Monday, 29 September 2014

मोदीजी का स्वच्छता अभियान सफल हो।

स्वच्छ भारत अभियान, २ अक्टूबर से काबिले तारीफ है,
यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं,सभी भारतीयों की है,
स्वच्छ मन और स्वच्छ वातावरण में,
भारत की प्रगति और विकास संभव है,
आतंरिक और बाहरी सारी गंदगी को साफ़ कर,
एक स्वच्छ इमानदार सरकार हो,
गांधी के सपनो के भारत को साकार करना,
स्वच्छता और स्वावलंबन, सत्य और अहिंसा,
के रास्ते पर भारत चला तो सारी दुनिया के मानसपटल,,
पर अपना लोहा मनवा  सकता है। 


Saturday, 27 September 2014

यूएन में मोदी का जादू जरूर चलेगा …

मोदी और बराक ओबामा का मिलन कामियाब हो,
एक प्रजातंत्र  देश का दूसरे प्रजातंत्र देश से दोस्ती होनी ही चाहिए,
ओबामा और मोदी दोनों ही जमीन से जुड़े हुए नेता,
आतंकवाद का खात्मा, मानवता की रक्षा, सबका साथ - सबका विकास,
साड़ी दुनिया शान्ति और प्रगति पथ पर अग्रसर हो,
भारत और अमेरिका का संबंध अच्छा होगा यही अपेक्षा है,
विश्व का सबसे बड़ा बाजार है भारत, जिस पर सभी की नज़र है,
इस वैश्विक युग में दोनों को एक दूसरे  जरूरत है,
एक दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश तो दूसरा सबसे बड़ा प्रजातान्त्रिक देश,
ईमानदार, मेहनती, मितव्ययी मानवशक्ति की सभी जगह आवश्यकता है,
इसमें भारतीयों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता,
आशा है  दोस्ती कुछ नया गुल खिलायेगी।



Friday, 26 September 2014

सारे जहान से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा

जहाँ डाल - डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वह भारत देश है मेरा,
अगर यह कहा जाए तो कोई अतिशयुक्ति नहीं होगी,
अपार प्राकर्तिक संपदा ईश्वर ने हमें दी है, कृषि प्रधान देश है हमारा,
उत्तर में हिमालय हमारा प्रहरी बनकर खड़ा है, 
नदिया, खनिज, वन इत्यादि के रुप में प्रकृति अपना वैभव लूटा रही है,

योग, ज्योतिष, खगोल शाश्त्र की उत्पत्ति यही से हुई,
शून्य का आविष्कार और गिनती हमने सिखाई है,
विभिन्नता में एकता और विश्व शान्ति का सन्देश देने वाला, 
सारे धर्मो और सम्प्रदायों को अपने में समाहित करने वाला,
गौतम और गांधी का देश विकास और प्रगति पथ पर अग्रसर है,
अतिथि देवो भव, त्याग, समर्पण, बलिदान में सब से आगे,
कभी सर्पोसे खेलने वाला हमारा देश आज माउस के साथ खेल कर आईटी में क्रांति ला रहा है,
सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश जहा के चुनाव के ऊपर सारे विश्व की नज़रे रहती है,

धर्म, संस्कृति, ज्ञान - विज्ञानं, सद्भावना और शान्ति सभी में हम आगे है,
अंत में कवि इकबाल के सब्दो में 

"यूनान, मिश्र, रोम सब मिट गए जहान से,
कुछ बात है की हस्ती मिटती  नहीं हमारी,
सारे जहान से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा "


Wednesday, 24 September 2014

हमारे वैज्ञानिको का जवाब नहीं।

मंगलयान पर पहुचने पर भारतीय वैज्ञानिको को बधाई,
अलग - अलग लोग इसका श्रय लेना चाहते है और आपस में तर्क कर रहे है,
यह कोई राजनीति नहीं है, यह हमारे देश की बड़ी उपलब्धि है,
हमें इसपर गर्व होना चाहिए,
हमेशा राजनीति करना शोभा नहीं देता,
हर निर्माण एक अकेले के कारण नहीं होता,
उनमे बहुत लोगो का योगदान होता है,
मंदिर के गुम्बद को देखने के साथ उसकी नीव की इट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

अतः सब कुछ भूल कर कामयाबी का आंनद लीजिये,
मंगल सोचिये  . . .  सबका मंगल होगा।



Tuesday, 23 September 2014

आ गया चुनावो का मौसम …

आगया चुनावों का मौसम, बैठके जारी है, रणनीति बन रही है, कीस तरह जीता जाये ?
विपक्षी पार्टी को किस तरह पठखनी दी जाये, किस के साथ दोस्ती करनी है, किस के साथ हाथ मिलाना है ?
जोड़ - तोड़ की राजनीति जारी है, दल - बदल का खेल चल रहा है,
किसका पलड़ा भारी, जनता का झुकाव किस ओर, नेताओ की सभी पर पैनी नजर।

कल के दुश्मन आज दोस्त बनते तो कही वर्षो पुरानी दोस्ती टूटने के कगार पर,
अरे भाई, यही तो है राजनीति का खेल,
इसमें जो जीता वही सिकंदर,
जनता जनार्दन का फैसला ही अंतिम फैसला,
कौन सा समीकरण बनाया जाए की जनता हमारे साथ हो,
जनता को लुभाने के लिए सारे हथकंडे अपनाये जा रहे है,
देखे जनता का फैसला क्या होगा ?


Sunday, 21 September 2014

बड़े बड़े बोल मत बोल बिलावल …

बिलावल बिलकुल आवाज़ मत कर,
कश्मीर कोई भुट्टा नहीं है जो भुट्टो खानदान के कहने पर दे देंगे,
आँख उठा कर देखो तो कश्मीर को,
भुट्टो की इच्छाओ को (मकई) भुट्टे की तरह आग पर सेक कर जला देंगे,

नाना, माँ, और अब बीटा,
कश्मीर के सिवा और कोई बात कहने के लिए इनके पास नहीं बचा  है क्या ?
ऐसे समय में जब प्राकर्तिक आपदा से ग्रस्त है कश्मीर,
जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनज़ीर भुट्टो और अब छोटा बालक बिलावल भुट्टो,
यह बचकानी बात शोभा नहीं देती, बड़े बड़े बोल मत बिलावल,
अपने बिल (मतलब मर्यादा) में ही रह,
अनयथा बाहर  निकलने का रास्ता भी नहीं बचेगा।




Saturday, 20 September 2014

विधवा भी मनुष्य है।

हेमा मालिनी का बयान वृन्दावन की विधवाओ को ले कर शर्मनाक तो है ही ह्रदयहीन भी है। 
दयनीय जीवन और भिख मांग कर जीवनयापन करने से अच्छा है उनको समाज में सम्मानित स्थान दिया जाये। 

उनको कार्य करना और रोजी - रोटी के लिए प्रेरित किया जाये। 
बंगाल, बिहार और दूसरे राज्य सरकार को भी अपने - अपने प्रान्त में उपेक्षित नारियाँ जैसे विधवाएं उनके लिए लोग कल्याणकारी योजनाये बनाये। 

इसके अलावा हमारे मंदिर के संचालक और पंडा - पुजारी भी इसमें योगदान करे ताकि विधवा को वृन्दावन और काशी न जाना पड़े। 
इस परंपरा को भी ख़त्म करना चहिये। 

विधवा भी मनुष्य है उसकी भी इच्छा - अनिच्छा हो सकती है। 
बरबस नारकीय जीवन जीने के लिए उनको बाध्य नहीं किया जाये, यह समाज और परिवार से भी मांग है। 
इक्सवी सदी में स्त्रियों की यह दशा शर्मनाक है। 




Thursday, 18 September 2014

जिंदगी अमूल्य है, उसे नशीली चीज़ो में मत गवाओ।

तम्बाकू, गुटखा, खैनी, मैनपुरी, सिगरेट, बीड़ी
इनको रखो स्वयं से दूर, अगर एक बार लत लग गयी इनकी …
तो यह भारी पड सकती है जिंदगी पर,
बीमारियो को निमंत्रण देने के अपेक्षा, खुशाल जीवन के साथ जियो।

जिंदगी एक बार ही मिलती है, उसे इन नशीली चीज़ो पर न्यौक्षावर मत करो।
सरकार का साथ दो, परिवार, समाज और देश की उन्नति में सहभाग्य बनो।


Wednesday, 17 September 2014

मुसीबत के समय हिन्दुस्तान की एकता को सलाम

जम्मू - कश्मीर में बाढ़ आई है, प्रकृति का प्रकोप पुरे उफान पर है,
धरती का स्वर्ग आज नरक से भी बदतर हो गया है,
हजारो लोग बेघर-बार, मृत्यु के मुँह में चले गए है,
प्रकृति का तांडव जारी है। 

ऐसे समय में राजनीति और मतभेद को भुला कर सबका मददत के लिए आना सराहनीय है,

" हम विभिन्न हो गए विनाश में, हम अभिन्न हो रहे विकास में,
एक श्रेय, प्रेम अब समान हो, शुद्ध, स्वार्थ से बचे, लोग कर्म में महान सब लगे "




पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में कव्वे की अहम भूमिका।

तन काला, आवाज़ कर्कश, उसके बाद भी प्रतीक्षा,
श्राद्ध के समय और पितृपक्ष में अचानक महत्त्व बढ़ जाना,
कहाँ भागना और कहाँ आदर से बाट जोहना,
मेहमान के आने की सुचना देता कौआ, सड़ी - गली चीज़ो का भक्षण करता कौआ,
कव्वे की उपयोगिता को नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता,
शायद इसीलिए नियम बनाया गया हो की हमेशा तो सड़ी - गली चीज़े खाता है,
कम से कम साल के पंद्रह दिन तो उसे अच्छा भोजन मिले,
हर पक्षी को आदर और महत्व देना भी इसके पीच्छे उद्देश हो सकता है,
हर जीव की सेवा धर्म है और निश्चित ही हमारे पितृ भी इसपर प्रसन्न होते होंगे।


Tuesday, 16 September 2014

भारत के प्रधानमन्त्रीजी , आपको जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाये …

उप चुनाव के नतीजे आ गये है। 
गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश का परिणाम सामने है। 
दस्तक है की अगर काम बराबर नहीं तो हम किसी के नहीं। 
लोकतंत्र है जनता कब कौन सा फैसला ले कहा नहीं जा सकता। 
अतः सावधान होने की जरूरत है मोदीजी। 
अच्छा अवसर है जनता पर अपनी चाप छोड़ने का और पैठ बनाने का। 
अपनी प्रतिभा और कार्य को साबित करने के अवसर को हाथ से जाने मत दीजिये। 
भारत के उन्नति और विकास में सहभागी बनिए।
ताकि भविष्य में आपको अच्छे कामो और तरक्की के लिए याद किया जाए। 
जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाये .... 


मिलावट … मतलब जिंदगी से खिलवाड़।

सब्जियों के दाम आसमान छू रहे है, लेकिन दाम देने के बाद अच्छी सब्जी मिलेगी कहा नहीं जा सकता। 
रासायनिक, कृत्रिम रंग से रंगी गयी हरी लाल सब्जिया, किट नाशक का छिड़काओ और रसायन दाल कर पकाए हुए फल, एसिड वाला अदरक, सिरिंज से दवा डाल कर आकार बड़ा होने वाली सब्जिया,
यह सब सुनकर डर ही लगता है, हमारे शरीर में यह सब  रहा है ? लोग इतने लालची और स्वार्थी हो गए है अपने फायदे के लिए ? 

दूध, पनीर, मावा, मिठाइयाँ, तेल, घी सब मिलावटी। मुर्गे भी एंटीबायोटिक दे कर बड़े वजन का कर देना। 
यही हाल रहा तो रोग मुक्त होने की जगह रोगो से ग्रस्त हो जायेंगे लोग।
रोगी और बीमार व्यक्ति से अच्छा देश किस तरह तैयार हो सकता है ? 
अतः इस मिलावट को रोकने के लिए कठोर कारवाई  करनी चाहिए। 



Sunday, 14 September 2014

हिंदी जोड़े हिन्दुस्तान, आओ करे हिंदी का सम्मान।

१४ सितम्बर - हिंदी दिवस, जहा देखो वहाँ हिंदी ही हिंदी। 
पखवाड़े, सप्ताह मनाए जा रहे है, शायद एक हफ्ते या १५ दिन,
उसके बाद वही ढाक के पात, आखिर क्यों ?
हिंदी ही नहीं सभी भारतीय भाषाओ की यह दुर्गति क्यों ?
कथनी और करनी में फर्क क्यों ?
सत्य को हम स्वीकार क्यों नहीं करते ?
हाय - हाय अंग्रेजी करते करते हम उसमे ही गोते खा रहे है। 

कारण को ढूढ़ना होगा, भाषा को रोजी - रोटी से जोड़ना होगा,
हिंदी को अपमान से नहीं सम्मान से देखना होगा ,
प्रगति की दौड़ में शामिल करना होगा ,
उसे इस लायक बनाना होगा की जबरन नहीं स्वयं की इच्छा से लोग अपनाए। 
अंग्रेजी का विरोध क्यों ? अंग्रेजी में यह गुण है शायद तभी तो है उसकी आवशकता ,

हम अपने को तलाशे, टटोले और तराशे, इस कदर उसे बनाए की वह लोगो के पास नहीं, लोग उसके पास आए। 
यह अगर मुमकिन हुआ तो हिंदी ही क्यों सभी भारतीय भाषाए टिक पाएगी। 
अन्यथा एक अंग्रेजी छोड़ सभी हमको छोड़ जायेंगे,
हिंदी भारत की पहचान है, सिर्फ भाषा ही नहीं स्वाभिमान है। 


Friday, 12 September 2014

पुलिस के जवानो को सलाम

पुलिस और जवान भी व्यक्ति है, त्योहारो का मौसम आगया है, एक के बाद दूसरे त्यौहार का आगमन 
आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है, पुलिस चौकन्नी और सतर्क, छुट्टिया रद्द, ड्यूटी तो करना ही है। 
पर किसी ने उनकी पीड़ा को समझा है ? जब सब लोग त्यौहार के समय अपने परिवार के साथ रहते है तो उनका परिवार उनका इंतज़ार करता रहता है। 

आज़ादी के इतने साल बाद भी पुलिस की स्थिति में कितना सुधार आया है ?
उनका वेतन, पुलिस क्वाटर्स, सुविधाये पर्याप्त नहीं। 
एक तरफ जनता की उपेक्षित दृष्टि और दूसरी तरफ नगर सेवक से लेकर मंत्री तक का दवाब। 
हमेशा इसी ताक में सामजिक संस्थाए भी रहती है की कब पुलिस को घेरा जाए। 

तनाव, डिप्रेशन, हार्ट अटैक आदि का शिकार पुलिस वाले हो रहे है। 
उनके खाने पीने का प्रबंध, आधुनिक सुविधा से लैस हथियारों की जरूरत है। 
अगर हमारा रक्षक ही प्रसन्न, स्वस्थ, चिंता मुक्त नहीं रहेगा तो हमारी रक्षा किस प्रकार करेगा ?


Tuesday, 9 September 2014

खेलो के माद्यम से भी प्रगति संभव है।

वर्तमान युग में खेल - कूद गति, रुतबे, संपत्ति, शक्ति और दम-ख़म का प्रतिक है। 

एक समय था जब कहा जाता था - 
खेलोगे - कूदोगे. . बनोगे ख़राब 
पढोगे - लिखोगे . . बनोगे नवाब 

आज परिस्तिथि बदल गयी है। 
अब तो देशी खेलो कबड्डी , कुश्ती इत्यादि को भी महत्व मिल राहा है। 
लेकिन अभी भी जैसा चाहिए वैसा रुझान नहीं है। 

खिलाड़ियों के विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। 


पतित पावनी गंगा को मैली मत कीजिये ...

गंगा तेरा पानी अमृत, झर - झर बहता जाए। 
उसी गंगा को हमने क्या बना दिया ? राजा भगीरथ की तपस्या को भी व्यर्थ कर दिया। 
गंगा को साफ़ करने की सरकार की मुहीम का स्वागत है। 
लेकिन इन सब के लिए गंगा की अर्चना - पूजा करने वाले भी कम दोषी नहीं है। 

मरे हुए पशु, अधजली लाश, मल - मूत्र, गंदे कपडे धोना, मुरझाए हुए हार फूल डालना। 
क्या गंगा इन सबके लिए बनी है ? एक तरफ मल बह रहा है और दूसरी तरफ हम वही जल लेकर सूर्य को अर्पण करते है और आचमन करते है। 

स्वर्ग में पहुचने की चाह में गंगा को यही नरक बना दे रहे है। 
धर्मावलम्बियों को भी नए सिरे से सोचना होगा। 
समय और परिस्तिथि के परिप्रेक्ष में धर्म के मायने समझना होगा। 


Monday, 8 September 2014

गणपति बाप्पा मोरया।

गणपति बाप्पा आए और सब का विघ्न हर, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद दे कर विदा हो गए। 
दस दिन तक उत्साह और रौनक का माहोल रहा। सब कोई व्यस्त, कोई घर में कोई पंडाल में। 
बाप्पा भी चाहते है की सब लोग सुखी और समृद्ध रहे, पर यह नागरिको की जिम्मेदारी नहीं क्या ?

भक्ति के नाम पर व्यवसाय चल रहा है, हर पंडाल में एक दूसरे से होड़ करने की प्रत्योगिता चल पड़ी है। 
बिजली का अप्वय, धव्नि - प्रदुषण, यातायात की परेशानी , असामाजिक तत्व और गर्दुल्लो का इधर - उधर भटकना, शराब पी कर विसर्जन करना, क्या यह उचित है ? 

दूसरे दिन समुद्र में मूर्तियों को देख मन दुखी हो जाता है। 
भक्ति, पूजा, साधना, में दिखावे का क्या काम ?


Friday, 5 September 2014

मोदी सर की क्लास … एकदम फर्स्ट क्लास।।।

मोदी सर की क्लास, एकदम सुपर-डुपर हिट, एक्स्ट्रा क्लास होने के बावजूद भी बच्चे ऊबे नहीं। 
चाचा नेहरू के बाद बच्चो से संवाद साधने वाला प्रधानमंत्री, हर वर्ग की नब्ज़ टटोलने वाला।
इसमें राजनीति भी हो सकती है शायद, बच्चे भविष्य का वोट बैंक हो सकते है। 
लेकिन इन सबसे परे हट कर देखे तो -
- शिक्षक की इज़्ज़त करना , शिक्षको का अपने कर्त्तव्य को का पालन करना 
- स्वच्छता का पाठ पढ़ना, बिजली, पानी, पेड़ के उदहारण द्वारा योगदान 
- खेलने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना, निस्वार्थ सेवाभाव, स्वव्लाम्भान का महत्त्व समझाना, ज्ञान दुसरो को ज्ञान बांटना, नए टेक्नोलॉजी को सीखना कही से कुछ भी गलत नहीं है।  

लेकिन इसके साथ साथ यह भी जरूरी है शिक्षको और बच्चो को सभी सुविधाए मुहैया कराई जाए। 
बच्चो की शारीरिक, आर्थिक, मानसिक सभी की ओर ध्यान दिया जाए। 
उनकी क्षमता को उजागर करने का अवसर प्रदान किया जाए। 
उनको पेट की चिंता न हो कर सीखने की ओर  प्रोत्साहित किया जाए। 

गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी इस लिए महान बने क्यूंकि वह राजा के बेटे थे। 
उनको पेट और भोजन की चिंता नहीं बल्कि ज्ञान और सत्य की तलाश थी। 
बच्चो को चिंता मुक्त करिये और उनको आगे बढ़ने के सारे अवसर दिए जाए, यही मोदी सरकार से अपेक्षा है। 


Wednesday, 3 September 2014

यह पब्लिक है, सब जानती है...

लालू-नितीश एक हो गए है, दूसरे दल भी इसी प्रयास में है।
अच्छा है दुश्मनी ख़त्म है, नेता आपस में भाई चारे की भावना अपनाए।
बिहार और देश प्रगति के रास्ते पे चले, शांति स्थापित हो।
लेकिन इसका दूसरा मकसद की सब मिल कर भाजपा को हराए, यह तो उचित नहीं।

मोदी को हराने के लिए एकता का ढोंग करना क्यों ? मोदीजी से लोग डर गए क्या ?
मोदी पर से ध्यान हटा कर अच्छा कार्य करिए, जनता का विश्वास जीतिए।

जनता स्वयं ही आपको सत्ता के शिखर पर बैठाएगी।
सत्ता कोई स्थाई या बपौती तो नहीं है की जिसे मिली उसकी हो कर रह गयी।

प्रजातंत्र है, नेता चुनने की आजादी है,
यह पब्लिक है भाई, सब जानती है। 


गुरु से बढ़कर कोई नहीं।।।

शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षको शुक्रिया एवं धन्यवाद। 
गुरु या शिक्षक बिना ज्ञान नहीं मिल सकता। 
माता-पिता के बाद शिक्षक का स्थान ही सर्वो परी होता है। 
शिक्षक होने के नाते समभाव रहना चाहिए, बचपन की नीव जीवन पर्यन्त चलती रहती है। 
आज कल आए दिन शिक्षको के बारे में घटनाएँ छपती रहती है , शिक्षकीय पेशे को शर्मिंदा मत कीजिए। 

अर्जुन को धनुष्य विद्या में पारंगत एवं एकलव्य से उसका अंगूठा मांगते द्रोणाचार्य जैसा गुरु मत बनिए। 
अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, होशियार-कमजोर में भेद-भाव करने की अपेक्षा सामर्थ भर देने की कोशिश कीजिए। 

गुरु ज्ञान का सागर 
गुरु ही भाग्यविधाता। 


Tuesday, 2 September 2014

सब पर हो मोदी भारी यह इच्छा हमारी...

सौ दिन सरकार के , क्या क्या उपलब्धिया नरेंद्र मोदी की ?
अभी तो उत्साह और विश्वास का माहौल तैयार हो रहा है।
जान-धन योजना , पड़ोसियों से सम्बन्ध बनाना , नेपाल , जापान , भूटान की यात्रा।
स्वछता का नारा देना , भगवत गीता का महत्व और हिंदी का सम्मान संसार के सामने रखना।
मोदीजी नीव तैयार कर रहे है , नीव मजबूत होगी तो सपनो का महल भी अच्छा बन जायेगा।
डिजिटल इंडिया , गंगा की सफाई , बनारस का क्वेटा की तर्ज पर विकास करना।
यह सब बता रहे है की मोदीजी के दावे खोखले नहीं।

अगर दुसरो को साठ साल दिया गया तो मोदीजी को साठ महीने क्यों नहीं ?
बात किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं है , देश की भलाई और विकास की है।
अगर मोदीजी उसमे सक्षम है तो जनता उन्हें सर आँखों पर बिठाने में कोई परहेज नहीं करेगी।
अच्छे दिन आएंगे तो मोदीजी भी सबको अच्छे लगने लग जाएंगे।
सब पर हो मोदी भारी यह इच्छा हमारी।


Monday, 1 September 2014

अच्छा बोलो , सार्थक बोलो …

पावस देखी रहीम मन , कोयल साधे मौन 
अब दादुर वक्ता भए , हमको पूछत कौन ?

कभी कभी मौन भी सार्थक होता है। बोलना भी समय के अनुसार होना चाहिए। 
बेलगाम जबान वाले या ना समझ व्यक्ति के सामने बोल कर अपने बेइज़्ज़ती करने से अच्छा है, चुप रहो। 
सार्थक बोलो , कम बोलो , मीठा बोलो , समय अनुसार बोलो। 
यही जीवन का मूल - मंत्र होना चाहिए।  
आज कल हमारे नेता जो बेलगाम जुबान बोलते है उन्हें इस पर अमल करना चाहिए। 
जनता को भी किसी की हूटिंग करने के अपेक्षा वोटिंग से अपना मत जाहिर करना चाहिए। 
जनता को काम देखना चाहिए , किसी को मज़ाक का पात्र नहीं बनाना। 
नेता को भी बेकार की जबान बोल कर जनता को खुश करने और ताली बटोरने के अपेक्षा ,
अपने काम और जनता की भलाई पर ध्यान देना चाहिए।