Friday 30 August 2019

प्रशंसक और आप

सुनना और अच्छा सुनना
किसे अच्छा नहीं लगता
अपनी प्रशंसा अपनी तारीफ
अलोचना तो किसी को भी नहीं भाता
हम इंसान जो है
हमेशा प्रशंसा ही मिले
यह जरूरी तो नहीं
जीवन के हर एक मोड़ पर इन दोनों से गुजरना ही है
आप चाहे या न चाहे
एक ही काम के लिए दोनों तैयार रहते हैं
प्रशंसक के साथ आलोचक भी
इसको सहज भाव से स्वीकारने में ही समझदारी
यह तो होना ही था
कुछ तो लोग कहेंगे ही
उनको आप चुप नहीं कर सकते
आपका काम आपकी उपलब्धि
आपकी तारीफ करेगा
तरक्क़ी के राह में रोड़े भी तो आएगे
यह मत भूलिए
हर कोई आपका शुभचिंतक नहीं हो सकता
द्वेष और ईर्ष्या से ग्रसित भी
आपकी उन्नति
आपके अपनो की ऑखों में चमकती है
दूसरों को तो खटकेगी ही
तब सब छोड़कर
विश्वास ,लगन और मेहनत से लग जाइए
प्रशंसक आपकी प्रशंसा को तैयार

अरुण जेटली

एक और सच्चाई !!

     शायद बहुत कम लोगो को पता हो, वो जब-जब जेटली जी मिनिस्टर रहे उन्होंने 1 रु प्रति माह वेतन लिया ! वो अपनी बहुत बड़ी लॉ फर्म के मालिक थे...प्रति माह उनकी करोड़ो रु की इनकम थी और वो अपनी निजी 4 करोड़ की गाड़ी पर ऑफिस आते थे.... मंत्रालय की गाड़ी से नहीं...

         जिस दिन उन्होंने मोदी जी को लिखा कि उन्हें अब किसी भी पद पर न रखा जाये... उसी दिन सरकारी बंगला छोड़ वह अपने निजी कैलाश कॉलोनी वाले मकान में शिफ्ट कर गए !

      राजनीति उनका जूनून और समर्पण था, पैसा कमाने का जरिया नही ! जिसे उन्होंने बड़ी ईमानदारी से  जिंदगी के अंतिम समय तक निभाया....

नमन जेटली जी !!
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Thursday 29 August 2019

राहुल गांधी का कश्मीर पर नजरिया

राहुल गांधी ने कश्मीर के बारे में अपने विचार रखे
यह हमारा अंदरूनी मामला है
विपक्ष को क्या लगता है
वह अपना नजरिया बता सकता है
यह लोकतंत्र है
प्रधानमंत्री जी ने भी कहा है
कुछ को पसंद आएगा कुछ को नहीं
विचारधारा अलग हो सकती है
पर निर्णय तो लिया जा चुका है
देश के हित में
आवाज उठेगी फिर खत्म भी हो जाएगी
अगर राहुल गांधी की बात का पाकिस्तान फायदा उठाना चाहता है तो यह उसका अपना दृष्टिकोण
दुश्मन देश तो यह करेगा ही
पहले भी कोशिश हुई है
अब राहुल ने अपनी मंशा जता दी है यह कहकर कि यह हमारा अंदरूनी मामला है
किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है
तब सत्ता पक्ष को भी समझना चाहिए
उसका राजनीतिकरण नहीं करना है
सब देशवासी हमारे साथ है
सबको साथ लेकर चलना है
मतभेद यानि देशद्रोही तो नहीं
अपना मत है अपने देश में
कश्मीर हमारा है यह हर भारतीय का विश्वास है

संबंधों मे जकडा मानव

कभी-कभी हम सही को भी गलत
गलत को भी सही मान लेते हैं
किसी को खुश करने के लिए
किसी का दिल रखने के लिए
कभी-कभी हम न चाहते हुए भी
किसी के सामने झुक जाते हैं
कभी कभी हम जवाब देना चाहते हैं
पर देते नहीं
उसे बुरा लग जाएंगा
कभी-कभी हम नाराज होना चाहते हैं
पर होते नहीं
कभी-कभी हम गुस्सा होना चाहते हैं
पर होते नहीं
पी जाते हैं
जीवन में न जाने कितनी बार विष का घूंट पीते हैं
जीवन को अमृत बनाने के लिए
समझौता करना पडता है
अपनों को खुश रखने के लिए
मन को मारना पडता है
संबंधों को जीवित रखने के लिए
ताउम्र हम कोशिश में रहते हैं
निभाते रहते हैं
कभी हंस कर
कभी रो कर
कभी जहर का घूंट पी कर
इसमें उलझे रहते हैं
शायद जीवन ही यही है
संबंधों को संभालना तो होगा ही
हम केवल एक व्यक्ति नहीं
एक परिवार
एक समाज
एक प्रांत
एक देश
एक विश्व है
विश्वास ,प्रेम ,त्याग ,समझौता ,समर्पण
दया ,ममता ही तो इसके आधार
आधार है तभी तो जीवन भी सार्थक है
अन्यथा मानव और मानवता
इन्हें कहाँ जगह मिलेगी

लेनदार नहीं देनदार बने

प्रेम समर्पण चाहता है
त्याग चाहता है
प्रेम वाचाल नहीं होता
वह लाचार भी नहीं होता
वह भावना से जुडा होता है
उसका अनुभव होता है
बिना कहे बिना सुने
एक स्पर्श ही काफी है
इसमें प्रतिस्पर्धा भी नहीं होती
न जोड -घटाना होता है
किसने क्या लिया
किसने क्या दिया
इसमें मत उलझिए
उसे महसूस करें
खुले दिल से बांटे
दानदाता बने
लेनदार नहीं देनदार
तब देखे
सब कुछ सुखद होगा

Wednesday 28 August 2019

तंत्र मंत्र और नेता

प्रज्ञा ठाकुर का बयान
आज के वैज्ञानिक युग में
कभी-कभी सोचते हैं कि
यह सही है क्या
हेमंत करकरे के बारे में
अभी भाजपा नेताओं के मृत्यु के बारे में
दुख तो हुआ है
इनके जाने का
असामयिक मौत बीमारी के कारण
पर जिनके बारे में वे कह रही है
वे शायद इन पर विश्वास भी नहीं करते थे
बहुत से नेता अभिनेता
चुनाव के लिए या
किसी और कारण के लिए
पर यह तो मन का भ्रम
ऐसा बयान शोभा नहीं देता

शिक्षाप्रद कहानी

एक ज्ञानी व्यक्ति ने अपने शिष्यों से पूछा, "हमारी गाड़ियों में ब्रेक क्यों होते हैं?"

सबने इस प्रश्न के वाजिब और तार्किक उत्तर दिएः

एक्सीडेंट से बचाने के लिए.

स्पीड कम करने के लिए.

सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाने के लिए.

लेकिन ज्ञानी व्यक्ति के अनुसार ये गाड़ियों में ब्रेक होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण नहीं थे. ज्ञानी ने कहाः

"गाड़ियों में ब्रेक इसलिए होते हैं ताकि हम तेज गाड़ी चला सकें."

ज्ञानी का बताया हुआ कारण अप्रत्याशित था. पहले-पहल तो सभी उपस्थितों को यह ठीक नहीं लगा. यह वाकई अजीब था. लेकिन ज्ञानी ने अपने कारण के पक्ष में जो तर्क दिया वह गौर करने लायक है…

यदि गाड़ियों में ब्रेक नहीं होते तो हर व्यक्ति बहुत धीमे गाड़ी चलाकर एक्सीडेंट से बचने की कोशिश करता. बहुत से लोग तो गाड़ी चलाते ही नहीं. गाड़ियों के ब्रेक हमें ऐसी सुरक्षा प्रदान करते हैं कि हर व्यक्ति उन पर भरोसा करके तेज गाड़ी चलाकर अपने गंतव्य तक जल्दी पहुंच सकता है.

इस सबक को जीवन में भी उतारा जा सकता है.

जीवन में अनिश्चितता का सामना करने का विकल्प होना चाहिए. भावनात्मक धरातल पर हमें सहेजने वाला कोई होना चाहिए. उनकी मदद के बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते.

वे कौन हैं? वे हमारे मित्र, परिजन और शुभेक्षु हैं.

वे अक्सर ही हमें खिझा देने वाले सवाल-जवाब करते हैं. लेकिन उनकी बेरोकटोक टीका-टिप्पणी हमें चाहे-अनचाहे सही ट्रैक पर बनाए रखती है.

वे हमारी ज़िंदगी में ब्रेक की तरह हैं. यदि ये ब्रेक न हों तो हमारी गाड़ी फिसलकर पलट सकती है. हमारे साथ इससे भी बुरा कुछ हो सकता है.
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Monday 26 August 2019

ऑसूओ को मत रोको

ऑसूओ को मत रोको
इन्हें बह जाने दो
बहना ही इनका स्वभाव
गम हो या खुशी
इनका स्वाद भी अलग
इनको अंदर ही अंदर पीना नहीं है
संभालना भी नहीं है
जब बाहर आए
आ जाने दो
लगाम नहीं लगाना है
छिपाना भी नहीं है
यह तो हमारे ही है
इस पर किसी का हक नहीं

Sunday 25 August 2019

अरूण जेटली

हर बात का जवाब जिसके पास
वह आवाज आज खामोश
नियति ने ऐसी क्रूरता दिखाई
जाते जाते कुछ बोल न पाया
सबका सलाहकार
पार्टी का वफादार
प्रधानमंत्री का सिपहसालार
राजनीति का चाणक्य
एक अच्छा वकील
एक ज्ञान का खजाना
आज हमारे बीच नहीं रहा
भारतीय राजनीति ने एक बहुमूल्य सितारा खो दिया है
जिसकी भरपाई मुश्किल है
अरूण अस्त हो गया है
जाते जाते अपनी अरुणिमा छोड़ गया है
जो सदियों याद रहेगा जनमानस में
जी एस टी वाला जेटली अब रहा नहीं
जीवट निर्णय जरूर है
ऐसे जीवटता वाले जेटली जी को
      भावपूर्ण श्रंद्धांजलि

दर्द जो सहा है

दर्द जो सहा है मैंने
तुमको तो उसकी भनक नहीं
तुम तो उलझे रहे अपने में
अपने सिवा किसी की खबर नहीं
अपनी सोच
अपना आराम
अपना ख्यालात लादते रहे
मैं सहती रही
घुटती रही
जद्दोजहद करती रही
समझौता करती रही
तुम मनमानी करते रहे
भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहे
मैं ऊफ भी न कर सकी
मुस्कराती रही
लोगों को दिखाती रही
अंदर से मन जारजार रोता रहा
तुमको लगता रहा
यही प्यार है
घुटती रही पर बोल न पाई
क्योंकि तुमने तो बोलने का अधिकार भी न दिया
पिंजरे में बंद पक्षी फडफडाता रहा
देखने वालों को लगा
कितना सुकून और आराम है
पर दिखावा कब तक
कभी तो विद्रोह
प्यार जबरन नहीं
मन से होता है
जब मन को ही मार डाला
तब प्यार कैसा

Saturday 24 August 2019

प्रेम सबसे परे

तुम तो राधा को छोड़ कर गये थे
फिर कभी मुडकर नहीं देखा
इसके बाद भी आप दोनों एक दूसरे के दिल में थे
आप राधेश्याम ही रहे
इतना प्यार जहाँ हो
वह युग और ही था
आज प्रेम की परिभाषा बदल गयी है
प्रेम स्वार्थी हो गया है
प्रेम त्याग नहीं चाहता है
वह बदला चाहता है
कुछ भी कर गुजरने को तैयार है पाने के लिए
और परिणाम भयंकर
यह किसी भी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं
गोपी ,राधा का प्रेम
कन्हैया के लिए
दुर्लभ है आज
प्रेम तो प्रेम होता है
प्रेम ही जीवन का सार
प्रेम बिना जीवन सूना
प्रेम सबसे परे

ईश्वर से बडा कोई नहीं

ईश्वर से बडा कोई नहीं
आपका भूत ,वर्तमान और भविष्य
आपका डर
आपकी चिंता
आपका क्रोध
आपका दुख
आपकी निराशा
आपकी घृणा
आपकी दुविधा
आपकी अनिश्चितता
सब छोड़ उस पर निश्चिंत हो जाइए
समर्पण कर दीजिए स्वयं को
वह जो करेगा अच्छा ही करेगा
आशा और विश्वास रखिए
हमारा रखवाला हमें अधर में नहीं छोड़ेगा
हमारी भलाई किसमें है
उससे ज्यादा कौन जानेगा
आपका मन क्या चाहता है
इससे बेहतर है
ईश्वर क्या चाहता है
हम और आप तो खिलौना है
खेल तो वही खेल रहा है
खिला भी रहा है
तब ईमानदारी और निष्ठा से जीवन के खेल का आनंद ले
बस अपना कर्तव्य करें
बाकी तो सब वह करेंगा

Friday 23 August 2019

कृष्ण की जरूरत है

आज कन्हैया तुम्हारी फिर दरकार है
जरूरत है कलयुग में कृष्णावतार की
यह संसार कुरुक्षेत्र का मैदान बन गया है
फिर कोई गीता का उपदेश देने वाला चाहिए
मामा कंस ने आपके भाईयों को मारा था
उसका फल तो उसे मिल गया
आज तो गर्भ में ही कन्या को मारा जा रहा है
उनको दंड कौन देगा
कंस से राज्य लेकर अपने नाना को आरूढ किया
सिंहासन वापस दिलाया
आज तो नाना और दादा बेघर किए जा रहे हैं
अपनी संतान द्वारा
उस समय द्रोपदी की लाज बचाने आए थे
आज हर दिन द्रोपदी की लाज लूटी जा रही है
दुश्शासन खुलेआम घूम रहे हैं
आज वह असहाय है
क्योंकि उनके पास कृष्ण नहीं है
आज राजनीति में धृतराष्ट्र हर जगह है
ऑखों पर मोह की लालच की पट्टी बांध रखी है
गांधारी तो देख कर भी अंजान है
सत्ता के लिए कोई कुछ भी कर गुजरने को तैयार
अन्याय और अत्याचार
धर्म के नाम पर भी लूट
जब जब धर्म की हानि होगी
तब तब धर्म स्थापना के लिए मैं आऊंगा
तब आ जाइए
यशोदानन्दन
सुदर्शन चक्रधारी
राधेश्याम
अब तो आपका ही सहारा है
फिर भगवतगीता का संदेश देना है
अर्जुन को समझाना है
यह धर्मयुद्ध है
हथियार डालने से काम नहीं चलेगा
फिर सृष्टि के रचयिता तो आप ही है भगवन
आ जाइए
कृष्ण की जरूरत है ।

Wednesday 21 August 2019

चंदा स्वेच्छा से

गणेश चतुर्थी का चन्दा
स्वेच्छा से जो दे उतना स्वीकार करें
उस पर पाबंदी न लगाया जाए
हमारे  सोसायटी में गणेश उत्सव मनाया जाता है
वहाँ देना ही पडता है
उसके अलावा सार्वजनिक मंडल भी आते हैं
अगर उनको कम दिया तो आनाकानी
दो सौ एक तो उतना ही चाहिए
एक सौ एक नहीं लेंगे
और वापस चले गए
मन में खटका रह गया
यह तो ठीक नहीं हुआ
हमारी श्रद्धा भी जुडी होती है
धर्मभीरू है हम
पर बाद में विचार किया
यह तो लादना हुआ जबरदस्ती
तमाम बातें है
परेशानी है
रिटायर्ड व्यक्ति हैं
पारिवारिक अडचने है
अतः कोई श्रद्धा से जो भी दे रहा है
उसे स्वीकार करें
उसमें पाबंदी न लगाया जाए

रिश्ते के धागे

रिश्ते पैसै के नहीं
प्यार के मोहताज होते हैं
यह खरीदे नहीं जाते
निभाए जाते हैं
निश्छल और निस्वार्थ
कपट का अंश नहीं होना चाहिए
अन्यथा यह टिकते नहीं
इसमें हिसाब-किताब नहीं होता
भावना होती है
निस्वार्थ प्रेम होता है
इसमें कोई बडा छोटा नहीं होता
यह दिल से जुड़े होते हैं
इसकी डोर एक सिरे से दूसरे सिरे को जोड़ती है
यहाँ विश्वास होता है
अपार अपनापन होता है
इसे कस कर थामे राखिए
बिखरने मत दीजिये
बहुत मूल्यवान है यह

Poem about all relationships

*This poem is beyond all relationships*
*But made for us all*

​**When I'm dead.*
​**Your tears will flow*
​**But I won't know*
​**Cry with me now instead!​*

​**You will send flowers*,..​
​**But I won't see*
​**Send them now instead*

​**You'll say words of praise,..​*
​**But I won't hear..​*
​**Praise me now instead!​*

​**You'll forget my faults,....​*
​**But I won't know.....​*
​**Forget them now, instead!​*

​**You'll miss me then,...​*
​**But I won't feel...*
​**Miss me now, instead​*

​**You'll wish...​*
​**You could have spent more time with me,...​*
​**Spend it now instead!​*

​**When you hear I'm gone, you'll find your way to my house to pay condolence but we haven't even spoken in years....​*
​**Pls look for me now!!​*

​''**Spend time with every person around you, and help them with whatever you have to make them happy!! your families, friends, acquaintance.....​
​**Make them feel Special. Because  you never know when time will take them away from you forever''..​*

​**Love  all   and   Forgive all.​*
​No matter how many times the teeth bite the tongue, they still stay together in one mouth. That's the spirit of​
   FORGIVENESS
​Even though the eyes don't see each other, they see things together, blink simultaneously and cry together.​
  that's "UNITY."
​May we practise the spirit of forgiveness and togetherness.​
1.  Alone I can 'Say' but together we can 'Talk'.
  2.  ​Alone I can 'Enjoy' but together we can 'Celebrate'  
  3.  ​Alone I can 'Smile' but together we can 'Laugh'_
   ​That's the BEAUTY of Human Relations. We are nothing without each other​
   STAY CONNECTED!!
​Destiny Ahead Will Take Care​

​The razor blade is sharp but can't cut a tree; the axe is strong but can't cut the hair.​

​Everyone is important according to his/her unique purpose. Never look down on others unless you are admiring their shoes​.

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Tuesday 20 August 2019

गेहूं की तोंद

गेंहू की तोंद (wheat belly)...

कहीँ हम गेंहू की चपाती से तो बीमारीयों के शिकार नहीं हो रहे सात दिन गेंहू छोड़ आजमाए फायदा लगे तो फिर अपना ईलाज खुद करें।*

एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के,
*गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है।*

हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस, MD ने अपने पेशे की शुरुवात, हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओ प्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था।

वे बताते है के, "मुझे वो ही सब सिखाया गया था, और शुरू शुरू में तो, मैं भी वोही सब करना चाहता था।"

लेकिन, जब उनकी अपनी माताजी का निदन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ , जो उन्हें बहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ,
तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे।

वे कहते है के,

"मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे।

वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।"

इसलिए उन्होंने अपने अभ्यास को एक उच्च स्तर और क्वचित ही उपयोग में लाये हुए दिशा की ओर मोड़ा- जो था

'बीमारी को होने ही नही देना'।

फिर उन्होंने अपने जीवन के अगले 15 सालों को इस हृदय रोग के मूल कारणों को जानने, समझने में व्यतीत किया।

जिसके परिणाम स्वरूप जो आविष्कार हुए, वो उन्होंने 'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में प्रकाशित किया है।

जिसमें हमारे बहुत से रोग,
जैसे के हृदय रोग,
डायबिटीज और मोटापे का संबंध गेहूं के सेवन करने के कारण बताया गया है।

गेहूं का सेवन बंद कर देना हमारे सम्पूर्ण जीवन को ही बदल सकता है।

*“Wheat Belly”(गेहूं की तोंद) क्या है?*

गेहूं के सेवन करने से, शरीर में चीनी की मात्रा आश्चर्यजनक पूर्वक बढ़ जाती है।

सिर्फ दो गेहूं की बनी ब्रेड स्लाइस खाने मात्र से ही हमारे शरीर में चीनी की मात्रा इतनी अधिक बढ़ जाती है जितना तो एक स्नीकर्स बार(चॉकलेट, चीनी और मूंगफली से बनी) खाने से भी नहीं होता।

उन्होंने आगे बताया के,

"जब मेरे पास आने वाले रोगियों ने गेहूं का सेवन रोक दिया था, तो उनका वजन भी काफी घटने लगा था, खास तौर पर उनकी कमर की चरबी घटने लगी थी।
एक ही महीने के अंदर अंदर उनके कमर के कई इंच कम हो गए थे।"

"गेहूं का हमारे कई सारे रोगों से संबंध है ऐसा जानने में आया है। मेरे पास आने वाले कई रोगियों को डायबिटीज की समस्या थी या वे डायबिटीज के करीब थे।

मैं जान गया था के गेहूं शरीर में चीनी की मात्रा को बढ़ा देता है, जो किसी भी अन्य पदार्थ के मुकाबले अधिक था, इसलिए, मैंने कहा के,
"गेहूँ का सेवन बंद करके देखते है, के इसका असर शरीर में चीनी की मात्रा पे किस तरह होता है"

3 से 6 महीनों से अंदर अंदर ही उन सब के शरीर में से चीनी की मात्रा बहुत कम हो गई थी।

इसके साथ साथ वे मुझसे आकर यह भी कहते थे, के मेरा वजन 19 किलो घट गया है,
या
मेरी अस्थमा की समस्या से मुझे निवारण मिल गया, या
मैंने अपने दो इन्हेलर्स फेंक दिए है,
या 20 सालों से जो मुझे माइग्रेन का सिरदर्द होता रहा है, वो मात्र 3 दिनों के अंदर ही बिल्कुल बंद हो गया है,
या मेरे पेट में जो एसिड रिफ्लक्स की समस्या थी वो बंद हो गई है,
या मेरा IBS अब पहले से बेहतर हो गया है, या
मेरा उलसरेटिव कोलाइटिस,
मेरा रहेउमाटोइड आर्थराइटिस,
मेरा मूड, मेरी नींद... इत्यादि इत्यादि।

*गेहूं की बनावट को देखा जाए तो इसमें,*

1)अमलोपेक्टिन A, एक रसायन जो सिर्फ गेहूं में ही पाया जाता है, जो खून में LDL के कणों को काफी मात्रा में जगा देता है, जो ह्रदय रोग का सबसे मुख्य कारण पाया गया है।

गेहूं का सेवन बन्द कर देने से LDL कणों की मात्रा 80 से 90 % तक घट जाती है।

2) गेहूं में बहुत अधिक मात्रा में ग्लैडिन भी पाया जाता है, यह एक प्रोटीन है जो भूक बढ़ाने का काम करती है, इस कारण से गेहूं का सेवन करने वाला व्यक्ति एक दिन में अपनी ज़रूरत से ज़्यादा, कम से कम 400 कैलोरी अधिक सेवन कर जाता है। 

ग्लैडिन में ओपीएट के जैसे गुण भी पाए गए है जिसके कारण इसका सेवन करने वाले को इसकी लत लग जाती है, नशे की तरह।

खाद्य वैज्ञानिक इस बात को 20 सालों से जानते थे।

3) क्या गेंहू का सेवन बंद कर देने से हम ग्लूटेन मुक्त हो जाते है?

ग्लूटेन तो गेहूं का सिर्फ एक भाग है। ग्लूटेन को निकाल कर भी गेंहू को देखे, तो वो फिर भी घातक ही कहलायेगा क्योंकि इसमें ग्लैडिन,  अमलोपेक्टिन A के साथ साथ और भी अनेक घातक पदार्थ पाए गए है।

ग्लूटेन मुक्त पदार्थ बनाने के लिए,
मकई की मांडी,
चावल की मांडी,
टैपिओका की मांडी ओर
आलू की मांडी का उपयोग किया जाता है।

और इन चारों का जो पाउडर है, वो तो शरीर में चीनी की मात्रा को और भी अधिक बढ़ा जाते है।

मैं आप लोगों से आग्रह करता हुँ के
सच्चा आहार लेना आरंभ करें:
कच्चा आहार लेना आरम्भ करे ।

जैसे के फल,
सब्जियां,
दाने, बीज,
घर का बना पनीर, इत्यादि।

साल 1970 और 1980 के अंतर्गत, गेहूं के उपज जो बढ़ाने के लिए जिन आधुनिक विधियों को और यंत्रों को उपयोग में लाया गया था, उनसे गेंहू अंदर से बिल्कुल बदल गया है।

गेहूं की उपज छोटी और मोटी होने लगी, जिसमें ग्लैडिन(भूक बढ़ाने वाली पदार्थ) की मात्रा भी बहुत अधिक हो गई है।

50 वर्ष पूर्व जो गेहूं सेवन में लिया जाता था वो अब वैसा नही रहा।

ब्रेड, पास्ता, चपाती इत्यादि का सेवन बंद करके यदि सच्चे आहार का सेवन करना शुरू कर दिया जाए,
जैसे के चावल, फल और सब्जियां है तो भी वजन घटाने में मदद ही होगी क्योंकि चावल चीनी की मात्रा को इतना नही बढ़ता है जितना गेहूं बढ़ाता है

और चावल में  अमलोपेक्टिन A और ग्लैडिन (जो भूक बढ़ता है )भी नही पाया जाता है।

चावल खाने से आप ज़रूरत से अधिक कैलोरीस का सेवन भी नहीं करेंगे, जैसे गेंहू में होता है।

इसीलिए तो वो सारे पश्चिमी देश जहाँ गेहूं का सेवन नहीं किया जाता वे ज़्यादा पतले और तंदुरुस्त होते है।

'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में से लिया गया अंश

लेखक: प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस,

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मैं बेचारी अकेली

मैं तो हरी भरी थी
जलपरी थी
न जाने किसकी बुरी नजर पडी
जल से निकाल मुझे गमले में लगा दिया
लगा मुझे बंदी बना दिया गया
जल में लहराती थी
मनमानी भी करती थी
गमला तो जेल लगता है
यहाँ जल के छींटे पडते हैं
वह जल लहरिया नहीं
जिसमे मैं इठलाती थी
डोलती थी
यहाँ तो बंदिशो में बंधी हूँ
हवा भी आती है
छूकर चली जाती है
वहाँ सबकी नजर मुझपर
यहाँ तो केवल माली है
आता है देखता है
चला जाता है
उसे मेरे से क्या लेना देना
वह अपना काम करता है
जाता है अगले दिन आने के लिए
मैं अकेली बिसुरती  हूँ
अपने पुराने दिनों की याद में

Monday 19 August 2019

हर सुबह कुछ खास

सुबह होती है
हर सुबह कुछ खास होती है
सुकून देती है
ठंडी ठंडी हवा महसूस होती है
जिंदगी रात भर आराम से सो कर उठती है
तरोताजा हो जाती है
चैतन्य और ताजगी से भर जाती है
तैयार करती है
सावधान करती है
अब काम शुरू करना है
पूरे जोश के साथ
आज का दिन क्या लेकर आएगा
यह तो कोई नहीं जानता
पर उसका सामना करना है
कैसा भी हो
डटा रहना है
यह जिंदगी के जंग का मोर्चा है
उसे बखूबी संभालना है
छोड़ना नहीं है
भागना नहीं है
पीछे हटना नहीं है
सब बाधा पार आगे बढते रहना है
यही तो संदेश जिंदगी हर सुबह देती है
कहती है
उठो ,जागो ,तैयार हो जाओ
रात बीती ,सुबह हुई
सब कुछ भूलाकर इस नई सुबह का स्वागत करना है
मैं तो तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हें छोड़कर गई नहीं हूँ
फिर मायूसी क्यों
मुस्कराकर स्वागत करो
नए दिन का
नई सुबह का

Sunday 18 August 2019

भाई तो भाई होता है

भाई तो भाई होता है
सबसे अलग और अनोखा होता है
एक ही माता-पिता की संतान
है उससे रक्त का नाता
कुछ भी हो
कितना भी लडें झगड़े
पर भाई तो भाई होता है
कब लड ले
कब एक हो जाय
इसलिए इनके बीच किसी को दखलंदाजी का अधिकार नहीं
यह बनावटी प्रेम नहीं
अटूट रिश्ता है
राखी का धागा नाजुक भले हो
पर उसे तोडना असंभव
यह डोर ममता की है
आशीर्वाद की है
माता-पिता के संबंध की है
इस जोड़ का तोड़ किसी के पास नहीं

नीलम शर्मा नहीं रही

नीलम शर्मा इस नाम से कोई परिचित हो या न हो
पर जो भी दूरदर्शन देखता होगा
वह इन्हें जरूर पहचानता होगा
आज जब टाइम्स में देखा तब दुखद धक्का लगा
अरे इनका निधन असमय ही
उम्र ही कहाँ थी
तेजस्वनी का प्रोग्राम हो
युवाओं से चर्चा हो
राजनीति पर हो
उनकी एंकरिग कौन भूल सकता है
सहज ,सौम्य और मुस्कुराहट
एक ओज से ओतप्रोत
अब तो हमारे बीच नहीं रही
उनके बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं जानते
पर दूरदर्शन की नीलम ही थी वे
रिमोट घुमाते घुमाते अगर वे दिख गई
तब तो सब छोड़
उनका प्रोग्राम तो देखना ही था
उनकी प्रभावशाली भाषा और संवाद साधने की कला
सचमुच लाजवाब था
एक बहुमूल्य रत्न नीलम कहीं खो गया
दूरदर्शन अनाथ हो गया
बहुत दुखद है यह समाचार
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे

Friday 16 August 2019

हमारे यह त्यौहार

त्यौहार तो एक बहाना है
साथ आने का रास्ता है
मिलने मिलाने का
खुशियाँ मनाने का
गले शिकवे भूलने का
एक दूसरे को गले लगाने का
स्वागत सत्कार करने का
संबंध निभाने का
पुराने को नये करने का
भूली बिसरी यादें ताजा करने का
बडे बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने का
ठंडे पडे रिश्तों में जोश भरने का
जिंदगी को तरोताजा करने का
तब तो हर त्यौहार को जम कर मनाए
मन से मनाए
दिल खोलकर मनाए
ये सुकून देते हैं
खुशियाँ बांटने का मौका देते हैं
उस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना है
जिंदगी को कस कर पकडना है
सबका तहे दिल से शुक्रिया स्वागत करना है
कम से कम इसी बहाने अपने तो मिलते हैं
खुशियाँ घर आती है
ये जिंदगी के उत्सव है
कोई कोर-कसर नहीं छोड़नी है
जीवन जीने का साधन है
हमारे यह त्यौहार