Saturday 31 January 2015

रेखा चित्रकार आर.के लक्ष्मण को भावभीनी श्रद्धांजलि।


रेखा चित्रों के माध्यम से आम आदमी को दर्शाना, आर.के लक्ष्मण की यह खूबी रही है। 
कई दशको तक उनके कार्टून लोगो को हँसाते रहे, झकझोरते रहे, व्यवस्था पर तीखा प्रहार करते रहे। 

लेकिन उनकी रेखाओं की भी अपनी सीमा थी। 

दीपक जैसी रौशनी बिखेरो।


आंधिया चलती रही, दिये को बुझाती रही,
इस अंधड़ तूफ़ान में भी एक दिया जलता रहा,
थपेड़े सहता रहा पर बुझा नहीं,

जिंदगी भी इसी तरह थपेड़े देती है,
कुछ बुझ जाते है और कुछ और जोश में आ जाते है,
दीपक जब तक जलता है प्रकाश देता है,
बाद में घूरे पर फेंक दिया जाता है।

बुझने से ज्यादा जलने में सार्थकता है,
कम से कम अपने चारो ओर प्रकाश तो फैला ही गया।
अपनी जिंदगी तो सार्थक कर गया।
स्वयं जला पर दूसरों का अंधेरा दूर कर गया
अमावस की रात को भी उजाला कर गया
जलने में ही जीवन की सार्थकता समझी
जलाने में नहीं
जीवन का महत्तव समझा गया

Wednesday 28 January 2015

सड़क वही की वही लेकिन गाड़ियों का इजाफा दो दूनी चार की गति से।


ट्रैफिक जाम, चारो ओर सड़क पर हॉर्न और पौ - पौ की आवाज़,
एक सेकंड गाड़ी थमी नहीं की इतना शोर की कानों के परदे फट जाए,
क्या लोगों के पास धैर्य नहीं है इंतज़ार करने का या फिर गाड़ियाँ, मोटर - कारें इतनी ज्यादा हो गयी है कि सड़क ही छोटी पड़ गई है।

पहले मुहल्ले में कोई एकाध - पैसेवाले के घर गाड़ी होती थी,
आज आलम यह है की हर घर में, हर व्यक्ति के पास गाड़ी है चाहे वह लोन पर ही क्या न हो।
गाड़ी की जरूरत हो या न हो लेकिन गाड़ी एक स्टेटस सिंबल बन गई है।
प्रदुषण की तो खैर बात ही छोड़ो।
वह भी एक समय जल्द ही आएगा की गाड़ी एक के ऊपर एक जमीन के ऊपर लहराएगी।

Tuesday 27 January 2015

अधिकार ही नहीं, कर्तव्य का पालन करना भी जरूरी है।

सूर्य की रौशनी में भी स्ट्रीट लाइट जलना,पाइप जोड़ कर कही से भी पानी का कनेक्शन लेना,
अवैध तरीके से टेलीफोन केंद्र चलाना,

Sunday 25 January 2015

सी - लिंक बन गयी है मौत का लिंक।


सी - लिंक बन गयी है मौत का लिंक, आए दिन कोई न कोई छलांग लगा कर मौत के मुँह में जा रहा है।
प्रशाशन को इसपर संज्ञान लेना चाहिए,

बेबी ... आतंकवाद का जवाब।


आतंकवाद पर वैसे तो बहुत फिल्मे बनी है, पर बेबी उनसे हट कर है। 
इस फिल्म में देशभक्ति से ओतप्रोत नायक अक्षय कुमार का अभिनय सराहनीय है। इस फिल्म की कहानी एकदम विश्वशनीय लगती है।

Saturday 24 January 2015

काश कोई लौटा दे मेरा मासूम बचपन

                                                     
बार बार आती है बचपन की मधुर याद,भोला भाला मंन,सरल,निष्पाप ह्रदय 
जीवन की कठिन राहो पर कही खो गया बचपन 
इस व्याकुल,अशांत जीवन में बचपन आज लौटकर 
दे दे अपने निर्मल शान्ति,व्यथा मिटा दे 
क्या हुआ मेरा बचपन तू फिर लौटकर आएगा और हरेगा मेरे मंन का संसार 
माँ का प्यार,पिता का दुलार,सर पर स्नेह की छाव 
खिलखिलाती और भोली-भली बच्ची
दुनिया से बेखबर और ग़मों से दूर
काश कोई लौटा दे मेरा वो मासूम बचपन । 


टेलीविज़न सीरियल की भूत और आत्मा !!!

                                                       
आजकल सीरियल चलने के लिए भूतो  सहारा लिया जा रहा है 
कभी किसी का भूत किसी में आजाता है और वो आत्मारुपी भूत 
कभी बोतल में बंद किया जाता है तो कभी झाड़-फूक वाले को बुलाकर उसका सामाधान किया जाता है 
सीरियल को आगे बढ़ने के लिए बिना सर पैर की बात डाल दिया जाता है 
शायद एक दिन ऐसा भी आएगा की असली आत्माएं इन सीरियलों में एक्टिंग करने लगेगी 
सीरियल में जान डालने के लिए भूत और आत्मा की नहीं 
अच्छी  कहानी की ज़रूरत है जो देखने को नहीं मिलता 



Friday 23 January 2015

वेलकम बराक ओबामा!!!


                                               
गणतंत्र दिवस पर ओबामा का भारत में स्वागत,
एक दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का राष्ट्रपति 
तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री 
ओबामा और मोदी की दोस्ती कोई नया पैगाम दे 
अमेरिका और भारत दोनों को ऐसी अपेक्षा है 
सभी का विकास और आतंकवाद खत्म करने के लिए,
रणनीति बनाना इन दोनों का फ़र्ज़ है 
भारत का जनतंत्र और गणतंत्र तो विश्व के लिए एक मिसाल है 
जो एक चायवाले को प्रधानमंत्री बना देता है 
तो दूसरा एक आम आदमी अरविन्द केजरीवाल कफ और मफलर के साथ 
प्रधानमंत्री को भी टक्कर देने को तैयार 
यही तो लोकतंत्र की विशेषता है
और ओबामा को यह भली-भाती मालूम है 
तभी तो गणतंत्र दिवस पर भारत आ रहे है । 


परहित धर्म सरिस नहीं भाई।

परोपकार के समान कोई दूसरा धर्म नहीं। कुछ को ईश्वर और भाग्य ने बहुत कुछ दिया है पर वे किसी में बाँटना नहीं चाहते। प्रकृति का नियम है तुम जितना दूसरो को दोंगे प्रकृति दुगने रूप में लौटाएगी अगर आप संपन्न है, घड़ा भरा है तो कुछ निकाल कर दूसरों की मदद करने से काम नहीं हो जाएगा।

चुनावी मौसम के आयाराम-गयाराम !!!

                                                       
दाल बदल की राजनीती चुनाव आते ही शुरू होगयी 
पार्टी ने टिकट नहीं दिया  तो दूसरी पार्टी का दामन पकड़ लिया 
एक समय था की  नेताओ का  पार्टी  आजाती थी 
आज तो आयाराम-गयाराम की स्तिथि होगयी है 
क्या नेता इतने स्वार्थी होगये है की पार्टी के लिए उनका कोई कर्त्तव्य नहीं है 
बड़े बड़े दिग्गज एंड वख्त में धोखा दे दे रहे है 
क्षणभर में मूल्य और सिद्धांत बदल जाते है 
कल तक जिसकी आलोचना कर रहे थे आज उनको सर माथे पर बिठाया जा रहा है 
यह तो भारत जैसे जनतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है । ।


Thursday 22 January 2015

किस के सर सजेगा दिल्ली का ताज ?

                                                 
किरण बेदी और अरविन्द केजरीवाल 
दोनों अन्ना के आंदोलन की उपज 
एक समय के पुराने साथी,आज एक दूसरे के विरूद्ध खड़े हुए 
काट छाट की  राजनीती शुरू 
भाजपा का  दावपेच एकदम सटीक ,अब तो देखना यह है की दिल्ली के दिल में क्या है 
किरण या केजरी ,किसका वार  किसपर ?
कौन जीतेगा कौन हारेगा ?यह तो वक्त  ही बताएगा । 

कमल खिलेगा या आएगी झाड़ू की बहार 
पर जनता की तो है एक डिमांड वह है दिल्ली का । 





कृतिमता और असलियत में बहुत अंतर है।


विद्यालय के छात्र - छात्रा पिकनिक गए है,
वहाँ गाँव है, नदी - तालाब - पोखरा - कुआँ है,
सरसों की हरी - पीली डालियाँ झूम रही है, आलू और मटर के खेत है,
बंद गोभी फूल कर बाहर निकलने को तड़पड़ा रही है,बच्चे फोटो खींच रहे है,

Wednesday 21 January 2015

मैरी कॉम भारत का गर्व !!!



मैरी कॉम को घर घर लोगो तक पहुचने के लिए प्रियंका चोप्रा को धन्यवाद ,इसमें उनके अभिनय की तारीफ़ करनी होगी साथ साथ नार्थ-ईस्ट के लोगो के प्रति अपने पन की भावना भी विकसित हुई है,

औरत बच्चा जनने की मशीन है क्या???

                                           

आज कल साक्षी महाराज और कुछ लोगो के बेतुके बयान आरहे है ,४ बच्चे पैदा करो इसका क्या मतलब है?
इस मेहेंगाई और व्यस्तता के युग में एक बच्चे को ही योग्य और काबिल बनाया जय वही काफी है,

Tuesday 20 January 2015

बाबाओं से बचकर रहना।


सत्संग यानि उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगती।  आजकल दूरदर्शन पर साधु - महात्माओं के सत्संग चलते रहते है।  इनको सुनकर ऐसा लगता है कि ये हमको न जाने किश युग में ले जाएगा।

अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता पर खतरा !!!

                                                       

फ्रांस के पेरिस में इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद साहब के नाम पर जो हुआ वह सर्वथा निंदनीय है अभिव्यक्ति की स्वंतंत्रता पर यह कुठारा घात है । 

Monday 19 January 2015

स्कूल की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है??




पाकिस्तान के सैनिक स्कूल में हुए नराधम कृत्या के बाद भी हमारे भारत के स्कूल की सुरक्षा को किस दृष्टि से लिया जा रहा है।

और खिलेगा कमल !!!! अब की बार दिल्ली दरबार

                                                 

कमल ने किया कमाल ,हाथ का साभने छोड़ा साथ, 
झाड़ू तो वाही है पर अब केजरीवाल की  जगह मोदी के हाथ, 

वशीकरण वह मंत्र है, तज दे वचन कठोर।


प्रभु की प्रदान की हुई वाक - शक्ति में बहुत बल है। यदि मनुष्य वाणी के गुण को ग्रहण करे तो वाणी व्यक्ति को लोकप्रियता के शिखर पर बिठा देती है।

जब जो होगा, देखा जायेगा।


मौसम विज्ञान और ज्योतिष दोनों की भविष्यवाणी का जवाब नहीं। बाढ़ और तूफ़ान या वर्षा की भविष्यवाणी तो अक्सर गलत ही सिद्ध होती है।

Thursday 15 January 2015

किसी की भावना को आहत मत करो।


एक दुसरे की भावनाओ  को  समझना,
हर धर्म और ईश्वर का आदर करना,
किसको भी नीचा ना दिखाना,
अगर आदर न कर सको, तो अपमान मत करो।

Wednesday 14 January 2015

जो भी बोलो सोच - समझकर बोलो।


अफवाह फैलाने वालों से सावधान,
कुछ का काम ही होता है बढ़ा-चढाकर बताना,
एक मामूली सी बात अनेक कानों तक पहुँचते - पहुँचते न मालुम क्या बात बन जाएगी,
जो भी बोलना हो, सोच समझकर बोलो,

Tuesday 13 January 2015

तकनिकी ज्ञान आवश्यक है विकास के लिए।


कला - प्रशिक्षण आज के युग की एक बड़ी आवश्यकता है, इससे बेकारी की समस्या से बहुत हद तक निजात पाया जा सकता है।  भारत उधोग - धंधो के क्षेत्र में अभी भी विकसित नहीं है।  इससे जरूरत है यात्रिंको की

Monday 12 January 2015

व्यक्ति की तीन जरूरत - विद्यालय, औषधालय और सौचालय।


भारत के प्रत्येक गाँव में एक औषधालय होना चाहिए जिससे देश में मृत्यु दर घटे। लोग स्वस्थ रहे। आजकल झोलाछाप डॉकटरो की भी भरमार है। लोग केमिस्ट से भी दवाइयाँ लेते हैं जिससे कभी लेने के देने भी पड़ जाते
है। लोग स्वस्थ रहेगे तो देश का विकास भी होगा क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है।

अतः हमारे हर व्यक्ति की तीन जरूरत विद्यालय, औषधालय और शौचालय पूरा होना चाहिए।
विधालय तो है और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है
पर शौचालय का नाम आते ही मुँह सिकुड जाता है
जबकि पहला स्थान इसका ही होना चाहिए
शौचालय होगा तो बीमारियॉ नहीं घेरेगी
और बीमारियॉ नहीं रहेगी तो बच्चे विधालय जाएगे
और परिवार ,समाज तथा देश का विकास होगा

जीवन में अनुशासन।


अनुशासन जीवन का मुख्य आधार है। बिना अनुशासन के जीवन वैसे ही है जैसे पतवार के बिना जहाज। यह हमारे भावों पर अंकुश रखता है तथा हमें गलत कार्य करने से रोकता है। यही हमें उन्नति का रास्ता दिखता है। 
अनुशासन के कारण ही समाज की नींव होती है। 

Saturday 10 January 2015

रामायण की विद्रोहिणी नारियाँ।


ढोल, गँवार, शुद्र, पशु, नारी में सब ताड़न के अधिकारी।
उसी रामचरित मानस की  नारियाँ चाहे वह कैकयी, सीता या सुलोचना हो, उस समय की विद्रोहिणी नारियाँथी।

बड़े पुत्र को ही राजगद्दी क्यों ? देवासुर संग्राम में राजा दशरथ के साथ बराबरी से लड़ने वाली कैकयी को यह बात रास नहीं आयी। भरत को राजगद्दी मिले इसके लिए वह किसी भी हद तक जाना पड़ा, गयी।

महल में नहीं, सहधर्मिणी बन कर साथ रहूंगी। महलों को त्याग कर बाहर कदम रखने वाली नारी सीता।

मेघनाथ का कटा हुआ सर लाने रामादल में जाना इतना साहस सुलोचना के अलावा और कौन कर सकता था।
रावण का विरोध ,दशानन का मंदोदरी के सिवा किसका साहस हो सकता था
सीता का साथ देने वाली त्रिजटा 
पत्थर बनी अहिल्या ,सुग्रीव की पत्नी तारा
यहॉ तक कि झूठे बेर खिलाने वाली शबरी जिसने जातिगत मान्यताओं को ठेंगा दिखा कर भगवान को भी अपने प्रेम के आगे झुका दिया
यह तो शुरूवात थी और आज वह बीज पेड बन कर लहलहा रहा है
हर क्षेत्र में परचम फहरा रहा है
जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक 
आज अबला नहीं सबला बन कर उभरी है

अभिमान करना ठीक नहीं।


वर्तमान स्री शिक्षा वरदान है लड़कियों के लिए।
इससे प्राप्त करके लड़कियाँ चतुर, वाक्पटु, चुस्त, और समय के अनुसार चलनेवाली बन जाती है।

Friday 9 January 2015

इंसान की सबसे अच्छी साथी किताबें।


कोई भी न हो तुम्हारे साथ, फिर भी किताबें कर सकती है तुमसे बात।
कराती वह दुनिया में समाज तथा लोगों के होने का अहसास।
किताबों का महत्व जिसने समझ लिया, उसने तो अपनी दुनिया की दिशा बदल दी।

व्यक्ति को सुसंस्कृत, ज्ञानार्जन, पथ-प्रदर्शन कराती है किताबें।

अतः किताबों को अपने जीवन का अहम अंग बनाइए, आपका जीवन सार्थक हो जायेगा। :
वाचन करना और बॉचना
इसके बिना तो जीवन अधूरा
सब साथ छोड देगे पर ज्ञान कभी नहीं
और वह तो पुस्तक से ही प्राप्त होगा
पढिए ,शब्दों से खेलिए
भावनाओं और कल्पनाओं को उकेरिए
सारे विश्व से संबंध स्थापित करिए
और यह सब तो वाचन करे बिना संभव नहीं
किताबों को जीवन का अभिन्न अंग बनाइए.

शिक्षा का उद्देश्य केवल पैसा कमाना ही न हो।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जितना समय और पैसा खर्च होता है उसकी अपेक्षा छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति बहुत कम होती है। शिक्षा का उद्देश्य केवल प्रतिशत और अंक लाना होता है। दस - बारह वर्ष की पढाई के उपरांत भी छात्र केवल लिखने - पढ़ने योग्य बनता है। उसे किसी भी विषय का ज्ञान नहीं होता।

Wednesday 7 January 2015

सुनंदा पुष्कर की मौत के कारण का स्पष्ट खुलासा हो।

सुनंदा पुष्कर की मृत्यु जिन संदिग्ध परिस्थितियों में हुई वह कई सवाल खड़े करती है,
हर व्यक्ति को न्याय का अधिकार है, इस केस में इतनी देरी क्यों हो रही है ?

हमारे ग्रंथ हमारी धरोहर है।


दर्शन, गणित, विज्ञानं, भूमिति, शालिहोत्र, खगोल, भूगर्भ, सामुद्रिक, रसायन, शिल्प, कृषि, भूगोल, वाणिज्य, व्रुत्त्न, जीवविधा, व्याकरण, वैधक, मनोविज्ञान, सम्पत्तिशाश्त्र, तक्षिकी, आन्वीक्षिकी, प्रणिधी, सूचीकर्म ये नाम फिलॉसॉफी से लेकर इंजीनियरिंग तक हमारे वेदों में विद्यमान है।

Tuesday 6 January 2015

योजना आयोग या नीति आयोग - काम विकास का।

अभ्यास केवल व्यक्तिगत वस्तु ही नहीं, वह एक सामूहिक वरदान भी है,
देश की उन्नति का भी यह मूल मंत्र है और समाज सुधार भी,
देश के विकास के लिए एक व्यक्ति का नहीं, समूचे राष्ट्र का अभ्यास चाहिए, शर्म चाहिए। 

शिक्षक और शिक्षा का स्तर , दोनों को सुधारने की जरुरत है।

अच्छे शिक्षकों की कमी है, मोदी जी के अनुसार,
काशी के दौरे के समय उन्होंने व्यक्त किया, सही है क्योंकि हर कोई डॉक्टर, इंजीनियर, सि. ए, एक्टर,
बनना चाहता है पर शिक्षक नहीं।

एक जुमला टीचर, फटीचर होते हैं।
जबकि यह एक नोबल पेशा है, इसका कारण शिक्षकों के हालात भी है।
सरकारी स्कूल में नौकरी है तो ठीक है,
लेकिन प्राइवेट में २ - ३ हज़ार रुपये की नौकरी करने पर मजबूर हैं।
रोटी - रोटी के लिए ट्यूशन, कोचिंग क्लास का सहारा लेते है।

महानगरों की समस्या और भी भयावह है।
वर्नाक्यूलर मीडियम  की पाठशाला बंद हो रही है, टीचर सरप्लस हो रहे हैं।
कक्षा  में बच्चों की संख्या भी असीमित हैं।

पलकों का दवाब, डिपार्टमेंट का दवाब आदि से भी प्रभावित होता है।
दूसरा ज्ञानार्जन का आभाव, जब स्वयं ज्ञानार्जन करेंगे तभी तो दुसरो को भी ज्ञान देंगे।
अनिच्छा से शिक्षक बना व्यक्ति क्यों कोशिश करेगा।


दूसरों के घर में ताकझाक करने की आदत छोड़ो।

पड़ोस में एक वृदध की मौत हुई, हम संवेदना जताने उनके घर गए,
थोड़ी इधर - उधर की पूछताछ के बाद, वह हमारे बारे में ही पूछताछ करने लगी।

Monday 5 January 2015

दलित - यादव राजनीति से ऊपर उठा जाए।

मायावती ने भारत रत्न पुरस्कार देने में सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया है। भारत रत्न जाती और धर्म की सीमाओं से परे है। मालवीय जी और वाजपेयी जन्म से ब्रामण तो है लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

देश की सुरक्षा सर्वोपरी।

प्रजातंत्र में विपक्ष की अहम भूमिका होती है।  वह सत्ताधारी दल को मनमानी करने नहीं देता, लेकिन विपक्ष में है इसीलिए सही बात का विरोध करो यह उचित नहीं है। 

विरोध जनतांत्रिक तरीके से हो।

ममता बनर्जी के भतीजे को थप्पड़ मारने की घटना निंदनीय है।
यह बीमार मानसिकता का प्रमाण है।

Sunday 4 January 2015

मनुष्य तो कठपुतली है ईश्वर के हाथो की।


कभी - कभी ख़याल आता है की अगर ईश्वर न होता तो,
व्यक्ति किस के पास याचना करता, दुखो से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करता,

गरीबी, बिमारी, भूखमरी, प्राकर्तिक आपदा से लेकर मृत्यु तक हम हमेशा ईश्वर की शरण में ही जाते है। 

हर व्यक्ति डरा और आशंकित क्यों ?

पुराना साल गया और नए साल ने दस्तक दे दी है,
सब ने जश्न तो मनाया पर कही न कही डर के साथ,

Saturday 3 January 2015

बच्चों में क्यों दुश्मनी जैसी भावना पनप रही है।


आजकल दो सेलेब्रिटी के युवा बच्चियों में आपसी संवाद का मामला चर्चा में हैं। यहाँ तक की पुलिस स्टेशन जाने की और रपट लिखाने की नौबत आ गई।  बच्चो  के मन को सच्चा कहा जाता है। लेकिन पाठशाला में ग्रुप बनाना, किसी को नीचा दिखाना, व्यंग कसना, अपने शिक्षक का मज़ाक उड़ाना, किसी बच्चे को सताना, आम बात हो गई है और इसमें उनको मजा आता है।

धीरज और सब्र की जरूरत है मुश्कील घड़ी में।


मुंबई की लाइफलाइन कही जानेवाली लोकल तकनीकी समस्या के कारण बंद हुई। सबको परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन इस कारण तोड़फोड़ मचाना, मोटरमैन को मारना, पुलिस की गाड़ियों को जलाना यह कहाँ तक उचित है ?

Friday 2 January 2015

प्राचीन काल से लेकर आज तक की राजनीति

जब - जब धर्म की हानि होती है मै आता हूँ।
रामराज्य से लेकर महाभारत तक की यात्रा,
कितना अंतर है दोनों युग में ?

व्यक्ति धर्म और राजधर्म दोनों निभाना है।

२०१४ का सबसे चर्चित और प्रसिद्ध व्यक्तिव मोदी,
युक्ति और शक्ति दोनों का समन्वय,
आत्मविश्वास की पराकाष्टा,
जनता पर अपार विश्वास,

Thursday 1 January 2015

Happy world smiling day क्या हँसना हमारी मजबूरी बन गयी है ?

हँसने के लिए भी प्रयास करना पड़े यह कितना हास्यास्पद है।
हँसने के लिए नए नए तरीके इज़ात किये जा रहे है।
लाफिंग क्लब, टी.वि पर अलग - अलग हँसाने वाले धारावाहिक,
कभी - कभी इसमें भोंडी कॉमेडी भी दर्शको के सामने परोसी जाती है, इसका कारण क्या है ?

हम क्या हँसना और खुश रहना भूल गए हैं
अपने परिवार और समाज से हट हम इनमे अपनी हँसी और ख़ुशी ढूंढ रहे हैं

डॉक्टर हँसने की सलाह दे रहे हैं
हँसने की मजबूरी हमारी सबसे बड़ी विडम्बना बन गयी है।
हँसना जरूरी है और यह दिल से निकलना चाहिए
जहॉ चार लोग बैठे और हँसी के ठहाके न गूंजे
यह संभव नहीं
हँसता हुआ चेहरा सबको खुश कर देता है
हँसी तो बदसूरत को भी खूबसूरत बना देती है
माहौल को हल्का कर देती है
बच्चे अपनी निश्चल हँसी से हर किसी को आकर्षित कर लेते हैं
हँसने से हम लोगों के करीब आ जाते हैं
यह तो वशीकरण मंत्र है अपने पास लोगों को खीचने का
हँसते रहिए और खुश रहिए

नए साल में स्वयं की कद्र करो।

नया साल यानि जश्न मनना और उपहारों का लेन - देन, कहाँ किस के साथ और कौन सा उपहार इसकी योजना पहले से ही, इस अमूल्य जीवन को कौन सा उपहार दिया जाए सोचा है कभी ?

मुख्यमंत्री वाही हो जो जम्मू - कश्मीर की जनता का हितैषी हो।

जम्मू - कश्मीर का मुख्यमंत्री हिन्दू या मुस्लिम ?
क्यों यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है।