Wednesday 28 December 2022

माँ- बाप और बच्चे

माँ  - बाप बच्चों से अपनी तकलीफ छुपाते हैं 
उनके सामने कमजोर नहीं पडना चाहते
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है
अपनी भूख मारकर अपने हिस्से की रोटी बच्चों को दे देती है
पिता भी दिन भर काम करते हैं तब भी घर मुस्कराते हुए आते हैं 
रिक्शा न लेकर पैदल आते हैं और हाथ में बच्चों के लिए खाऊँ रहता है
खुद बडा - पाव और कटिंग चाय पी लेंगे 
बच्चों को पिज्जा- बर्गर और पेप्सी पिलाएगे 
पर क्या यह केवल माँ- बाप ही करते हैं 
बच्चे भी करते हैं 
वे भी समझदार हो जाते हैं 
जिद करना छोड़ देते हैं 
बाहर जब जाते हैं तब कैसै - बैसे गुजारा करते हैं 
अपनी परेशानी नहीं बताते
फोन पर बताते हैं सब अच्छा है
किसी बात की कमी नहीं है
पैसा नहीं चाहिए काम चल जाएगा 
उन्हें पता है माता - पिता के कष्टों का
उनके योगदान का

Sunday 25 December 2022

काश ! आप होते बाबूजी

बारह बर्ष गुजर गए
जिंदगी भी गुजर ही रही है
हाँ एक बात हमेशा रही है
काश आप होते तो 
ऐसा कोई दिन न जाता होगा 
जब आप यादों में न हो
हर अच्छे- बुरे पलों में भी
ऐसा नहीं कि कोई किसी के बिना जी नहीं सकता 
जिंदगी तो चलती ही रहती है
हर एक की अपनी एक खास जगह होती है
वह तो कोई नहीं ले सकता 
आपकी बातें  ,आपके विचार 
आपका जीने का ढंग 
आपका प्यार  - शिक्षा 
जीवन के प्रति दृष्टिकोण 
बहुत कुछ साथ है 
वह कहाँ जाएंगा 
वह सब तो रचा - बसा है
आपके अपनों में 
जहाँ भी होंगे 
देख रहे होंगे 
हमें आशीर्वाद दे रहे होंगे 
मुस्करा रहे होंगे 
ऐसे ही अपना आशीर्वाद बनाएं रखना  
शत शत नमन 🙏🙏🌹

Friday 23 December 2022

साडी तो साडी है-- साडी डे

साडी तो साडी है
शोभती हर नारी पर
उस बिना हर भारतीय नारी अधूरी है
सौंदर्य पर चार चांद लगाती
सबमें अपनी पहचान बनाती 
हर नारी पर खूब फब्ती 
वह बूढी हो या नवयौवना 
कुंवारी हो या विवाहित
पतली हो या मोटी
लंबी हो या छोटी 
काली हो या गोरी
सब पर सजती
जब यह सब उसको धारण करती 
परंपरा- संस्कृति की पहचान है
पांच गज में यह न जाने क्या-क्या लपेटती 
अपने साथ न जाने क्या-क्या यादें लाती
कब पहली बार पहना था
कब पैर उसमें उलझा था
कब शीशे के सामने पहन इतराया था 
शर्म- हया से लाल होकर ऑचल को समेटा था
कितनी प्यारी खूबसूरत है जेहन में 
साडी तो साडी है
सबसे निराली है
सबकी प्यारी है
खासमखास है
हर मौके की जान और शान है
कवि की कविता है
माँ का ऑचल है
सारी की सारी औरत को लपेटे यह साडी है ।

Tuesday 20 December 2022

प्रेम का हिसाब

प्रेम का हिसाब नहीं होता
उसका गणित हटकर होता है
वहाँ नफा - नुकसान नहीं देखा जाता
क्या दिया क्या लिया
इसके बदले उसके बदले
यहाँ देनदारी नहीं होती
मन की खुशी होती है
सब कुछ लुटा कर भी खुश रहता है व्यक्ति 
एक मुस्कान के पीछे न जाने क्या- क्या वार देता है
माँ की रोटी का मूल्य 
पिता की मेहनत का मूल्य 
यहाँ कोई गिनता नहीं है
न हिसाब रखता है
प्यार ही तो है जिससे दुनिया जीवंत है
उसकी सांसें चल रही है
किसी के लिए कुछ करना है
उस करने का सुख - खुशी
उनसे जानो 
जो खुद भूखा रहकर भी अपनी संतान का पेट भरा देख प्रसन्न हो जाता है
अपना मन मार कर उनकी इच्छाओं की पूर्ति करती है
वह पत्नी जो पति का पेट भरा देख सारी सुबह से शाम तक की तकलीफ भूल जाती है
वह बेटा जो शहर में रहकर मजदूरी कर माँ- बाप को पैसे भेजता है
वह भाई जो बहन की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर सकता है 
एक राखी के धागे में अपने भाई को बांध लेती है
माँ के बाद दूसरी प्यार करने वाली व्यक्ति यही है
यह सब प्यार और विश्वास का प्रमाण है ।

किताबों से भी इश्क

किताबों से भी इश्क होता है
यह दौर भी हमने देखा है
जब सर गडाए रहते थे किताबों में 
उपन्यास और कहानियों में 
लाइब्रेरी से , उधार मांग कर , रेन्ट पर
यहाँ तक कि बनिये के लपेटे हुए सामान के कागज से
रात - रात भर जागते थे
कोहनियों के बल लेटे पढते थे
खत्म होने पर ही चैन की सांस लेते थे
हंसते थे , रोते थे , उदास होते थे
जीवन की शिक्षा भी लेते थे
वे पात्र अपने लगते थे
उनके सुख - दुख में समरस होते थे
उस इश्क के सामने कुछ भी नहीं टिकता था 

आज हम जीवन की संझा पर है
किताबों के पन्ने भी पीले पड रहे हैं 
उनमें रखा हुआ वह पत्ता 
वह मोर पंख
वह निशान सब फीके पड रहे हैं 
हम पर झुर्रियाॅ पड रही है
उन पर धूल जम रही है
अब हमारी हड्डियों में वह ताकत नहीं 
न उनके पन्नों में 
वे हमारे साथी  रहे हैं हमेशा से
हर पल का साक्षी रहे हैं 
अब नजर धुंधला रही है
उन पर एक हाथ फेर लेते हैं 
पढने की शक्ति नहीं बची

यह समय का पहिया है
यह बात तो इसने न जाने कितनी बार सिखायी है
हम भी उपेक्षित से महसूस करते हैं 
यही तो बात इस पर भी लागू 
मोबाइल और लैपटॉप का जमाना है
हमारी तरह उसका भी साथ लोग छोड़ रहे हैं
हम भी वही है
वह भी वही है
बस वक्त वक्त की बात है ।

Friday 9 December 2022

रिश्ते- नाते

रिश्ते नाते प्यार वफा सब
नाते हैं नातों का क्या
कोई किसी का नहीं है 
यह गाना सुना था

यह सही है
फिर भी संसार तो इन्हीं से चलता है
बिना रिश्तों के
बिना अपनों के जिंदगी की कल्पना 

नहीं वह तो नीरस हो जाएगी 
जीने का मजा ही खत्म 
हाँ रिश्तों की भी मियाद होती है
जो किसी समय अजीज होते हैं 
एक समय भार लगने लगते हैं 

फिर भी सोचो तो जरा
उस पल को याद करों 
जब ये साथ थे
कितनी खुशियाँ थी
कितना समय हमने सुख दुख बांटा है
गमी और खुशी बांटी है
मजा और मजाक किया है

हो सकता है
आज रिश्तों में वह बात नहीं रही 
पर जीवन का अभिन्न अंग है वे
वे साक्षी है हमारे संबंधों का
इसलिए इन्हें पूरी तरह झुठला नहीं सकते
उसी पर जीवन की नींव मजबूत खडी है

वक्त बदलता है
विचार बदलते हैं 
सबंध भी बदलता है
जो बात पहले थी अब नहीं रही
तब भी संसार तो आज भी इन्हीं से चलता है ।

Thursday 8 December 2022

किसान क्यों मजबूर

किसान रोयें जार जार
देश में मचा है हाहाकार
मजबूर हो गए
तब आ सडक पर बैठ गए
जिन हाथों में हल व फावड़ा
उन हाथों में है पोस्टर
बैलों के पीछे हांक लगाते
आज कर रहे हैं नारेबाजी
ये सब हैं सीधे-साधे
नहीं आता इन्हें कोई पैंतरेबाजी
इनको मत हथियार बनाओ
इनके कंधे पर रख बंदूक मत चलाओ
अपनी राजनीतिक रोटियां मत सेको
हो सके तो इनकी मांगों को पूरी करों
अन्नदाता रोष में है
कुछ तो ख्याल करों
इनकी शक्ति को पहचानो
बंजर को भी उपजाऊ बनाते हैं ये
मौसम की मार सहते हैं ये
दिन रात परिश्रम करते हैं
तब जाकर कहीं अन्न उगाते हैं ये
मिट्टी को सोना बनाते हैं
सीचं सींच कर फसल लगाते हैं
हरियाली से हरा भरा करते हैं
सब तक अन्न पहुंचाते हैं
तब क्यों इनकी आह निकलती है
पीडा से कराह निकलती है
आत्महत्या को मजबूर करती है
इनके बिना नहीं किसी का गुजारा
सबके है यहीं सहारा
उनका दर्द सबका दर्द
हर समय सब उनके साथ

पिता का आधार

पिता का आधार
नहीं कोई दूजा उस समान
माता माता सब करें
पेट का जुगाड़ पिता करें
दर दर भटके 
दिन रात एक करें
तब जाकर घर खडा करें
मालिक की बातें सुने
समाज के उलाहने सुने
तब जाकर हमें बोलने लायक बनाएं
स्वयं अनपढ़ रहे
बच्चों को शिक्षित करें
स्वयं फटेहाल रहे
बच्चों के तन पर कपड़े धरें
ऊपर से कठोर दिखे
अंदर से प्रेम हिलोरे ले
स्वयं बेहाल रहें
सबको हर हाल में खुश रखें
पिता बिना परिवार अधूरा
उसकी छत्रछाया में आसमान समाया
नहीं किसी का हो एहसान
जब पिता का हो साथ
जो करता है 
दिखाता नहीं
जिस पर हो हमारा पुर्ण अधिकार
जो हमारी मनुहार और जिद पूरी करें
एक उसका होना ही
दे देता हो निश्चिंतता का आभास
उसके रहते ले सकते सुकून की सांस
जब तक पिता तब तक नहीं जिम्मेदारी का एहसास
न बडप्पन  का 
पिता का आधार 
नहीं कोई दूजा उस समान

मधुमक्खी

मधुमक्खी 
मक्खी के साथ लगा हुआ है मधु
तभी नहीं है घृणा
यह गंदगी नहीं 
फूलों का रस पीती है
डाल डाल पात पात 
फूल फूल 
इधर-उधर भटकती
कभी कांटो से 
कभी हवा के थपेडे से
बचती बचाती
मधु इकठ्ठा करती है
बूँद बूँद से छत्ता तैयार करती है
कोई छेड़ा तो डंक भी मारती है
इनसे पंगा लिया तब तो बज गया डंका
ऐसा डंसती कि आह भी नहीं निकलती

सिक्के का दूसरा पहलू भी है
खूब मेहनती
झुंड के झुंड में
एकता का उत्तम उदाहरण
आक्रमण करने में आगे
पर जब तक कोई छेड़े नहीं
एक उत्तम उदाहरण
मिठास देती है बिना स्वार्थ के
औषधि देती है
शहद का गुणधर्म तो सबको पता
शुद्ध और खाटिक
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी के काम आती है
वह केवल डंक ही नहीं मारती
मिठास भी देती है

Tuesday 6 December 2022

उडने दो

उडने दो इन परिंदो को
करने दो मनमानी
जितनी भी ऊँची उडान भरना चाहे भरने दो
मत डालो 
इनके पैरों में
कर्तव्य की
प्यार की
ममता की बेडियाँ
जीना इनका अधिकार है
उस अधिकार पर हावी होने का प्रयास मत करो
अपनी इच्छा नुसार करने दो
कभी ऊपर कभी नीचे कभी बीच में 
यह तो होता ही रहेंगा
पंखों को मत कतरे

अपनी आशा आंकाक्षा उन पर मत लादे
माना तुमने जन्म दिया है
पालन पोषण किया है
इसका यह मतलब तो नहीं
कि उसका जीवन गिरवी रख दिया
अंजाने में ही सही
अपना गुलाम बना दिया
जो तुमने किया 
वह कर्तव्य था तुम्हारा
अपनी खुशी के लिए किया
अपना घर गुलजार होने के लिए किया
कोई एहसान नहीं किया
तब एहसास भी नहीं दिलाना है
हमने तुम्हारे लिए इतना किया
और तुम हो कि ' '' '' 

सब बच्चों को पालते हैं
पशु-पक्षियों से सीखो
वह भी दाना ला चोंच में डालती है
अपने बच्चे के लिए मुर्गी , चील से लड जाती है
वही जब ये बडे हो जाते हैं तब छोड़ देते हैं
कोई अपेक्षा नहीं

कोई कर्ज नहीं है कि
वह सूद समेत अदा करें
इसीलिए जन्म दिया कि 
मेरे बुढापे की लाठी बनें
सहारा बनें
मेरी इच्छानुसार चले
तब तो यह निरा स्वार्थ हुआ

अपेक्षा सदा दुख ही देता है
आपने अपना कर्म किया
वह उसका धर्म है
वह करें या न करें
करें तब भी ठीक
नहीं तब भी ठीक
कोई मलाल नहीं पालना है
किसी पर भार नहीं बने
अपनी लाठी अपना सहारा स्वयं बनना है
अपने लिए भी सोचना है
भविष्य को तो बडा करना है
साथ में अपना भविष्य भी सुनिश्चित करना है

चाय की चुस्की

चाय केवल चाय नहीं होती
वह एक साथ होती है
एक साथ हो तो 
और साथी जुड़ जाते हैं
बैठक जम जाती है
चुस्कियां ले लेकर 
बातें शुरू हो जाती है
कुछ अपनी कही
कुछ दूसरों की सुनी
देश विदेश की खबर
राजनीति पर चर्चा
सब रंग जमाती है
केवल पकौडा और समोसा ही नहीं
बातें भी चाय में रंग भर देती है
ताजगी तो देती ही है
मन को भी आह्लादित करती है
न जाने कितने को जोड़ती है
पास लाती है
अपना बनाती है
बाजार हो या बस अड्डा
चाय हर जगह अपना प्रभाव दिखाती है
मिठास भरती है
रिश्तों को संभालती है
कम और किफायत में
बडे बडे काम कर जाती है
चाय केवल चाय नहीं होती

Monday 5 December 2022

हमारी धरती

गर्भ में जिसके जीव रहता है
संसार को जो संचालित करता है
वही तो सबकी धुरी है
कोख में जिसके संसार बसता है
गोद में जिसके संसार खेलता है
प्रलय और संहार जिसके हाथों में है
वह कोई और नहीं 
हमारी धरती माता है
सब बच्चों में सबसे प्यारा 
उसकी ऑखों का तारा 
जिससे बंधी उसकी उम्मीदें 
वह कोई और नहीं 
हम मानव है
माँ का सबसे बुद्धिमान बेटा कहलाता 
जिम्मेदारी मन से निभाएँ 
यह आस लगाती
हम सबकी माता धरती
उसका विश्वास बना रहें 
हर पेड - पौधे की देखभाल और रक्षा हो
माली बनकर सींचे हम
हर जीव हमारा भाई बंद
उनके प्रति भी जिम्मेदार हम
नदी- पहाड़ सब बाजूबंद 
सबसे निभाएँ प्यार भरा रिश्ता हम
सबको जब साथ रहना है
तब मिल जुलकर रहना होगा
उनके बिना तो हमारी सांस भी न चलेगी 
यह बात माता को बहुत खलेगी
सब रहें साथ - साथ
हरियाली से भरा जग हो
अपने अपने घर में रहने का सबका अधिकार हो
न किसी से कोई उसका हक छीने
सब एक - दूसरे का ध्यान रखें 
यह देख माता खुशी से फूला न समाएगी 
अपना रौद्र रूप , प्रलयंकारी रूप कभी न दिखाएगी 
जननी भी खुशी से मुस्कान भरती निहारेगी  ।

आओ मिट्टी का सम्मान करें

विश्व मिट्टी दिवस 
आओ अपनी मिट्टी का सम्मान करें
पेड़ लगाकर उसका श्रृंगार करें
इस मिट्टी में जन्मे हम
इस मिट्टी में खेले हम
इस मिट्टी ने हमको दुलराया
बडे प्रेम से गोदी में ले सहलाया
हमारा भरण-पोषण सब इसके जिम्मे
तभी तो है इसको बचाने की हमारी जिम्मेदारी
जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ निभाती
माता है यह हमारी
सबसे प्यारी 
इससे जीवन चलता हमारा
सांसों की डोर बंधी इससे
तब तो इसकी सांस भी चलती रहे
इस खातिर इसे संवारे और सजाए
पेड़ और पौधे लगाए