जहाँ डाल - डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वह भारत देश है मेरा,
अगर यह कहा जाए तो कोई अतिशयुक्ति नहीं होगी,
अपार प्राकर्तिक संपदा ईश्वर ने हमें दी है, कृषि प्रधान देश है हमारा,
उत्तर में हिमालय हमारा प्रहरी बनकर खड़ा है,
नदिया, खनिज, वन इत्यादि के रुप में प्रकृति अपना वैभव लूटा रही है,
योग, ज्योतिष, खगोल शाश्त्र की उत्पत्ति यही से हुई,
शून्य का आविष्कार और गिनती हमने सिखाई है,
विभिन्नता में एकता और विश्व शान्ति का सन्देश देने वाला,
सारे धर्मो और सम्प्रदायों को अपने में समाहित करने वाला,
गौतम और गांधी का देश विकास और प्रगति पथ पर अग्रसर है,
अतिथि देवो भव, त्याग, समर्पण, बलिदान में सब से आगे,
कभी सर्पोसे खेलने वाला हमारा देश आज माउस के साथ खेल कर आईटी में क्रांति ला रहा है,
सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश जहा के चुनाव के ऊपर सारे विश्व की नज़रे रहती है,
धर्म, संस्कृति, ज्ञान - विज्ञानं, सद्भावना और शान्ति सभी में हम आगे है,
अंत में कवि इकबाल के सब्दो में
"यूनान, मिश्र, रोम सब मिट गए जहान से,
कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सारे जहान से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा "