Wednesday 31 July 2019

सर्वेसर्वा

करने वाला वह
जैसा कर रहा करने दो
वैसे भी आपके पास कोई रास्ता नहीं
फिर क्यों मांगना
क्या मांगना
आपका अच्छा और बुरा उससे बेहतर कौन जाने
लेकिन आप तो चुपचाप नहीं बैठते
हर दिन हर पल
नई-नई फरमाइश
कभी कुछ तो कभी कुछ
नहीं हुआ तो कोसते रहे
कभी स्वयं को
कभी भाग्य को
कभी ऊपरवाले को
कब कौन सा पल
कौन सा करवट ले
यह तो कोई नहीं जानता
न कुछ सोचे
न कुछ समझे
न कुछ बोले
जो हो रहा है
उसको स्वीकार करें
अपने मन का हो
   तब भी
न हो तब भी
क्योंकि तब तो उसकी मर्जी से
और उसकी मर्जी तो सर्वेसर्वा

अभी तो जी भरा नहीं

बस अब बहुत हो गया
जी लिया जितना जीना था
उम्र हो गई है
यह आप हर रोज कहते रहे
जिंदगी चुपचाप सुनती रही

कहने लगी
अभी से हार मान ली
अभी तो शुरूआत है
आज तक तो भागम-भाग किया
कर्तव्यो को पूरा किया
सबके लिए जीये
अब तो अपने लिए जी लो

जो छूट गये
उन्हें करीब ले आओ
दोस्तों को
शौक को
हंसी को
आराम को
व्यायाम को
वाचन को
सैर को
ईश्वर के सानिध्य को

अब यह सब फुर्सत मे करो
समय ही समय
कोई बंथन नहीं
हो सके तो फिर
बच्चे बन जाओ
हो सके तो फिर
जवान बन जाओ
मनसोक्त जी लो
अभी तो शुरूआत है
जीना छोड़कर जी कैसे सकते है
तब फिर जी भर जीए
जिंदगी को भी कहे
   अभी तो जी भरा नहीं

काम तो काम है

काम तो काम है
छोटा या बडा नहीं
सफाई कर्मचारी हो या अफसर
दरबान हो या डाॅक्टर
सबकी ही जरूरत
एक भी छोड़ दे
तब देखिये कितनी मुश्किल
यही छोटे काम करने वाले तो
हमारी जिंदगी आसान बना देते है
हम कुर्सी पर दफ्तर में आराम से बैठते है
वह इनकी बदौलत
आज की वर्किंग वुमेन अगर निश्चिंत है
तो अपनी कामवाली बाई के कारण
बच्चे को संभालने वाले के कारण
घर और बाहर  सामंजस्य बिठा पाती है
तब यह भी तो समान भागीदार हैं
आपकी तरक्क़ी में
इन्हें नजरअंदाज न करें
यह वे शख्स है
जिनकी जरूरते आप जितनी तो नहीं
पर उनका भी घर परिवार है
वह पेट भरने के लिए काम करते हैं
आलीशान जिंदगी के लिए नहीं
उनकी भी कद्र कीजिए
मुस्कान लाइए
प्रेम के दो मीठे बोल बोल दे
तब देखे इनका अंदाज
यह और जोश से करेंगे
आप भी तो काम करते हैं
आपके ऊपर भी तो कोई होगा
जो आप अपने लिये चाहते है
वैसा ही इनसे भी पेश आए
ये नौकर है
गुलाम नहीं

Tuesday 30 July 2019

कुदरत की प्रसन्नता

कुदरत दिल खोलकर देती है
देने में कंजूसी नहीं करती
हम ही है जो संभाल नहीं पाते
न उसको जी भर कर निखरने देते हैं
न स्वच्छंद विचरण करने देते है
तमाम तरह की बंदिशो से बांध देते हैं
वह कितना सहे
बंधन तो उसे भी पसंद नहीं
फिर तो उसका आक्रोशित होना स्वाभाविक है
और जब वह आक्रोश में आती है
तब विध्वंसकारी बन जाती है
तब तो उस उफान को रोकना किसी के बस की बात नहीं
सारे बंधनों को तोड डालती है
उसे बांध कर नहीं
उसके साथ रहना है
वह जो देती है
उसका अहसान मान सम्मान करना है
वह प्रसन्न तब तो हम भी प्रसन्न

टिक टाँक और अभिनय

टिक टाँक का चलन जोरो पर
हर कोई वीडियो बनाने को बेताब
अब पुलिस वाले भी कहाँ पीछे रहते
उन्होंने भी बना डाला वीडियो
बाद में जाकर लाइन हाजिर
पर एक बात तो माननी पड़ेगी
इन लोगों ने सिंघम और दबंग को भी पीछे छोड़ दिया
क्या लग रहे हैं
वैसे देखा जाए
असली वर्दी वाले हीरो तो यही लोग हैं
इनकी एक्टिग के क्या कहने
जान डाल दी
हवा में लहराती बंदूके
सरकारी असलहे का इस्तेमाल
और हीरो दिखने का खुमार
बात दिगर है कि यह ठीक नहीं है
वर्दी में इस तरह के कारनामे
पर फिर भी कुछ बात तो है
हमारे नेता ,हमारी पुलिस
इनसे अच्छा अभिनेता और कौन होगा

जी भर कर जी लीजो

जीवन जितना मिला है
जी भर कर जी लीजो
कल का कौन ठिकाना
पल का ही नहीं
कल की तो छोड़ दो
रात की सुबह भी होगी या नहीं
सपने पूरे होंगे या नहीं
यह काम पूरा कर पाएंगे या नहीं
ताने बाने बुनता शख्स
उलझा हुआ रह जाता है
रात में खिलने वाले पुष्प को भी यह आभास तो नहीं
सुबह उसकी कैसी होगी
श्मशान में जाएगा अर्थी पर
ईश्वर के चरणों में अर्पित होगा
जीवन ही क्षणभंगुर है
नश्वर है
तब फिर कल की क्यों सोचना
आज हमारा है
अभी हमारा है
पल हमारा है
तब कल की छोड़
जीवन जितना मिला है
जी भर कर जी लीजो

जिंदगी बहुत खुबसूरत है

जिंदगी बहुत खुबसूरत है
यह हमारी है
हमारा पूरा हक है इस पर
हम चाहे जैसे रहे
हमारे अपने भी है इसमें
जो हमसे टूट कर प्यार करते हैं
कुछ भी करने को तत्पर
अब इससे ज्यादा क्या चाहिए
प्यार हो अपनापन हो
बडो का आशीर्वाद हो
तब हर दिन कट जाएगा
हंसते हंसते
मुस्कराते
गुनगुनाते
हर लम्हा शानदार है
हर मौसम लाजवाब है
बस देखने की जरूरत है
बहुत मिला है
भर भर कर मिला है
ऐसे ही जिंदगी जीते रहे
गणित लगाना छोड़ दे
हर पल जी ले
जो है
उसी में खुशियाँ ढूंढ ले
आखिर जैसी भी है अपनी है
जिंदगी बहुत खुबसूरत है .

मोबाइल का कमाल

मन कितना भी उदास हो
रात की नींद भी न ठीक हो
बेचैनी का आलम हो
तब भी सुबह खुशगवार बन जाती है
जब दोस्तो का संदेश पढते हैं
उनकी ताजा-ताजा गुड मार्निग देखकर
वाट्सअप पर ही सही
हमें कोई याद तो करता है
मन को सुकून मिल जाता है
भिन्न-भिन्न चित्रों से
कभी फूल
कभी सूरज की किरण
कभी मुस्कराती कली
कभी शुभ्र
कभी रंग-बिरंगी
सबकी यादें ताजा कर जाती है जेहन में
मन बाग बाग हो उठता है
सुबह सुनहरी लगती है
दिन सुंदर हो जाता है
यह भी तो है मोबाइल का कमाल
पास न होकर भी पास आ जाते हैं

Monday 29 July 2019

World Tiger day

बाघ है जंगल का जीव
शक्तिशाली ,बलवान
जंगली जीवों में एक महत्वपूर्ण
वह भी जिंदा रहना चाहता है
स्वतंत्र विचरण करना चाहता है
उसे मारना नहीं जिंदा रखना है
ये बहुमूल्य जीवन तो जंगल की शान है
आनेवाली पीढियाँ भी इनको जाननी चाहिए
ताकि वह भी गर्व से कहे
टाइगर जिंदा है

ऐसा तो हमने नहीं बनाया

आपने बेटे को क्या सिखाया
यह पानी लेकर भी नहीं पीता
ठीक है माँ ने नहीं सिखाया
पर अब तो पानी लेकर भी पीता है
तुमको भी देता है
अगर यही बात मैं पूछू तब
तब तो बुरा लग जाएंगा
उसे ताने का नाम दिया जाएगा
मैंने तो अनुशासन सिखाया था
समय पर सोना और उठना सिखाया था
समय पर घर आना सिखाया था
अब तो सब बदल गया है
देर से सोना
देर से उठना
देर रात घर से बाहर रहना
ऊपर से कुछ पूछने का अधिकार नहीं
छोटी छोटी बात पर घर छोड़ने की धमकी
हमने तो इंसान बनाया था
नैतिकता और बडो की इज्जत करना सिखाया था
तुमने तो डरपोक बना दिया
हर जायज - नाजायज मांग को धमकी से करवाना
इसे प्यार नहीं
गुलामी का नाम दिया जा सकता है
पालतू की तरह दूम हिलाता
ऐसा तो हमने नहीं बनाया

किस मोड़ पर आ खडे हैं हम

बरखा को देख दया आ गई
यह क्या करें
समझ ही नहीं पाई
अगर न बरसे तब भी चैन नहीं
ज्यादा बरसे तब भी लोगों की मुसीबत
कम बरसे तब भी कोसना
आखिर यह करें तो क्या करें

यही हाल शायद हमारा भी है
जिंदगी नहीं देती है तब हम निराश
कम देती है तब उदास
ज्यादा दे देती है
तब भी संतुष्टि नहीं
हम जिंदगी को कोसते हैं
ईश्वर को कोसने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते
आखिर यह करें तो क्या करें

आज तक समझ ही नहीं आया
हमें चाहिए क्या
हमारे साथ ही ऐसा क्यों ???
बरखा और जिंदगी में बहुत कुछ समानता

हमें भी कुछ मिला
कुछ नहीं मिला
आखिर औरों को जो खुशी
हमारे नसीब में क्यों नहीं
हमारे भी तो अरमान हैं
लगता है सब कुछ सही
ऊपर से कुछ और
अंदर से कुछ और
मन खाली खाली
रीता रीता
पास में सब कुछ है
पर बंद मुठ्ठी में रेत के समान फिसलता जा रहा
समय भी शेष नहीं
सब कुछ समेटने की खुशी में सब छूटा जा रहा
हम विवश लाचार खडे देखते रह रहे
कभी बाढ तो कभी सूखा
समझ नहीं आ रहा
किस मोड़ पर आ खडे हैं हम

Sunday 28 July 2019

दूसरे ने क्या किया

तब कहाँ थे
आजकल हर प्रश्न का जवाब यही है
सत्ता धारी पक्ष से विपक्ष का सवाल
जवाब आता है
आपके समय यह हुआ था
साबित करने में लगे रहते हैं
अरे यह सोचो न
जो हुआ सो हुआ
अब क्यों हो रहा है भाई
आप क्यों वह दोहरा रहे हैं
सुशासन के लिए तो सरकार बदली
सत्तर साल पीछे जाने के लिए नहीं
गडे मुर्दे उखाड़ने से क्या फायदा
तब की परिस्थितियां
आज से अलग थी
किसने क्या किया
यह छोड़
आप क्या कर रहे हैं
आपके राज में क्या हो रहा है
इस पर ध्यान केंद्रित करें

कलम हमारी हो

अपने जीवन की कहानी स्वयं ही लिखनी है
किसी दूसरे से नहीं
अपने पेन को अपने हाथों में ही रखना है
सोचना है समझना है
शब्दों में तालमेल बिठाना है
अच्छी शब्दावली का इस्तेमाल करना है
विचार हमारे है
किसी और का नहीं
हम कठपुतली नहीं है
डोर पर कोई नचाए
यह कहानी साधारण नहीं है
असाधारण है
जीवन समाया हुआ है
पूरा जीवन दर्शन है
वह शानदार हो
दूसरे के लिए भी मिसाल हो
कलम भी हमारी हो
जब जीवन हमारा है

Saturday 27 July 2019

बंद दरवाजा

दरवाजा खुला है
आस लगाये बैठे हैं कोई आएगा
कोई झाँकेगा
कोई देख कर बोलेगा
पर सब व्यर्थ
यहाँ सबके दरवाजे बंद
सब अपने अपने में मस्त
किसी को किसी से लेना देना नहीं
हम चाहते हैं मेलजोल बढाना
वे चाहते हैं दूरी बनाना
प्राइवेसी में खलल पडता है
किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं
चेहरा देखना भी गंवारा नहीं
अब अकेला रहना चाहता है हर कोई
संबंधों में सीलन आ गई है
गर्माहट रही नहीं
सब दरवाजे के पीछे अपनी अपनी दुनिया में मस्त
यही है आज हमारे महानगर की जिंदगी
पडोसी से कोई सरोकार नहीं
अब किसी के घर से भोजन की खुशबू नहीं आती
अब तो कौए भी नहीं आते
न किसी के आने का संदेश देते
जिंदगी सिकुड़ गई है
इस बंद दरवाजे के पीछे

Friday 26 July 2019

अपने ही पिता को ??

पिताजी को तीर्थयात्रा पर लेकर निकला बेटा
विचार था आते समय कहीं पर छोड़ दूँगा
पूरी प्लानिंग के साथ
पत्नी से भी सलाह ले ली थी
बहुत किटकिट करते
दिन रात बोलते रहते
ऊब चुके थे
दादाजी को घुमाने ले जा रहे हैं
पोता दादा जी से गले मिला
मजा करके आओ
भगवान का दर्शन कर आओ
मैं भी बडा हो जाऊंगा तब आपको और मम्मी को ऐसे ही ले जाऊंगा
दोनों पति-पत्नी एक दूसरे को देखने लगे
इशारों में कुछ कहा
फिर सर हिलाया
होंठो पर मुस्कान छा गई
नहीं पिता को ससम्मान साथ लाना है
आज ये बूढे है
कल हम भी तो होंगे
अगर हमारा बेटा भी यही करें तो
क्या हुआ पापा
कुछ नहीं , कुछ नहीं
कुछ भटक गया था
अब ठीक है
आप तो एक ही जगह खडे हैं
भटक कहाँ गए थे
तू नहीं समझेंगा बेटा
पापा ने प्यार से सर पर हाथ फेरते हुए कहा
बहुत बडी गलती करने जा रहा था
तूने बचा लिया
छोटे भी बडो को सिखा सकते हैं
बापूजी चलिए
गाडी आ गई
हाँ हाँ चल
तेरे जैसा लायक बेटा ईश्वर हर किसी को दे
वह सोच रहा था
यह नालायक आज क्या करने जा रहा था
अपने ही पिता को ????

विजय दिवस

बीस साल बीत गए
बहुत कुछ बदल गया
सरकार भी बदली
एक नई पीढ़ी भी तैयार
पर कारगिल के शहीद आज भी याद है
उनकी दुश्मन को मुंहतोड जवाब
पाकिस्तान को करारी हार
टेलीविजन के सामने बैठ समाचार देखते
अपने सैनिकों के शव आते
पर फिर भी झुके नहीं
ऑखे नम होती रही
माता रोती रही
सैनिक बर्फ के मैदान में डटा रहा
सामने गोली खाने
दुश्मन को जवाब देने
कुछ तो लौटे नहीं
ऑखे तकती रही
वे लडते रहे
आखिर विजय तो दिला दी
हमारे इन जवानों ने
इन्हीं पर तो देश को नाज है
बीस साल पहले भी हम दुश्मन पर बीस थे
आज भी हम बीस है
हमारे सैनिकों की बदौलत
नमन है कोटि कोटि
ईश्वर को तो नहीं देखा
पर इन देशरक्षक पर देश को सौंपा है
उन पर विश्वास है
ये कभी देश को झुकने नहीं देंगे
तभी तो ये मरकर भी मरते नहीं
अमर शहीद हो जाते हैं
विजय दिवस है
इनकी याद एक कर्तव्य है
इनकी बदौलत ही हम है
लहराता तिरंगा है
झूमता गाता देश है
देश का मान सम्मान है
कोई अब आक्रमण को सोचे
तब कारगिल को याद करें
वह हिम्मत ही नहीं कर पाएगा
हमारे हर सैनिक को नमन
दिल से आभार
तुम हो तभी तो हम है

अभी तू बच्ची है

बहू तू अभी बच्ची है
मन की बहुत कच्ची है
तेरा इरादा चाहे कुछ भी हो
मेरा इरादा नेक है
नहीं उसमे कोई स्वार्थ है
मैं माँ हूँ
हर रिश्ते से बडा यह रिश्ता
निस्वार्थ ,प्यार भरा
बेटा तो मेरी जान का टुकड़ा
वह है तेरा दीवाना
तू उस पर भले हुक्म चला
उसे मनगढंत बातें बता
मेरे खिलाफ भडका
वह तेरा तरफदार बन जाएगा
पर मुझसे न अलग रह पाएगा
अलग कर दिया
तब वह टूट जाएँगा
वह तेरे साथ तो रहेगा
पर पहले जैसा न रह पाएगा
खुश नहीं रह पाएगा
वह तेरे हित में नहीं रहेगा
आज तेरी खातिर मुझे छोड़ा
कल किसी और की खातिर तूझे छोड़ देगा
वह तेरे हित में नहीं होगा
मेरी तुमसे कोई स्पर्धा नहीं
हाँ फर्क है
मैं माँ हूँ
तुम पत्नी हो
माँ से अलग कभी हुआ ही नहीं जा सकता
वह गर्भनाल का बंधन है
काटने पर भी जुड़ा है
तुम्हारा बंधन फेरो का है
वह संभाल कर लगाना पडता है
अगर लडखडाए तो गिर पडेंगे
उसको संभाल कर रखना है
उसके साथ उसके परिजनों को भी
माँ तो जिगर से जुड़ी हुई है
उसे जोड़ कर रख
यह बंधन भी मजबूत रहेगा

Thursday 25 July 2019

अलग ही बात थीं

न अलग तौलिया था
न अलग बिस्तर था
न अलग कंघा था
न अलग साबुन था
हर सामान साझा था
बीमारी से इनका न कोई नाता था
आज सबका अपना अपना
फिर भी बीमारी ने घेरा
एक्वागार्ड नहीं था
तरह तरह के मच्छर भगाने वाले नहीं थे
क्लीनर नहीं थे
तब भी जिंदगी आराम की थी
शैम्पू नहीं था न खास तेल था
तब भी बाल घनेरे थे
टूथपेस्ट नहीं थे तरह तरह के
फिर भी दांत मजबूत थे
पिज्जा बर्गर नहीं था
बासी रोटी के नाश्ते में जिंदगी खुशगवार थी
मंहगे प्राइवेट स्कूल नहीं थे
घर के पास वाली सरकारी स्कूल में भी बचपन गुलजार था
पढे लिखे खेले
बडे अफसर भी बने
आज उस अतीत पर वर्तमान टिका है
सब कुछ है
पर उस अतीत में भी एक अलग ही बात थीं

जिम्मेदार पृथ्वी वासी

बूँद कितनी स्वच्छ चली थी
उड ही रही थी
अचानक नाले में गिर पडी
अपने भाग्य को कोसने लगी
बदबू से कराहने लगी
इतनी गंदगी कि जिंदगी दुश्वार
यह किया किसने
हम तो ऊपर से शुभ्र स्वच्छ आती है
पृथ्वी वासियो के लिए
उन्हें शीतल करने के लिए
प्यास बुझाने के लिए
हरा-भरा करने के लिए
फसल के लिए
और हमारी दुर्दशा इस तरह
हमें गटर और नाले में शरण
इसका जिम्मेदार भी तो पृथ्वी वासी ही है

अन्याय का सामना करना है

सरल होना अच्छा है
पर इतना भी सरल नहीं
कोई कुछ कहे और निकल जाए
आपको ठेस पहुंचाएं और आप हंसते रहे
आपको थप्पड़ मारे और आप सहन कर ले
आपके मुंह पर थूकते जाए और आप पोछते जाए
यह तो कोई बात नहीं
घमंड न हो पर स्वाभिमान तो हो
आप खिलौना नहीं है
आपकी भावनाओं से खेला जाय
आप आह भी न करें
आप जवाब न दे
तब तो आप कायर की श्रेणी में गिने जाएंगे
पग पग पर ऐसे लोगों से सामना होगा
अपने को इतना निम्न नहीं बनाना है
शान से सर उठाकर चलना है
अन्याय न करना है
न अपने साथ भी होने देना है

बूँदो की फुहार

बारिश की बूंदों की फुहार
मन मचल मचल जाय
बूंदे मचलती ,इठलाती ,बल खाती
आसमान से धरती पर
गिर रही छमाछम
न कोई रोकटोक
न कोई बंधन
स्वतंत्र ,मनमौजी
इन्हें देख
मन मचल मचल जाय
हलचल उठ रही
छमछम नाचने को जी हो रहा
किसी की रोकटोक नहीं
गुलामी नहीं आजादी
जहाँ चाहे जाऊं
जहाँ चाहे रहूं
जो चाहे करू
जिंदगी को बूंदों की तरह जी लूँ
बूँद के बुलबुले सी जिंदगी
इसके ताने बाने हजार
सब छोड़ दूँ
बस जी भर जी लूँ
पडी बारिश की बूंदों की फुहार
मन मचल मचल जाय

चुप रहे

चुप रहना सीख लो
यह बहुत बडी कला है
तेरी भी चुप
मेरी भी चुप
सबकी बोलती कर देगी बंद
बोलने से बात बिगड जाती है
कभी कभी चुप रहने से संवर जाती है
चुप रहना कायरता नहीं
जब सामने वाला गुस्से में उबल रहा हो
तब बोलना आग में घी डालना
उबलने दे
शांत होने दे
शायद एहसास हो
वह गलत है
छोड़ दे कुछ समय
यह घर में हो
बाहर हो
रिश्तों में हो
दोस्ती में हो
बहुत बडा हथियार है
बिना चले वार करता है
चुप रहे
नतीजे की प्रतीक्षा करें
नहीं तो फिर वाणी अस्त्र है ही
वह विशेष समय के लिए
छोटी छोटी बातों के लिए नहीं

Wednesday 24 July 2019

हम जिंदगी का साथ निभाते गए

जिंदगी धूप छाँव का खेल खेलती रही
हम भी उसके साथ खेलते रहे
कभी हंसते हंसते
कभी रोते रोते
कभी कभी उदास होकर
कभी-कभी मुस्कराकर
कभी अंजान बनकर
कभी टालकर
कभी अपनाकर
कभी दुराव रखकर
कभी गले लगाकर
कभी दुखी होकर
कभी खुश होकर
कभी खिलखिलाकर
कभी आनंदित होकर
कभी अंधेरे में बैठकर
कभी प्रकाश की किरणों में
कभी बरखा की फुहारो में भीगकर
कभी नम ऑखों और मुस्कुराते होठों से
हमने जिंदगी के साथ भरपूर खेला
कभी साथ नहीं छोड़ा
हर मोड पर उसके साथ खेलते रहे
वह धूप छाँव का खेल खेलती रही
हम साथ निभाते गए .

मोदीजी खंडन करें

मैं देश नहीं झुकने दूंगा
इस पंक्ति और इस वाक्य को कहे हुए व्यक्ति से हम भलीभाँति परिचित है
जनता का भरपूर विश्वास मिला
प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार सत्ता पर आसीन हुई
कश्मीर मुद्दे पर ट्रम्प ने क्या कहा
वह सही है या गलत
इससे हमें मतलब नहीं
हमें प्रधानमन्त्री जी पर पूरा विश्वास है
लेकिन उन्हें स्वयं इस बात का खंडन करना चाहिए
ट्रम्प ने यह बात पाकिस्तान के हुक्मरान से कही है
यह साधारण बात नहीं है
मोदीजी पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं
तब उनको माकूल जवाब देना चाहिए

आसमान की उडान

हौसला ऊपर रखो
आसमान की उडान भरो
बेहिचक ,बेझिझक
पंखों को कतरनें वाले बहुतेरे
उनकी परवाह न करो
यह यही जमीन पर रह जाएंगे
बीते जमाने के हो जाएँगे
तुम आज हो
पंखों को असीमित फैलाओ
कोई रूकावट न आडे आए
बिना रोकटोक
अपनी मन मर्जी से उडना है
ऊपर उठना है
सारा जहां अपनी मुठ्ठी में करना है
ऐसा कि सब हसरत भरी निगाहों से देखें
और कहें
काश ,हमने भी ऐसा किया होता
तब हम जमीन पर न खडे हो
आसमान की उडान भरते

मानव ही बने दानव नहीं

कहावत है पुरानी
जड खराब हो तो फुनगी भी खराब
वह पनप ही नहीं पाती
यही हाल मनुष्य का है
सब कुछ हमारी जडो में निहित है
बाप दादा और पूर्वजों का बहुत कुछ हाथ है
जीवन संवारने और बनाने में
वे रीढ की मजबूत हड्डी समान है
कुछ खडा करने के लिए
एक दो पीढी लग जाती है
अगर जडो मे ही घाव हो तो
पेड सूख जाएंगा
फुनगी और डाली कभी पुष्पित और पल्लवित नहीं हो सकते
जीवन को बनाने में अकेले का हाथ नहीं रहता है
किसी की बरसो की मेहनत और त्याग समाया रहता है
तब जाकर कोई खडा होता है
यही पीढी दर पीढी चल रही है
अगर जड ही खराब हो तब अपेक्षा व्यर्थ
यह सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है
स्वयं को इस लायक बनाए
आनेवाली पीढी को शर्म नहीं गर्व महसूस हो
बात अमीर और गरीब की नहीं
बात जिम्मेदारी और भावनाओं की है
समाज और परिवार के प्रति जवाबदेही की है
उससे भागा नहीं जा सकता
जीवन मिला है मानव का
मानव ही बने दानव नहीं

Tuesday 23 July 2019

यह आज की नारी है

यह प्रश्न हर रोज
खाने में क्या बनेगा
आज सब्जी क्या
किसे क्या पसंद
सारे घर की जिम्मेदारी
हर किसी के पसंद - नापसंद का ख्याल
सबका ख्याल रखते रखते अपनी ख्वाहिश लापता

बिना गलती के भी सबकी बात सुनना
धीरज रखना
सबको संभालते संभालते स्वयं को खोना
आज मन नहीं है
इसकी तो गुंजाइश ही नहीं

पति के लिए सावित्री
बच्चों के लिए यशोदा
समाज के लिए रानी लक्ष्मीबाई
स्वयं के लिए इंदिरा
इतनी जिम्मेदारी
तब बैठे कैसे

अच्छी बेटी ,बहू ,पत्नी ,माँ ,पड़ोसन
शिक्षिका ,वीरांगना ,प्रेयसी
हर रूप में ढलना है
समाज की बागडोर थामी है
वह बैठ नहीं सकती
घर - बाहर दोनों को संभालती
यह आज की नारी है

तू भी धन्य हो जाएगी

जहाँ तेरी जरूरत है वहाँ तू जाती नहीं
जहाँ जरूरत नहीं वहाँ जम कर आती
सूखा पडा है जहाँ
जमीन बंजर हो रही है जहाँ
फसल आस लगाये राह देख रहे
वहाँ तू सबको तरसा रही
कहीं आ रही तो जम कर आ रही
अपने साथ बाढ का प्रकोप ला रही
अतिवृष्टि कर रही
लोग बेघर हो रहे
उनका जीवन लील रही
तेरी यह विध्वंसक लीला समझ नहीं आ रही
कुछ को तडपा रही
कुछ को तर बतर कर रही
तेरी जरूरत तो सभी को
तू अपनी कृपा सब पर बरसा
पर संयम से
तब सब लहलहाएगे
तू भी धन्य हो जाएगी

प्यार भरी फुहार

फूल तो रेगिस्तान में भी खिलते हैं
कितना भी कठोर हो
अंतरतम में एक कोमल दिल रहता है
प्यार भी हिलोरे मारता है
दिल हिचकोले खाता है
पत्थर में भी झरने फूटते है
लहरे झूमती मचलती है
दिल में ज्वालामुखी का लावा उबलता हो
तब भी उसमें पानी की फुहारे रहती है
स्नेहमयी स्पर्श से प्यार का झरना फूटेगा
फूल मुस्कराएगे
कलियां खिल उठेगी
ज्वालामुखी शांत हो जाएंगा
कण कण द्रवित हो उठेगा
बस प्यार भरी थोडी-सी फुहार की दरकार

जख्मो पर नमक छिड़कना

जख्म भर जाते हैं
उन्हें धोया पोछा जाय
मरहम पट्टी की जाय
दवा दारू की जाय
यह तो हुई बात शरीर के जख्म की

मन के जख्म भी भर सकते हैं
उन्हें प्रेम और धीरज दिया जाए
प्यार से सहलाया जाय
ये जख्म दिखते नहीं है
पर होते बडे गहरे हैं
अगर नासूर बन जाए
तब तो खतरनाक है

इन पर नमक नहीं छिडकना है
नहीं तो यह हरे भरे ही रहेंगे
कुरेदना नहीं है
सहानुभूति रखनी है
पर समाज में तो तरह-तरह के नमक उपलब्ध
टाटा ,पतंजलि ,अन्नपूर्णा से लेकर
काला नमक ,सेंधा नमक ,समुद्री नमक
यह सामने वाले को काला पीला कर डालते हैं
बींध डालते हैं
इसमें मजा भी आता है
जख्मो पर नमक छिड़कना इनका स्वभाव है
उसे और नमकीन बना चटखारे लेते रहते हैं
जब तक छिडके नहीं
सब बेस्वाद नजर आता है

ऐसे लोगो को जख्म दिखाने की जरूरत नहीं
दूरी बनाए रखना है
यह शातिर सीधे दिल पर वार करते हैं
सावधान रहें
इंसान के रूप में शैतान

Saturday 20 July 2019

नहीं रही शीला दीक्षित

नहीं रही शीला दीक्षित
दिल्ली उनके दिल में बसती थी
दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली
दिल्ली के आम आदमी की समस्या को सुलझाने वाली
दिल्ली को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली
सौम्य और कर्मठ राजनेता
कांग्रेस के प्रति निष्ठावान
एक युग का अंत हुआ है
उस सोच का अंत हुआ है
सब दुखी है
हर पक्ष के लोग
लोगों ने एक अपना नेता खोया है
एक व्यक्तित्व को खोया है
ऐसे लोग फिर नहीं मिलेंगे
देश के लिए और देश वासियों के लिए अपूरणीय क्षति

मां के लिए भी

मां को खाना दिया ऐसा जैसे पटक दिया
यह लो खाओ
तुम्हारे नखरे हजार
दांत से टूटता नहीं
तब हम लोग क्या पीस कर खाए
तुम्हारे लिए अपने मुख का स्वाद बेकार करें

अचानक बच्चा रो उठा
इसे भूख लगी है
दलिया या खिचड़ी बनाना था
सब्जियों को पीस कर बनाना था
इतना कडा चावल वह कैसे खाएगा

अचानक नजर माँ पर गई
मां मुस्करा रही थी
ऑखों ही ऑखों में मानो कह रही हो
तुझे भी एक दिन ऐसे ही खिलाया था
फर्क इतना था
तू बच्चा था दांत नहीं थे
आज मेरे नहीं है

अचानक कह उठा
जैसा मुन्ने के लिए बनेगा
वैसा माँ के लिए भी