Monday 30 September 2019

नहीं भूले

हम तो भूले ही नहीं
यादों के झरोखे से रखा है
जब जरा गर्दन झुकाई
तुम याद आ गए
तुम्हारे वह झुमके
खनकती हंसी की झनकार
वह घुंघराले बालों की लटा
वह हाथ जोड़ ईश्वर का ध्यान करना
वह सरपट दौड़ना
पसीने पोछते हुए दो मिनट थमना
फिर ऊपर नीचे की दौड़ भाग
बाय बाय करते जाना
वह लम्हा कहाँ भूलेगा
तुम्हारे गाने की धुन
इन भूली बिसरी यादों में समाई
भूलना संभव नहीं
जिससे मन जुड़ा हो
यह नाता तो दिलों का है
जब तक जिंदगी है
तब तक याद भी है

जनकल्याण में ही सबका कल्याण

ईश्वर की हर रचना अनुपम
बस देखने का नजरिया हो
हर जीव मौल्यवान
सबकी अपनी-अपनी अहमियत
काला और कर्कश कौआ
जिसे लोग पसंद नहीं करते
वही पूर्वजों के रूप में पन्द्रह दिन
ये श्राद्ध के विशेष दिनों में उसकी खूब आवभगत
सब उसकी प्रतीक्षारत
कितनी वैज्ञानिक विचारधारा थी
जो सडी गली चीजे खाता है
परिसर को स्वच्छ रखने में मददगार
उसकी उपेक्षा तो नहीं कर सकते
वर्ष में एक बार तो कार्य का सम्मान करें
उसको भी अच्छा पकवान दे
यह पर्यावरण रक्षक जीव
हमें सिखा जाता है
किसी को कम मत ऑको
किसी की आवाज
किसी का रंग रूप
किसी का ऊपरी व्यक्तित्व
बस इससे ही मत प्रभावित हो जाए
उसके गुणों को जानिए
तब उसके बारे में विचार बनाइए
जिंदगी में कब किसकी जरूरत आ पडे
यह तो कोई नहीं जानता
जब प्रभु राम  को भी रावण से युद्ध करने के लिए
बंदरों का सहारा लेना पड़ा
इसी वानर सेना ने लंकेश के साम्राज्य को तहस नहस कर दिया
हर जीव हर प्राणी सब मौल्यवान
हमारा धर्म तो इसका कितना बडा पक्षधर
वह सभी को साथ लेकर चला सदियों से
हम तो इंसान में भी भेदभाव करते हैं
काले गोरे ,खूबसूरत बदसूरत
इससे ऊपर उठकर सोचे
जनकल्याण में ही सबका कल्याण है

Sunday 29 September 2019

हमारी माता जी

यह मुस्कराती हुई माता जी
भूखी प्यासी होने पर चेहरे पर सुकून
एकदम तृप्त और संतुष्ट
कौए के रूप में अपने पूर्वजों को खिला
जैसे मनचाहा वरदान मिल गया हो
अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगना
अर्धरात्रि से नहा धोकर तैयारी
किसी को हाथ भी न लगाने देना
विश्वास ही नहीं
कुछ गलत हो जाय तो पूर्वज रुष्ट न हो जाय
भले कोई कितना चिढे
इन पर कोई असर नहीं
यह तो अपने में व्यस्त

लगा आज जो बच्चे चांव लेकर खा रहे हैं
कल शायद यह न हो
पर याद तो रहेंगी
भले कितना भी क्रोध आ जाय
इनकी हरकतों से
पर न रहने की कल्पना से मन कांप जाता है
नही अभी नहीं
अभी तो जीना है
नहीं तो  हम  अनाथ हो जाएँगे
इनके लिए नहीं अपने स्वार्थ के लिए
इनको जाने  नहीं देना चाहते

जो कौए को खिलाकर
अपने बच्चों को खिलाकर प्रसन्न रहे
शक्ति न होने पर भी लगी रहें
शायद उनको भी एक दिन जाना होगा
पर कहा जाता है न
माँ कभी बूढी नहीं होती
बच्चे कभी बडे नहीं होते
इसलिए यह बात ध्यान में नहीं आती
यह भी तो एक दिन जाएंगी
आज यह खिला रही है कौए को
कल को यह भी तो कौआ बन कर आएगी
ईश्वर करें
यह ऐसे ही खिलाती रहे
क्योंकि हम इनको अपने साथ देखना चाहते हैं
इस लोक में रहे
अपनी बेपरवाह मुस्कराहट बिखेरते
सबको आशीर्वाद देते
यह हाथ पैर चलते रहे
और यह अपना प्यार बांटती रहे

Saturday 28 September 2019

लता दीदी जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो

भारत माता की लता
निरंतर आगे ही बढती रही
अपने सुरीले सुरों की बदौलत
यह वह लता जिसे जहाँ चाहो वहाँ मोड लिया
हर तरह के गानों को उनके अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय
हर गाने का अंदाज नया - अनोखा
गाने को छू लिया तो वह अनमोल हो गया
आज भी वे गाने मन को मोह लेते हैं
पुरानी हो या नयी
हर पीढी उनके गानों की दीवानी
गाने को उन्होंने अमर कर दिया
भारत कोकिला तो वे एक ही है
उनके जैसा न पहले न बाद में
लता दीदी बढती रहे
अभी तो और गाने उन्हें गाना है
तीन पीढी क्या हमारी चौथी पीढ़ी भी उनके गानों की मुरीद
पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी से लेकर आज के प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी
भारत की इस शानदार यात्रा का सफर
लता दीदी के गानों के बिना अधूरा
ऐ मेरे वतन के लोगों
आज फिर जीने की तमन्ना है
हम न रहेंगे तुम न रहोगे फिर भी रहेंगी निशानिया
ये जिंदगी उसी की है जो किसी का हो गया
यह लता तो बस भारत माता की है
उनकी शान आगे भी बढाती रहे
सदाबहार रहे सदाबहार गाने गाती रहे
अभी तो नब्बे ही है शतक बनाना है
   बहुत बहुत मुबारक हो यह जन्मदिन

Thursday 26 September 2019

समय नहीं रहता एक समान

समय एक सा नहीं रहता है
वह आता जाता रहता है
कुदरत का नियम है
कभी आंधी तूफान
कभी घनघोर बरसात
कभी भूकंप के झटके
कभी कंपा देने वाली ठंडी
कभी जला देने वाली गर्मी
कभी शीतलहरी
कभी लू के गरम थपेडे
कभी ज्वालामुखी
कभी पतझड
कभी वसंत
इन सबको जो सह गया
वह तो जग जीत गया
इसमें से जो निकलते हैं
वही वीर योद्धा कहलाते हैं
संघर्षरत रहते हैं
जडो से जुड़े रहते हैं
वही यहाँ के असली नायक
सदियों याद रहती है उनकी कहानियां
प्रेरणास्रोत होते हैं

श्राद्ध करे श्रद्धा से

श्राद्ध तो जुडा है श्रद्धा से
अपनो के प्रति श्रद्धा और विश्वास
उनका मन से आभार
कम से कम वर्ष में पन्द्रह दिन
बहुत एहसान उनका हम पर
उन एहसानों का एहसास होना जरूरी
कृतघ्न नहीं कृतज्ञ बनना है
वर्तमान पीढ़ी को भी बताना है
हमें किसी को भूलना नहीं है
कम से कम इसी बहाने उनको याद भी रखना है
उनकी विरासत
उनकी मेहनत
उनका प्यार
उनका त्याग बलिदान
सब कुछ
जब सब उनकी बदौलत
तब उन्हें मन से धन्यवाद दे
और कामना करें
साल में एक बार आते रहे
अपनी कृपा बरसाते रहे

मोदीजी को Father of India कहना ????

ये तो हमारे पिता समान है
जितना कोई पिता नहीं करेगा उससे ज्यादा इन्होंने किया
यह हम अक्सर सुनते हैं
चाचा ,मामा ,फूफा ,ताऊ या किसी रिश्तेदार या दोस्त के लिए
अगर ट्रम्प ने कह ही दिया तो क्या फर्क पड गया
देश का सबसे बडा नेता जिसके कंधों पर जनता की जिम्मेदारी
अगर वह अपनी जनता का ख्याल पिता बन कर रख रहा है और उनका भला बुरा सोच रहा है
विकास की ओर ले जा रहा है
उनकी मुश्किल आसान कर रहा है
बुराई को मिटा रहा है
वह किसी एक के लिए नहीं सभी के लिए अच्छा है
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता है और रहेंगे
उनका ओहदा नहीं छीना है
न उनसे तुलना की है
बस कहा है
उनके शब्दों को किस तरह से लिया जाय
यह तो व्यक्ति पर निर्भर है
अगर हर नेता देश को अपना घर
जनता को अपनी संतान समझने लगे
तब तो सारा बवाल ही खत्म
एक सौ इक्कीस करोड़ भारतीयो के प्रधानमंत्री
उनकी चिंता
उनका विकास
इस विश्वास के साथ जिम्मेदारी
और अगर प्रधानमंत्री इसे निभा रहे हैं तब तो वह इसके हकदार बनते ही है
प्रजा राजा की संतान ही होती है
प्रजातंत्र के सबसे बड़े देश के मुखिया है मोदी
सभी नेताओं को संतान ,घर ,परिवार ,रिश्ते ,जाति ,धर्म से ऊपर उठकर देश को अपना घर
जनता को अपनी संतान समझना होगा
तब कोई भी पिता तुल्य कहला सकता है
मोदी जी का प्रयास जारी है
तभी तो प्रेम भी प्राप्त हो रहा है
Father  of India  कहलाने के हकदार वे है
इसमें क्या बात बनाना
बात बनाने से बेहतर देश बनाने में मोदी का साथ दे
उनके साथ विकास का भागीदार बने

Wednesday 25 September 2019

हर घर में सोनाक्षी सिन्हा है

संजीवनी को कौन और किसके लिए लाए थे
यह शायद आज की पीढ़ी के लोग जानते होगे
और कितने ??
सोनाक्षी सिन्हा की श्रेणी आज की पीढी है
उन्हें इतिहास और धर्म से कोई लेना-देना नहीं है
विज्ञान और टेक्नालॉजी का युग है
कल को शायद यह भी नहीं जाने
राम कौन है ??
यह कोई अंसभव नहीं है
आज हर हिंदू निश्चय करे
अपने बच्चों को रामायण ,महाभारत और श्रीमदभागवत तथा पुराणों से अवश्य परिचित कराएगा
यह तो तब होगा
जब वह भी यह सब जाने
आज तो क्या पिछली पीढ़ी भी स्वयं से पूछे
रोजी-रोटी की जुगाड़ में हमारे ग्रंथ कहीं पीछे छूट गए
न वह चौपाल रही
न वह रामचरित मानस का पाठ रहा
आज भी रामलीला होती है
पर कितने लोग देखने जाते हैं
आज की पीढी रामलीला देखेगी
या इंटरनेट पर रहना पसंद करते हैं
हर घर का यह हाल है
यह शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी की बात नहीं है
हमारी वर्तमान पीढ़ी का यही हाल है
सोनाक्षी के माध्यम से यह सोचने को मजबूर कर दिया
हम हिन्दू सच में अपने आराध्य देव से कितने परिचित है
राम-राज्य की कल्पना महात्मा गाँधी की थी
तब राम का चरित्र ,रामायण को फिर से जागृत करना है
राम मंदिर तो जब बनेगा तब बनेगा
पर हर हदय में राम का वास हो
और वह तब जब रामायण की जानकारी हो
आज हमारी यही विडंबना है
हर घर में सोनाक्षी सिन्हा है

Tuesday 24 September 2019

पितृ पक्ष

पितृ पक्ष का पावन अवसर
आता है बस साल में एक बार
याद करो उनको
जिनकी वजह से तुम्हारा वजूद है इस दुनिया में
आप उनकी बदौलत है
यह एहसास तो कराना है
उनको नहीं भूलना है
समय-समय पर याद करना है
पितरो की प्रथा निभाना है
इस लोक के साथ उस लोक से भी आशीर्वाद लेना है
अपने जो छोड़ गये
उनको भी कुछ याद करना है
उनका उपकार याद रखना है
उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है
उनको इस अवसर पर इस लोक में बुलाना है
अपनी संतानों से साक्षात्कार करवाना है
उनका जी भर स्वागत करना है
मनपसंद भोजन भी करवाना है
यह एहसास दिलाना है
हम तो कभी नहीं भूले
आपसे तो ही हम है
यह बात भी तो सच है
नादानिया - गलतियाँ बहुत कर चुके
फिर भी संतान तो आपकी प्यारी है
स्नेह बरसता रहे
आप आते रहे
हम श्राद्ध करते रहे
आपकी आवभगत करते रहे
अदृश्य होते हुए भी हमें महसूस कराते रहे
वंशबेल को बढते देख खुश होते रहे
हम पर ही नहीं
हमारे संतानों पर भी कृपा करते रहे
अटूट नाता है
कभी न खत्म होने वाला
आना है हर साल
साल भर का आशीर्वाद देकर भी जाना है
जिंदगी के साथ या जिंदगी के बाद
आपका साथ रहे हमेशा बरकरार

बेटी ही नहीं माॅ भी हूँ

बेटी तो मैं थी ही
आज अचानक बडी हो गई
इक बेटी की माॅ बन गई
सब कुछ सुहावना लगने लगा
घर - आंगन महकने लगा
जब हाथों में थामा बिटिया को
सारा संसार इसमें समाया लगने लगा

यह प्यारी बिटिया रानी
झुन झुन इसकी जब पायल बजती
मेरे मन-मंदिर में घन घन घंटी बजती
जब जब यह मुस्कराती
तब तब मेरा अंतर्मन प्रफुल्लित हो उठता
जब जब यह तोतली बोली में बतियाती
मेरे कानों में संगीत की स्वरलहरिया गूंजती
जब यह हौले हौले दुग्धपान करती
तब स्वर्ग की अनुभूति होतीं
जब यह सोती नींद भर
तब मेरी भी नींद हो जाती पूरी
जबसे यह आई
दिन हो गए सुहाने
रात हो गई चमकीली
इसका जीवन मेरा जीवन
लगती अगर इसको ठोकर
सिहरता रोम रोम मेरा
बडी नाजुक और कोमल है
प्यारी और चंचल है
इसका बचपन देख मेरा बचपन साकार हो उठा
याद आ गई
अपनी माँ
उसने भी तो यह अनुभव किया होगा
बडे नाजो से पाला होगा
अपनी खुशियाँ न्योछावर की होगी
मेरे आते ही वह बडी बन गई होगी
मुझे देख निहाल होती होगी
हर पल निहारती होगी
उसकी ऑखों में मुझे देख चमक आ जाती होगी

हर गलती पर डांटने वाली माँ
आज प्यारी लगने लगी
उसकी ऑखों में वही ममता दिखाई देने लगी
वही चिंता दिखी जो मुझे मेरी बेटी को लेकर रहती
आज तक कठोर समझने वाली माँ
आज नम्रता की मूरत लगने लगी
यह चमत्कार हुआ कैसे
यह तब मैं समझीं
जब मैं बेटी से माँ बन गई
बेटी ने मुझे माँ से मिलवाया
असलियत से परिचय करवाया
सपनों से धरातल पर ला खडा कर दिया

बेटी और माँ के बीच की कडी हूँ मैं
भूत ,वर्तमान और भविष्य की डोर हूँ मैं
कल , आज और कल के बीच आज बन खडी हूँ
मेरा एक नया वजूद है
आज मैं बेटी ही नहीं माॅ भी हूँ
सबसे बहुमूल्य सौगात की साक्षीदार हूँ
संसार चक्र को चलाने में भागीदार हूँ
आज मैं बेटी ही नहीं माॅ भी हूँ ।

चलो सब भूल जाए

मन में अजीब सी हलचल
हर वक्त मन अतीत में भागता दौडता
थक जाती हूँ कभी-कभी
ऐसा क्यों हुआ
ऐसा क्यों कहा
ऐसा क्यों किया
इन सब पर बस तो था नहीं
बस कुढते रहे
इसमें कुछ अपने थे
कुछ बेगाने भी
कुछ हितैषी भी
कुछ दुश्मन भी
कुछ प्यार करने वाले
कुछ ईर्ष्यालु भी
न उनको जवाब दिया
न माफ किया
बस स्वयं को परेशान किया
नतीजा तो कुछ भी नहीं
उनको तो याद भी नहीं
उसी बात को याद कर हम दुखी होते रहे
कुछ है कुछ दुनिया से रुखसत कर गए
कुछ समय के साथ बिछुड भी गए
उनकी छाप जो पडी है
वह हठीली जाती भी नहीं
अब तो हमारे दिन भी कुछ ज्यादा बचे नहीं
अर्थी उठने से पहले इन विचारों से ऊपर उठ जाऊं
सब भूल ईश्वर में रम जाऊं
अब शक्ति नहीं बची है
अब शांति चाहिए
अंदर - बाहर
यह तब संभव जब अंदर का तूफ़ान थमेगा
सब कुछ भुलाना होगा
माफ करना होगा
स्वयं को भी ,अपनो को भी
दूसरो को भी ,दुश्मनों को भी
चिरस्थायी तो कुछ भी नहीं
जब जीवन ही नहीं
तब उससे जुड़ा यह अतीत क्यों
सब नश्वर है
तब सारी कटुता को नष्ट-भ्रष्ट कर दे
निर्विकार और निर्मल जीवन जीए
चलो सब भूल जाए

Monday 23 September 2019

सर झुकाना भी एक कला

सर झुकाना नमन करना यह हमारी आदत में शुमार
यह अदब है
तहजीब है
हमारे रग रग में है
हमारी परंपरा है
जब सर झुकता है
तब बडे बडे भी पिघल जाते हैं
दिल से दुआ देते हैं
आशीर्वाद की बौछार कर देते हैं
सारी नाराजगी क्षण में काफूर हो जाती है
क्रोध कपूर की तरह उड जाता है
झुक कर आप किसी को सम्मान से झुका देते हैं
अपनापन जताने का इससे अच्छा जरिया और कुछ नहीं
जब भी मौका मिले
अपनों के सामने इसका
उसको लपक लीजिए
बिना कुछ गंवाए
बहुमूल्य आशीर्वाद मिल रहा है
तब लपक कर ले ले
बहुत शक्ति है
जीवन आनंदमय हो उठेगा
यह कला आत्मसात कर लीजिए
जीवन संवरने में वक्त नहीं लगेगा

Sunday 22 September 2019

Happy Daughter's day

बेटी है तो संसार है
बेटी से ही तो परिवार है
बेटी हमारी शान
बेटी हमारा अभिमान
बेटी है सौभाग्यलक्ष्मी
उसकी उपस्थिति से बढ जाती रौनक
रोशनी है घर की
इसके बिना तो घर भी लगता सूना
इसकी बातों से गूंजता मेरा मन
जब जब यह चहकती
मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल जाती
बेटी जिम्मेदारी नहीं
वह तो जिम्मेदार है
सबका ख्याल रखना
उसकी आदत में शुमार
वह बोझ नहीं जीवन का मोल है
है अनमोल गहना
नहीं लगा सकता उसका कोई दाम
बेशकीमती हीरा है
जिसकी चमक से हमारा जीवन भी दमकता
जीवन को आनंद से भरनेवाली बेटी
हमारे जीवन पर है तुम्हारी मेहरबानी
मेरे घर आई खुशियाँ लेकर
यह तोहफा तो सबसे खास
बेटी मेरी तुमको तो तहे दिल से धन्यवाद

Saturday 21 September 2019

मोबाइल का साथ

तब बचपन सांप सीढी और लूडो खेलता था
आज वह खेलने के लिए बचा ही नहीं
तब साथ चाहिए था किसी का
आज मोबाइल का साथ है
पहले बडो की बातें ध्यान से सुनते थे
आज मोबाइल की सुनते हैं
पहले किताब का पन्ना पलट पलट कर ढूंढते थे
अब तो एक क्लिक करना है सब हाजिर
मेहनत की क्या जरूरत
पहले लोगों को देखते थे
आज अपनी ही सेल्फी लेने की होड है
दुनिया जहान से क्या वास्ता
सब मोबाइल में ही मगन है
न वह दौर है
न वह बचपन है
अब बातों की फुर्सत ही नहीं
सब अपने में व्यस्त है
भाई - बहन ,माँ - बाप ,साथी - संगी
सब मोबाइल ही है
खेलो - कूदो ,खाओ - पीओ
नाचो - गाओ , मौज उडाओ
पल पल इसके साथ बिताओ
खाना - पीना ,सोना - उठना
सब इसके साथ साथ
जबसे यह हुआ मेहरबान
तबसे बचपन हो गया सबसे आजाद
बस कस कर पकड लिया है
मोबाइल का साथ
बचपन का बचपना गायब
मोबाइल का सबसे बडा कमाल

बह जाने दो ऐसी बातों को

बाते हैं कि पीछा ही नहीं छोड़ती
संचित रहती है पूंजी - संपत्ति की तरह
पता नहीं कितने बरसों की बातें मन में समाई
पूंजी खत्म होते जाती है
बातो रूपी पूंजी इकठ्ठा होती जाती है जेहन में
यह हमें सालती रहती है
दुखी करती रहती है
बदले की भावना को प्रेरित करती है
खुशियाँ कम दुख ज्यादा देती है
दुनिया का दस्तूर है
कुछ नहीं तो बातों से हराओ
जम कर व्यंग्य के तीर चलाओ
सामने वाले को नीचे गिराओ
मजा लो और बातें बनाओ
किसी की बदनामी करो
उसका मजाक उडाओ
उसे निकृष्ट साबित करो
यह हथियार है ऐसा
जिसका तोड़ भी मिलना मुश्किल
बातो से ही बातों को काटा जा सकता है
पर यह कला तो सबके पास नहीं
बोल बचन ,बयान बहादुर बहुतेरे
जग की रीति निराली
हलचल मचाना
तमाशा देखना
सहानुभूति के मरहम लगाना
कुछ दिखना और कुछ असलियत
खतरनाक है यह
किसी का सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट कर देता है
सम्मान ,प्रतिष्ठा
यहाँ तक कि जीवन भी
यह पूंजी संचित नहीं करना है
इसे बहा देना है
जीवन ही बहता पानी है
बह जाने दो ऐसी बातों को
नहीं तो सड जाएगा यह जीवन

Friday 20 September 2019

वेदना का मर्म

वेदना सहना आदत में शुमार
वेदना में मुस्कुराना
वेदना में बतियाना
वेदना का काम है भेदना
अंतरतम तक छाया
फिर भी न कोई पहचान पाया
रम गया है जीवन में
वेदना विदा ही नहीं होती
जकड़ कर रखा  है
बडा मजबूत जोड इसका
न चाहते हुए भी जीवन भर साथ निभाने का वादा
हर श्वास के साथ यह विद्यमान
फिर भी बनती अंजान
हर क्षण पर भारी
अभिनय कला में माहिर
अंदर रोती
बाहर हंसती
हर दम जीवन पर छायी रहती
हंसती गाती जीवन के साथ चलती जाती
कब किस रूप में आए
विचलित कर जाए
इसका मर्म कोई समझ न पाए

पापा की बेटी

पिता हो आप
मैं आपकी लाडली
बचपन में आपकी उंगली पकड कर चली
जब जब गिरी तब तब उठाया
कंधे पर लादकर खिलाया
बस्ता ढो पाठशाला पहुंचाया
जब जब गलती की
समझाया और मनाया
कभी-कभी मेरी नादानी पर भी मुस्कराए
तमन्ना थी उडान भरने की
भरपूर साथ निभाया
अपनी इच्छाओं को कुर्बान किया
बहुत नाज नखरे उठाए अपनी लाडली की
आज वही लाडली सिसक रही है
जीवन डोर बांधी जिसके साथ
वह आपसा नहीं
लालची ,अंहकारी और क्रोधी
उसके साथ जीवन बिताना
नर्क से भी बदतर
मुझे और कुछ नहीं चाहिए
बस फिर अपने साथ ले लो
बेटी को इसलिए नहीं पाला था
पढाया लिखाया था
किसी का सहने के लिए
मैं जीना चाहती हूँ
आपका नाम रोशन करना चाहती हूँ
आपकी मेहनत को सफल करना चाहती हूँ
यहाँ मैं घूट घूट कर जी रही हूँ
हिम्मत ही नहीं होती थी
अब जाकर जुटाई है
आप समझ गए होंगे
पिता ही व्यथा समझ सकता है
अन्यथा लोगों का क्या है
बातें बनाना
मुझे विश्वास है
आप मुझे उस तरह बचा लेंगे
जिस तरह चिडियां अपने बच्चों को छुपा लेती है
यही आस है
आप पर विश्वास है
तभी तो जीना है
अपनी लडाई लडना है
कमजोर नहीं
बस मजबूर हूँ
पापा की बेटी हूँ

सब कुछ यही रह जाना है

जीवन का सार
नहीं रहती हमेशा जवानी की बहार
सब कुछ यही रह जाना है
बस अकेले और खाली हाथ ही जाना है
न यह शरीर
न संपत्ति
न परिवार
यहाँ तक कि अपना शरीर भी छोड़ जाना है
आज नहीं तो कल जाना है
सब कुछ यही रह जाना है

बहुत इतराया
बहुत कमाया
बहुत जतन किया
बहुत अभिमान किया
बहुत नाम और शोहरत हासिल की
लेकिन संग तो कुछ भी नहीं
यह कडवा सच जीवन का
आज नहीं तो कल जाना है
सब कुछ यही रह जाना है

इत्र और पसीना

इनके पसीने की गंध आती है
हमेशा धूल और मिट्टी से भरा
मटमैले और गंदे से
बाल भी बेतरतीब
बच्चों को यह रूप नहीं भाता
पूछते हैं कि
पापा इतने गंदे क्यों रहते हैं
बेचारे छोटे है न
ना समझ है
इन्हें क्या पता
पापा के इन्हीं पसीने की बदौलत
घर में खुशियाँ महकती है
वे गंदे रहते हैं
तभी वे साफ कपडे पहनते हैं
उनका पेट भरता है
वे मजदूरी करते हैं
पैसा लाते हैं
तभी चेहरे पर मुस्कान आती है
अपना खून पसीना बहाते हैं
तब सब चैन से जीते हैं
यह जीवन की जद्दोजहद है
इस पसीने की गंध का मुकाबला
इत्र की खुशबू से नहीं हो सकता
इत्र शरीर महकाता है
यह तो जीवन महकाता है
अपनो और अपने परिवार का

श्राद्ध का असली कारण

#श्राद्ध_का_असली_कारण

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवौ के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कव्वौ को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*

तुमने किसी भी दिन पीपल और बड़ के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बड़ या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कव्वे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं
पिपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2  छोड़ता है और बड़ के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कव्वे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादर महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीडी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कव्वौ के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार
की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवौ की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जायें.......

इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए और
घ्यान रखना जब भी बड़ और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आयेगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उन पर उंगली उठाओ, जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सा चीज खाने लायक है कौन सा नही.. अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजो ऋषि मुनियों के नियमो पे उंगली उठाने के बजाय , उसके गहराई को जानिये🙏

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Wednesday 18 September 2019

तितलियों को उडाते मोदीजी

तितलियों को आजाद किया
वह उडी खुशी खुशी
कितना अच्छा लगा
रंग-बिरंगी तितलियों को देख
अपनी सामर्थ्य भर उडेगी
फूल फूल पर मंडरांएगी
बगिया में विचरण करेंगी

अचानक ख्याल आया
आज सही अर्थो में कश्मीर भी तो आजाद हुआ
अब वे चैन से जिएंगे
आंतकवादियों से मुक्ति मिलेगी
जो जाना चाहते हैं लौटे अपनी जन्नत में
बहुत सहा है
घरबार छोड़ा है
अपने ही देश में विस्थापितो की जिंदगी गुजारी है

हमारा देश एक शानदार बगिया है
सबको अपनी अपनी आजादी है
जिसको जहाँ जाना है जाए
जहाँ रहना है रहे
यह तो अधिकार है हर नागरिक का
अब तितलियाँ उडान भर रही होगी
वैसे ही कश्मीर और निखर उठेगा
हमारे प्यारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में
सरदार सरोवर का दृश्य देखकर
मन सोच उठा
जिस तरह मोदीजी तितलियों को उडा रहे हैं
वैसे ही कश्मीरियो को भी उडान भरने का मौका दे रहे हैं