने लोग क्यों जमा है
उन्हें फूलों की माला क्यों डाली गई है
पापा तो बोलकर गए थे
जल्दी आएंगे
पर इतनी जल्दी तो कभी नहीं आते थे
कितना खुश हुआ कि
पापा आ गए हैं
पर यह तो सो रहे है
शायद यह नहीं पता कि
वह हमेशा के लिए सो गए हैं
अलविदा कह गए हैं
भारत माता के लिए कुर्बान हो गए हैं

भाषा को मरने नहीं देना है

भाषा मर रही है
धीरे धीरे सांस ले रही है
उसे प्राणवायु की जरूरत है
यह मानव की इजाद है
पुरातन काल से हमारे साथ है
हमारे असतित्व की पहचान है
सदियां बीत गई
यह नये नये कलेवर धारण करती रही
विकास के पायदान पर आगे बढती गई
यह तब था जब हमारे हाथ मे कलम थी
आज मशीन आ गई है
बटन तो दब जा रहे हैं
भावनाएँ मर रही है
सब शार्टकट हो रहा है
ऐसा न हो की हम भाषा को ही भूल जाय
यह इमोजी का मायाजाल
हमें भी जकड़ रहा है
भाषा को पकड़ कर रखना है
आनेवाली पीढी को भूत और वर्तमान से मिलाना है
हमारा इतिहास जीवंत रहे
मानवता जीवित रहे
तब भाषा को सींचना पडे़गा
उसे पल्लवित - पुष्पित करना है
उसकी सुंगध को महसूस करना है
उसे सब तरफ बिखराना है
उसे मरने नहीं देना है

जीवन हमारा है

मुझे पूरा आसमान चाहिए
मुझे पूरी जमीन चाहिए
अपूर्णता मुझे स्वीकार नहीं
समझौता करना गंवारा नहीं
जीवन जब अपने आप मे संपूर्ण है
तब जीना भी संपूर्णता के साथ
जितना भी है जीना है
मनमुताबिक रहना है
नहीं कोई रोक टोक
नहीं कोई बंधन
न कोई रोक टोक
न किसी पर निर्भर
जीवन हमारा है
निर्णय भी हमारा
किसी का निर्देश स्वीकार नहीं
किसी की दखलंदाजी को स्थान नहीं
न किसी के आगे झुकना
न किसी कारण रूकना
हर पल को जी भर कर जीना है
न हारना न जीतना
न गमी न खुशी
न परवाह न चिंता
बस निश्चिंत रहना है
सब उस पर छोड़ना है
इंसान से क्यों डरे
जब ऊपरवाला हमारा है

Sunday, 24 February 2019

सलाम है प्रधानमंत्री जी को

आज प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मचारियों के चरण धोएं
गर्व है उन पर भारतवासियों को
उन्हें गर्वित अनुभव कराया
यह तबका जो गंदगी साफ करता है
उनका सम्मान तो बनता है
जबकि उनको तुच्छ लेखा जाता है
उनके काम की सराहना जरूरी है
कुंभ के दौरान स्वच्छता बनाने मे इनका बहुत बड़ा हाथ
स्वच्छ रहेगा भारत
तभी तो बढ़ेगा भारत
प्रधानमंत्री के इस कदम से लोगों का नजरिया तो बदलेगा
क्योंकि हमारे देश मे सफाई का काम एक विशेष तबके तक ही है
स्वच्छता की ओर बढाया यह कदम सराहनीय है।

Saturday, 23 February 2019

काम तो करना ही पड़ेगा

चिडिया दूर गगन मे उड़ती है
चींटी मीलों दाना लेकर चलती है
मधुमक्खी हर फूल फूल मंडराती है
मछली रानी दिन  रात तैरती है
छोटी छोटी सी है यह
पर काम बड़े करती है
जिंदा रहने की जद्दोजहद करती हैं

सीख देती है
बैठने से काम नहीं चलेगा
कर्म तो करना ही पड़ेगा
चलना ही जीवन है
चलते रहिए
कर्म करते रहिए
जब तक सांस है
जिंदगी छोटी हो या बड़ी
कद छोटा हो या बड़ा
कोई फर्क नहीं पड़ता

कालिदास

🌹💟🌹 ऊँ मा शक्ति सरस्वती नमः ऊँ 🌹💟🌹
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा.
स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालीदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?
.
(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)
कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)
कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ ।
.
स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?
(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)
कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ।
.
स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।
मूर्ख दो ही हैं। पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है।
(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे)
वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए)
माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार । तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा।
.
कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।
शिक्षा :-
विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।
दो चीजों को कभी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए.....
अन्न के कण को
"और"
आनंद के क्षण को
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COPY PEST

जीवन को भरपूर जी लिया जाय

हंस लो गा लो
जिंदगी के गीत गुनगुना लो
यह पल फिर न आएंगे
धीरे धीरे जा रहा है
हम सोच रहे हैं
अभी तो बहुत समय बाकी है

इंतजार मत करो
जब हाथ -पैर थक जाएंगे
सुनने की क्षमता कम पड़ जाएगी
आँखों की दृष्टि क्षीण हो जाएगी
स्वयं का शरीर ही जवाब देने लगेगा

हर पल जी लो
खूबसूरत जहां को आँखों मे कैद कर लो
दूनिया - जहां की सैर कर लो
गीत और संगीत से प्रेम कर लो
कोई कसर न छोड़ो
जिंदगी का भरपूर आंनद लो
ताकि मन मे मलाल न रहे
अफसोस न हो
इतनी प्यारी जिंदगी मिली
उसे हम अपने ढंग से जी न पाए

शरीर को तो एक दिन साथ छोड़ना ही है
उम्र का पड़ाव तो आएगा ही
अब भी समय है
पतझड़ की प्रतीक्षा क्यों ??
वसंतोत्सव तो मना लिया जाय
जीवन को भरपूर जी लिया जाय

Friday, 22 February 2019

जल और जंग एक साथ नहीं

हम तुम्हें जल दे
तुम हमारा खून लो
हम तुम्हें जल से सींचे
तुम हमें लहूलुहान करो
पानी पिलाना शबाब का काम
पर तुम्हें पानी पिलाना
सांप को दूध पिलाने के समान

हम क्रिकेट खेले
तुम सरहद पर गोली चलाओ
हम दोस्ती का हाथ बढाए
तुम पीठ मे छूरा भोंको
हम तुम्हारे कलाकारों को सर आँखों पर बिठाए
तुम आंतकवादी गतिविधियाँ करो

हम समझौता एक्सप्रेस चलाए
तुम उसमें आंतकवादी भेजो
कब तक चलेगा
तुम्हारा खून ,खून
हमारा खून पानी
जब चाहे गोलियां दागो

कितना सबर करें
हम बड़़े भाई की भूमिका निभाए
तुम एक अच्छे पडो़सी भी न बन पाओ
हर वक्त बमबारी
आम नागरिक को भी नहीं बख्शा जा रहा
जन्नत को दोजख बना रहे
कश्मीर का राग अलाप रहा

न स्वयं चैन से रह रहा
न हमें रहने दे रहा
नाम तो है पाक
इरादे हमेशा रहते नापाक
कौन सी और कैसी भाषा समझता है
वह तो इसके आका ही जाने

हम तो गांधी के अहिंसावाद का पालन करनेवाले
खून खराबा तो स्वीकार नहीं
इसी का फायदा उठाता
बस अब और नहीं
हम जल दे
तुम जंग दो
जल और जंग यह एक साथ नहीं ।

मानव

संपूर्ण तो कुछ भी नहीं
जीवन नहीं
तो हम कैसे ??
हम मानव है
हममे कमजोरी है
इसका यह मतलब नहीं
हम अच्छे नहीं है
बुराईयों के साथ अच्छाइया़ं भी है
वह साथ साथ ही चलती है
हाँ उनको हावी नहीं होने देना है
उनसे दूर रहना है
उन पर काबू पाना है
हम ईश्वर नहीं जो संपूर्ण हैं
कमजोरी तो हमें इंसान बनाती है
अपूर्ण बनाती है
हमें प्रयत्न करना सिखाती है
आगे बढ़ना सिखाती है
संपूर्ण जब हो जाएगा
मानव ,मानव ही नहीं रहेगा
मानव से खूबसूरत कोई जीव नहीं
इसी खूबसूरती से हमें जीवन जीना है

बुराई से दूर रहे

हंसना जीवन है
रोना भी जीवन.है
प्यार जीवन है
क्षमा भी जीवन है
स्वीकार जीवन है
अपनापन भी जीवन है
मित्रता जीवन है
सत्य भी जीवन है

घृणा और तिरस्कार
द्वेष और ईर्ष्या
झूठ और धोखा
बेईमानी और निंदा
यह तो जीवन नहीं है
यह जहाँ आ गए
तब तो जीवन मे जहर घोल देंगे

हमें जहर नहीं अमृत पान करना है
हम शिव नहीं
सामान्य मानव है
मानव ही बने रहे
यही बहुत है
यह तब मुमकिन है
जब हम अच्छाई को अपनाए
बुराई से दूर रहे

प्रकृति से जी भर कर प्यार करें

हमें फूलों की ताजगी चाहिए
पक्षी की चहचहाहट चाहिए
पशुओं का साथ चाहिए
सूरज की रोशनी चाहिए
चंद्रमा की चांदनी चाहिए
पेड़ से आँक्सीजन चाहिए
समुंदर की कलकल चाहिए
झरने की झर झर चाहिए
बारिश की फुहार चाहिए
जमीन से अनाज चाहिए
धरती मां से संतुलन चाहिए
पर्वत की विशालता चाहिए
हमें जंगल चाहिए
वनोअषौधि चाहिए
हमें खनिज चाहिए
नदी से जल चाहिए
हमें जीवन संपूर्ण चाहिए
इस संपूर्णता को बरकरार रखना है
तब प्रकृति की
पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी अपनी है
आधिकार चाहिए
   तब
कर्तव्य का भी भान रहना चाहिए
जीना है
जीने देना है
सबको साथ लेकर
प्रकृति के कण कण से प्रेम करना है
प्रकृति जी भर देती है
हम भी जी भर कर सम्मान करें
स्वयं विचरण करें स्वतंत्र
दूसरों से भी उनकी स्वतंत्रता न छीने
उन्हें नष्ट न करें ।

Thursday, 21 February 2019

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

माता से संतान का प्रथम परिचय
माता की भाषा ही संतान की भाषा
यह संपदा है
जो माता से मिली
इसमें प्रेम है
आत्मसम्मान है
यह हमारे मन के करीब होती है
हमारा परिचय
हमारी पहचान
संसार मे आते ही इससे पहचान
इसे भूलना नहीं
दूसरों का सम्मान करें
दूसरी भाषा सीखे
पर अपनी मातृभाषा को न भूले
याद रहे
जो अपनी माता का सम्मान नहीं कर सकता
वह दूसरों का क्या.करेगा
माता ,मातृभाषा ,मातृभूमि
इनको भूलना नहीं
विकास कितना भी करें
पर पहली पायदान तो यही है

मन

घर बडा होता है
उसके अनुपात मे दरवाजा बहुत छोटा होता है
यह हमारा शरीर है
पर हमारा जो मन होता है
वह दिखता तो नहीं
पर विशालता को समेटे हुए
कभी सुकून नहीं
बड़ी बड़ी इच्छाए
इस मन मे समाई
शरीर को तो पता ही नहीं चलता
वह तो दरवाजे के समान है
जिसे अंदर का पता नहीं
कब किसका प्रवेश हो इस मन मे
कितना कुछ भरा है इसमें
यह कभी रीता नहीं रहता
इसकी क्षमता का अंदाजा लगाना मुश्किल
यह मन जो है
मन मुताबिक करना है
मन के साथ चलना है
यह सूक्ष्म है
पर विशालता को समेटे हुए
यह कभी झूठ नहीं बोलता
कभी धोखा नहीं देता
हम इसको भले नजरअंदाज करें
यह कभी नहीं करता
हर पल साथ निभाता
ऐसा होता है मन

जीने का मजा तभी आएगा

हम जो करते हैं
उसके जिम्मेदार हम स्वयं ही
परिस्थितियों को दोष
पैरेन्ट्स को दोष
ईश्वर को दोष
स्वयं को दोष
यह तो कोई बात नहीं हुई
हाँ यह मैंने किया
यह निर्णय मेरा था
इसकी जवाबदेही भी मेरी
जिंदगी भी मेरी ही है
जैसी भी है
लाजवाब है
हम अपने आप मे यूनिक है
हमारे जैसा कोई नहीं
हम भी किसी के जैसे क्यों बने
इच्छा भी अनंत
विश्वास भी अनंत
विश्व भी अनंत
सृष्टि भी अनंत
जीव है
जीवन है
उस जीवन मे हम है
हमें सृजनकरता बनना है
संहारक नहीं
कुछ देना है
बहुत कुछ मिला है
वह ऋण चुकाने हैं
दोष नहीं देना है
जिंदगी मिलना तो सबसे बड़ी नियामत है
वह तो  हमारे पास है
जीना भी हमारे ही हाथ है
हमें परिस्थितियों का दास नहीं बनना है
परिस्थितियाँ अपने अनुकूल बनानी होगी
तभी तो जीने का मजा आएगा

वर्तमान ही सत्य

बस स्टैंड पर खड़ी बस का इंतजार
पूछताछ करने पर पता लगा
अभी अभी गई है
बैचेनी बढ़ गई है
जो भी बस आ रही देख रही हूँ खड़े होकर
कहीं मेरी बस तो नहीं ??
जबकि वह अपने समय से ही आएगी
यही तो हम हमेशा करते हैं
हम जानते हैं
हर काम अपने समय से होगा
हम उतावले रहते हैं
परेशान होते रहते हैं
यह भी जानते हैं
कुछ हासिल नहीं होगा
धीरज रखें
पर हम तो इंसान है न
रातोंरात सब चाहिए
यह तो होने से रहा
यही हम गलती कर बैठते हैं
ताउम्र पछतावा भी होता है
और यह एक बार नहीं
हर बार होता है
हर पड़ाव पर होता है
फिर वह बस पकड़ने की बात हो
या और कुछ
उधेड़बुन मे जीते हैं
शांति नहीं अशांति मे रहते हैं
इंतजार करते है
भविष्य का सोचते हैं
लोग सोचते हैं
हम अतीत मे जीते हैं
जबकि सच यह है कि
हम भविष्य मे जीते हैं
ऐसा हो न जाय
यह डर हमें वर्तमान मे सताता रहता है
जबकि सत्य है तो केवल वर्तमान
हर पल
हर क्षण

Wednesday, 20 February 2019

हम अखंड भारत के नागरिक है

आज हवा उदास है
हवा मे नमी है
सब तरफ गमी है
सरहद से हवा जो चली
वह फिजा मे घुल गई
हर शख्स उदास - गमगीन है
गुस्से मे खौल रहा है
शहीदों के परिवार के आंसू सहन नहीं हो रहे हैं
किस तरह इसका बदला ले
हर शख्स अपनी अपनी तरह से सोच रहा है
हाँ ढंग अलग हो सकते हैं
सारा भारत एकजुट है
आज वह सारे भेदभाव भूल गया है
बस किस तरह सबक सिखाया जाय
जवानों के हत्यारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए
सब इस पर एकमत है
यही तो हमारी अंखडता की शक्ति है
मुश्किल घड़ी मे सब साथ है
कोई नजर उठाए माता पर
यह तो किसी को स्वीकार नहीं
हम तभी तो भारतीय है

Tuesday, 19 February 2019

INDIA

*SOME IRONIES THAT*
             *EXIST IN INDIA :*
1.
Politicians *Divide* Us,
          Terrorists *Unite* Us.
 
2.
Everyone Is In Hurry ,
But
*NO ONE* Reaches In Time

3.
Priyanka Chopra Earned More Money Playing *Mary Kom*,
Than The Mary Kom Earned In Her Entire Career.

4.
Most People Who Fight Over *Gita And Quran*,
Have Probably Never Read Any Of Them.

5.
We Rather Spend More On Our Daughter's *WEDDING*
Than On Her *EDUCATION*

6.
The *SHOES* That We Wear Are Sold In Air Conditioned Show Rooms,
The *VEGETABLES* That We Eat Are Sold On The Footpaths.

7.
We Live In A Country Where Seeing A *POLICEMAN* Makes Us Nervous Rather Than Feeling Safe.

8.
In IAS Exam, A Person Writes A Brilliant 1500 Words Essay About How Dowry Is A Social Evil And *CRACKS THE EXAM* By Impressing Everyone.
One Year Later His Parents Demand  A Dowry In Crores, Because He Is An IAS Officer.

9.
Indians Are Obsessed With Screen Guards On Their Smartphones Even Though Most Come With Scratch Proof Gorilla Glass But Never Bother Wearing A *HELMET* While Riding Bikes

*One Of The Best Ever Lines :*

Try To Understand People Before Trusting Them
*BECAUSE*
We Are Living In Such A World,
Where Artificial Lemon Flavor Is Used For
*"WELCOME DRINK"*
And Real Lemon Is Used In
*"FINGER BOWL"*
Copy pest

कैसे करे मानवता की हत्या

एक बम का धमाका
सब खत्म
सरहद पर तैनात सिपाही
न किसी से बैर न द्वेष
व्यक्ति गत कोई विवाद नहीं
न जान न पहचान
वह अपने देश की सुरक्षा मे तत्पर
यह अपने देश की सुरक्षा मे तत्पर
पर एक दूसरे के कट्टर दूश्मन
गोली का जवाब गोली से
यह सब तो ठीक है
पर विश्वास घात ??
आंतकवादी को शह देना
धोखे से वार करना
मानव बम बन मानव की हत्या
यह तो सरासर कायरता
लडाई आमने सामने की हो
मुख पर प्रंशसा
पीठ मे छूरा
ऐसा पडो़सी
यह बहुत बडी विडंबना हमारी
शक्तिशाली होते हुए लाचारी
इसी का फायदा उठा रहा है हमारा यह पडो़सी
मजबूर हो गए हैं हम
मानवता की हत्या हम नहीं कर सकते
और वह इसे हमारी कमजोरी समझ रहा है