सुबह हर रोज आती है
ताजा-तरीन होकर
उसे कभी उदास नहीं देखा
हमेशा खुशगवार
फूलों की मुस्कराहट के साथ
चिडियो की चहचहाट के साथ
सूरज की कोमल किरणों के साथ
सुनहरे रथ पर बैठी आती है
भोर में सबको जगाती है
कहती है सोनेवालो
अब जागो
आलस छोड़ो
काम पर लग जाओ
कल क्या हुआ
वह भूल जाओ
एक सपना समझ कर
उदासी को मायूसी को दूर भगाओ
खुशी और ताजगी को गले लगाओ
अंधेरा कितना भी घना हो
उसको तो जाना ही है
उम्मीद का दामन पकडे रहो
कोशिश जारी रखो
कोई न कोई सुबह तो
आपके हाथ में खुशियों को जरूर सौपेगी
बस तुम घबराना नहीं
हताश न होना
डटे रहना
मंजिल अवश्य मिलेगी
हाथ में आया अवसर जाने मत देना
यह तब जब तुम जागोगे
जो जागा सो पाया
जो सोया वह खोया
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Thursday, 31 October 2019
जो जागा सो पाया
Wednesday, 30 October 2019
बख्श दे इंसान को
टीका भी है धर्म का
टोपी भी है धर्म की
दोनों ही का स्थान सर पर
जहाँ बुद्धि का निवास
तब भी इतनी संकीर्ण सोच
पता है कि यह सब बेमानी है
असली धर्म तो इंसानियत है
व्यक्ति का ईमान है
यह सब तो प्रतीक बनाया हुआ है
वह भी इंसानी दिमाग की
यह उपज उसी की देन है
कब इससे ऊपर उठेगा
हर चीज को बाँटा जा रहा है
भगवान को तो पहले ही बाँट रखा है
इंसान को तो बख्श दिया जाए
यह है अरविंद केजरीवाल
राजनीति का नौसिखिया
राजनीति के धुरंधरो को पीछे छोड़ रहे हैं
पहले दिल्ली में सरकार
किसी को अंदेशा भी नहीं था
पांच साल चला ली
बहुत कुछ किया भी
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए
ऑड और इवन लागू करना सबके बस की बात नहीं
दुर्घटना से पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने की गुजारिश
नेता उनके बारे में बोलने से बचते हैं
पता है यह आम आदमी है
पढा लिखा है
वह उनकी ही भाषा में जवाब देगा
वह नेता नहीं है
मफलर पहन और खांसते हुए दिल्ली की सत्ता काबिज की
आज आत्मविश्वास के साथ अपनी पार्टी का विज्ञापन कर रहे हैं
बुजुर्गों को तीर्थयात्रा करवा कर उनका दिल जीता
बिजली का बिल कम कर सामान्य जनमानस का
अब महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा का तोहफा
दिल तो जीत रहा है दिल्ली वालों का
विरोधियों की नजर में यह चुनावी स्टंट हो
पर वह तो हर पार्टी कर रही है
मानना पडेगा इस आम आदमी को
प्रजातंत्र की खूबसूरती को
भारत का प्रजातंत्र कितना मजबूत
सब कुछ जनता तय करती है
सारे सर्वेक्षण धरे के धरे
यह तो हाल ही में
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजो ने सिद्ध कर दिया
दुष्यंत और पवार ने यह साबित कर दिया
अरविंद केजरीवाल यह भलीभाँति जानते हैं
उनकी हर हरकत आम नागरिक की होती है
यह बात भी लुभाती है
जन्मदिन है विशेष
हम उस पीढी के लोग है
जिनको अपना जन्मदिन ठीक से पता नहीं
शहर वालों की बात तो ठीक है
गाँव वाले तो इससे अनभिज्ञ
पाठशाला में अंदाज से लिखवा दिया
कभी छोटा कर
कभी बडा कर
जन्म प्रमाणपत्र तो दूर की बात
पंडित के पास दर्ज
सब कुछ अंदाज से
तब जन्मदिन नहीं मनाया जाता था
आज तो जन्मदिन का प्रचलन है
होड लगी रहती है
किसका कैसे मना
किसका कब है यह भी याद रखना है
नहीं तो लोग रूठ जाएंगे
उस समय तो बस दो ही जन्मदिन ज्ञात थे
भगवान राम और भगवान कृष्ण
वह भी बहुत धूमधाम से
आज जो कुछ भी हो
हर व्यक्ति को तवज्जों दिया जाता है
कम से कम उसका जन्मदिन विश कर
उसे शुभकामना देकर
उसके महत्व का एहसास कराकर
कितना अच्छा और सुखद लगता है
जब कोई आपको जन्मदिन की शुभकामना देता है
तब आप भी इससे वंचित न रहे
अपनों से जुड़े रहिए
वर्ष में एक बार
उसे विशेष महसूस कराए
तुम मेरा हाथ पकड़े रहना
तुम हाथ पकड़े रहना मेरा
मेरी कठिन राहों को आसान बनाते रहना
मुश्किल घडी का सामना करने की शक्ति देना
जब कोई नहीं हो मेरे साथ
तब भी तुम मेरे साथ ही रहना
सुख में दुख में
तुम्हारे सिवा कोई नहीं सहारा
गिरने लगूं संभाल ही लेना
विपत्ति के बादल जब मंडराए
तुम आशा की किरण दिखाना
क्या सही और क्या गलत
यह तो मुझे नहीं मालूम
पर तुझ पर है विश्वास
जगत का पालनहार
तेरी कृपा अपरम्पार
हम तो है नादान
समझ नहीं पाते
बस भंवर में गोते लगाते हैं
छटपटाते है
किनारे पर आने के लिए
यह बिना समझे
हम तो शून्य है
हमारा अस्तित्व तो तुमसे है
घमंड करते हैं
इतराते है
किसी को तुच्छ समझते हैं
यह जाने बिना
कि हमारा अंजाम क्या होगा
हम अंजान है इस बात से
बेखबर है
पर तू तो सर्वव्यापी
सब तुझ पर
बस अपनी कृपादृष्टि बनाए रखना
मुझ पर और मेरे परिवार पर
जब सब साथ छोड़ दे
तब भी तुम मेरा हाथ पकड़े रहना
Tuesday, 29 October 2019
बात बताना बाद की बात
जिस बात को जितना छुपाओ
वह उतना ही बाहर आने को उत्सुक
लोगो में जानने की बेचैनी
क्या बात ,यह मालूम करने की छटपटाहट
चाहे किसी का लेना देना हो या न हों
आपका घनिष्ठ संबंध हो या न हो
पर जानना जरूरी है
बात मामूली हो या बडी
यहाँ तक कि खाना क्या बना
किसने बनाया
घर से कौन-सी महक आई
घर में कौन आया
क्या बातें हुईं
यह जाने बिना उनके पेट का खाना नहीं पचता है
बात अगर बडी हो तो
फिर तो चटखारे लेकर सुनना और सुनाना
न छुपाओ न बताओ
बस परेशान रहने दो
कुछ पूछने पर टाल दे
मजा आप भी लेते रहे
कल इतवार है
है यह छुट्टी का वार
नाम है इसका इतवार
सबको रहता इसका इंतजार
तभी तो रहता है इतराकर
आते आते देर लगाता
पूरा हफ्ता इंतजार करवाता
काम से जब सब थक जाता
तब यह सुकून देने आ जाता
एक दिन ही रहता
पर पूरे हफ्ते की ताजगी दे जाता
सभी करते हैं इससे प्यार
सभी को रहता इसका इंतजार
इस दिन पूरी आजादी
नहीं किसी का रोकटोक
न किसी का बंधन
पूरी स्वतंत्रता
सोचकर ही मन खुश
हाँ कल इतवार है
आज तो छुट्टी है
आज तो छुट्टी है
आराम करने का दिन
मिलजुलकर ,हंसबोलकर
साथ मनाने का दिल
अच्छा भोजन करने का दिन
टेलीविजन देखेंगे
गपशप लडाएगे
जी भर कर दोपहर में सोएगे
शाम को घूमने जाएंगे
मजा आ जाएगा
रोज तो जल्दी रहती है
काम की हडबडी रहती है
भागम-भाग रहती है
न ढंग से नाश्ता न खाना
न सूकून की चाय
रात को चैन की नींद भी नहीं
अलार्म लगा कर सोना है
बार बार उठकर देखना है
ऐसा तो नहीं कि बजा नहीं
हम उठ न पाए समय से
सब गडबडझाला हो जाय
यह सब सोच कर ही मन परेशान
अच्छा है
आज कोई टेंशन नहीं
ऐसा दिन तो मुश्किल से मयस्सर
तब आराम से इसका लुत्फ उठाए
आलस को भी साथ ले ले
जो करना है
जैसे करना है
जब करना है
तब करें
मन की लगाम ढीली करें
सबको छूट दे दे
तन और मन दोनों को
खुलकर ,बेखौफ़ हो
क्योंकि भाई
आज तो छुट्टी है
Monday, 28 October 2019
दीए की भांति जीवन
कल बहुत से दीए एक साथ जलाए
कुछ खूब रोशनी बिखेर रहे थे
कुछ कम जल रहे थे
कुछ बीच में बुझ गए
उनको फिर जलाना पडा
सभी में तेल और बाती तो समान था
तब भी यह हुआ
दीए को हमने भी छोड़ा नहीं
फिर जलाया
जो कम जल रहे थे
उनकी बाती को आगे पीछे करना पडा
ताकि वह अच्छी तरह से जले
हवा का रूख भी भांप कर
उसे जलाने की कोशिश की
यह भी पता है
कल यह सब कूडे के ढेर में चले जाएंगे
फिर भी प्रयत्न जारी है
प्रकाश तो करना ही है
अंधेरे को कैसे रहने दिया जाए
मिट्टी के दीप को भी हम
धोकर ,रंगकर पात में सजाते हैं
हर कोने कोने में रखते हैं
यह भी जब तक जलता है
प्रकाश देता है
बिना परवाह के
कल इसका हश्र क्या होगा
तब इस अमूल्य जीवन रूपी सौगात को
व्यर्थ क्यों करें
जो भी है
जैसा भी है
उसको व्यर्थ क्यों करें
जो कुछ कर सकते हैं
जहाँ भी अपना योगदान दे सकते हैं
अवश्य दे
यह नजरिये की बात है
तब कुछ समझ नहीं आता था
तब सब अच्छा लगता था
आज समझ आ रहा है
जो कुछ हो रहा था
वह तो नाइंसाफी थी
और हम उसे प्यार और लगाव समझ बैठे
दरअसल जब हमारा मन साफ होता है
तब सामने वाला जो कुछ भी करता है
वह सब अच्छा लगता है
वह हमारे साथ धोखा करता है
पर उसका सब जो करता है
अच्छा करता है
क्योंकि यह हमारी दृष्टि है
यही नजरिया है
कहावत है न
सावन के अंधे को सब हरा हरा ही दिखता है
Sunday, 27 October 2019
Happy Dipawali
मन में खुशियों के दीप जगमगा रहे
प्यार की फुलझड़िया छूट रही
दिल गुनगुना रहा है
सब कुछ रंगबिरंगा लग रहा है
रोशनी दिलों में छायी है
खुशियों का संदेश लेकर दीपावली आई है
लक्ष्मी जी की कृपा बरसे
घर धन धान्य से परिपूर्ण हो
सुख समृद्धि का वास हो
यही शुभकामना हमारी तरफ से
आप सभी को
Happy Dipawali
Saturday, 26 October 2019
पटाखे उडाते समय सोचे
फट फट पटाखे
फट फट बज रहे
धुआं धुआं कर रहे
नाक और ऑखों में जा रहे
दम घुटा रहे थे
कुछ दूर खडे आनंदित हो रहे थे
कुछ बच्चे उछल रहे थे
कुछ ताली बजा रहे थे
कुछ भाग रहे थे
कुछ खांस रहे थे
कुछ बुजुर्ग भी अडोस पडोस में
खिड़की - दरवाजे बंद कर रखे थे
यह आवाज और प्रदूषण सहन नहीं
किसी के लिए त्योहार
किसी के लिए जानलेवा
त्यौहार ऐसा हो
बच्चे और बुजुर्ग दोनों प्रसन्न रहे
बच्चे तो बच्चे ठहरे
पर सोचना उनके बडो को है
मेहमान कैसा हो
अनपेक्षित कुछ भी हो
मन को नहीं भाता
वह चाहे मेहमान हो
फिर चाहे बरसात हो
दोनों का बेसब्री से इंतजार
दोनों का दिल से स्वागत भी
पर असमय समय में आए
तब भारी लगता है
बडबडाहट शुरू हो जाती है
खीझ आने लगती है
खुशी तो दूर की बात
अहमियत कम होने लगती है
यह कहाँ से असमय टपक पडे
यह कहाँ से बेमौसम बरसात आ गई
सारा मजा किरकिरा
तब ध्यान रखना है
कब जाना
कितने समय तक रहना
कितने लोगों के साथ जाना
मेहमान ऐसा बने
कि सामने वाला मन से स्वागत सत्कार करें
तूफान की तरह नहीं
कि आप के जाने के बाद भी कोसा जाय
ऐसा कि फिर आपके आने की बाट जोही जाय
खाली हाथ नहीं जाना है
ऐसा कि उसे भी भार न महसूस हो
आप भी खुश हो
यह मेला है अनमोल
मेला है दीपोत्सव का
सब कुछ नया खरीदना है
बरतन ,कपडे ,गहने
घर को जगमगाना है
नए नए तरह के दीए खरीदना है
नए-नए सजावटी सामान खरिदना है
तोरण बंदनवार खरिदना है
परिजनों के लिए भेंट खरिदना है
तब प्यार और अपनापन क्यों पीछे रहे
इसमें तो कुछ खर्च भी नहीं होगा
सारे गिले शिकवे दूर कर
गले मिले
अपनों को अपने पास लाएं
इस बार इस मेले में
प्यार खरीदिए
बिना पैसे के
कहावत है न
हिंग लगे न फिटकरी , रंग चोखा
दिल खोलकर आदान-प्रदान करें
बातों का ,प्रेम का
दीपावली के मेले का भरपूर आनंद ले
यह मेला है अनमोल
इसे और ज्यादा मूल्यवान बनाएं
आ गई दीवाली
दिल खिलाने आ गई दीवाली
रोशनी फैलाने आ गई दीवाली
दिल से दिल मिलाने आ गई दीवाली
खुशियों के दीप जलाने आ गई दीवाली
मन में प्यार की रंगोली भरने आ गई दीवाली
मन में बसे घने अंधेरे को दूर करने आ गई दीवाली
दिल में संचित कूडे करकट को दूर करने आ गई दीवाली
ताजगी के वंदनवार लगाने आ गई दीवाली
नए-नए उमंगो को भरने आ गई दीवाली
खुशियों का सौगात लेकर आ गई दीवाली
पकवानों से घर महकाने आ गई दीवाली
प्रियजनो से मिलवाने आ गई दीवाली
नए-नए कपड़े धारण करवाने आ गई दीवाली
खुशियों के फुलझड़ियां जलाने आ गई दीवाली
हर अंधेरे कोने को रोशन करने आ गई दीवाली
घर द्वार को सजाने आ गई दीवाली
रंग-बिरंगे फूलों से महकाने आ गई दीवाली
अपनों को और अपनों के प्यारे उपहार को लेकर आ गई दीवाली
धन धान्य की वर्षा करते आ गई दीवाली
लक्ष्मी जी का स्वागत करने आ गई दीवाली
धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की कृपा बरसाने आ गई दीवाली
भैयादूज को लेकर आ गई दीवाली
नए बरस में नए दीप
सब कुछ नया
सब कुछ स्वच्छ
सब कुछ उजला
सब कुछ मीठा
यह अमूल्य सौगात को लेकर आ गई दीवाली
Friday, 25 October 2019
विपक्ष अभी जिंदा है
कल महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजो ने बहुत कुछ कहा है
सत्ता पक्ष से
विपक्ष से
नेताओ से
कभी अभिमान और अतिविश्ववास मत करो
जनता काम देखती है बात नहीं
हार - जीत लगी रहती है
इसका मतलब यह नहीं कि आप निराश हो जाय
जिसने आपको हराया है वही आपको सत्ता पर भी पहुंचा सकती है
उसको कोई अपनी जागीर न समझे
दल बदलू का खेल न खेले
निष्ठावान रहे और बिना स्वार्थ के काम करे
किसी को कम न आंके
अरविंद केजरीवाल सबसे अच्छा उदाहरण
अब दुष्यंत चौटाला
बरसों से जो काम लोग न कर सके ,इन लोगों ने कर दिखाया
कुछ महीने की पार्टी को सता तक पहुंचा दिया
फिर अनुभव और मेहनत
यह तो उम्र के इस पड़ाव पर
हुड्डा और शरद पवार ने सिद्ध कर दिया
कि अभी बहुत कुछ बचा है
अपनी पार्टी को ऊंचा उठा दिया
कोई भ्रम में न रहे
यह वही जनता है
जो इंदिरा गाँधी को हरा सकती है
दो अंक की पार्टी को सता के शिखर पर पहुँचा सकती है
उसकी भावना के साथ खिलवाड़ न किया जाए
याद रहे
काठ की हांडी बार बार नहीं चढती है
जनता किसी की सगी नहीं है
मायूस विपक्ष में जान फूंक दी है
सत्ता पक्ष को भी चेतावनी है
गफलत में न रहे
विपक्ष अभी जिंदा है
यही प्रजातंत्र की खूबसूरती है
Thursday, 24 October 2019
वह दीया बेचती औरत
वह दीया बेच रही थी
गोद में एक बच्चा
बगल में एक बच्चा
बच्चों का चेहरा सूखा
वह पसीने पोछती रास्ते पर बैठी
आशा है आज घर में दिया जलेगा
खाने को तेल नहीं
दिया कैसे पूरा समय जलाए
आज पैसे आएंगे
खाना भी बनेगा
झोपड़ी में उजाला भी रहेगा
दिए बस बिके
तब उसकी भी दीवाली
रोज रोज तो दीवाली आती नहीं
कुछ पकवान भी बनाएगी
इन गरीबों को यह साल में एक बार बोनस है
मिट्टी के दिए है जरूर
पर उसके लिए तो सोना है
यह लाल काली मिट्टी
पीले सोने और सफेद चांदी से ज्यादा चमकदार
इसके बदौलत ही उसके बच्चों के चेहरे पर मुस्कान
बिना जले दिया भी देता है
तेल बाती मिलने पर और रोशन होता है
घर बाहर ,अमीर गरीब सबको रोशन करता है
सब कुछ मुफ्त में मिल रहा है भाई
सब कुछ मुफ्त में
बिजली ,पानी ,फोन
शिक्षा ,यातायात
गैस ,घर ,भोजन
दवाई ,इलाज
फिर काम करने की जरूरत क्या है
मुफ्तखोरो की फौज तैयार
अनधिकृत कालोनिया बनती रहेंगी
बिजली पानी चोरी होती रहेगी
कर्ज माफ होता रहेगा
काम की जरूरत क्या है
पांच रूपये में थाली
एक दिन करेंगे ,हफ्ते भर खाएंगे
खेत में मेहनत क्यों करें ??
बैठे रहेंगे निठल्ले
आवारागर्दी करते रहेंगे
नौकरीपेशा टैक्स भरते रहेंगे और मरते रहेंगे
वोट के लुभावने लालच दे रही है पार्टियां
देश का क्या
हमें तो भाई वोट से मतलब है
सत्ता चाहिए
किसी भी कीमत पर
साम ,दाम ,दंड ,भेद
हर कुछ का प्रयोग करें
धर्म और जाति के नाम पर अशांति फैला
मुफ्तखोरो की फौज तैयार करने की अपेक्षा काम दे
बेरोजगारो के लिए रोजगार निर्माण करें
काम करें और जीवनयापन करें
कुछ काम कर कर मरे जा रहे हैं
कुछ चैन से बैठे सारी सुविधा ले रहे हैं
ऐश कर रहे हैं
आलसी बन रहे हैं
न स्वयं का विकास न देश का विकास
बैंक में सरकार पैसा डाल रही है
शराब पीएगे
मोबाइल भराएगे
मोटरसाइकिल चलाएगे
एक रूपये में गेहूँ
एक रूपये में चावल
झंझट क्यों पाले काम का
ऐश करेंगे
अंधेर नगरी की कहावत चरितार्थ
टका सेर खाजा टंका सेर भाजी
काम करने वाला भी
न करने वाला भी
सबका पेट भरेगा
सही है
अजगर करें न चाकरी ,पंछी करें न काम
दास मलूका कह गए ,सबके दाता राम
Wednesday, 23 October 2019
दिल का दिल से सम्मान करें
दिल कांच का नहीं होता
कांच जैसा होता है
एक बार टूट जाए
तब फिर जुडना मुश्किल
जोडो भी तो दरार तो पड ही गई
अगली बार चूर चूर
इस शीशे में सब साफ दिखता है
इस पर भी गुस्ताखी करना फितरत
बहुत मुश्किल से मिलता है
प्यार करने वाला दिल
उसको तोड़ने का पाप न करो
उसकी कदर करना सीखो
नहीं तो ऐसा न हो कि
आपका स्वयं का दिल आपको जिंदगी भर कोसता रहे
फिर कोई ऐसा न मिले
तरस जाय आप प्यार के लिए
सच्चे प्यार के साथ धोखेबाजी करना
यह न माफ करने वाला अपराध है
दिल को दिल समझो
शीशा नहीं
यह सजीव है
निर्जीव नहीं
यह धातु से नहीं
हाड मांस से बना है
इसलिए दिल का दिल से सम्मान करें
प्यार करने वाले का दिल से शुक्रिया करें
मेरा गाँव बहुत प्यारा है
मेरा गाँव बहुत प्यारा है
हरे भरे खडे वृक्ष
लहलहाती फसले
घना फलो से लदा बाग
मिट्टी की सौधी सी महक
छोटी छोटी पगडंडियाँ
खेत में काम करते किसान
दरवाजे पर उपले पाथती महिलाएं
रंभाती गाय
मिमियाती बकरी
बांग देता मुर्गा
चिचियाती चिडिया
उगता और डूबता सूरज
चांद और तारों से सजा आसमान
प्रकृति के हर रूप का आनंद
सब कुछ है
पर साथ में बडा पेट भी है
कुछ जरूरतें भी है
बच्चों के प्रति जिम्मेदारिया है
हारी बीमारी है
पढाई लिखाई और शादी ब्याह है
यह कर्तव्य कैसे पूरा होगा
बिना पैसे के तो नहीं
पैसा कमाने के लिए शहर का रूख
फुटपाथ पर गुजर बसर
गंदगी में रहना
धूल और पेट्रोल का धुआं
गांव प्यारा है
शहर न्यारा है
काम देता है
पैसे देता है
आकाश का तारा भले न दिखे
घर के तारों का जीवनयापन करता है
इसलिए तो मुझे अब मेरा गाँव नहीं
यह शहर प्यारा लगता है
झोपड़ी मेरी कोठी लगती है
पसीने की महक इत्र लगती है
शहर मुझे आलसी नहीं कर्मठ बनाता है
मेरे काम का मेहनताना देता है
मेरा गाँव बडा प्यारा है
पर मेरा शहर बहुत न्यारा है
इसलिए यह भीड़ भी मुझे अपनी लगती है
यह चिल्ल पौ सुरीली लगती है
गांव से ज्यादा शहर मुझे अपना लगता है
मेरा गाँव बहुत प्यारा है
पर शहर के सामने वह हारा है
Tuesday, 22 October 2019
मेरा चांद
करवा चौथ को सब कर रहे थे चांद का इंतजार
मै कर रहा था अपने चांद का इंतजार
कब होगा मेरे चांद का दीदार
वैसे तो हर रोज देखता हूँ अपने चांद को
पर आज की बात कुछ और ही होती है
सज संवर कर निकलता है
पूरे शबाब में रहता है
यौवन भी परवान चढा रहता है
भूखे प्यासे रह कर भी चेहरे पर नूर रहता है
मुख से मिसरी जैसी बोली निकलती है
अदा भी लाजवाब
चाल में नाजुकता
प्यार से लबालब
पचास की उम्र में भी पचीस सी हसीन
तब मैं भी जवान महसूस करता हूँ
मेरा दिल जवानी जैसा धडकता है
इच्छाएं अंगडाइया लेने लगती है
साल में एक बार आता है
जीने का जोश भर जाता है
ऐसी ही जीवनदायिनी बनती रहे यह जीवन-संगिनी
हम धरती पर अपनी चांद को निहारते रहे
उस पर निसार होते रहे
सब उस चाँद को देखें
मैं अपनी चांद को देखता रहूँ
इस दीपावली को शानदार बनाए
दीपावली का आगमन हो रहा है
खुशियों का त्योहार
रोशनी का त्योहार
घर को झाडा पोछा जा रहा है
रंग रोगन लगाए जा रहे हैं
पुरानी वस्तुओं को बाहर फेंका जा रहा है
बरसों से पडे कबाड़ को निकाला जा रहा है
यह तो हुई घर की बात
पर हमारे शरीर के अंदर भी मनरूपी घर है
उसका क्या ??
बरसों से कटु स्मृतियों को सजा कर रखा है
अंधेरा फैला कर रखा है
कबाड़ जैसी फालतू बातों को जगह दी है स्पेशल
रोशनी को तो आने ही नहीं दिया जाता
बस अतीत के कडवाहट को लेकर बैठे हैं
जब ऐसा लगता है कि
वह भूल रहा है
तब फिर झाड पोछ कर चमका दिया जाता है
ताकि उदासी और अवसादी में घिरे रहे
यह इंसानी फितरत है
सब कुछ साफ और चमकदार
पर मन के किसी कोने में धूल जमी हुई
उसको साफ करें
भूल जाय कडवाहट
माफ कर दे लोगों को स्वयं को
जो अच्छी स्मृतियाँ है
उसे फिर झाड पोछ कर चमका ले
मन का नए सिरे से रंग रोगन करें
कुछ नया भरे
कुछ नया करें
खुशियों को जम कर बांटे
किसी के ऑसू पोछे
उसके चेहरे पर मुस्कान लाए
प्यार के दीप जलाए
अपनों को करीब लाए
पुरानी बातों में क्या रखा है
जो बीत गई वह बीत गई
आने वाले कल का स्वागत करें
फुलझड़ियों की तरह हंसी के ठहाके लगाएं
इस दीपावली को शानदार बनाए
इंतजार
आज मेरा मन भारी है
सब कुछ लग रहा खाली खाली है
ये दिन और रात कुछ कह रहे हैं
यह हवा कानों के पास आकर कुछ बोल रही है
यह बरखा की बूँदें तन को भीगा रही है
यह कोयल कुहू कुहू बोल कुछ संदेश सुना रही है
कौए की कांव कांव किसी के आने का संदेश दे रही है
यह टाॅमी भी दूम हिलाता रहा है
यह सब किसी आहट की सूचना दे रहे हैं
कोई आने वाला है
कुछ विशेष होने वाला है
पर क्या
उसका तब तक इंतजार
यह घडियां भी लंबी है
मन में कुछ बैचैनी है
आज मेरा मन भारी है
जनता की ऐसी की तैसी
किस्मत बंद हुई चुनाव के पिटारे में
साम ,दाम ,दंड ,भेद सारे नुस्ख़े आजमाए गए
अब पिटारा खुलने का इंतजार
जैसे ही पिटारा खुला
किस्मत चमकी
रातोरात ऐश्वर्य और संपत्ति का डेरा
जनता का क्या
हाथ जोड़ लिया
दो पेग पिला दिया
कुछ पैसे बांट दिया
कुछ रोटी का टुकड़ा फेंक दिया
कुछ बात बना दी
कुछ लंबी चौड़ी हांक दी
कुछ झूठ बोल दिया
कुछ झूठे वादे कर दिया
वह पिघल गई
झांसे में आ गई
वह जहाँ थी वही है
हम उसके बल पर बन बैठे शहंशाह
पहले हमने हाथ जोड़ा
अब वह जोड़ेंगे
पहले हम घूमे गली कूचे
अब वह घूमेगी हमारे आस-पास
हमारे दर्शन भी दुर्लभ
हम रहेंगे सुरक्षा के घेरे में
वह रहेगी ताकती दूर से हमें
उसकी परवाह किसे
हमने तो अपना क्या अपने पूरे खानदान का वर्तमान एवं भविष्य दोनों को संवार दिया
जमीन से उठाकर आसमान पर बिठा दिया
चुनाव तो हो चुके
जनता की ऐसी की तैसी
अब पांच साल जम कर राज करेंगे
अगले चुनाव तक फिर कोई चारा फेंक देगे
शगूफा छोड़ देंगे
फिर अपनी बातों में ले लेंगे
ऐसे ही हम राजा बने रहेंगे
और वह बेचारी हमारी मायूस - लाचार प्रजा
Monday, 21 October 2019
अगले चुनाव तक
नारेबाजी बंद
लाउडस्पीकर बंद
भाषण बंद
एक दूसरे पर दोषारोपण बंद
अब तक गहमा-गहमी थी
सबमें जोश था
अब सब शांत
सबकी निगाहें चुनाव परिणाम पर
किस्मत बैलेट मशीन में बंद
अब टेलीविजन पर शुरू गर्मागर्म बहस
अंदाज लगाए जा रहे
आकडो का अनुमान लगाया जा रहा
किसका पलडा भारी
सारे चैनल इसी में लगें
कोई कुछ कह ले सुन ले
सिंकदर तो जीतने वाला ही कहलाएगा
वाह वाह उसी की
मीडिया भी फिर वही राग अलापेगी
जनता चुपचाप देखेगी
कुछ समय याद रख सब भूल जाएंगी
फिर अपने काम में लग जाएंगी
रोजी-रोटी की जद्दोजहद मे लग जाएंगी
नेता सत्ता की मलाई खाएंगे
तब तक
जब तक अगला चुनाव नहीं आता
जिंदगी का मोड
आज वह मिली थी
जो हमारी क्लास की टापर थी
बचपन से ही देखा था
क्या रुतबा था
क्लास की मानीटर थी
कालेज और यूनिवर्सिटी में भी चर्चित थी
उसके बाद कुछ पता नहीं
सब अलग-अलग
कहीं कोई तो कहीं
आज ओपन डे था
बच्चों के पैरेन्टस को बुलाया था
कालेज स्टूडेंट थे
बंक कर लेक्चर घूमना आदत में शुमार
उनके पैरेन्टस को आगाह करना जरूरी
इसलिए ब्लेक लिस्ट लगाई जाती है अटेन्डेस कम हो तो
वह शैतान लडका अपनी मम्मी को ले आया था
चेहरा कुछ जाना पहचाना लगा
बातचीत से पता चला
वह कक्षा को वही पढाकू लडकी थी
पर आज उसकी पढाई धरी की धरी रह गई थी
वह हाउस वाइफ बन कर रह गई थी
मौका नहीं मिला
शादी ने सब सपने धराशायी कर दिया
कभी मैं उसको देखती थी
आज स्वयं को देख रही थी
मैं आज एक पद पर थी
मान सम्मान था
किसी पर निर्भर नहीं
तब लगा
जिंदगी कब कौन सा मोड ले
यह तो कहा नहीं जा सकता