हर साल एक वर्ष आता है और दूसरा जाता है
हर साल कुछ नये लोग जुडते है
मेरे पोस्ट को जिन लोगों ने पढा और सराहा ,देखा
उन सभी को धन्यवाद
आप लोगों का स्नेह निरंतर बना रहे
अभी कुछ और बातें तथा कहना सुनना बाकी हैं
अपनी उम्मीदों को कायम रखना है
सभी की आभारी जिसने मेरी लेखनी को समझा
आज हमारे पास ऐसी शक्ति है कि इलेक्ट्रानिक माध्यमों ने हमें एक दूसरे के करीब ला खडा कर दिया है
आज मेरे पोस्ट पढने वालों की संख्या १० हजार के करीब पहुचने वाली है
जिसमें भारत के अलावा यू एस ए ,रशिया ,जर्मनी से लेकर पाकिस्तान और अरब देश भी शामिल है
मुझे इतने कम समय में इतना सहयोग मिला
गुगल प्लस के अपने दोस्तो और व्यहूस का भी धन्यवाद जिनकी संख्या ३,३८लाख के करीब तथा फौलोवर्स की संखया ५६८ के करीब
बहुत अच्छा लगता है और प्रोत्साहन मिलता है.
आशा है नया साल और अच्छी सौगाते लेकर आएगा
आपके और हमारे जीवन में
नव वर्ष मंगलमय हो
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Thursday, 31 December 2015
साल बदल रहा है साथ नहीं
प्रकृति भी आगे ही बढना सिखाती है
आज वर्ष का अंतिम दिन है
सुबह से भगवान सूर्य भगवान भी अपने पूरे शवाब पर थे पर अब धीरे धीरे अस्ताचल की ओर प्रवेश कर रहे हैं शाम के४.४५ का समय हो रहा है
सांझ का प्रभाव पडना शुरू हो गया है
वैसे भी ठंडियों का समय हैं
प्रकाश सिमट रहा है और अंधेरा उसे अपने आगोश में ले लेगा थोडे समय बाद ही
यह समय का ही हेर फेर है जो व्यक्ति को कहॉ से कहॉ पहुँचा देती है
अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर
राजा को रंक और रंक को राजा बना देती है
बोलने वाले व्यक्ति की जुबान बंद कर देती है
गतिशील को बैठक बना देती है
यह तो बडे बडो को नहीं छोडती यहॉ तक कि
सुबह के सुर्योदय को शाम को अस्ताचल का रास्ता दिखा देती है
यही तो जीवन है पर समझ नहीं आता
ऐसा नहीं कि लोग सत्य से वाकिफ नहीं
पर व्यक्ति का अहम उसका पीछा नहीं छोडता
संसार ही नश्वर है
हर चीज को खत्म होना है
आने वाले को एक न एक दिन जाना भी है
यह साल भी हमें बहुत कुछ देकर जा रहा है
सिखा कर जा रहा है
आने वाले वर्ष को नवल और उर्जावान बनाने के लिए
कल फिर सूर्योदय होगा
कुछ नयापन लिए. नयी आशाओं के साथ
नये उमंग और जिम्मदारियों के साथ
पतझड के बाद वसंत का आना और रात के पश्चचात प्रकाश का आना तो कोई रोक ही नहीं सकता
भगवान भास्कर भी हमें यही संदेश देते हुए अस्ताचल की ओर बढ रहे हैं
कहीं दूसरी जगह अपना प्रकाश बिखेरने के लिए
वे रूकते नहीं है
पश्चिम की ओर जा रहे हैं
उनकी कृपा सब पर समान होती है
चाहे वह हम हो हमारा देश हो या पश्चिम के देश
आज के सूरज को हम सभी की भावभीनी बिदाई
कल प्रभात में आपके फिर दर्शन के लिए
नमस्कार भगवान भास्कर
नववर्ष की सभी को शुभकामना
पुराना साल खत्म हुआ कल उसकी बिदाई का आखिरी दिन था
यह तो प्रकृति का नियम है हर किसी को जाना है
फिर चाहे वह हम हो या फिर प्रकृति का और कोई अंग
ऐसा नहीं है कि यह हमारे जीवन में पहली बार हो रहा है यह सिलसिला तो जबसे हम इस पृथ्वी पर आए है तबसे चल रहा है
रोते हुए आते हैं पर जाते समय ?
यह तो प्रश्नचिन्ह है
हमने क्या खोया ,क्या पाया
क्या लिया ,क्या दिया
क्या लेकर जा रहे हैं लोगों की दुआ या बद्दुआ
यह वर्ष भी जा रहा है कभी हम हँसे होंगे ,कभी रोये भी होंगे
कभी किसीने हमारा दिल दुखाया होगा
कभी किसी ने बुरा -भला कहा होगा
कभी गलती न होने पर सजा मिली होगी
और हम सोचते रहते हैं और दुखी भी होते हैं
क्योंकि हम इंसान है
भूल जाओ कहना आसान है पर भुलना मुश्किल
हम संवेदन शील जो हैं
पर क्या करे कोई चारा भी तो नहीं है
भूलना तो पडेगा ही नहीं तो जीवन आगे कैसे बढेगा
अनवांछित को तो निकाल कर बाहर करना पडेगा
क्योंकि हम अकेले नहीं हैं हमारे परिजन हमसे जुडे हुए है जो हमसे बिना लाग -लपेट के और हर अच्छाई -बुराई के साथ प्यार करते हैं
फिर सोचना क्या अपनों के लिए जीना और वह भी रोकर नहीं हँसकर
उनके चेहरे पर एक मुस्कराहट की कीमत बेकार की बातों में सोचने में क्यों जाया किया जाय
शायद यह ईश्वर की मंजूरी हो कि हम इस संसार में मजबूती से खडे रह सके और हर परिस्थिती का सामना कर सके
क्योंकि यहॉ कुछ व्यर्थ नहीं जाता
सागर की लहरे भी जाते जाते अपना वजूद छोड जाती है तो यह तो पूरा एक साल की बात है
बहुत कुछ सीखा ,कुछ पाया कुछ खोया
जो भी इसके कारण हो सभी को तहे दिल से धन्यवाद
समय को बिदा करना है बीते हुए कल को
आने वाले का स्वागत भी तो करना है
नव वर्ष का तहे दिल से स्वागत .. .. ़ ँँ
Friday, 25 December 2015
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी - जन्मदिन मुबारक हो
आज अटल जी का वा जन्मदिन है
भारत माता के इस रत्न का तो जवाब ही नहीं
राजनीति के मंझे हुए खिलाडी
एक प्रभावशाली वक्ता
एक भावविह्लल कवि तथा इन सबसे परे एक अच्छे इंसान. यह है वाजपेयी जी की शख्सियत जिनका उनके विरोधी भी लोहा मानते थे
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उनमें भविष्य का प्रधानमंत्री दिखाई दे गया था
जनसंघ के दिए से राजनीति की मशाल जलाने में वाजपेयी जी का जवाब नहीं
एक ऐसा नेता कि जिसके भाषण को लोग सुनने जाया करते थे
कभी भी उनका भाषणों में ओछापन और सस्ती राजनीति नहीं झलकी
हमारे वर्तमान नेता जिन भाषाओं का प्रयोग करते हैं
उन्हें वाजपेयी जी से सीखना चाहिए
अकेले अपने दम पर संसद में लोहा मनवाने की कला उनमें थी बेकार का शोर शराबा करना नहीं
ऐसा नेता जिसे हर वर्ग और समुदाय का प्यार मिला
लखनऊ मुस्लिम बहुल इलाका उनका संसदीय क्षेत्र रहा है
अपने स्वभाव के कारण वे सभी के आदरणीय और सम्मानीय रहे
वाजपेयी जी को राजनीति विरासत में नहीं मिली थी
उन्होंने अपना पूरा जीवन उसी को समर्पित कर दिया
विदेशों में भी लोकप्रिय रहे हैं.
हिन्दी में अपना भाषण देकर सबको मंत्रमुग्घ करने वाले वाजपेयी जी आज लगभग राजनीति से संन्यास ले चुके हैं
ईश्वर उनको अच्छा स्वास्थ्य दे
वाजपेयी जी की ही एक कविता का अंश
क्या हार में क्या जीत में
किंचिंत नहीं भयभीत मैं
कर्तव्य पथ पर जो मिला
यह भी सही वह भी सही
भारत के इस पूर्व प्रधानमंत्री तथा एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अटल जी अपने कार्यों के कारण जो अटल स्थान बनाया है उसकी जगह कोई भी नहीं ले सकता
Thursday, 24 December 2015
आखिर कार जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हो गया पर समस्या का पूर्ण हल ?
जुवेनाइल बिल राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया
अच्छी बात है यह होना ही था
१८साल से १६साल को सजा का प्रावधान किया गया
सभी लोगों का दवाब था
मीडिया का निर्भया के माता पिता का और समाज का
पर अभी बिल पास होने से यह सवाल पूरी तरह से हल नहीं हुआ है
१२और१५साल के बच्चे भी ऐसा अपराध कर रहे है
अभी पिछले दिनों ऐसी घटनाएँ हो चुकी है
इसमें दोषी माता पिता भी है और समाज भी
क्यों नहीं लडको की भी हर हरकत पर मॉ बाप को भी नजर रखनी चाहिए
पाठशालाओ में नैतिकता की शिक्षा देनी चाहिए
पहले पडोस या मुहल्ले की लडकी को कोई ऑख उठा कर नहीं देखता था
गॉव की बेटी या बहन सारे गॉव की इज्जत होती थी
आज आलम यह है कि अपने घर या मुहल्ले में ही कोई सुरक्षित नहीं है
यहॉ तक कि पाठशाला में भी
शिक्षक तक पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता
कई ऐसी शर्मसार घटनाएँ हो चुकी है
फिर जाए तो जाए कहॉ
पहले तो डाकुओं के पास भी नैतिकता होती थी
और यह जितनी घटनाएँ हो रही है उसमें ज्यादा तर कम पढेलिखो का है
बस ड्राइवर,कंडक्टर ,सुरक्षा गार्ड ,नौकर ,सुतार ,या घरेलू काम करनेवाला वर्ग
कैसे बचा जाय
इसकी शुरूवात तो अपने ही घर से हर माता पिता को करनी चाहिए
सरकार को और दुसरी सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए
साधु महात्माओ को भी पर अब तो उन पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता
पर समाज में अच्छाई भी है तभी तो यह चल रहा है
हर अच्छे लोगों को और तबकों को आगे बढकर इस सुधार की दिशा में प्रयास करना चाहिए
कानून बना ठीक है पर समस्या ज्यों की त्यो है
जब तक मानसिकता नहीं बदली जाएगी अकेले कानून कुछ नहीं कर सकता
हर धर्म का उद्देश्य मानवता की रक्षा
२१दिसम्बर गीता जयंती जहॉ कुरूक्षेत्र के रण में अर्जुन को कर्म का महत्तव समझाया था
२४दिसम्बर ईद ए मिलाद पैगम्बर मुहम्मद
२५ दिसम्बर ईसा मसीह का आना
इन सभी ने पृथ्वी पर मानवता की रक्षा के लिए इस पृथ्वी पर अवतरण लिया था
सभी त्योहारों का महत्तव इंसानों में खुशी बॉटना है
सब एक दूसरे से मिलते हैं खुशियॉ बॉटते हैं
भाईचारे का संदेश देते हैं
हर धर्म शॉति और सद्भभाव के मार्ग पर चलने का संदेश देता है
हिन्दूओ के भगवान कृष्णा हो या मुस्लिम के पैगम्बर मोहम्मद हो या ईसा मसीह हो सबका उद्देश्य मानव कल्याण ही था
भगवतगीता ,कुरान और बाईबल का भी यही कहना है
फिर हम क्यों आपस में धर्म के नाम पर लडते और मरते कटते हैं
सबसे ज्यादा इंसानियत की हत्या हुई है तो वह धर्म के नाम पर ही
लगभग सारे त्योहार एक साथ ही आते हैं
अगर ईश्वर का भी यही संदेश है तो मनुष्य उसका पालन क्यों नहीं करता
हर धर्मवाले मिलजुलकर अपनी खुशी बॉटे और प्रेम तथा शॉति से रहे तो ऊपर वाला भी खुश होगा
Tuesday, 22 December 2015
२१ वीं सदी में घास की रोटी खाने को मजबूर
बुन्देलखंड में लोग घास की रोटी खाने पर मजबूर है
टेलीविजन पर यह खबर दिखाई जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने अपने अधिकारियों को वास्तविकता का पता लगाने के लिए भेजा
ईतिहास में पढा था कि राणाप्रताप जंगल में घास की रोटी खाइ पर अकबर के सामने घुटने नहीं टेके
यह तो एक राजा के स्वाभिमान का सवाल था
लेकिन बुन्देलखंड के ग्रामीणों की तो मजबूरी है
साग या चटनी के साथ घास की रोटी खा रहे है
इसी उत्तरप्रदेश में सैफई महोत्सव भी मनाया जाता है
जिस पर करोडो रूपये खर्च किए जाते हैं
समाजवादी कहे जानेवाले मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर
प्रधानमंत्री के स्वागत में लाखों -करोडो का खर्च मंच की साज सज्जा करने में चला जाता है
बसपा केआलाकमान को रूपयों से तोला जाता है
मतलब देश गरीब तो नहीं है
गोदाम में अनाज सड जाते हैं रखने की जगह न होने के कारण
फिर लोग इतने मजबूर क्यों कि दो समय की रोटी भी मयस्सर नहीं
संसद में बहस चलती रहती है पर इस बात पर नहीं
केन्द्र में बैठी सरकार या अखिलेश की सरकार क्या कर रही है
तमिलनाडू से सीखे जहॉ अम्मा जयललिता गरीबों को बिल्कुल कम में अनाज उपलब्ध कराती है
यह कैसी विडंबना है कि एक तरफ लोगों के पास गाडियों की संख्या बढ रही है जिससे प्रदूषण फैल रहा है तो दूसरी तरफ कोई घास की रोटी खा रहा है
रोटी ,कपडा और रहने के लिए छत तो मिलनी ही चाहिए
Monday, 21 December 2015
निर्भया के अपराधियों को सजा हो
मेरी बेटी का नाम ज्योति सिंह है और यह बताने में मुझे कोई शर्म नहीं है बल्कि दुख है
यह कहना है एक मॉ का जिसकी बेटी इन हैवानों का शिकार बन गई
क्यों ज्योति का नाम छिपाया गया और निर्भया नाम दिया गया
क्यों छिपाया जाता है इसलिए कि लडकी और घरवालों की बदनामी होगी
लोग मन मसोसकर रह जाते हैं और अपराधियों को शह मिलती है
हर रोज ऐसे कांड हो रहे है पर कितने पुलिस के पास और प्रकाश में आते हैं
डर लगता है कि बदनामी तो होगी ही भविष्य भी चौपट होगा
कौन शादी करेंगा
यह प्रश्नचिन्ह है माता पिता के सामने
लडकी को ही दोषी ठहराया जाता है
इतनी रात को घर से क्यों निकली
ऐसे कपडे क्यों पहने इत्यादि
अगर ससुराल से पीडित हो लडकी घर आती है तो लोग पूछ पूछकर परेशान कर डालते हैं
कब हमारे लोगों की मानसिकता बदलेगी
पीडित को ही दोषी कब तक माना जाएगा
न जाने कितने घरों में ऐसी निर्भयाएँ होगी
जिनका लोकलाज के डर से मुँह बंद कर दिया जाता है
और अपराधी सीना तान कर घूमते रहते हैं
दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए
नाबालिग अपराध करते हुए नहीं था क्या.
अगर नाबालिग समझ कर अपराधी को छोड दिया जाता है तो मुमकिन है भविष्य में वह ऐसे और घिनौने अपराध करेगा
कानून में भी ऐसे जघन्य अपराधियों के लिए नया कानून बनाना चाहिए
लेकिन इनको किसी भी हालात में छोडना नहीं चाहिए
Saturday, 12 December 2015
जन्मदिन मुबारक हो -धन्यवाद दिसम्बर
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार का जन्मदिन बारह दिसम्बर जो उनका ७५ वा जन्मदिवस है
लोकसभा के सदस्य सीनियर मराठा लीडर ,विचारक,और राष्ट्रवादी कॉग्रेस के संस्थापक
महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे अनुभवी और चमकदार सितारा
दूसरा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ८० साल पूरे कर रहे है मुखर्जी जैसा नेता देश को सौभाग्य से मिलता है ऐसा बुद्धिमान तथा हर पद को बखूबी संभालने वाले चाहे वह रक्षा मंत्री का पद हो या वित्त मंत्री का
सौम्य और मृदु स्वभाव वाले हमारे राष्ट्रपति की देश को बहुत जरूरत है ंअभिनेता दिलीप कुमार जो जो९०से भी ज्यादा वंसत देख चुके हैं ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप साहब अभी भी जवान हैं
हमारे कवि और एक मंजे हुए तथा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का ८० वा जन्मदिन है वाजपेयी जी का व्यक्तित्व फिर दिखाई दे मुमकिन नहीं
इसके अलावा कॉग्रेस अध्यक्षा सोनिया गॉधी का जन्मदिन ९दिसम्बर एक ऐसी शख्सियत जो ईटली से आई और भारत की होकर रह गई
भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लिया
आज भी कुछ प्रदेश वाले हिन्दी नहीं बोल पाते वही सोनिया जी की हिन्दी लाजवाब कही जा सकती है
यह सभी लोग सही सलामत रहें
सभी को जन्मदिन मुबारक और ये दिन हर साल आते रहें
शिक्षा सबका मौलिक अधिकार है तो अगर चुनाव के लिए मापदंड हो नेताओ के लिए -इस बात पर हो -हल्ला क्यों?
हरियाणा सरकार ने ग्राम पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए शिक्षा का मापदंड तय किया कि नौंवी पास होना ही चाहिए
इस पर लोग हाय तौबा मचा रहे है
शिक्षा हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है
सरकार ने इसलिए हर जगह शिक्षा की व्यवस्था की है
हर तबके के लोगों के लिए
फिर क्या मजबूरी है
यह सही है कि अनुभव मायने रखता है पर शिक्षा
उसका तो कोई सानी नहीं
आज भी बडे बडे शहरों में भी ऐसे लोग मिलेगे जो साक्षर नहीं है गॉवों की तो बात ही अलग है.
ऐसा नहीं कि पाठशाला नहीं थी
आज हम विकास की दिशा में बढ रहे है
हमारे नेता भी शिक्षित होना चाहिए
आज तो यह विडंबना है कि नेता का बेटा है इसलिए मंत्री बना दिया गया भले अनुभव और शिक्षा दोनों ही न हो
कितनों की डिग्री फर्जी निकली
और ये ही लोग हमारे योग्य अधिकारियों को उंगली पर नचाते हैं
उनका अपमान करते हैं
हमारे अधिकारियों की योग्यता उनकी सुरक्षा करने में चली जाती है
हमारे पुराने नेताओ को याद करिए ज्यादातर सब पढे लिखे थे और है भी
और जो नहीं थे उनहोंने अनुभव की घुट्टी घोल कर पिया था
पर आज क्या हो रहा है
अगर शिक्षा मौलिक अधिकार है तो फिर क्यों नहीं डिग्री का भी मापदंड होना चाहिए
और नौकरियों की तरह
एक पढा -लिखा नेता अच्छी तरह से काम करेंगा
जो स्वंय नहीं समझ पाएगा वह काम क्या करेगा
जमाना तरक्की कर रहा है
नेट और कम्पूयटर का युग है तो नेता क्यों पीछे रहे
सब जगह यह कानून लागू करना चाहिए
और हर पद के लिए क्वालिफिकेशन भी
क्या हमारे देश में दो कानून है? नेता और अभिनेता तथा सामान्य जनता के लिए
बचपन में सुना था कि कानून की देवी के ऑखो पर पट्टी बंधी रहती है क्योंकि पक्षपात न हो
सब एक समान है कानून की नजर में
अमीर हो या गरीब ,छोटा हो या बडा
बात सलमान खान की है वह बरी हो गए
अच्छी बात है ,उनके घरवाले और परिवार वाले भी प्रसन्न है
उनके प्रशंसकों के लिए भी जश्न का समय है
लगभग तेरह सालों के बाद राहत मिली है सलमान को
पर साथ में सच्चाई यह भी है कि उस रात एक्सीडेंट हुआ था
फुटपाथ पर सोनेवाले घायल हुए थे और एक शख्श की मृत्यु भी हुई थी
कोई तो गुनाहगार होगा ,वह कौन है?
यह सही है कोर्ट सबूत मॉगता है सबूतों के अभाव में वह कुछ नहीं कर सकता
लोग सलमान को बहुत चाहते हैं और चाहते भी थे कि वे बरी हो जाय
पर सच क्या है वह तो सलमान ही जानते होगे
फुटपाथ सोने के लिए निश्चित नहीं है पर क्यों लोग फुटपाथ पर सोते है इसक़ा जवाब कौन देगा
सलमान की रिहाई पर मरनेवाले के बेटे ने प्रतिक्रिया दी कि हम तो गरीब लोग है ,हम क्या कर सकते हैं
सरकार हमारी तरफ से लड रही थी वह नहीं चाहती सजा देना तो हम क्या कर सकते हैं
यह एक मजबूर व्यक्ति ही बोल सकता है
सलमान बहुत अच्छे इंसान है
बिंग ह्युमन संस्था चलाते हैं
बहुत मदद करते हैं लोगों की
पर फिर भी यह प्रश्नचिन्ह तो है
और उसी दिन कॉग्रेस और विपक्ष के नेता खडगे जी ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि इस देश में दो कानून है सत्ता पक्ष के लिए अलग और विपक्ष के लिए अलग
जान बूझ कर विपक्ष के लोगों पर कार्रवाई की जा रही है नेशनल हेराल्ड मामले के कारण विपक्ष संसद चलने नहीं दे रहा है
यह सत्ता पक्ष का भी आरोप है
अगर यह सब सही है तो लोकतंत्र के लिए योग्य नहीं है
न्याय और कानून सबके लिए समान होना चाहिए
चाहे वह कोई नेता हो या अभिनेता
Saturday, 5 December 2015
हर किसी का वेतन सम्मान जनक जीने लायक रहना ही चाहिए फिर वह चाहे नेता हो या आम आदमी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नेताओ और विधायकों की संख्या चार गुना बढा दी है
तर्क यह कि इससे भ्रष्टाचार कम होगा
उनका एक स्टेटमेंट कि प्रधानमंत्री का भी वेतन बढना चाहिए
अगर ओबामा प्रधानमंत्री से उनकी तनख्वाह के बारे में पूछेगे तो वे क्या कहेंगे
एक लाख से भी कम
कहीं न कहीं उनकी बात सही भी है
मोदी जी भी एक बार यह कह चुके हैं कि हम क्यों गरिबी में रहे
अपने आप को बडा क्यों नहीं दिखाए
यह मानसिकता बदलनी चाहिए
अच्छा कपडा ,खाना-पीना ,रहन-सहन हर किसी का अधिकार है
सादा जीवन उच्च विचार की बात तो ठीक है पर दिखावे के लिए
नेता सफेद कुरता और पैजामा पहनता है तो वह ज्यादा ईमानदार
क्यों वह सूट बूट में नहीं रह सकता
हॉ नेताओं की बात तो ठीक है पर सामान्य नौकरीपेशा
एक पुलिस वाले का वेतन कितना कम होता है उस पर चौबीस घंटे की ड्यूटी
क्यों नहीं उनका वेतन और सुविधाएं बढाने पर विचार किया जाता
वह रिश्वत क्यों लेता है सबसे बदनाम है यह विभाग
उन पर भी विचार किया जाय
शायद वे खुश रहेंगे तो भ्रष्टाचार खत्म होने में सहायता मिलेगी
ऐसे न जाने कितने विभाग है उन पर भी विचार करना चाहिए
हम कोई कार्य स्वेच्छा से क्यों नहीं कर सकते
पिछले दिनों एक परिवार को सिनेमा हॉल छोडने पर मजबूर किया गया क्योंकि वे राष्ट्रगान के समय खडे नहीं हुए और वह अपमान समझा गया
यह बात दिगर है कि वह परिवार दूसरे समुदाय से था
इसलिए और तूल दिया गया
बात आज की नहीं है पैतीस -चालीस साल पहले भी जब फिल्म समाप्त होने के बाद राष्ट्रगान शुरू होता था तो लोग बाहर निकलना शुरू कर देते थे
और इसमें हर जाति -वर्ग तथा उम्र के लोग रहते थे
फिर धीरे-धीरे यह बंद हो गया
अब कुछ समय से यह फिर दिखाना शुरू हुआ है
पर फिल्म के आरम्भ में
ऐसा क्यों हो रहा है हम अपनी इच्छा सेे यह क्यों नहीं कर सकते
सबके लिए बाध्य किया जाता है तभी करेंगे
हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है विदेशी भाषा बोलने में गर्व का अनुभव करते है
विदेशी चीजों और विदेश में रहना गर्व की बात
अपने देश की बुराई करने में आनंद
१५अगस्त और २६ जनवरी को छुट्टी मिलती है इसलिए खुशी
वहीं अगर इतवार या छुट्टी के दिन आ जाये तो सारी खुशी काफूर
क्यों देशभक्ति को लादा जाता है
यह भावना तो मन से निकलनी चाहिए
राष्ट्रगान के समय मजबूरी से नहीं अपने आप खडे हो जाना
यह भावना तो होनी चाहिए
माना कि समय बदल चुका है नई पीढी को इसका भान नहीं है पर अगर बचपन से ही यह भावना मजबूत की जाय तो जबरदस्ती लादने का कोई कारण नहीं
Thursday, 3 December 2015
दस वर्ष बाद चेन्नई का हाल भी मुंबई जैसा -वह पानी का सैलाब अब तक जेहन में
चेन्नई में आफत की बारीश हो रही है
पूरा शहर जलमग्न हो गया है
सारा काम ठप पड गया है
लोग पानी से घिरे हुए है जो शहर गर्म रहता था आज वहॉ बारीश का प्रकोप है
हवाई अड्डा ,सडक से लेकर घरों तक
सब रूक गया है आज प्रधानमंत्री ने दौरा भी किया
और सहायता की घोषण् भी की
यही हाल दो हजार पॉच में मुंबई का हुआ था
लोगो ने इसकी कल्पना भी नहीं की थी
सारी मुंबई पानी में जैसे डूब सी गई थी
लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह हो क्या रहा है
लोग फँसे हुए थे हर जगह
न जाने कितने लोगों की मौत हो गई
कुछ तो कार में बैठे बैठे ही दम घुटने के कारण मर गए
तबेलो की भैसे वैसी ही जंजीरों में बंधी रह गई
खोलने का मौका ही नहीं मिला
कुत्ते ,बिल्ली ,यहॉ तक की चुहे भी
लोग सतर्क नहीं थे पुल पर पूरी पूरी रात गुजारी
पर एक बात थी मुंबई वालों का जज्बा देखने लायक था
हर कोई मदद के लिए आगे आया था
अंजान लोग ने न जाने कितनी जाने बचाई थी
आज टी वी पर वही दृश्य देख रोंगटे खडे हो जा रहे हैं
जल्द से जल्द इस आपदा से छुटकारा मिले और जीवन फिर पटरी पर दौरे
भोपाल गैस त्रासदी - वह भयानक रात की सुबह
बात १९८४ की है मैं अपनी नवजात बेटी को लेकर गोरखपुर से मुंबई अपने मायके जा रही थी
कुछ भोर का तीन या चार का समय था
गाडी प्लेटफार्म छोड चुकी थी
कुछ समय के बाद पता चला कि यूनियन कार्बाइड से गैस रिसाव के कारण पूरा भोपाल उसकी चपेट में आ गया है
जहॉ-जहॉ तक वह गैस पहुंची है लोग झुलस रहे हैं
तब मोबाइल का जमाना नहीं था
हर कोई परेशान अपने परिजनों के लिए
सब लोग सही सलामत रहे इसकी प्रार्थना की जाने लगी
सुबह का अखबार डिब्बे में आते ही खरिदने की होड मच गई
दूसरे रेल यात्रियों के घरवाले भी परेशान थे
क्योंकि जहॉ जहॉ धुआं गया था वहॉ तक लोग प्रभावित हुए थे
हर कोई डरा हुआ था
उसके बाद तो कई दिनों तक अखबार उससे ही भरे रहते थे
कितने लोग मरे
कितने झुलसे और अपंग हुए
कितने अंधे हुए
परिवार के परिवार बकबाद हो गये थे
लोगों के जान माल का नुकसान हुआ था
एक तरह से भोपाल पूरी तरह बर्बाद हो गया था
टेलीविजन और समाचारपत्र आए दिन इससे ही भरे रहते थे
कई सालों तक यह सिलसिला चलता रहा
कभी सुनने में अाता कि सरकार मुआवजा दे रही है
कंपनी पर केस किया गया विदेशी कंपनी थी
आज भी लोग उस मंजर को भूले नहीं है
जो पीडित है उनका हाल तो पूछने लायक ही नहीं
क्या दोष उनका था और आज तक भी न्याय नहीं मिला है जिसके वे भोगी थे
ईश्वर ऐसी आपदा और त्रासदी कभी न दिखाए .
Wednesday, 2 December 2015
मेरे घर आई एक नन्हीं परी - फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का बेटी के जन्मदिन पर महादान
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकर बर्ग के घर बेटी का जन्म हुआ है
जिसकी खुशी में उन्होंने अपने करोडो का शेयर दान किया है
एक है हमारे यहॉ बेटी को आने नहीं दिया जाता
अगर गर्भ में आ गई तो मार दिया जाता है
फिर भी अगर इस संसार में आ ही गई तो उसका जीना दुभर कर दिया जाता है
बेटी को हम लक्षमी का रूप मानते है फिर यह सब क्यों
संतान , संतान होती है और वह प्यारी होती है
फिर लोग क्यों यह सब करने पर मजबूर होते है
कारण हमारा समाज और उसकी मान्यताएँ
आज लोग आगे आ रहे हैं
बेटी के साथ सेल्फी खिचा रहे हैं
कोई डॉक्टर साहब है जो बेटी होने पर चार्ज नहीं लेते
अगर ऐसे लोग आगे आएगे तभी बदलाव होगा
सरकार की भी बहुत सी योजनाएँ हैं
जिसकी जरूरत भी है
Tuesday, 1 December 2015
क्या सेल्फी लेना ही पत्रकारिता है
मोदी जी ने पत्रकारों के लिए मिलन समारोह का आयोजन किया था
बडे-बडे मीडिया वाले पहुंचे थे
लगा कि सवाल पुछेंगे
पर उनको मौका ही नहीं दिया गया
वे बस सेल्फी लेते रह गए
क्या यही उद्देश्य था
पिछली बार भी यही हुआ था
इस बार कुछ आशा बंधी थी शायद ये लोग मोदी जी को घेरे
पर नहीं , लोग उनके पास आए
साथ-साथ चले पर सही में वे उनके मन की बात पूछ सके क्या
पत्रकार व्यवस्था के विरोध में होता है क्योंकि उसे सच अवगत कराना होता है
रेडियों पर मन की बातें हो सकती है पर जो सामने है उससे क्यों नहीं
वह तो जानना चाहता है
ऐसा तो नहीं कि प्रधानमंत्री उनसे बचना चाहते थे
इसलिए उनको सेल्फी में उलझाए रखा
जब बातें होगी तो ही तो सच बाहर आएगा
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से तो हर कोई डरता है और दूर रहना चाहता है
पर एक सच यह भी है कि इनको नजरअंदाज कर काम नहीं चलता
सबको इनकी जरूरत होती है तो फिर दूरी क्यों?
हमारी भूमिका क्या हो पर्यावरण को दूषित न होने देने के लिए
मनुष्य पहले पेड काटता है फिर उससे कागज बनाता है फिर उस पर लिखता है पेड बचाओ
यह तो वही बात हुई जिस पेड की डाली पर बैठा है उसी डाली को काट कर अपने गिरने का रास्ता बना रहा है
पहले किसी एक या दो के घर गाडी होती थी आज हर घर में एक नहीं कई -कई गाडियॉ है
हर सदस्य के पास
कुछ जरूरत है तो कुछ शान शौकत के लिए
भले ही वह कर्ज पर हो
सीमेंट और क्राकिंट के जंगल पर जंगल खडे हो रहे हैं
हमें खुली हवा रास नहीं आती
हमें घर में प्राइवेसी चाहिए
मनोरंजन के भरपूर साधन हमने जुटा रखे हैं
पेडो की पूजा होती थी शायद यही कारण हो कि पेड का सम्मान करना था
यह नहीं रहेगे तो जीवन नहीं रहेगा
पीपल ,बरगद ,नीम हमारी संस्कृति से जुडे हुए है
यहॉ तक की कटीला बबूल भी
बॉस के बिना तो सब अधूरा हैं
शादी -ब्याह और पूजा पाठ में आम के पत्तों और केले के पत्तों से सब जुडे हुए है
हमें इनकी महत्ता को समझना है
पेड लगाना सबसे पुण्य का काम है
हर व्यक्ति यह आसान सा काम तो कर ही सकता है
इसलिए पेड लगाओ और पर्यावरण बचाओ