माँ से आखिरी समय में मिल न सके इरफान
वह रूखसत न कर सके अपनी अम्मी को
वह इच्छा अधूरी रह गई लाकडाऊन के कारण
अंतिम समय में माँ ही दिखाई दी
अम्मा ने बुलाया है उनका अंतिम वाक्य
ऐसे नहीं तो वैसे ही
चल दिए अपनी अम्मी के पास
माँ भी अपने बेटे का दुख नहीं दे सकी
कलेजे का टुकड़ा परेशान था
बीमार था
कैंसर ग्रस्त था
माँ ने बुला लिया
और वह सारे बंधन तोड़ उस रास्ते से निकल गए
जहाँ कोई रोक टोक नहीं
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Thursday 30 April 2020
अम्मा मुझे लेने आई है - इरफान
अलविदा त्रृषि कपूर
जाना तो सभी को है
पर इस तरह चला जाएगा
इसका अंदेशा तो किसी को नहीं था
बाॅबी का वह युवा नौजवान
अभिनय के विद्यालय मे ही जन्म
राजकपूर के खानदान का चिराग
अभिनय का लोहा मनवाया
सदाबहार और जिंदादिल
हंसी से लबरेज चेहरा
शालीन और सभ्य
प्रेमरोग और कभी-कभी के युवा अभिनेता को
कौन भूल सकता है
हमेशा युवाओं में छाए रहे
आज भी उन्हें देखने पर वह युवा अभिनेता ही दिखते थे
अस्सी के दशक के लोकप्रिय
रोमांटिक हीरों
लगभग उस समय की हर नई नायिकाओं के साथ काम
अपना एक अलग जुनून
सबसे अलग हटकर
एंग्री यंगमैन के जमाने में परदे पर प्यार करता हीरों
मासूमियत से भरा उस चेहरे पर भला
कौन फिदा नहीं होता
वह इस तरह बिदा हो जाएगा
बिना कुछ आभास दिए
बहुत बडी क्षति है
कल इरफान
आज त्रृषि कपूर
दो हजार बीस और क्या दिखाने वाला है
यह तो मालूम नहीं
ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे
यही दुआ कर सकते हैं
जानेवाला चला गया
बस यादें छोड़ गया
अलविदा इरफान भाई
अब इरफान खान नहीं रहे
बेहतरीन एक्टर
अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाला
उनकी फिल्मों का इंतजार रहता था दर्शकों को
वे कोई सुपर स्टार नहीं थे
पर दर्शकों के दिल पर अवश्य राज करते थे
एक आम आदमी अपनी छवि देखता था
उनके अभिनय ने उन्हें ऊंचाईयो पर ला खडा कर दिया
उस ऊंचाई पर जहाँ दूसरे पहुंचने की लालसा रखते हैं
पचास पचपन की उम्र कोई जाने की उम्र नहीं होती
अभी तो उन्हें बहुत काम करना था
पर नियति के आगे तो किसी की नहीं चलती
अब न इरफान रहे न उनकी फिल्मों का इंतजार रहा
अल्ला ताला उनकी आत्मा को शांति दे
जब जब उनकी फिल्मों को देंखेगे
तब तब वह याद आएंगे
ऐसे शख्स को भूला तो नहीं जा सकता
सदियों तक वह अपनी फिल्मो के माध्यम से छाए रहेंगे
अलविदा इरफान भाई
Wednesday 29 April 2020
उन पशुओं की भी तो सोचे
आज हम घरों में बैठे हैं
अपने अपने घरों में
सुकून से आराम से
मन मर्जी से खा पी रहे हैं
मनोरंजन कर रहे हैं
फिर भी एक मायूसी है
बेचैनी छायी है
क्योंकि हम बाहर नहीं निकल पा रहे हैं
आज मोर और हिरन
नाच रहे हैं
कुलांचे भर रहे हैं
कभी हमें ऐसा लगा
कि हमने सदियों से जानवरों को कैद कर रखा है
उनके गले में फंदा डाल रखा है
पैरों में बेडियाँ
पिंजरे में कैद कर रखा है
सर्कस में नचा रहे हैं
खाना पानी और देखभाल कर रहे हैं
पर वह अपने स्वार्थ के लिए
उनका घर जंगल काट डाला
कभी-कभी वे बाहर आते हैं
तब दौडा दौडा कर मार डालते हैं
आज हम अपने घर में भी बंदी महसूस कर रहे हैं
तब उन पशुओं की भी तो सोचे
Tuesday 28 April 2020
दिल और दिमाग
दिल और दिमाग
दोनों एक ही शरीर में
दोनों एक-दूसरे से बिलकुल अलग
जो दिल कहता है
वह दिमाग़ माने यह जरूरी नहीं
कभी-कभी दिमाग दिल के आगे हार जाता है
सब कुछ जानते समझते हुए भी
वह बहुत कुछ कर जाता है
जो नहीं करना चाहिए
दिल हार सकता है
दिमाग नहीं
दिल हमेशा जीता है
कभी-कभी लोग अपने आप को ठगा भी महसूस किया है
लगता है
यह हमने क्या किया
जब दिल 'दिमाग पर हावी हो जाता है
तब तो उसकी ही चलती है
सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है
वैसे ही दिल जिसको चाहता है
उस पर सब लूटा देता है
किसी के कहने का कोई असर नहीं होता
वह हार या जीत की परवाह नहीं करता
पतंगे को पता है
वह दिए के पास जाएंगा तो मरना ही है
फिर भी वह जाता है
भौंरा कमल के पास जाता ही है
दिमाग वाले धोखा तो नहीं खाते
अच्छा बुरा सोच कर आगे कदम रखते हैं
वह व्यापारी जैसे होते हैं
फायदा और नुकसान देख कर काम करते हैं
घाटे का सौदा नहीं करते
पर जीवन तो व्यापार नहीं है
उसमें एक छोटा सा खूबसूरत दिल बसता है
वह त्याग करता है
दूसरो की खुशियों में खुशियाँ ढूढता है
कभी रोता है
कभी हंसता है
कभी लूट जाता है
पर फिर भी दिल तो दिल है
उसी से तो दुनिया है
क्या मीडिया बिक चुका है
प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ हमारा मीडिया
इस समय कर क्या रहा है
कौन सी पत्रकारिता कर रहा है
केवल जी हुजूरी कर रहा है
किसी को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है
अपनी रोटियाँ सेंकने के लिए
क्या वास्तव में बिक चुका है हमारा मीडिया
कुछ जो ईमानदारी से काम करते हैं
ओझल भी हो जाते हैं
उनको भूला भी दिया जाता है
टिकते वही है जो चापलूस हो
दरबारी संस्कृति हो गयी है
जिसकी सरकार उसका गुणगान
सोनिया गाँधी को कटघरे में खड़ा कर दिया
अर्णव गोस्वामी ने
उन पर हमला करवाने के आरोप में
वे कोई गुंडा और बदमाश है क्या
प्रतिपक्ष की नेता है
बुजुर्ग महिला है
कभी भी शालीनता की सीमा नहीं तोड़ी
इटली की बेटी भारत की बखूबी बहू बनी
आज तक वह यही हैं
इटली नहीं गई हैं
कब तक उनको विदेशी कहा जाएगा
और अब तो इस पत्रकार ने हद कर दी
पैसे के पीछे भागना
इसी देश में तेलगी का भंडाफोड हुआ है
वह पत्रकार कोई बडा भी नहीं था
न पैसे वाला था
पर फिर भी किसी दवाब के आगे झुका नहीं
ऐसे अब इक्के-दुक्के ही है
गोस्वामी जी तो पूरा चैनल चलाते हैं
पैसा कहाँ से आया
यह भी जानना चाहिए
केवल चिल्लाकर और दबाने से सच्चाई बदल नहीं जाएंगी
जनता सब देख रही है
समझ रही है
फिर सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं
आज नहीं तो कल
आकाश आ जा मेरी बाहों मे
आज पैर जमीन पर
कल शायद इनकी उडान तुझ तक होगी
आंकाक्षा है गगन चूमने की
स्वप्न को साकार करने की
सपने बडे है
इच्छाओं का कोई अंत नहीं
मन में विश्वास है
आशा का संमुदर लहरा रहा है
आज नहीं तो कल
वह भी समय आएगा
जब आकाश मेरी मुठ्ठी में होगा
Monday 27 April 2020
आज वक्त है
आज वक्त है
बहुत कुछ करने का
वह जो पहले कभी नहीं किया
घर की खिड़की से चांद तारों को निहार ले
पेड़ो को झूमते हुए देख ले
सरसराती हवा को जी भर कर पी ले
सूर्य की धूप को महसूस कर ले
जरा अपने अजीज से दिल खोल कर मिल ले
आज तक जिन्हें फोन करने का समय नहीं था
उनकी भी घ॔टी बजा कर हाल-चाल ले लो
कुछ किताबें जिन पर धूल जम गई है
उन पर झाडन कर जरा पढ लो
कुछ पुराने अलबम को खोल कर देख लो
पुरानी यादें ताजा कर लो
कुछ अनसुनी अनकही बातें भी याद कर लो
बचपन को भी महसूस कर लो
जो साथी छूट गए हैं
उन्हें भी थोड़ा याद कर लो
कुछ देश की बातें
कुछ दुनिया की बातें भी जान लो
समाचार भी देख लो
भक्ति संगीत भी सुन लो
कुछ ध्यान लगा लो
ईश्वर से भी नाता जोड़ लो
अब तक तो बहुत व्यस्त थे
आज वक्त है
बहुत कुछ करने का
वह जो पहले कभी नहीं किया
क्योंकि समय नहीं मिला
आज मिला है
कुछ तो सदुपयोग कर लो
मेरे बेटे को मुझसे मिला दे
अभी बडा हो गया है
छोटा बच्चा है क्या
एक ग्लास पानी भी लेकर नहीं पी सकता
हर वक्त माँ माँ की रट लगाए रहता है
कल कहीं अकेले रहना पडा तो ??
माँ आज मैं यहाँ अकेला पडा हूँ
मुझे तो कुछ आता ही नहीं
वह कामवाली बाई
जो तुमने रखी थी वह आ नहीं सकती
टिफ़िन सर्विस बंद
तुम्हारी दिए हुए मठरी 'लड्डू सब खत्म
मैगी और पास्ता भी नहीं मिल रहे
मैं कभी-कभी भूखा ही सो जाता हूँ
सुबह देर तक सोता हूँ
ताकि ज्यादा न खाऊँ
कुछ आटा 'दाल 'चावल 'तेल 'मसाला
खरिद लाया हूँ
उसी में काम चला रहा हूँ
खाना स्वादिष्ट तो क्या
बस पेट भरने लायक हो जाता है
जब बैठता हूँ खाने तो
तुम्हारे खाने की सौंधी महक कहीं से आ जाती है
और वह बेस्वाद गटक लेता हूँ
झाडू पोछा लगाता हूँ
कपड़े भी धोता हूँ
खरिदारी भी करता हूँ
नहीं तो कैसे काम चलेगा
तुम तो हो नहीं
लाकडाऊन चल रहा है
मन मिलने को बेचैन है
तुम्हारे हाथ का खाने को बेचैन है
तुम्हारी गोदी में सर रखकर सोने को बेचैन है
तुम्हारी डांट सुनने को बेताब है
बस अब भागकर तुम्हारे पास आ जाऊं
यह लाकडाऊन खुल जाय
और मैं तथा तुम चैन की सांस ले
वहाँ तुम बेचैन
यहाँ मैं
कुछ चारा नहीं है
प्रतीक्षा करनी है
तुम्हारी तो भगवान सुनता है
जरा उससे बोलो
मेरे बेटे को मुझसे मिला दे
माँ जैसा कोई नहीं
न पिता न पति
न सास न ससुर
न भाई न भाभी
न बेटा न बेटी
न बहू न दामाद
न दोस्त न नाते रिश्तेदार
न पडोसी न सहकर्मी
ये चाहे कितने भी अजीज क्यों न हो
माँ तुम्हारी जगह तो कोई ले ही नहीं सकता
हर रिश्ते की हिफाजत करें
तभी वह टिकता है
पर तुम्हारे रिश्ते में ऐसा नहीं
हम कैसे भी हो
पर माँ तो माँ होती है
तुम्हीं से तो जीवन शुरू
नाल काटकर अलग कर दिया जाता है
पर तुम्हारा रिश्ता चट्टान से भी मजबूत
एक बार ईश्वर पर से विश्वास उठ सकता है
वह मदद करेगा या नहीं
पर माँ तुम पर से नहीं
पता है मेरी माँ हर मुश्किल घडी में साथ खडी रहेंगी
कितनी भी नाराज हो
कितनी भी क्रोधित हो
कितना भी हमारे द्वारा अपमानित हो
फिर भी
हर कीमत पर
वह जन्मदात्री है
जब तक माँ होती है
तब तक कितना भी वयस्कर क्यों न हो जाय
वह तो बच्चा ही रहता है
बहुत बडी नियामत है माँ
कहते हैं कि
ईश्वर नहीं आ सकता पृथ्वी पर
तो उसने माँ को भेज दिया
एक प्रसिद्ध रचनाकार का कहना
स्वामी तीन जगाचा
आई विना भिकारी
यानि तीन जग भी मिल जाय
पर माँ बिना तो वह भिखारी ही है
Sunday 26 April 2020
थोड़ा थम जाओ ऐ मुसाफिर
थोड़ा रूक जाओ
थोड़ा थम जाओ
थोड़ा आराम फरमा लो
थोड़ा गिले शिकवे कर लो
थोड़ा अपनों से बतिया लो
थोड़ा घर को भी आबाद कर लो
कुछ दिनों की तो बात है
फिर वही रौनकें होगी
वही गाडियाँ दौड़ लगाएंगी
वही मोटर साइकिल फर्राटे भरेंगी
वही रेलगाड़ी पटरी पर दनदनाती जाएंगी
वही हवाई जहाज उडान भरेंगे
सब होगा
दिन भी व्यस्त
रात भी जगमग
पहाड़ की रौनक वही
वही सुबह की सैर
वही आपस में मिलना-जुलना
यह तब जब सब सलामत
सलामत तब जब लाकडाऊन का पालन
आज दूर हैं
कल पास होंगे
बस थोड़ा सा और इंतजार
तब तक थोड़ा रूक जाओ
थोड़ा थम जाओ
ऐ मुसाफिर
मंजिल कठिन है
पर दूर नहीं है
संकट की घड़ी है
सब्र से काम लेना है
स्वयं को अनुशासित रखना है
यह वक्त भी जाएंगा
पुराने दिन भी लौट के आएंगे
हमारे सफेद और खाकी
कभी खाकी कभी सफेद
यह रक्षा करने में रहते हर वक्त तत्पर
सुकून से जीते हम
पता है हमको
मुसीबत की घडी में साथ देंगे ये
जीवन रक्षक हैं हमारे
निश्चिंत रहते हम
ये ईश्वर तो नहीं है
पर उनसे कम भी नहीं है
जीवन की आस बंधी रहती इनसे
आशा और विश्वास रहता इन पर
कठिन परिस्थिति से ये तो हमें उबार ही लेंगे
निर्भिक रहते हैं हम
ये वैसे तो हमारे कुछ लगते नहीं है
पर कुछ खास रिश्ता होता है इनसे
तभी तो मुसीबत की घडी में ये ही याद आते हैं
ये रहे सलामत
तब हम भी रहेंगे सलामत
इनकी सलामती की दुआ हर देशवासी के मन में
सलामत रहे
हमारे सफेद और खाकी
यह इनकी पहचान
इनका करना हमेशा सम्मान
कुछ भी न बोलो
कभी-कभी मन करता है
कुछ न बोलो
कुछ भी न बोलो
बस खामोश रहो
न किसी से सवाल
न किसी से जवाब
न किसी से उलझना
न किसी से तर्क वितर्क
बस सबसे दूर
अपने आप में मशगूल
तब कितनी शांति
न झिकझिक
न टिक टिक
न कोई झंझट
न कोई तकरार
न इकरार
न इसरार
तब कितनी शांति
यह शांति शायद किसी को रास आती
किसी को नहीं
लेकिन फिर भी कुछ बात तो है
खामोशी भी लाजवाब है
कभी-कभी मन करता है
कुछ न बोलो
कुछ भी न बोलो
Saturday 25 April 2020
प्यार की भाषा
यह शरारत से भरी ऑखे कुछ कहती है
यह मुस्कराते से होठ कुछ कहते हैं
यह घुंघराले से लहराते केश कुछ कहते हैं
यह खनखनाती चूडियों की आवाज कुछ कहते हैं
यह पायल की छम छम कुछ कहती हैं
यह माथे की झिलमिलाती बिंदिया कुछ कहती हैं
यह दमकता चेहरा कुछ कहता है
यह मस्तानी चाल कुछ कहती है
यह झनझनाती हंसी कुछ कहती है
यह कोयल सी मीठी बोली कुछ कहती है
सबकी भाषा एक ही
सबका सुर एक ही
सबका कारण एक ही
वह है प्यार
जिसको प्यार मिल गया
उसका पूरा जीवन ही खनक गया
यही तो बात है
👌 *लाजवाब लाईन*👌
*एक बार इंसान ने कोयल से कहा*
*"तूं काली ना होती तो*
*कितनी अच्छी होती"*
*सागर से कहा:-*
*"तेरा पानी खारा ना होता तो*
*कितना अच्छा होता"*
*गुलाब से कहा:-*
*"तुझमें काँटे ना होते तो*
*कितना अच्छा होता"*
*तब तीनों एक साथ बोले:-* *"हे इंसान अगर तुझमें दुसरो की कमियाँ देखने की आदत ना होती तो तूं कितना अच्छा होता...*🙏
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जीवन एक इंद्रधनुष है
आज गम कल खुशी है
जीवन एक इंद्रधनुष है
न जाने कितने रंग समाए
हर रंग की अपनी एक कहानी है
कभी हंसता कभी रोता
यह समय के साथ बहता जाता
इसका न कोई ओर छोर
यह अपने आप एक पहेली है
कल क्या हो
यह कोई नहीं जानता
कब और कैसे
यह भी खबर नहीं
कब आसमान पर बादल छा जाय
कब छंट जाय
यह भी तो पता नहीं
घना कोहरा छाया हो
उसमें भी आशा की एक किरण
कब रंग धूमिल पड जाय
कब झिलमिल झिलमिल करने लगे
कब तारों की बारात निकले
कब चंदा की चाँदनी दूधिया रंग बिखेरे
कब सूरज की लालिमा जीवन को रास आ जाएं
कब बरखा रानी फुहारो की बरसात करें
तपती धरती को तृप्त करें
कब जीवन में इंद्रधनुषी छटा निखरे
यह कोई नहीं जानता
आज गम कल खुशी है
जीवन एक इंद्रधनुष है
Friday 24 April 2020
मनुष्य किसे कहतेहैं
आप बडे ओहदे पर हो
डाॅक्टर हो
इंजीनियर हो
अफसर हो
कोई फर्क नहीं पड़ता
अगर इंसानियत न हो
केवल पैसे को महत्व देते हो
गरीब अमीर का भेदभाव करता हो
निंदा और चुगलखोरी में हो
भ्रष्टाचार में लिप्त हो
लोगों के जीवन से खिलवाड़ करता हो
वह तो समाज के मुंह पर तमाचा है
आप धनाढ्य तो हो सकते हैं
पर मानव नहीं
वह मनुष्य क्या मनुष्य है
जो किसी के काम न आ सके
हम कहाँ से कहाँ पहुँच गए
लाॅकडाउन है
घर में ही रहना है
परसो अचानक कोई गलती से बटन दब गया
टी वी बंद हो गया
इतना परेशान कि क्या करें समझ नहीं आ रहा था
फोन किया एक पडोस में रहनेवाले को
उन्होंने कुछ इधर-उधर किया
टेलीविजन चालू हो गया
जान में जान आई
फ्रीज भी आज अचानक बंद पड गया
सब सामान बाहर निकाला
व्यवस्थित किया
थोड़ी परेशानी हुई
पर हो गया है सैटल
सोचने लगी
टेलीविजन जितना परेशान नहीं हुई
फ्रिज खराब होने पर
हम कितना गुलाम हो गए हैं
वह जमाना बीता
जब दाल चावल रोटी भाजी
रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल
आज उनकी जगह
पिज्जा 'ब्रेड ने ले ली है
तब यह था
जिसको खाना हो खाए
न खाना हो न खाए
खाना पडता ही था
संयुक्त परिवार था
किसी का नाज नखरा नहीं उठाना
आज एकल परिवार
एक या दो बच्चे
जिद पूरी ही करनी है
फ्रिज भरा रहता है
साॅस आ गया चटनी की जगह
चीज 'मक्खन अब जब चाहे तब उपलब्ध
फ्रिज बिना बात नहीं बनती
टेलीविजन बिना मन नहीं लगता
हम कहाँ से कहाँ पहुँच गए
Wednesday 22 April 2020
वहाँ भूलकर भी न जाए
क्या बोलना है
कब बोलना है
कैसे बोलना है
किससे बोलना है
यह हर व्यक्ति को सीखना चाहिए
बोल बडे - बडे
अंदर से खोखला
बड़बोलापन कभी अच्छा नहीं होता
कडवे बोल कभी मीठे नहीं लगते
असत्य कभी सत्य नहीं हो सकता
जो तुम्हारी इज्जत न करें
जो उपेक्षा करें
जो अपमान करें
जो न समझे
वहाँ भूलकर भी न जाए
Tuesday 21 April 2020
प्रेम से बोलो जय श्री राम
एक आदमी ❄बर्फ बनाने वाली कम्पनी में काम करता था___
एक दिन कारखाना बन्द होने से पहले अकेला फ्रिज करने वाले कमरे का चक्कर लगाने गया तो गलती से दरवाजा बंद go हो गया
और वह अंदर बर्फ वाले हिस्से में फंस गया..
छुट्टी का वक़्त था और सब काम करने वाले लोग घर जा रहे थे
किसी ने भी अधिक ध्यान नहीं दिया की कोई अंदर फंस गया है।
वह समझ गया की दो-तीन घंटे बाद उसका शरीर बर्फ बन जाएगा अब जब मौत सामने नजर आने लगी तो
भगवान को सच्चे मन से याद करने लगा।
अपने कर्मों की क्षमा मांगने लगा और भगवान से कहा कि
प्रभु अगर मैंने जिंदगी में कोई एक काम भी मानवता व धर्म का किया है तो तूम मुझे यहाँ से बाहर निकालो।
मेरे बीवी बच्चे मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। उनका पेट पालने वाला इस दुनिया में सिर्फ मैं ही हूँ।
मैं पुरे जीवन आपके इस उपकार को याद रखूंगा और इतना कहते कहते उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे।
एक घंटे ही गुजरे थे कि अचानक फ़्रीजर रूम में खट खट की आवाज हुई।
दरवाजा खुला चौकीदार भागता हुआ आया।
उस आदमी को उठाकर बाहर निकाला और 🔥 गर्म हीटर के पास ले गया।
उसकी हालत कुछ देर बाद ठीक हुई तो उसने चौकीदार से पूछा, आप अंदर कैसे आए ?
चौकीदार बोला कि साहब मैं 20 साल से यहां काम कर रहा हूं। इस कारखाने में काम करते हुए हर रोज सैकड़ों मजदूर और ऑफिसर कारखाने में आते जाते हैं।
मैं देखता हूं लेकिन आप उन कुछ लोगों में से हो, जो जब भी कारखाने में आते हो तो मुझसे हंस कर
*राम राम* करते हो
और हालचाल पूछते हो और निकलते हुए आपका
*राम राम काका*
कहना मेरी सारे दिन की थकावट दूर कर देता है।
जबकि अक्सर लोग मेरे पास से यूं गुजर जाते हैं कि जैसे मैं हूं ही नहीं।
आज हर दिनों की तरह मैंने आपका आते हुए अभिवादन तो सुना लेकिन
*राम राम काका*
सुनने के लिए इंतज़ार
करता रहा।
जब ज्यादा देर हो गई तो मैं आपको तलाश करने चल पड़ा कि कहीं आप किसी मुश्किल में ना फंसे हो।
वह आदमी हैरान हो गया कि किसी को हंसकर
*राम राम* कहने जैसे छोटे काम की वजह से आज उसकी जान बच गई।
*राम कहने से तर जाओगे*
मीठे बोल बोलो,
संवर जाओगे,
सब की अपनी जिंदगी है
यहाँ कोई किसी का नही खाता है।
जो दोगे औरों को,
वही वापस लौट कर आता है।
तो बोलो जय श्रीराम राम ।
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यही एक सवाल
कब उठे और कब सोये
आजकल यह याद नहीं
कब रात हुई कब सुबह हुई
आजकल यह याद नहीं
क्या काम हुआ क्या बाकी
आजकल यह याद नहीं
बस किसी तरह दिन काट रहे
खा रहे हैं
कितना खाया क्या खाया
आजकल यह याद नहीं है
सब कुछ गडबडझाला है
लगता है निकम्मापन छाया है
वही वही हर रोज वही
हर पल वही
बस कान एक खबर सुनने को बेताब
कब बंदिशो पर लगेगा लगाम
कब जिंदगी फिर होगी खुशगवार
कब ढर्रे पर लौटेगी जिंदगी
कब पहले वाले रात और दिन होंगे
बस सबके मन में है
यही एक सवाल
जिसने अपने को खोया हो
वक्त के साथ आॅसू भले ही सूख जाए
पर अपनो को भूलाना आसान नहीं होता
चिता के साथ शरीर तो जल जाता है
पर वह अशरीर हमेशा पास रहता है
जिसके साथ जीवन के सुनहरे पल कांटे हो
लडे हो ,झगड़े हो
रूठे हो ,नाराज हुए हो
मानमनौवल किया हो
सुख दुख बांटे हो
हंसा और खिलखिलाया हो
उसकी नादानियो पर मुस्कराया हो
उसकी हर गलती माफ की हो
जम कर गुस्सा उतारा हो
थपेडे दिए हो
गले से लगाया हो
जी भर कर प्रेम लुटाया हो
अपना सर्वस्व लुटाया हो
पूरा अधिकार जताया हो
जिसके अलग होने की कल्पना से ही रूह कांप उठी हो
वह अपना अजीज जब छोड़कर जाता है
तब वह अपने साथ हमारा मन भी ले जाता है
हमें रिक्त कर जाता है
वह घाव दे जाता है
जो कभी नहीं भरता
मन के किसी कोने में छिपा रहता है
समय समय पर टीसता रहता है
यह दर्द हर कोई नहीं समझ सकता
वही समझ सकता है
जिसने अपने को खोया हो
Sunday 19 April 2020
तब ही देश का विकास
हम मंदिर के लिए
हम मस्जिद के लिए
हम गिरजाघर के लिए
हम गुरूद्धारा के लिए
न जाने कितनी जमीन का उपयोग
न जाने कितने खर्च
न जाने कितने ताम झाम
बडे बडे समारोह
बडे बडे भंडारे
आज सब बंद है
आज जीवन की दरकार है
जीवन बचाने की है
नेताओं की मूर्तिया
महान पुरूषों की मुर्तियाॅ
वह सब वीरान है
आज काम आ रहा है
तो वह अस्पताल है
हर इलाके में अस्पताल हो
जन जन का इलाज हो
सबको रोटी और दवा नसीब हो
अस्पताल और विद्यालय
भोजन और मकान के बाद
सबकी जरूरत
जब देश स्वस्थ रहेगा
जब देश शिक्षित रहेगा
तब ही देश का विकास होगा
इंसान को इंसान से दूर
कैसे लोग दूर हो गए
सबको अपनी जान प्यारी
तब क्यों कोई
मोल ले यह बीमारी
किसी ने खांसा
तो दोस्त ने गोली चला दी
यह कहकर
क्या करोना देकर जाएंगा
पत्नी और बेटी ने
शव लेने से इंकार कर दिया
क्योंकि वे करोना ग्रसित थे
पुलिस ने अंतिम संस्कार किया
घर में ही अपने अजीज से दूर
हाथ नहीं लगाना है
दूरी बनाना है
कोई सडक पर गिर पडा है
खांस खांस कर परेशान है
मुहल्ले वाले भाग रहे हैं
डाॅक्टर मोहल्ले की शान समझा जाता था
आज वह भी शक के घेरे में
घर काम वाली
हमारा आधार
दूध वाला जिसका
हमेशा इंतजार
आज वह गेट पर ही टंगी हुई
थैली में डाल कर टला जाता है
यह दिन भी देखना पडेगा
यह तो सोचा न था
इंसान को इंसान से दूर
एक जीवाणु
यह कितना ताकतवर है
हिंदू धर्म की कुछ बातें
पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन
4. नकुल। 5. सहदेव
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )
यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )
"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
अधूरा ज्ञान खतरना होता है।
33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं। ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है
This is very good information for all of us ... जय श्रीकृष्ण ...
अब आपकी बारी है कि इस जानकारी को आगे बढ़ाएँ ......
अपनी भारत की संस्कृति
को पहचाने.
ज्यादा से ज्यादा
लोगो तक पहुचाये.
खासकर अपने बच्चो को बताए
क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...
📜😇 दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !
📜😇 तीन ऋण -
देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !
📜😇 चार युग -
सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !
📜😇 चार धाम -
द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !
📜😇 चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !
📜😇 चार वेद-
ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !
📜😇 चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !
📜😇 चार अंतःकरण -
मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !
📜😇 पञ्च गव्य -
गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !
📜😇 पञ्च देव -
गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !
📜😇 पंच तत्त्व -
पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !
📜😇 छह दर्शन -
वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !
📜😇 सप्त ऋषि -
विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!
📜😇 सप्त पुरी -
अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !
📜😊 आठ योग -
यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !
📜😇 आठ लक्ष्मी -
आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !
📜😇 नव दुर्गा --
शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !
📜😇 दस दिशाएं -
पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !
📜😇 मुख्य ११ अवतार -
मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !
📜😇 बारह मास -
चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !
📜😇 बारह राशी -
मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
मीन!
📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -
सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !
📜😇 पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !
📜😇 स्मृतियां -
मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !
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