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Wednesday, 31 December 2014
Tuesday, 30 December 2014
Monday, 29 December 2014
Sunday, 28 December 2014
हर जवा दिल का अरमान … वह है " सलमान "
सलीम खान का चिराग दिनों - दिन उन्नति कर रहा है,
सर्वधर्म समभाव, उदार दिल, जरूरतमंद की मद्दत, " बीइंग ह्यूमन " जैसी संस्था चलाना,
एक अच्छा बेटा, भाई, दोस्तों का दोस्त,
व्यायाम और जीम के प्रति सभी युवको को प्रवर्त करने वाला,
अपने पुराने सम्बंधों का भूल कर भी बुराई न करना,
लोगो के मज़ाक और तीखे बाडो का हस कर टाल देना,
नई पीढ़ी हो या पुरानी पीढ़ी, सभी की पसंद,
ईश्वर उनको सारी खुशियाँ दे,
जिसके वे अधिकारी है।
Saturday, 27 December 2014
Friday, 26 December 2014
क्रिसमस की सभी को शुभकामना।
क्रिसमस एक ऐसा त्यौहार है जो शायद सभी धर्मो के लोग और सारा संसार मनाता है,
नए साल का स्वागत सभी लोग जशन मना कर और ख़ुशी से करते है,
ईसामसीह का क्षमा, सेवा, पडोसी से प्यार आदि मानवता का सन्देश है।
नए साल का स्वागत सभी लोग जशन मना कर और ख़ुशी से करते है,
ईसामसीह का क्षमा, सेवा, पडोसी से प्यार आदि मानवता का सन्देश है।
Thursday, 25 December 2014
बाबूजी आप बहुत याद आते है।
२५ दिसंबर आज ही के दिन बाबूजी चले गए, शान्ति और अहिंसा के मसीहा के जन्म दिवस पर,
स्वयं के जीवन में भी ईमानदार और बुद्धिमान शक्शियत, हाँ लोग शायद उनको अच्छी तरह पहचान नहीं पाये।
अक्सर उनका कहना की "मैंने जिंदगी में धोखे खाए है, पर किसी को धोखा नहीं दिया",
"लोगो ने भले मेरे साथ बईमानी की, पर मै हमेशा ईमानदार रहा",
स्वयं के जीवन में भी ईमानदार और बुद्धिमान शक्शियत, हाँ लोग शायद उनको अच्छी तरह पहचान नहीं पाये।
अक्सर उनका कहना की "मैंने जिंदगी में धोखे खाए है, पर किसी को धोखा नहीं दिया",
"लोगो ने भले मेरे साथ बईमानी की, पर मै हमेशा ईमानदार रहा",
Wednesday, 24 December 2014
धर्मपरिवर्तन का कारण क्या है ?
आजकल धर्मांतरण पर चर्चा जोरों पर है। कोई घर वापसी कर रहा है तो कोई धर्म परिवर्तन करा रहा है।
यह ज्यादातर आदिवासी, दलित, और गरीब लोगो के साथ ही होता है।
अगर हर धर्म परिपूर्ण है तो क्यों व्यक्ति को दूसरे धर्म का मुह ताकना पड़ता है ?
क्यों बाबासाहेब आंबेडकर को अपने अनुयाइयो के साथ बौध्या धर्म स्वीकार करना पड़ा ?
यह ज्यादातर आदिवासी, दलित, और गरीब लोगो के साथ ही होता है।
अगर हर धर्म परिपूर्ण है तो क्यों व्यक्ति को दूसरे धर्म का मुह ताकना पड़ता है ?
क्यों बाबासाहेब आंबेडकर को अपने अनुयाइयो के साथ बौध्या धर्म स्वीकार करना पड़ा ?
Tuesday, 23 December 2014
Sunday, 21 December 2014
Saturday, 20 December 2014
Friday, 19 December 2014
Thursday, 18 December 2014
भगवन राम को बदनाम मत करो।
भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास माता कैकई ने दिया जो राजा दशरथ के कर्मो का फल था,
श्रवण कुमार के अंधे माता - पिता को मारने के कारण श्राप घाषित हुए थे और पुत्र वियोग में प्राण जाने का श्राप मिला था, माता और पिता की आज्ञा मानने का परिणाम यह की राम आज तक भटक ही रहे है,
उनको अपनी जमीन तो मिली नहीं हाँ मर्यादा पुरषोत्तम को विवाद पुरुष अवश्य बना दिया गया।
श्रवण कुमार के अंधे माता - पिता को मारने के कारण श्राप घाषित हुए थे और पुत्र वियोग में प्राण जाने का श्राप मिला था, माता और पिता की आज्ञा मानने का परिणाम यह की राम आज तक भटक ही रहे है,
उनको अपनी जमीन तो मिली नहीं हाँ मर्यादा पुरषोत्तम को विवाद पुरुष अवश्य बना दिया गया।
Wednesday, 17 December 2014
Monday, 15 December 2014
आत्महत्या में असफल होने वाले को सजा नहीं सहानभूति चाहिए।
आत्महत्या कौन करता है, दुखी, निराश, लाचार, असफल,
जिंदगी बहुत प्यारी होती है, अगर तूफ़ान - भूकम्प या कोई दुर्घटना हो जाये तो व्यक्ति स्वयं को बचाने का जी - जान से प्रयास करता है।
अपने को खुश रखने के लिए वह क्या क्या नहीं करता,
वही व्यक्ति क्यों एक झटके में मृत्यु को गले लगा लेता है,
इसका कारण ढूंढना और उसे जिंदगी के प्रति भरोसा दिलाना चाहिए,
न की अगर आत्महत्या में असफल हो गया तो क़ानूनी पचड़े में पड़े और जेल जाना पड़े,
इसका यह मतलब नहीं के खुदकुशी या आत्महत्या का समर्थन करना चाहिए,
बल्कि उस व्यक्ति के प्रति सहानभूति और संवेदना होना चहिये,
उसे इतनी अनमोल जिंदगी के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाना चाहिए,
इस लिहाज से मोदीजी ने आईपीएस की इस धारा को ख़त्म किया जिसमे आत्महत्या कानूनन अपराध है, उसका स्वागत है।
जिंदगी बहुत प्यारी होती है, अगर तूफ़ान - भूकम्प या कोई दुर्घटना हो जाये तो व्यक्ति स्वयं को बचाने का जी - जान से प्रयास करता है।
अपने को खुश रखने के लिए वह क्या क्या नहीं करता,
वही व्यक्ति क्यों एक झटके में मृत्यु को गले लगा लेता है,
इसका कारण ढूंढना और उसे जिंदगी के प्रति भरोसा दिलाना चाहिए,
न की अगर आत्महत्या में असफल हो गया तो क़ानूनी पचड़े में पड़े और जेल जाना पड़े,
इसका यह मतलब नहीं के खुदकुशी या आत्महत्या का समर्थन करना चाहिए,
बल्कि उस व्यक्ति के प्रति सहानभूति और संवेदना होना चहिये,
उसे इतनी अनमोल जिंदगी के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाना चाहिए,
इस लिहाज से मोदीजी ने आईपीएस की इस धारा को ख़त्म किया जिसमे आत्महत्या कानूनन अपराध है, उसका स्वागत है।
Sunday, 14 December 2014
खेल को खेल ही रहने दो, जंग नहीं।
हॉकी खिलाड़ियों का विजयजश्न मानना ठीक है,
लेकिन जिस तरह से पाक के खिलाड़ियों ने उसका अभद्र प्रदर्शन किया, चिढ़ाया वह बेहद शर्मनाक है,
खेल तो खेल है युद्ध नहीं,
उसको खेल की भावना से लेना छाईए,
हार जीत तो चलती रहती है,
खेलते समय खिलाड़ियों के देश पर नहीं, उनके बेहतर खेलने पर तालिआ बजती है,
चाहे वह सचिन की बले - बाजी हो या फिर सोहेब की गेंदबाजी।
Saturday, 13 December 2014
संस्कृत को लेकर इतनी हाइ - तौबा क्यों ?
संस्कृत और भगवत गीता की चर्चा इनदिनों जोरो पर है,
संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाए जाने की मांग है,
पर भारत में कितने लोग है जो संस्कृत जानते है और बोलते है ?,
पहले भी यह देव भाषा और ब्राम्हणो की भाषा मानी जाती थी।
सारी भारतीय भाषाओ की जननी ही संस्कृत है लेकिन उसका उपयोग नाम मात्र के लिए है,
केवल शादी - ब्याह, पूजा - पाठ या फिर कुछ पाठशालाओं में ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में,
संस्कृत की तो छोड़िये, हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाए भी हमसे छुटटी जा रही है,
कारण की उसका उपयोग विज्ञान, आईटी, कंप्यूटर, नई टेक्नोलॉजी नाम मात्र ही है।
हम सत्य को क्यों नहीं स्वीकार करते ?
हमारा इतिहास स्वणिम है लेकिन वर्तमान को भी स्वणिम बनाने के लिए हमें सत्य को स्वीकारना होगा।
भाषा वही चलेगी जो सहज और व्यवारिक हो, रोजी - रोटी से जुडी हो।
संस्कृत को अनिवार्य भाषा बनाए जाने की मांग है,
पर भारत में कितने लोग है जो संस्कृत जानते है और बोलते है ?,
पहले भी यह देव भाषा और ब्राम्हणो की भाषा मानी जाती थी।
सारी भारतीय भाषाओ की जननी ही संस्कृत है लेकिन उसका उपयोग नाम मात्र के लिए है,
केवल शादी - ब्याह, पूजा - पाठ या फिर कुछ पाठशालाओं में ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में,
संस्कृत की तो छोड़िये, हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाए भी हमसे छुटटी जा रही है,
कारण की उसका उपयोग विज्ञान, आईटी, कंप्यूटर, नई टेक्नोलॉजी नाम मात्र ही है।
हम सत्य को क्यों नहीं स्वीकार करते ?
हमारा इतिहास स्वणिम है लेकिन वर्तमान को भी स्वणिम बनाने के लिए हमें सत्य को स्वीकारना होगा।
भाषा वही चलेगी जो सहज और व्यवारिक हो, रोजी - रोटी से जुडी हो।
ग्राहक के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
उबर कंपनी की कैब में जो घटना हुई उसकी जितनी भी निंदा की जाए काम है।
इसमें सभी दोषी है, कंपनी से लेकर ड्राइवर तक।
सुरक्षा रक्षक, ड्राइवर, वेटर, ड्रिलिवेरी मैन, कारपेंटर, घरेलु नौकर - नौकरानी ज्यादा तर घटनाओंको अंजाम देने वाले यही व्यक्ति है जिनसे हम किसी न किसी तरह जुड़े हुए है,
इनको रोज़गार देनेवाली कंपनी और एजेंसी को पूरी जांच और ट्रेनिंग भी देनी चाहिए।
अगर इनका बिज़नेस होता है तो इनकी भी जिम्मेदारी बनती है की ग्राहक की सुरक्षा का पूरा - पूरा ख्याल रखे।
योग्य, ईमानदार और चरित्रवान व्यक्ति को काम दे।
ग्राहक के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
इसमें सभी दोषी है, कंपनी से लेकर ड्राइवर तक।
सुरक्षा रक्षक, ड्राइवर, वेटर, ड्रिलिवेरी मैन, कारपेंटर, घरेलु नौकर - नौकरानी ज्यादा तर घटनाओंको अंजाम देने वाले यही व्यक्ति है जिनसे हम किसी न किसी तरह जुड़े हुए है,
इनको रोज़गार देनेवाली कंपनी और एजेंसी को पूरी जांच और ट्रेनिंग भी देनी चाहिए।
अगर इनका बिज़नेस होता है तो इनकी भी जिम्मेदारी बनती है की ग्राहक की सुरक्षा का पूरा - पूरा ख्याल रखे।
योग्य, ईमानदार और चरित्रवान व्यक्ति को काम दे।
ग्राहक के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
Monday, 8 December 2014
कब तक युवाओ की जान जाती रहेगी ?
प्रेम प्रकरण के चलते जान से हाथ धोना पड़ा या फिर घर वालो ने युवक - युवती को खाने में ज़ेहर देकर मार डाला या माँ ने बेटी की हत्या कर दी या भाई ने बहन को मार दिया , आये दिन ऐसी घटनाये देखने और सुनने को मिलती है। क्यों किसीकी जिंदगी को अपनी अमानत समझ लिया जाता है।
सभी को जीवन जीने का, अपनी पसंद - नापसंद जाहिर करने का, शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। फिर क्यों खाप पंचायते, समाज, परिवार, माता - पिता को ऐसा कदम उठाना पड़ता है। क्यों नहीं सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत करते है। हर कोई बदनामी से डरता है। एक दूसरे पर उंगलिया उठाने की आदत से बाज आये और निडर होकर परिवर्तन को स्वीकार करे।
सभी को जीवन जीने का, अपनी पसंद - नापसंद जाहिर करने का, शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। फिर क्यों खाप पंचायते, समाज, परिवार, माता - पिता को ऐसा कदम उठाना पड़ता है। क्यों नहीं सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत करते है। हर कोई बदनामी से डरता है। एक दूसरे पर उंगलिया उठाने की आदत से बाज आये और निडर होकर परिवर्तन को स्वीकार करे।
नेताजी जबान संभल के …
आजकल संसद और संसद के बहार भी चुनाओ के दौरान जिस अभद्र भाषा और व्यंग का प्रयोग किया जाता है वह शोभा नहीं देता। साध्वी मंत्री ने भले ही माफ़ी मांग ली हो लेकिन वह जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली नेता है। नेता बेलगाम भाषा का प्रयोग करते है जिससे सभी को शर्मिंदा होना पड़ता है। भारतीय संस्कृति मर्यादा में रहना सिखाती है।
नेता अपनी सफाई में एक दूसरे की पार्टी और व्यक्ति पर दोषारोपण करते है। सबसे पहले अपने गिरेबान में झाकना चाहिए। " तेरी कमीज से मेरी कमीज सफ़ेद " वाली धारणा को त्याग कर अपनी वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखना सीखना चाहिए।
नेता अपनी सफाई में एक दूसरे की पार्टी और व्यक्ति पर दोषारोपण करते है। सबसे पहले अपने गिरेबान में झाकना चाहिए। " तेरी कमीज से मेरी कमीज सफ़ेद " वाली धारणा को त्याग कर अपनी वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखना सीखना चाहिए।
Tuesday, 2 December 2014
सबका विकास यानि देश का विकास।
आज़ाद भारत के समक्ष उसकी आवशक्ताएं थी, प्रगति और विकास करना,
इसके लिए उद्पादन, नए - नए वैज्ञानिक साधन, परमाणु क्षमता, शश्त्र क्षमता बढ़ाना था,
लेकिन इसके साथ - साथ भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वस्थ और आवास भी थे,
भौतिकता की और बढ़ने की प्रवृति भी इसी से आई,
इसका परिणाम यह हुआ की एक छोटा सा समुदाय सारी सुख - सुविधाओ से सुसज्जित है जबकी बड़ा तबका वंचित रह गया, आज जब प्रधानमंत्रीजी स्वच्छता और सौचालय की बात करते है तो जरा भी आश्चर्य नहीं होता क्यूंकि हमारे हाथ में मोबाइल और लेपटोप तो आ गए है लेकिन रोटी, घर, सौचालय और शिक्षा से वंचित है हम, यह सामाजिक असमानता, असंतोष और अपराध को ही जन्म देती है,
सभी सुखी और संपन्न रहेंगे तो ही देश का विकास होगा।
इसके लिए उद्पादन, नए - नए वैज्ञानिक साधन, परमाणु क्षमता, शश्त्र क्षमता बढ़ाना था,
लेकिन इसके साथ - साथ भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वस्थ और आवास भी थे,
भौतिकता की और बढ़ने की प्रवृति भी इसी से आई,
इसका परिणाम यह हुआ की एक छोटा सा समुदाय सारी सुख - सुविधाओ से सुसज्जित है जबकी बड़ा तबका वंचित रह गया, आज जब प्रधानमंत्रीजी स्वच्छता और सौचालय की बात करते है तो जरा भी आश्चर्य नहीं होता क्यूंकि हमारे हाथ में मोबाइल और लेपटोप तो आ गए है लेकिन रोटी, घर, सौचालय और शिक्षा से वंचित है हम, यह सामाजिक असमानता, असंतोष और अपराध को ही जन्म देती है,
सभी सुखी और संपन्न रहेंगे तो ही देश का विकास होगा।
समय बड़ा बलवान।
समय की कदर करना जिसने सिख लिया उसने जीवन का सार पा लिया,
समय का साथ पा कर जर्रा भी सितारा बन जाता है,
काल का पहिया जब घूमता है तो उससे कोई बच नहीं सकता,
जनक की बेटी, अवध की रानी सीता को भी वन - वन भटकना पड़ा था।
यही समय है जो सुबह सूर्य को उदयांचल पर पहुचता है,
वही शाम को अस्ताचल का मार्ग दिखा देता है,
इसीलिए व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए,
कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए।
समय कब जमीन से आसमान तक पहुचाएगा,
और कब आसमान से जमीन पर पटक देगा, कहा नहीं जा सकता।
इसीलिए समय की कदर करिये।
समय का साथ पा कर जर्रा भी सितारा बन जाता है,
काल का पहिया जब घूमता है तो उससे कोई बच नहीं सकता,
जनक की बेटी, अवध की रानी सीता को भी वन - वन भटकना पड़ा था।
यही समय है जो सुबह सूर्य को उदयांचल पर पहुचता है,
वही शाम को अस्ताचल का मार्ग दिखा देता है,
इसीलिए व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए,
कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए।
समय कब जमीन से आसमान तक पहुचाएगा,
और कब आसमान से जमीन पर पटक देगा, कहा नहीं जा सकता।
इसीलिए समय की कदर करिये।
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