Friday 31 May 2019

हवा मेरी जान

हवा की रफ्तार
कभी तेज कभी धीमी
कभी-कभी लगता
रूक सी गई हो
पर वह तो उसकी फितरत में नहीं
रुकना तो वह जानती नहीं
लोगों की सांसे उससे जुड़ी हुई
वह दिखती तो नहीं
महसूस होती है
उसका अस्तित्व है
उसका अपना स्थान
हर जगह उसका वास
रोक टोक सहन नहीं
ऐसे तो शांत
पर जब उग्र होती है
तब किसी को नहीं छोड़ती
जीवनदायिनी तो है
जीवन ले भी सकती है
यहाँ वहाँ अपनी रौ में बहती है
बहुत कुछ कहती है
चेतावनी देती है
सचेत करती है
सबसे प्रेम भी करती है
बिना स्वार्थ के सब पर कृपा बरसाती है
कोई भेदभाव नहीं करती
हवा हमारी जान है।

गुलमोहर

गुलमोहर खिला हुआ था
तपती धूप थी
लेकिन उसकी लालिमा बरकरार थी
तपिश मे मानो वह और सुर्ख हो रहा था
लाल लाल अंगारों सा दहकता
स्पर्धा कर रहा हो जैसे
धूप सर पर चमक रही थी
वह खिलखिला रहा था
कह रहा था
संध्या तक थक जाएंगी
प्रस्थान कर लेगी
मैं तो डटा रहूँगा
झूमता रहूँगा
हार मेरी फितरत नहीं
जितना जलूगा
और निखरूगा
मैं किसी छाह का मोहताज नहीं

Thursday 30 May 2019

नींद की मेहरबानी

नींव नहीं आती
यह है परेशानी
यह स्वयं तो नहीं आती
पर अपने साथ भूत ,भविष्य और वर्तमान को ले आती है
सारी रात जगाती है
परेशान करती है
मन भटकाती है
बेचैन करती है
यह किसी की नहीं सुनती
अपने मन की करती है
कभी-कभी तो बेवक्त आ हंसी की पात्र भी बनाती है
जब आना होगा तब आएगी
इसको तो खरीद भी नहीं सकते
जिसके पास जाना होगा जाएगी
सारी कोशिश बेकार
किसी के पास नहीं इसका इलाज
जिस पर यह फिदा
वह सबसे सुखी
आज की भागदौड़ मे यह बहुत जरूरी
तनावमुक्त होना है
तब नींद की मेहरबानी जरूरी

एक पार्टी एक व्यक्ति

परिवारवाद का इल्जाम केवल कांग्रेस पर ही क्यों ??
आज जबकि हर पार्टी परिवारवाद चला रही है
वह चाहे कोई भी हो
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
छोटी से बडी लगभग सभी
भाजपा इससे अछूती नहीं
उनके काफी नेता दूसरी पीढी के है
समाजवादी का तो पूरा कुनबा ही
रामविलास पासवान
शरद पवार
लालूप्रसाद यादव
शिवसेना
उड़ीसा
कश्मीर
दक्षिण भारत की पार्टियों का भी कमोबेश यही हाल है
हर क्षेत्रिय पार्टी
लोगों ने मेहनत की है
संगठन को खडा किया है
अगर उनकी अगली पीढी आगे आ रही है
तब ऐतराज क्यों ??
सबको अधिकार है
फिर उन पर उंगली क्यों ??
या फिर नियम बना दिया जाए
एक पार्टी एक व्यक्ति।

व्यक्ति और संगठन

भाजपा की प्रचंड जीत
यह जीत भाजपा से ज्यादा मोदीजी की है
अगर मोदीजी जैसा करिश्माई नेता न होता तो ??
तब भी इतना बहुमत मिलता
यह सोच का विषय है
पार्टी और संगठन से ज्यादा व्यक्ति हो जाता है
यह भूतकाल में भी हुआ है
कांग्रेस असली वही थी
जो नेहरू - गांधी परिवार से जुडी रही
दूसरे खत्म हो गए या सिमट गये
संगठन की अपनी एक शक्ति होती है
व्यक्ति आएगे और जाएँगे
पर संगठन मजबूत रहना चाहिए
वह व्यक्तिकेंद्रित नहीं होना चाहिये
व्यक्ति और संगठन एक ,दूसरे के पूरक है
पर वह हावी न हो
वह एक ,दूसरे के लिए हो

भाग्य

पढती रही लिखती रही
जीवन को नजदीक से देखती रही
पर वह जीवन दूसरों का था
उसे पढना और लिखना आसान है
स्वयं का जीवन समझ ही नहीं पाई
आज तक कोशिश जारी है
वह इतना उलझा हुआ है
कि सुलझाने की कोशिश  फिर उलझ जाता है
जीवन को समझना इतना आसान नहीं है
जो दिखता है वह होता नहीं
तब वह भ्रम है
जीवन को तो पढा ही नहीं जा सकता
वह चक्रव्यूह है
उसमे इंसान फंसा हुआ है
वह जब स्वयं को समझ नहीं पाता
तब दूसरों को कैसे समझेगा
जिंदगी न कहानी है
न उपन्यास है
न कविता है
वह तो भाग्य का लिखा ताना बाना है

Wednesday 29 May 2019

चाय सिर्फ चाय नहीं होती

*चाय सिर्फ चाय नहीं होती...*

जब कोई पूछता है
*"चाय पीयोगे ?"*

तो वो ये नहीं पूछता तुमसे,
चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता है...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो अपनों के बीच
भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
*"चाय पियोगे..?"*

तो *हाँ* कहकर
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी
दुखभरी  बातें..!!

*चाय सिर्फ चाय नहीं होती...!*

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Tuesday 28 May 2019

बचपन

बचपन तुम्हारी बहुत याद आती है
अब लगता है फिर वही लौट चलें
वह माँ की गोदी
पापा का दुलार
बहन - भाई का साथ
दोस्तों संग मटरगश्ती
वह कभी भी सोना
कभी भी जागना
कभी भी खिलखिलाना
न कोई तनाव
न कोई चिंता
जीवन तो वही था
अब तो कर्तव्य तले जिंदगी दब कर रह गई है

गर्व से कहो हम हिंदू है

जीत तो हुई है
जश्न भी बनता है
कहा जाता है
युद्ध और प्यार में सब जायज है
ऐसा नहीं है कि इस चुनाव में केवल विकास का मुद्दा था
इसमें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व था
जनता की भावनाएं इनसे जुडी थी
अल्पसंख्यक को हमेशा तवज्जों दी जाती रही है
इस देश का बहुसंख्यक कहा जाने वाला हिंदू अपने को उपेक्षित महसूस कर रहा था
उस पर जाति आधारित राजनीति
वह बिखर रहा था
उसकी भावनाएं आहत हो रही थी
लंबे समय से यह हो रहा था
आज हर कोई स्वयं को हिंदू सिद्ध करने में लगा है
मोदीजी इस कार्य में खरे उतरे
उन्होंने लोगों के समक्ष अपने को हिंदू के रूप मे रखा
गंगा मैया और काशी का महत्व समझाया
बाबा भोलेनाथ का भक्त दर्शन करने और आशीर्वाद लेने में बढ चढाकर रहे
देश का हिंदू यह सब देख रहा था
हिंदू होने का गर्व हर कोई महसूस कर रहा था
जहाँ स्वयं के भगवान के लिए जगह नहीं
वह उनसे आशा लगाए बैठा है
धर्म तो बहुत मायने रखता है
धर्म के नाम पर तो इतिहास की धुरी टिकी है
हमेशा हिंदू दबा रहे
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उसे बरगलाया जाय
वह चुप रहे
सारे नियम और कानून उसके लिए
एक राष्ट्र एक कानून
लाभ तो सभी उठाते हैं
देश से सर्वोपरि तो कोई नहीं
यह राष्ट्रवाद है
वंदेमातरम तो अपने मन से निकलना चाहिए
देश का दुश्मन हर भारतवासी का दुश्मन
मोदीजी यह संदेश पहुंचाने में सफल रहे
हिंदूत्व की पार्टी कही जानेवाली भाजपा को जनसामान्य की पार्टी बना दिया
वह भी अपने हिंदू होने के गौरव को कायम रखते हुए
मूर्ति पूजा और रीति रिवाज ढकोसला नहीं
हमारी भक्ति का ढंग है
हम पर हंसने का अधिकार किसी को नहीं
हमारे ग्रंथ अमूल्य धरोहर
हम आक्रमणकारी नहीं
किसी को बरगलाना  और लालच देने वाले नहीं
हम सहिष्णु है
इसका यह मतलब तो नहीं कि
हमें कम आंका जाय
आज तक का दबा हिंदू
गौरवान्वित महसूस कर रहा
सर उठा कर बोल रहा
    गर्व से कहो
                 कि हम हिंदू है

Monday 27 May 2019

नजर को नजरअंदाज मत करिए

नजरों की भी अपनी भाषा होती हैं
जो बिना कहे सब कह जाती है
नजर जब झुकती है
तब उसमें एक शर्म - हया होती है
नजर जब छिपाती है
तब वह लज्जित होती हैं
नजर जब नजर मिलाती हैं
तब वह चुनौती होती हैं
नजर जब स्थिर रहती हैं
तब उदास होती हैं
नजर जब पथराई रहती है
तब दुखों का पहाड़ टूट पडा होता है
नजर जब पलकें हिलाती है
तब वह स्वीकार होता है
नजर जब यहाँ वहाँ देखती हैं
तब वह टालना होता है
नजर जब प्रेम से देखती हैं
तब अपनापन होता है
नजर भी मुस्कराती है
सलाम करती है
शुक्रिया अदा करती है
प्यार महसूस कराती है
क्रोध और घृणा व्यक्त करती हैं
झूमती और गाती भी है
दीवाना बना देती हैं
वह बहुत बडी जादूगर है
हर नजर कुछ कहती है
उनको समझना है
नजर का अपना अंदाज है
इसलिए नजर को नजरअंदाज मत करिए
उसे पढिए
उसमें इतनी ताकत है
वह बिना कहे
सब कह जाती है
नजरों को परखना
नजरों से खेलना
यह भी तो जीवन जीने की कला है

Saturday 25 May 2019

गांधी या गोडसे

चुनाव खत्म हो चुके हैं
परिणाम भी आ गए
जीत सत्ताधारी पक्ष की हुई
वह भी गांधी को आदर देता है
शायद उनके सिंद्धातो को भी
तब गोडसे की चर्चा
उसे राष्ट्रवादी बताना
यानि कहीं न कहीं गांधी हारे है
इस चुनाव में तो यही दिखा है
भोपाल क्या सारे भारत में यही दिखा है
ऐसा तो नहीं यह चुनावी हथकंडे हो
सत्य तो कभी हारता  नहीं है
फिर इस बार ऐसा क्या हुआ
ऐसा तो नहीं
दिखाया कुछ जा रहा है
सुनाया कुछ जा रहा है
राष्ट्रवाद के नाम पर जनता को ठगा जा रहा है
शायद यह एहसास कराया जा रहा हो
अगर गांधी राष्ट्रभक्त थे
तब गोडसे भी है
उनकी राष्ट्रभक्ति पर संदेह क्यों ??
गांधी के हत्यारे होने के कारण वह देशद्रोही तो नहीं हो सकते
यही प्रश्न वर्षों से चल रहा है
इतिहासकारों को इस पर विचार करना होगा

सूरत फिर बच्चों की सूरत नहीं देख पाएगा

बच्चे चीख रहे थे
झुलस रहे थे
आग उनको लील रही थी
लोग नौनिहालो को असहाय होकर देख रहे थे
यह सूरत है
जहाँ सीढी तक उपलब्ध नहीं
आग बुझाने के संसाधनों की कमी
यह हमारे गुजरात का सूरत है
भारत के विकास के माडल गुजरात की
सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति  बन गई
पर जान माल की सुरक्षा के साधनों का अभाव
बच्चे गए थे भविष्य के सुनहरे सपनों की नींव बुनने
वही राख में ढेर हो गये
प्रधानमंत्री भी वही से आते हैं
दुख तो हुआ ही होगा
दुर्घटनाएं होती है
अब तो आए दिन हो रही हैं
इसका जिम्मेदार भी तो कोई होगा
रामभरोसे तो नहीं छोड़ सकते
गगनचुम्बी इमारत तो बन गई
पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है क्या ??
भ्रष्टाचार तो लगता है
भारत में खत्म नहीं होगा
जो चल रहा है
वह तो चल रहा है
आंतकवादियों और दुश्मन से तो निपटा जा सकता है
पर देश के इन दीमको से
वह किसी न किसी रूप में खा जाएँगे
आज सूरत है
कल कोई और
हल्ला गुल्ला होगा
संवेदना और सहानुभूति का दौर चलेगा
केस होगा
कमेटी बिठाई जाएगी
इंतजार किया जाएगा
लोग भूल जाएँगे
जिनके लोग बिछुडे है
वे ताउम्र आंसू बहाएगे
मुआवजे की घोषणा कर
सरकार भी अपना कर्तव्य पूरा कर लेगी

व्हाट्सप

व्हाट्सप से जब मुलाकात हुई
दुनिया जैसे सिकुड़ गई
सुबह होते ही सबसे पहले इसे देखना
किसी का मेसेज आया है क्या ??
फिर रिप्लाय करना
जिसका नहीं उसको गुड मार्निग का संदेश भेजना
हर त्यौहार और पर्व पर याद करना
जन्मदिन ,एन्वर्सरी पर बधाई
हर मौके पर शुभकामनाएं
बातचीत न हो
नापसंद हो
तब भी औपचारिकता निभाने का माध्यम
मूड खराब हो देख कर ठीक कर लो
जब चाहे बात कर लो
यह तो आदत में शुमार हो गया
जब तक न देख ले
बेचैनी कायम
कहीं हम इसके गुलाम तो नहीं बन रहे
पास बैठे हुए व्यक्ति पर ध्यान नहीं
दूर वाले से संवाद साध रहे
घर वालों से मुस्कुरा कर बात नहीं
दूसरों को स्माइली का संदेश
ईश्वर का नाम नहीं ले सकते
उस पर भर भर कर संदेश
ऐसा तो नहीं यह हमे ही सिकुड़ा कर रख दे रहा
फायदेमंद तो साबित हुआ
नजदीकिया भी बढा रहा
पर हमारी अपनी दुनिया को समेट रहा
हम अपनों को नजरअंदाज कर रहे
पास बैठे हुए की उपेक्षा
अपनों की उपेक्षा
यह तो शुभ संकेत नहीं

Friday 24 May 2019

इस बार फिर मोदी सरकार

मोदीजी जीत गए
सब पर छा गए
देश विदेश में धूम
जता दिया
सब पर भारी
हौसला है बुलंद
सपने है बडे
देश को ऊंचाई पर पहुंचाना
जनता ने भी खूब साथ निभाया
सबका साथ सबका विकास
इस सपने को साकार किया
जात पात को छोड़
आप पर विश्वास किया
आॅख मूंद कर अपने चौकीदार पर भरोसा दिखाया
देश की बागडोर आपके हाथ में सौंप दी
अब आपकी बारी है
जिम्मेदारी भारी है
जनता-जनार्दन है
उसका सम्मान करना है
उसको साथ लेना है
बडा दिल रखना है
यह दूसरा मौका है
भरपूर इस्तेमाल करना है
शिकायत का मौका नहीं देना है
ऐसा कर्तब दिखाना है
     कि
अगली बार भी लोग कहे
    इस बार फिर मोदी सरकार

Wednesday 1 May 2019

वह माँ है

वह रोज आती है भागती -दौड़ती
साड़ी ऊपर कुछ खोस कर
लग जाती काम पर
बरतन धोती ,कपड़ें धोती
हाथ चलते मशीन से
झाड़ू उठा घर बुहार चल देती
अगले घर की घंटी बजाने
बुहारते -साफ करते भरी दोपहरी मे निकल पड़ती
थैले मे कुछ बचे -खुचे खाने
पेट भूख से कुलबुला रहा
पर पेट मे नहीं डाला
घर पर बच्चे इंतजार में
माँ आएगी पकवान लाएगी
दूसरे की जूठन, छोड़े हुए खाने
उनके लिए तो लजीज
ऐसा खाना तो देखने को भी तरसे
बाप पी कर धूत पडा है
बच्चों की आस तो वह ही है
उनका पेट भर जाय
वह प्रसन्न  होकर उछाल मारे
उसकी भूख शांत हो गई
थकान गायब हो गई
माँ की ममता उमड रही
गोदी निहाल हो गई
अपने नौनिहालो को निहारती वह धन्य हो गई