Sunday 30 May 2021

गौ माता से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी

🌼 जय गौ माता 🌼
गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी ।

1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।

2. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।

3. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है ।

4. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है ।

5. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते ।

6. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।

7. गौ माता कि एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।

8. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

9. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी  नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है ।

10. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है , उस कुबड़ में सूर्य  केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने  से रोगों का नाश होता है ।

11. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।

12. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।

13. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली  में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे  गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है ।

14. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।

15. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे।

16. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।

17. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है ।

18. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं ।

19. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है ।

20. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक  धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है ।

21. गाय एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी  देवता है ,हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन  नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते  हैं ।

हे मां आप अनंत ! आपके गुण अनंत ! इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुणों का बखान कर सकूं ।

जय गाय माता की
जय सिया राम 🙏

Saturday 29 May 2021

बस साथ- साथ चलो

न तुम  पीछे चलो
न तुम  आगे चलो
सात फेरों की रस्मों  को छोड़ो
बस मेरे साथ - साथ चलो
न मैं  पति परमेश्वर चाहता बनना
न तुमको बनना है देवी
एक सामान्य  सा इंसान
जिसकी अर्धांगनी  हो तुम
नहीं  चाहता  तुम  मेरा अनुकरण  करों
जो मैं  कहूँ  वह करों
तुमको  जो करना है वह करों
स्वतंत्र  रहों विचार  करों
ब्याह कोई बेडी नहीं
यह तो प्यार  का बंधन  है
बहुत  ही नाजुक  भी
बहुत  ही मजबूत  भी
कुछ  दिन या बरस की बात  नहीं
जन्म- जन्म  का साथ है
जवान है तब भी
बूढ़े  होंगे  तब भी
हर सुख दुख
बीमारी  हारी
उतार चढ़ाव
साथ रहकर कांटेगे
यह वादा  रहा मेरा
तुम  न कम न ज्यादा
जैसा मैं  वैसी  ही  तुम  भी
सब पर बराबर  अधिकार
बराबर की भागीदारी
जो भी होगा सब साथ- साथ होगा
न आगे चलो न पीछे
बस साथ साथ  चलो

युद्ध आखिर क्यों ??

जब शांति  के सारे  मार्ग बंद हो जाएं
तब विकल्प  क्या बचता है ??
एक हार मान ले
अपना अधिकार छोड़  दे
संरेडर कर दे
चुपचाप  सहन कर ले
कौरव पांच गाँव  भी देने  को तैयार  नहीं  थे ।शांति  का प्रस्ताव  दुर्योधन  को मान्य  नहीं  था
वह तो युद्ध  ही चाहता था हर कीमत पर
तब किया क्या  जाता
युद्ध  लडना ही विकल्प  बचा था
या फिर सब छोड  वन में  चले जाते
तब भी अर्जुन  को  युद्ध  में  प्रवृत्त  करने के लिए देवकीनन्दन  को भगवत गीता का उपदेश देना पडा
युद्ध  का परिणाम  कभी अच्छा  नहीं  रहता
वह लंका विजय  हो
हस्तिनापुर  हो या फिर  कलिंग  युद्ध
शवों  के  सिवाय कुछ  नहीं
विधवा , बच्चों  की असहायता  के  सिवाय  कुछ नहीं
तब भी युद्ध  तो करना ही पडता है
हो सकता  है  यह मजबूरी  हो
भारत नहीं  करना चाहता पर पाकिस्तान  तो करना चाहता है
एकतरफा  तो कुछ  भी नहीं  होता
न प्रेम न युद्ध
  अधिकार  खोकर  बैठ रहना यह महा दुष्कर्म  है
न्यायार्थ  अपने बंधु को भी दंड देना धर्म  है

Friday 28 May 2021

बाबा रामदेव

बाबा रामदेव  को जब शुरू  शुरू  में  देखा था तब वह कुछ  ठीक नहीं  लगें  । उनका आधा कपडा ,एक झपकती हुई  ऑख ,हंसते  हुए  दांत देखकर ।लगता था यह क्या बंदर सा उछल - कूद कर रहा है ।कैसा महात्मा  है ।ढोंगी  दिखता है ।मंच से औरतों  का सूट पहनकर  भागने वाला ।
        जैसे-जैसे  समय बीता यह धारणा  बदलती गई।
महसूस  होने लगा कि यह बाबा दूसरे बाबाओं  की  तरह केवल प्रवचन देने वाला ,नाचने वाला अपने को भगवान  और महान  बताने वाले बाबा नहीं  हैं ।ये तो कर्मनिष्ठ  बाबा हैं  । योग सिखाने योग गुरु  । धीरे-धीरे टेलीविजन  पर देखना अच्छा  लगने लगा ।रूचि बढती गई। अब आदर निर्माण  होने लगा था धीरे-धीरे।
        योग सिखाते हैं  । लोगों  को  ठीक करते हैं। आयुर्वेद  का प्रचार  कर रहे  हैं  ।करोडों  का टर्न  ओवर
विदेशी  कंपनियों  को मात दे रहे हैं
स्वदेशी  अपनाने  का  आग्रह  कर रहे हैं
लाखों  को रोजगार  दे रहे हैं
देश का पैसा देश में
विकास  में  योगदान
अब लगता है यह बाबा एकदम  सही हैं
और भी बाबाओं  को बाबा रामदेव  की राह पर चलना चाहिए
टेलीविजन  चैनलों  से लेकर हर घर में  छा गये हैं
वह भी प्रवचन  से नहीं  कर्तव्य  से ।

न जाने जिंदगी कब खिलौना बन गई

खिलौनों  से खेलते - खेलते जिंदगी  कब खिलौना बन गई
गुड्डे - गुडिया  , गिल्ली - डंडा ,छुपम- छुपाई
सब समय  के साथ गुम हो गए
पहले हम नाच नचाते थे गुड्डों- गुडियों  को
अब वक्त  नचा रहा हमको
पहले हम डंडे से गिल्ली को उछालते  थे
अब वक्त  का डंडा हमारी खिल्ली  उडा रहा है
पहले हम छुपम - छुपाई खेलते थे
छिपते  - छिपाते थे
आज वक्त  खेल रहा है
कभी धूप कभी छांव कर रहा है
सुख - दुख की ऑख मिचौली में
हम कहीं  खो कर रह गए
जीवन ही खिलौना बन गया
हम उलझ - पुलझ  रह गए
खिलौनों  से  खेलते - खेलते जिंदगी  कब खिलौना  बन गई।

Wednesday 26 May 2021

विधि का विधान

-विधि : विधाता का विधान अटल है
( जिसे कोई ज्योतिष : ज्ञानी - पोथी पंडित-तांत्रिक नही बदल सकता )

भगवान श्री राम जी का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देख कर ही किया गया था (?)

- फिर भी ,
- ना वैवाहिक जीवन सफल हुआ(?)
और :
- ना ही राज्याभिषेक (?)

और जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो (?)

- उन्होंने साफ कह दिया-

------ सुनहु भरत भावी प्रबल ------
------ बिलखि कहेहूं मुनिनाथ ------
------ लाभ-हानि जीवन-मरण ------
------ यश-अपयश विधि हाथ ------

अर्थात :-
जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा👍

* ना भगवान श्री राम जी के जीवन को बदला जा सका (?)

- और :
- ना ही भगवान श्री कृष्ण के कष्ट दुःख:दर्द को बदल सके

* ना ही भगवान शिव -सती की मृत्यु को टाल सके (?)

- जबकि :
" महामृत्युंजय " मंत्र उन्हीं का आह्वान करता है।

* ना श्री गुरु अर्जुन देवजी

* ना श्री गुरु तेग बहादुर जी

और -

* ना ही श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके (?)

- जबकि आप सब समर्थ थे।👍

* रामकृष्ण परमहंस जी भी अपने कैंसर को ना टाल सके।

*स्वामी विवेकानंद को मधु मेह सम्मलित कई बीमारी को रोक नही सके (?)

* ना रावण अपने जीवन को बदल पाया (?)

- और :

* ना ही कंस, जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियां थीं।👍

मानव अपने जन्म के साथ ही -
* जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश और स्थान...
- सब पहले से ही निर्धारित करके आता है।👍

इसलिए -
* सरल रहें,
* सहज रहें,
* मन कर्म और वचन से..
"सद्कर्म" में लीन रहें।

* मुहूर्त ना जन्म लेने का है (?)
-और :
* ना ही मरने का(?)

- फिर शेष सब बकवास - अर्थहीन है

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Tuesday 25 May 2021

सब आजादी है

कहरना  मना है
चीखना- चिल्लाना मना है
शिकायत  करना मना है
बात करना मना है
सांस लेना मना है
पूछना मना है
सवाल  - जवाब  करना मना है
विचार - विमर्श  करना मना है
बस मौन रहना है
ऑखों  पर पट्टी  बांध  कर रहना है
देख कर भी अनदेखा  करना  है
आवाज निकले तो अंदर ही गटक रहना है
उस पर कहा जाता है
सब छूट  है
सब आजादी  है

रफ बुक ???

परिवार  में  रहना और निभाना
त्याग  और बलिदान
सबको समेट  कर  चलना
इतना  आसान  नहीं  होता

हम पढते समय रफ  बुक का उपयोग  करते  हैं
शुरुआत  में  ही  स्कूल- काॅलेज  में  पहले दिन ही
हाथ में  जो होती  है  वह एक बुक
और सब बाद में  बनती है
हर विषय  की अलग-अलग
कवर के साथ साफ - सुथरा
कभी भूल गए  ले जाना
रफ नोट बुक में  लिख लिया
उसके बिना काम  नहीं  चलने वाला

परिवार  में  भी कोई  न कोई  ऐसा होता है
जो सबको अपने  में समाहित  करता  है
उसकी मदद  से सब काम  हो जाते हैं
जिसको भी जरूरत  पडती है
वह उसके  पास आता है

ऐसे व्यक्ति  की वैल्यू  नहीं  होती
न समझ में  आती  है
जैसे रफ बुक
वह न हो तो सारा गणित  गडबडा जाएंगा
मुखिया  का महत्व  तो जग-जाहिर है
पर उस व्यक्ति  का ??

Monday 24 May 2021

मायका भी छूटता है

मायका भी छूटता  है
अगर पिता कहते हैं
अब भाभियाँ  आ गई हैं
उनको पसंद  नहीं  आएगा
आखिर  उनके साथ  ही रहना है
तुम बेटी हो कब तक रहोगी
मायका  भी छूटता है
अगर माँ  कहती है
अब तेरा क्या है यहाँ
हमने इतना कुछ  किया
सारी जिम्मेदारी  पूरी की
अब अपना घर देखो
हम कब तक देखेंगे
मायका  भी छूटता है
जब भाई  कहता है
जब देखो दौड़ी  चली आती है
अपने घर में  रहते नहीं  बनता
भाभियाँ  उपेक्षित  नजरों  से देखती है
नजरअंदाज  करती  है
उनका मुंह  बन जाता है
मायका भी छूटता  है
जब भतीजा- भतीजी  कहते हैं
यह बुआ हमेशा जब देखो आ टपकती  है
सो इरिंटेंटिग
मायका  भी छूटता है
जब रिश्ते दार और पडोसी  कहते हैं
कुछ  बात तो है
जो यहाँ  पडी रहती है
ससुराल  वालों  से पटती नहीं  होंगी

गुरु कुल कैसे खत़्म हो गये ??

*गुरुकुल कैसे खत्म हो गये*❓

आपको पहले ये बता दे कि हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढाई होती थी ! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है । इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें !

01 अग्नि विद्या (Metallurgy)
02 वायु विद्या (Flight)
03 जल विद्या (Navigation)
04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)
05 पृथ्वी विद्या (Environment)
06 सूर्य विद्या (Solar Study)
07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)
08 मेघ विद्या (Weather Forecast)
09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)
10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)
11 दिन रात्रि विद्या
12 सृष्टि विद्या (Space Research)
13 खगोल विद्या (Astronomy)
14 भूगोल विद्या (Geography)
15 काल विद्या (Time)
16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)
17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)
18 आकर्षण विद्या (Gravity)
19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)
20 तार विद्या (Communication)
21 विमान विद्या (Plane)
22 जलयान विद्या (Water Vessels)
23 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)
24 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)
25 यज्ञ विद्या (Material Sic)

*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की । अब बात करते है व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की !*

26 वाणिज्य (Commerce)
27 कृषि (Agriculture)
28 पशुपालन (Animal Husbandry)
29 पक्षिपलन (Bird Keeping)
30 पशु प्रशिक्षण (Animal Training)
31 यान यन्त्रकार (Mechanics)
32 रथकार (Vehicle Designing)
33 रतन्कार (Gems)
34 सुवर्णकार (Jewellery Designing)
35 वस्त्रकार (Textile)
36 कुम्भकार (Pottery)
37 लोहकार (Metallurgy)
38 तक्षक
39 रंगसाज (Dying)
40 खटवाकर
41 रज्जुकर (Logistics)
42 वास्तुकार (Architect)
43 पाकविद्या (Cooking)
44 सारथ्य (Driving)
45 नदी प्रबन्धक (Water Management)
46 सुचिकार (Data Entry)
47 गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)
48 उद्यान पाल (Horticulture)
49 वन पाल (Horticulture)
50 नापित (Paramedical)

यह सब विद्या गुरुकुल में सिखाई जाती थी पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो यह विद्या भी लुप्त होती गयी ! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।

भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद । 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है ।

मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे ।

मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है - “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया | जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी | फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया | उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा- पीटा, जेल में डाला।
1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’ । मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे । उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे न कि राजा, महाराजा ।

गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया । उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था । इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं !

मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा । इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है । अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा । हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।

लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है । दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ॽ  शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी । समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।

संयुक्तराष्टसंघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी ! जिसमे लगभग वो विजय पा चुके क्योंकि आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जनता है । भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है लेकिन पाश्चात्य देशों को नकल करता है ।  सनातन धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।

सभी बन्धुओ से एक चुभता सवाल हमसभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये । क्योंकि धर्म ही हमे राष्ट्र धर्म सिखाती है, धर्म ही हमे समाजिकता सिखाती है, धर्म ही हमे माता - पिता,  गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देती है। सनातन परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते है उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है...

*सनातन धर्म जय हो🙏🚩*

*जयतु गुरुकुलम् , जयतु भारतम् ...*
*स्वदेशी शिक्षा अभियान...*🚩✍️ 🙏🚩
🙏🙏राम राम जी🙏🙏

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Saturday 22 May 2021

चीनी की मिठास

आज भी वह मिठास  कायम है
जुबां  पर उसकी चाशनी का
मीठा  भले छूट गया
पर निशां  अभी बाकी है
वह दीवाली पर गुझिया
वह कप वाली आइसक्रीम
वह पारले जी बिस्किट
वह आंरेज टाॅफी
वह गोलावाले का गोला
वह भगवान  को चढाया  लड्डू
हमेशा  खाने  में  सबसे आगे
मुख  खराब हो
कपडे खराब  हो
रस गिर - गिर कर चुआ हो
वह कपडे की चिचचिपाहट 
आज भी लगती आसपास  है
बचपन छूट  गया  बचपना कायम  है
मीठा  छूट  गया  मिठास कायम  है

तभी तो हमें कहते हैं आदमी

हम फूल नहीं  है जो मुरझा जाएं
थोडे से आंधी - तूफान  से ढह जाएं
हम इतने कोमल नहीं है
कोई  छू दे तो कुम्हला  जाएं
हम वह नाजुक पौधा नहीं
जो जड सहित उखाड़  ले
हमें  तो हर तूफान  को  झेलना आता है
अपनी जडो  को कस कर पकड़ना आता है
हमारा  दिल  फौलाद का है
है छोटा सा पर है मजबूत
दिखते तो हम भी छोटे हैं
जज्बे  बडे बडे
तभी तो हमें  कहते हैं  आदमी

Friday 21 May 2021

Happy international Tea day

चाय केवल चाय नहीं
जीवन का अभिन्न  अंग
सुबह की  शुरुआत  चाय की प्याली से
पूरे दिन ताजगी बरकरार

दोपहर  में  काम करते - करते  थकान
उसको  भगाते है चाय से
नींद की खुमारी 
मुख से ऊबासी
दो घूंट  ली सब गायब

रात को बेड पर  जाने से पहले
जरा चाय  हो जाएं
पच जाएं  खाया - पीया
परिवार  संग बतलाते  - बतियाते 
बिस्किट  हो या पकौड़ा
मीठा हो या नमकीन
सबके साथ यह लगता स्वादिष्ट
ठंडी हो या गर्मी  या फिर बरसात
सब मौसम में  रंग भरता
सर चढकर  बोलता

घर पर मेहमान
तब भी चाय रहती हाजिर
दोस्तों  और कलिग  संग
तब हो जाती बातें  लंबी  - लंबी
कटिंग  चाय  जेब  पर भी नहीं  भारी
टपरी  पर ही चुनाव  चर्चा
देश का कर्णधार  चुनना हो
तब इससे अच्छी  जगह नहीं

महंगी से मंहगी
सस्ती से सस्ती
पांच रूपये से लेकर पांच सौ रूपये
अमीर हो या गरीब
हिन्दू  हो या मुस्लिम
भारत हो या अमेरिका
सभी जगह इसका है बोलबाला
चाय की चहास 
सबसे  हैं  खास

आई रे आई हंसी

कितनी भी हो गमी
फिर भी कायम रखना अपनी हंसी
यह बडी नायाब है
दिल से दिल को जोड़ती है
अंजाने को भी अपना बनाती है
गम तो कुछ  पल का रहता है
इसका साथ तो हमेशा
एक - दूसरे  को पास - पास लाती है
हमेशा  होठों  पर रहती है
आ जाएं  तो रूकती  नहीं  है
मुस्कराती  है खिलखिलाती  है
जीवन रसमय - सुमधुर  बनाती है
यह जब खनकती  है
अपने साथ  वातावरण  को भी खनकाती  है
शरीर  का हर अंग डोलता है
जब खुलकर आती हंसी है
हंसना - मुस्कराना 
जीवन में  नए-नए  तराने छेडना
बस फिर सब मुश्किल  आसान
आई रे आई हंसी
           मस्ती  में  खिलखिलाई  हंसी
तब जिंदगी  भी मुस्कराई

Thursday 20 May 2021

दुनिया जाएं भाड़ में ,हमें क्या पडी

कैसा  विचित्र  है  यह मन
एक जगह टिक कर रहता ही नहीं
न जाने  कहाँ  - कहाँ  विचरण  करता  है
मन विचलित  कर जाता है

कभी चला जाता है मुंबई
कभी महाराष्ट्र  के  सुदूर  इलाकों  में
कभी गुजरात  तो कभी दिल्ली
दिल दहला देने वाली खबरों  को  देखने

कितने लोग  मर रहे हैं
दवा के अभाव  में
ऑक्सीजन  के  अभाव  में
लाशे गंगा में  बहाई जा रही है
श्मसान  - शवगाह  मे जगह नहीं  है

करोना का कहर खत्म  ही नहीं
टावते  आ गया
चक्रवाती  तूफान  और ऑधी के साथ
न जाने  कितने  बेघर  हो गए
कितना कुछ  तहस-नहस  हो गया

कल गोवा आज महाराष्ट्र 
कल गुजरात परसों  हरियाणा
उसके बाद कहीं  और
विनाश की तांडव लीला जारी है
पता नहीं  किसको - किसको  अपने चपेट में  लेंगा

फिर लगता है
हम केवल सोच सकते हैं
कर तो कुछ  नहीं  सकते
फिर भी मनुष्य  तो हैं  न
भावनाएं  हैं  विचार  हैं
मन द्रवित  होता है
अंजाने  के  दुख से भी मन परेशान  होता है
यह तो नहीं  कह सकते
      दुनिया  जाएं  भाड़  में
              हमें  क्या पडी
हम  भी  इसी का हिस्सा  है
     सर्वे भवन्तु सुखिनः
     सर्वे  संतु निरामया 
     सर्वे भद्राणि पश्यंतु
     माँ  कश्चित् दुख भाग भवेत

अलविदा डाॅक्टर के के अग्रवाल सर

यह कहने वाले के के अग्रवाल चले गए
SO WHAT ??
क्या गजब का अपनापन  था
बात करते ही डर  छू मंतर
करोना ही नहीं  भय को भी भगाया
न जाने  कितने  करोड़  लोगों  को उनकी सलाह से फायदा हुआ
उनकी  शुरूआत  सेनेटाइजर  से हाथ धोने से लेकर बात करने तक
घर का भी अपनत्व से हालचाल पूछना
किसी बच्चे  का दादा या नाना बन बात करना
घर में  किस तरह रहना
ऑक्सीजन  लेवल किस तरह चेक करना
न जाने  कितनों  ने अस्पताल  जाने की बजाय घर में  ही रह उनकी सलाह मानी
ठीक भी हुएं
उनका हंसते - मुस्कराते  बात करना
पानी- चाय  की  चुस्कियां  लेते या कुछ चबाते
बातचीत  करना
ढाढ़स  बंधाना
दो साल के करीब  हो रहा है पर हर दिन तीन - चार बार लोगों  के  सामने आना
अगर ज्यादा  गंभीर  हो तो व्यक्तिगत रूप से बात करना
बीमारी  में  भी विश्राम  नहीं
मानवता के ऐसे  सेवक  बिरले ही  होते हैं
जब लोग अंधाधुंध  कमाने की और पेन्डामिक  का फायदा उठाने की कोशिश  कर  रहे हो
ऐसे  समय में  भी एक देवदूत  बन लोगों  को  दिन रात सलाह दे रहा हो
अच्छा  कर रहा हो
बहुत  बडी क्षति है  यह देश की
डाक्टर  साहब  आप  को जाना नहीं  था
ऐसे समय में  तो आपकी जरूरत  है
पर नियति के आगे किसकी चलती है
सबको जीवन दान  देने  वाला आज स्वयं  का ही जीवन खो बैठा
करोना  ने इतना कुठाराघात  किया है
हमारे  डाॅक्टर  को भी छीन ले जा रहा है
अलविदा  डाॅक्टर  साहब
पर आपका यह कहना
SO WHAT??
हम नहीं  भूलेंगे
बीमारी  ही नहीं  किसी भी बात में
हो गया तो क्या हुआ  ।घबराने की कौन-सी बात।
सब ठीक  हो जाएंगा ।
पर आपका जाना ठीक नहीं  हुआ ।