कभी कांग्रेस और नेहरू - गांधी परिवार के करीबी रहे नटवर सिंह ने अपनी रिलीज़ होने जा रही ऑटोबायोग्राफी "वन लाइफ इज़ नॉट एनफ " में यह तथ्य दिया है की दो हज़ार चार में पीएम का पद ठुकराते समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिआ गांधी ने कहा था कि वह यह फैसला अपनी अंतरात्मा कि आवाज़ पर ले रही है जब कि सत्य यह है की उनके बेटे राहुल गांधी कि जिद ने उन्हें पीएम बनने पर रोक दिया था। उन्हें डर था कि उनके पिता और दादी की तरह उनकी माँ की भी हत्या की जा सकती है।
नटवर सिंह सत्य ही कह रहे है यह कौन जानता है ? आखरी समय में वे नाराज़ चल रहे थे। अगर यह सही भी है तो क्या हुआ। एक बेटे को अपनी माँ की चिंता थी और उन्हें मना किया, यह कोई बड़ी बात नहीं है।
इतिहास गवाह है की सत्ता के लिए लोगो ने अपने ही सगे - सम्बन्धियों , प्रियजन को हटाने के लिए क्या कुछ नहीं किया है। बेटे की सलाह - जिद मानना या न मानना कांग्रेस अध्यक्षा पर निर्भर था। एक छोटे से नेता का पद प्राप्त करने के लिए लोग अपनों को रास्ते से हटा देते है। यह पद तो भारत के प्रधानमंत्री का था। उन्होंने उसको छोड़ा। उनके इस त्याग को साधारण नहीं लेना चाहिए या विवाद खड़ा करना चाहिए। वैसे भी नेहरू - गांधी परिवार ने देश के लिए अपनों का बलिदान दिया है।