Thursday 31 August 2017

सलाम - मुंबई की जीजिविषा और जज्बे को

कभी बार फिर मुंबई ने यह साबित कर दिया है कि वह जाति- पाति और धर्म से ऊपर है
मुंबई करों का एक ही धर्म है और वह है मानवता
बारह साल के बाद फिर एक बार मुंबई बाढ की आपदा से ग्रस्त हुई
मुंबई कर फिर एक बार मदद करने को सज्ज हुए
न जान न पहचान सिर्फ इंसान
इस बार तो सोशल मीडिया भी सज्ज था
मदद के लिए दिल खोलकर हाथ बढा रहे थे
क्या गडेश पंडाल ,क्या गुरूद्वारा क्या मंदिर क्या मस्जिद
सभी लोग सहायता और शरण देने को तत्पर
भोजन और पानी की व्यवस्था भी
रहने और रात गुजारने की व्यवस्था
पुलिस और प्रशासन भी चाक चौबंद
महानगरपालिका के कर्मचारी भी हालात से निपटने के लिए तैयार
यह प्राकृतिक आपदा है खत्म तो नहीं किया जा सकता
पूरा विश्व ग्रसित है
पर एक होने और मदद का जज्बा वह काबिलेतारीफ है
हर व्यक्ति अपनी सामर्थयनुसार मदद को तत्पर
मुंबई तो सही अर्थों में कास्मोपोलिटिन शहर है
भारत की आर्थिक राजधानी है
संकठ की परिस्थिति में साथ खडी रहती है
नेतागण भी इससे सबक ले
लोगों को विभक्त करने का प्रयत्न न करें
भडकाऊ भाषण देते समय ध्यान रखे
हमें तो मुंबई पर भी भरोसा है
मुंबई कर पर भी
मुंबई महानगरपालिका पर भी
केवल आलोचना करना नहीं प्रशंसा करना भी सीखे
दूसरी बात मुंबई तो हम सबकी है
इसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है
हम एक जागरूक मुंबई कर बने
प्रदूषण मुक्त रखे.
अपनी प्यारी मुंबई को संभालना हमारा कर्तव्य भी है
खुश रहना है साथ में त्योहार मनाना है
भाईचारे की भावना कायम रखना है
मत भूलिए
       यह है मुंबई मेरी जान

Wednesday 30 August 2017

तलाक - तलाक - तलाक

तलाक यह केवल शब्द नहीं है
यह वह हथौडा है जब प्रहार करता है तो जीवन ही बदल जाता है
मुस्लिम औरतें डर और खौफ के साये में जीती रहती है शौहर की खिदमतगारी करती रहती है
न जाने कौन- सी बात पर शौहर नाराज हो जाये
दूसरे धर्मों में तो लंबी प्रक्रिया से गुजरना पडता है
सालोसाल लग जाते हैं
पर मुस्लिम औरतोे के लिए तो
यह गाज कभी भी गिर सकती है
धर्म के ठेकेदारों को यह समझना पडेगा
इंसानियत से बडा कोई धर्म नहीं होता
इसमें बच्चों की तो दुर्दशा हो जाती है
बेचारगी के मारे बन जाते है
मर्द तो दूसरी शादी कर घर बसा लेगा
पर औरत  का क्या ???
वह कहॉ फरियाद करेंगी और किससे?
अच्छा है फैसला उनके हक में आया है
ताकि मर्द जाति तलाक को खेल न समझे
दूसरे की जिंदगी से खिलवाड न करें
अब कानून सरकार को लाना है
तलाक पर सख्त होना है
यह तीन बार बोलने से नहीं
कोर्ट के चक्कर लगाने और न्याय के साथ हो
कितना सहेगी औरतें
परदे में रहो ,बुरके में रहो.
और इससे तो विकास अवरूद्घ होगा
एक पूरी जमात को गुलाम बनाने की साजिश है यह
इसे खत्म करना होगा
मर्द खुदा नहीं है कि औरत उसके रहमोकरम पर जीए
वह एक जीती - जागती इंसान है
वह अर्द्धांगिनी है
वह मॉ है , बेटी है , बहन है
सबसे ऊपर एक व्यक्ति है
उसका जन्म रोने के लिए नहीं हुआ है.
अपने को साबित करने के लिए हुअा है
उसको हर मौका मिलना चाहिए
जीने का अधिकार मिलना चाहिए
वह औरत है वस्तु नहीं
जब चाहे हाथ पकडा और जब चाहे छोडा
छोडने वालों को भी तलाक कहते समय खौफ रहना चाहिए
और यह अधिकार का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए

Saturday 26 August 2017

जल रहा है हरियाणा , क्या कर रही खट्टर सरकार

हरियाना जल रहा है
बाबा राम ,रहीम के नाम
विवश हो गई व्यवस्था
लाचार हुई सरकार
जिम्मेदार कौन?????
मंगल की ओर जा रहा भारत
बाबाओं के नाम पर बवाल
यह कितना दुर्भाग्य
शॉति का संदेश देनेवाले बाबाओं के अनुयायी
जान लेने पर उतारू
मार- काट ,जलाना - तोडना - फोडना
बाबाओं ने ऐसे लोगों की फौज तैयार रखी है
वे कुछ भी अनैतिक काम करे
किसी को आवाज नहीं उठाना है
जेल में भी आलीशान जीवन
पैसे के बल पर क्या कुछ नहीं करना
लोगों को नचाना
धन ,धर्म और बल से
ऐसे बाबाओं के गुलाम कैसे हो जाते है
इन पर तो शुरू से नकेल कसा जाय
ताकि बाद में यह दिन न देखना पडे
आज हरियाणा जल रहा है
कल कोई और
बाबा न हुए आंतक का पर्याय हो गए
इनके नाटक को बढावा न दिया जाय
इन तथाकथित भगवानों को इनके जादू की तरह ही
गायब कर इनको सडने के लिए जेल में डाल दे
किसी को कानोकान खबर न हो
बाबा लोगों ने तो और उपद्रव मचा रखा है
उपद्रियों की फौज तैयार कर रखी है
राजनेता भी इनकी शरण में जाते रहते है.
जिसका परिणाम देश भुगत रहा है

Monday 21 August 2017

STORY

Beautiful story, felt like sharing
👇

TRUE STORY
And it touched my heart.
Do not underestimate the mercy and power of GOD:

A young man's mother was hospitalized.

She was placed in intensive care.

A few days later, the doctors told him that his mother's  condition was desperate, she could expire at any time.
He left the hospital helpless.

On his way back to visit his mother he stopped at a gas station.

While waiting for the attendant to fill his tank, he noticed a begging lady with her two children all dressed in rags.

They were really hungry.

He thinks :
Who will help them in these circumstances? Then he went into the store.

He bought a box of ordinary biscuits that cost nothing at all, opened the box for them and continued his way to the hospital.

When he entered the intensive care unit his mother was no longer there, he dropped what was in his hands, and rushed to ask the nurse.

Where is she ?

She said: she suddenly got better, so we moved her to the next room.

He went to his mother, greeted her and asked her what happened.

She said she saw as she was unconscious a lady in scruffy outfit and her two children with their hands stretched out to heaven praying for her.

The young man stood in amazement.

Praise be to him whose compassion embraces everything.
Praise be to GOD: giving alms rejects calamities, by the permission of GOD.

Heal your illness through almsgiving.

This is just a box of ordinary biscuits. But charity protects you from the fire of hell even with a half-date.
Make this message your first act of generosity, your act of charity, of almsgiving.

Even if you are busy, passing it on to as many people as possible is already a great sign of charity.

Oh GOD, please lighten the burden of the one who transmits this message.

Unknown

Thursday 17 August 2017

बबूल

यह पेड बबूल का जो देखा
बचपन याद आ गया
कॉटों भरा पेड जिसके नीचे से कितनी भी सावधानी से गुजरो
कॉटा चुभ ही जाता था
कुछ पल वहीं ठहर कॉटे निकाल आगे बढ जाते थे
इस पेड को कोई लगाता भी नहीं
स्वयं उग जाने वाला पेड
दातुन के कारण जाना जाता है
कुछ कसैलापन लिए हुए
अब विज्ञापनों में बबूल के टूथपेस्ट का प्रचार होता है
पर आज के बच्चों ने तो शायद बबूल का पेड देखा भी नहीं होगा
औषधीय गुणों से भरपूर
कहीं यह लुप्त न हो जाय
जंगल या गॉव से दूर भले हो पर है तो बेमिसाल
है तो कॉटों भरा पर फिर भी उपयोगी
पत्ती से लेकर गोंद तक
दर्द निवारक
इस विरासत को खोना नहीं है

बोया पेड बबूल का तो आम कहॉ से पाए

इस कहावत को भी जिंदा रखना है

ऐ उम्र !

Excellent poem by gulzar ...

ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!

हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता...
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...

खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..

किसी ने खुदासे दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी की दुआ मांगी...

हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....
हर बार कुसुर हवा का नही होता !!!

Excellent article

*Excellent article by.   Dr.Alok Kar*

*WAKE UP PARENTS*

Years back, *poor illiterate  parents* produced
🔹Doctors,
🔹Engineers,
🔹 Scientists,
🔹 Accountants,
🔹 Lawyers,
🔹 Architects,
🔹 Professors..,  whom I will refer to as *Group 'A'*.

These *Group 'A'* Children struggled on their own after Primary 6 or Grade 12, to become notable personalities. Most of them
👉trekked to school *barefooted*
👉went to farms
👉fetched water and firewood
👉cared for domesticated animals
👉did some work including trading after school to survive.

Now Group 'A' ,who have now become Parents themselves are *producing  Group 'B'  Children*
These group B children are
🔹pampered
🔹 helped in their homeworks or home assignments from nursery school through secondary schools to higher institutions.
🔹chauffeur driven to very expensive schools or are sent abroad to study. 
🔹they can watch movies from morning till dawn after school.
🔹 they are treated like baby kings and queens.
🔹they don't do any household chores.
🔹Food is put on the table for them,
🔹their plates are removed and washed by parents or house maids.
🔹They are given expensive cars and clothes,
🔹not forgetting *big pocket money to be wasted* !!!.
🔹Their parents help them in doing their assignments.
🤔 In spite of all these, only few can *speak* or *write* correctly. 😏

🤔Group 'A' Parents  cared for their own *parents* and *children*, Group 'B',their Children are still *struggling to find their feet at age 30+*.‼
🤔They find it difficult to do things on their own because they are used to being helped to think and doing things by Group 'A'. So they can't help themselves, their parents or the society. THEY ABANDON THEIR PARENTS IN THEIR BID TO ACQUIRE THE WORLD

😴 *Where do you belong*❓
🏮Reduce the pampering and the unnecessary help you offer your children.
🏮 Let your children *grow in wisdom, intelligence and strength*.
🏮Let them face the truth and the realities of life. Teach them to grow  to become *independent adults.* Teach them to
👉 Trust the  God,
👉respect  others and
👉develop confidence in themselves.
🤔Parents, discipline your children to become disciplined adults, *useful* and not *useless.*

Share with all ur near ones  & make a difference in their lives... 😊👍👍

Wednesday 16 August 2017

यदुवंशी यशोदानन्दन मोहन से गुजरात के मोहनदास , नरेंन्द्र का भारत

सुर्दशन चक्रधारी यशोदान्नदन मोहन  से लेकर चरखाधारी मोहनदास करमचंद गॉधी
अहिंसा के दोनों पक्षधर
युद्ध में शस्र न उठाउंगा पर अर्जुन को गीता का उपदेश देकर युद्ध के लिए प्रवृत्त करना
सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले गॉधी पर करो और मरो तथा अंग्रेजों भारत छोडो  - अभियान छेड दिया
महान कुटनीतिज्ञ कृष्ण , जयद्रथ वध ,द्रोणाचार्य की हत्या
युधिष्ठिर से कहलवा कर - नरों या कुंजरों
द्रोपदी को भीष्म से सदा सुहागन का आशिर्वाद
कुन्ती पुत्र बताकर महान योद्धा कर्ण को बेबस और लाचार कर देना
वहीं गॉधी ने रंगभेद ,विदेशी का बहिष्कार ,दांडी यात्रा,अहिंसा और सत्याग्रह का जो बिगुल छेडा कि अंग्रेजों को खदेडकर ही छोडा
नमक ,कपडा यह गॉधी के हथियार बने और इस माध्यम से गॉधी हर घर में पहुंचे
भारत को आजादी भी मिली और सेहरा बापू के सर पर बंधा
७० साल बाद कृष्ण का जन्मोत्सव और भारत की स्वतंत्रता का जन्मोत्सव एक साथ आया है
महाभारत काल  में अधर्म  पर धर्म की विजय हुई थी
इस काल में गुलामी पर आजादी की विजय हुई है
युद्ध के बाद का दृश्य तो और भयानक था
आखिरकार विजयी पांडवों को परीक्षित को राज्य सौंप कर जाना पडा
मन अशांत जो था , अपने ही मरे थे
भाई- भतीजा ,चाचा ,दादा और रिश्तेदार
बचे थे औरतें ,वृद्ध और बच्चे
युद्ध का परिणाम तो घातक ही होता है
भारत भी आजादी प्राप्त करने के बाद विभाजित हो गया
आज परिस्थितियॉ वह तो नहीं है पर समस्याएं भी तो कम नहीं है
एकता - अखंडता को कायम रखना है
असामाजिक तत्वों को दूर रखना है
भ्रष्टाचार को जड से मिटाना है
एक खुशहाल और उन्नत भारत बनाना है
यह अपेक्षा आज के नरेन्द्र यानि प्रधानमंत्री मोदी से की जा रही है
अब देखना यह है कि इस कसौटी पर वह कितने खरे उतरते हैं.

Monday 14 August 2017

कागज से नाता

बचपन में हाथ में पकडा था कागज
तब कागज की नाव बनाते थे
हवाई जहाज और तीर बनाते थे
फिर पाठशाला में जुडा कागज से नाता
वह चलता ही रहा
एक के बाद एक डिग्रियॉ मिलती रही
फिर इंटरव्यु का लेटर तथा नौकरी
आज छात्रों को पढाना और कापियॉ जॉचना
कवि और साहित्यकारों को पढना.
उपन्यास ,कहानियॉ ,कविताएं और नाटक
इनके इर्दगिर्द जिंदगी घूमती रही
अकेलापन का एहसास ही न हुआ
कागज पर लिखी इबादत समझने और समझाने में समय कब गुजरा ,पता ही न चला
बचपन की नाव से लेकर आज जीवन की डायरी लिखने तक
अखबार न पढा तो चैन ही नहीं पडता
कागज के कारण ही समय कट गया
अब भी जीवन जुडा है कागज से
चाहे वह रूपए के रूप में हो
या डॉक्टर की दवाई की पर्ची
यह कागज का खेल जो बचपन से खेला
वह आज तक खेलते ही रहे
उससे नाता कभी न टूटेगा
यह मजबूत जोड है
पानी पडने पर गल भले ही जाय
पर अपनी छाप तो छोड ही जाता है

Saturday 12 August 2017

क्या वाकई यह बोझ है????

बोझ ,बोझ ,बोझ
नहीं चाहिए यह बोझ
बचपन में बस्ते का बोझ
फिर पढाई का बोझ
मॉ- पिता की ईच्छाओं का बोझ
कुछ साबित करने का बोझ
फिर गृहस्थी का बोझ
बच्चों की परवरिश
बूढे मॉ- बाप की जिम्मेदारी
बच्चों को काबिल और लायक बनाना
फिर स्वयं की उम्र का बोझ
शरीर अशक्त और लाचार
जीने की ख्वाहिश पर कैसे???
जीवन जीया कैसे बोझ ढोते- ढोते
पर यह क्या वाकई में बोझ है?
या हमारी मजबूरी या हमारी ईच्छा
हम भी तो इसी सब के साथ जीना चाहते हैं
यह बोझ नहीं बल्कि स्वयं की सोच है
इसी को तो जीना कहते हैं यारों

मैं श्यामपट्ट , मेरा भी योगदान विकास में

मैं तो काला - कलूटा श्यामपट्ट ,काम है उजाला भरना
बच्चों के जीवन में विकास की राह में
मुझ पर लिखे क ख ग घ  ABCD पढकर भविष्य निर्माण होता है
न जाने कितने गणित के सवाल हल किए जाते हैं
भूगोल का नक्शा बनाया जाता है
भाषा का व्याकरण लिखा जाता है
विज्ञान का प्रयोग किया जाता है
चित्रकला की चित्रकारी की जाती है
मेरा तो रंग एक पर मैं तो सब में रंग भरता हूँ
बगिया के हर फूल मेरी शोभा बढाते है
मैं न रहूं तो कक्षा की रौनक ही नहीं रहेगी
अकेला तो हूं पर सबका केन्द्रबिन्दू  तो मैं ही
फिर चाहे वह सजीव हो या निर्जिव
मेज ,कुरसी ,चॉक ,डस्टर के साथ- साथ बच्चों और शिक्षक का भी
समय बदल रहा है
सब कुछ डिजीटल हो रहा हौ
फिर भी मेरी महत्ता कम नहीं

हामिद अंसारी जी की व्यथा

उपराष्ट्रपति पद से निवृत्त होते हुए अंसारी जी की पीडा सामने आ गई . उनके अनुसार मुस्लिम धर्म के लोगों में बीते वर्ष में असुरक्षा की भावना बढी है
अल्पसंख्यक समाज का डर दूर करने की बात को गंभीरता से लेना है
क्यों उसे डर है??
बीते समय में गौ रक्षा , लव जेहाद , नेताओं के भडकाऊ बयान
यह सब बात तो किसी से छिपी नहीं है
भारत धर्म निरपेक्ष देश है ,सबको समान अधिकार भी प्राप्त है
फिर कोई डर के साये में क्यों जीए ??
इसके पहले भी एक - दो नामी व्यक्तियों ने यह डर जाहिर किया था
देश छोडकर जाने का सलाह दी जाती है
पाकिस्तान जाने की सलाह दी जाती है
यह तो सही नहीं है
हर बार उससे देशभक्ति का प्रमाण मांगा जाता है
सरकार को आवश्यकता है
उनका डर दूर करने की , उनको समझने की
यह सही है कि सबसे ज्यादा सुरक्षित भी भारत के ही मुस्लिम है
तब यह भी तो सही है कि वे विभाजन के समय देश छोडकर नहीं गए
यहॉ उनके पूर्वजों का बलिदान है
उनका योगदान है और दे भी रहे है
महत्तवपूर्ण पदों पर विराजमान है
स्वयं अंसारी साहब भी उपराष्ट्र पति के पद पर विराजमान थे
सिनेजगत ,साहित्य ,व्यापार हर जगह परचम फहरा रहे कलाम साहब को कौन भूल सकता है
फिर भी अगर डर लग रहा है
उनको संदेह की दृ्ष्टि से देखा जा रहा है तो यह प्रधानमंत्री मोदी जी का कर्तव्य है कि
इस पर संज्ञान ले
डर को दूर करे
यह बात साधारण ,आम आदमी नहीं एक भूतपूर्व उपराष्ट्रपति कह रहा है
इसे हल्के में नहीं लेना है
हिंदुत्ववादी शक्तियों को हावी नहीं होने देना है
गंगा - जमुनी संस्कृति को कायम रखना है
कवि इकबाल की पंक्तियॉ
   यूनान ,मिस्र ,रोमा सब मिट गए जहां से
कुछ बात है कि हसती मिटती नहीं हमारी
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा

भगवान बुद्ध का संदेश

एक राजा के पास कई हाथी थे,
लेकिन
एक हाथी बहुत शक्तिशाली था,
बहुत आज्ञाकारी,
समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था।
बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था
और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था,
इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।

समय गुजरता गया  ...

और एक समय ऐसा भी आया,
जब वह वृद्ध दिखने लगा।

                    
अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था।
इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे।

एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया।

उस हाथी ने बहुत कोशिश की,
लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया।

उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है।

हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा।

                       राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे।

लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग
नहि निकला.

तब राजा के एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि तथागत गौतम बुद्ध मार्गक्रमण कर रहे है तो क्यो ना तथागत गौतम बुद्ध से सलाह मांगि जाये.

राजा और सारा मंत्रीमंडल तथागत गौतम बुद्ध के पास गये और अनुरोध किया कि आप हमे इस बिकट परिस्थिती मे मार्गदर्शन करे.

तथागत गौतम बुद्ध ने सबके अनुरोध को स्वीकार किया और घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ।

                          सुनने वालोँ को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा, जो अनेक व्यक्तियों के शारीरिक प्रयत्न से बाहर निकल नहीं पाया।

          आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा।

पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया।

अब तथागत गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।

हाथी की इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह – उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है और कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता।

                        जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे।

कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है.

"सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है....
उसे अपनी मंजील तक ले जाती है...!"
🎄🎄🎄🎄🎄🎄

🎄🎄🎄🎄🎄🎄Unknown

फितरत बदलती नहीं

एक चूहे ने हीरा(diamond) निगल लिया तो हीरे के मालिक ने उस चूहे को मारने के लिये एक शिकारी को ठेका दिया। जब शिकारी चूहे को मारने पहुँचा तो वहाँ हजारों चूहे झूँड बनाकर एक दूजे पर चढे हुए थे और एक चूहा उन सबसे अलग बेठा था। शिकारी ने सीधा उस चूहे को पकङा जिसने डायमन्ड निगला था। अचम्भित डायमन्ड के मालिक ने शिकारी से पूछा,हजारों चूहों में से इसी चूहे ने डायमन्ड निगला यह तुम्हे केसे पता लगा? शिकारी ने जवाब दिया बहुत ही आसान था,जब मूर्ख धनवान बन जाता है तब दूसरों से मेल मिलाप छोङ देता है।
                   Unknown

 

        

Thursday 10 August 2017

GLASS O F MILK

🍶🍶 GLASS OF MILK 🍶🍶

One day, a poor boy who was selling goods from door to door to pay his way through school, found he had only one thin dime left, and he was hungry.

He decided he would ask for a meal at the next house. However, he lost his nerve when a lovely young woman opened the door.

Instead of a meal he asked for a drink of water!
She thought he looked hungry so brought him a large glass of milk. He drank it so slowly, and then asked, How much do I owe you?"

You don't owe me anything," she replied. "Mother has taught us never to accept pay for a kindness."

He said ... "Then I thank you from my heart."

As Howard Kelly left that house, he not only felt stronger physically, but his faith in God and man was strong also. He had been ready to give up and quit.

Many years later that same young woman became critically ill. The local doctors were baffled. They finally sent her to the big city, where they called in specialists to study her rare disease.

Dr. Howard Kelly was called in for the consultation. When he heard the name of the town she came from, a strange light filled his eyes.

Immediately he rose and went down the hall of the hospital to her room.

Dressed in his doctor's gown he went in to see her. He recognised her at once.

He went back to the consultation room determined to do his best to save her life. From that day he gave special attention to her case.

After a long struggle, the battle was won.

Dr. Kelly requested the business office to pass the final bill to him for approval. He looked at it, and then wrote something on the edge and the bill was sent to her room. She feared to open it, for she was sure it would take the rest of her life to pay for it all. Finally she looked, and something caught her attention on the side of the bill. She read these words ...

"Paid in full with one glass of milk"

(Signed) Dr. Howard Kelly.

Tears of joy flooded her eyes as her happy heart prayed: "Thank You, God, that your love has spread broad through human hearts and hands."

There's a saying which goes something like this: Bread cast on the waters comes back to you. The good deed you do today may benefit you or someone you love at the least expected time.  If you never see the deed again at least you will have made the world a better place - And, after all, isn't that what life is all about?

Now you have two choices.

1. You can send this page on and spread a positive message.

2. Or ignore it and pretend it never touched your heart.
                                    Copy pest

यादों में तुम रहोगी हमेशा

आज वह चली गई , हमेशा के लिए अलविदा कहकर
इतने वर्षों का संग , जीवनसंगिनी मेरी
विपत्ति और संघर्षों का सामना
सुख - दुख ,हँसी - खुशी के लम्हे
दो शरीर पर एक आत्मा
रिश्तेदार , परिवार ,घर और बच्चे
सब है पर घरनी ही नहीं तो घर है सूना - सूना
सब सहारा बनने को तैयार
पर उसके बिना़़़़़़
वह नहीं तो कुछ भी नहीं
शरीर तो नश्वर है पर याद नहीं
यादों का खजाना जो है पास
यादों में तो उसे याद रखना है
अपनी सहधर्मिणी ,सहचारिणी और जीवनसंगिनी को
बच्चों की सूरत में ,पोते- पोती की मुस्कराहटों में
घऱ - दीवार पर छोडे छापों में
उसकी अहसासों में
आसपास ही उसकी उपस्थिती का एहसास करूंगा
शेष जीवन तो उसके साथ ही रहेगा
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ,परोक्ष या अपरोक्ष
हर बार तो तुमको जाने से रोक लेता था
इस बार नहीं रोक पाया
ईश्वर की मर्जी जो थी
खैर तुम आस मत छोडना
रात को चॉद के साथ तुम ऊपर से देखना
मैं नीचे से निहारूगा
जीवन कट ही जाएगा

खत्म करो आरक्षण ,बॉधों देश एकसूत्र में

अब तो सुध लो सरकार
आरक्षण - आरक्षण - आरक्षण
खत्म करो यह बवाल
एक करो देश को , एकता में बॉधों देश को
जाति ,वर्ग ,धर्म में देश को बॉटा इस आरक्षण ने
टूकडे- टूकडे में बंट गए देशवासी
किस - किसको आरक्षण
मत दो किसी को ,सबको एकरूप करो
आधुनिक भारत की तस्वीर बदलो
धर्म- जाति को छोडो
व्यक्ति और परिस्थिती को देखो ,निर्णय लो
आपस में भेदभाव मत निर्माण करो
आरक्षण के नाम पर राजनीति का गंदा खेल
मत खेलने दो हमारे राजनेताओं को
युवाओं में बेकारी ,प्रतिभा की अवमानना
नैराश्य और द्वेष की भावना
यह तो नहीं था इसका उद्देश्य
बाबासाहब तो समानता के पक्षधर थे
.पर यह तो असमानता को फैला रही है
नई पीढी में आक्रोश को जन्म दे रही है
आज यह पीढी प्रश्न कर रही है
हमारा क्या कसूर
हमारे दोस्त को आरक्षण ,हमें क्यों नहीं ???

उच्च जाति में जन्म लेने में हमारा क्या दोष
हम भी तो गरीब है
हम मेहनत कर पढाई करते हैं
पर हमें एडमीशन क्यों नहीं ???
हमारी फीस क्यों ज्यादा??
हमें नौकरी क्यों नहीं ??.
हम भी तो इसी देश के हैं
विकास की गति अवरूद्ध हो रही है
प्रतिभा और योग्यता की कद्र न हुई
तो देश गर्त में चला जाएगा
पटेल आंदोलन ,मराठा आंदोलन तो इसकी शुरूवात है
समानता का अधिकार दो
योग्यता का सम्मान करो
देश को एकसूत्र में लाओ
खत्म करो आरक्षण
नहीं तो यह भस्मासुर ,विकराल रूप धारण कर लेगा
संविधान पर नए सिरे से विचार करना होगा
भारत को नवयुग का निर्माण करना होगा
जहॉ प्रतिभा अपना परचम फहराए
वह आरक्षण के कारण घुट कर न रह जाए
सबको मौका ,सबको सहूलियत
तभी तो होगा देश का विकास
कुछ तो करो सरकार

Tuesday 8 August 2017

लो प्रकृति से संदेश , जीवन को करो गुलजार

रात बीती ,सुबह हुई
प्रकृति ने भी ली अंगडाई
हवा चली ताजगी से भरी
पेड- पौधे , पशु- पक्षी भी नींद से जागे
पेड - पौधे मदमस्त हो लगे डोलने
पक्षी भी लगे कलरव करने
भोर हुई सब जागे
होने लगी जग में हलचल
सूर्य की किरणों ने फैलाया उजियारा
अंधेरा दूम दबाकर भागा
रात बीती , नये दिन की शुरूवात हुई
नया सबेरा नई आशा लेकर आया
कहने लगा मुसकाकर
आओ मिलकर जीवन का आंनद लो
अंधेरे और उजाले तो ऑखमिचौली करते रहेगे
जीवन के जो पल मिले है , उसे तो जी भर जी लो
खुशियों को ऑचल में समेट लो
प्रकृति का भी तो यही उसूल है
सब कुछ पीछे छोड ताजी सुबह के साथ पदार्पण करती है
संदेश देती है नव जीवन का
नये सबेरे की शुरूवात की
कब तक अतीत के पन्ने पलटेगे
दुख - पीडा को सीने से चिपटाएगे
सब कुछ तो यही रह जाना है
जीना है तो सार्थक जीए
जीवन बहुमूल्य है यह कोई मत भूले
प्रकृति से सीखे और जीवन को आंनददायी बनाए

जीवन कितना बदल गया

जीवन कितना बदल गया
पहले भेजते थे पत्र ,इंतजार में बीतते थे दिन
अब तो मोबाईल है पल भर की देर भी बर्दाश्त नहीं
पहले गरमी में हाथ से पंखा झलते थे
अब तो फट से ए सी ऑन
पहले बाइस्कोप देखने की दौड
अब तो सोफे पर ही बटन दबाते सब हाजिर
पहले पेड पर चढना ,फल तोडकर खाना
अब तो केवल दृश्य ही बचे है
आम और जामून तो मॉल में बिकते है
पहले दौड और तैराकी करते थे फटेहाल कपडों में
अब तो स्वीमिंग पुल और ब्रांडेड कपडे हैं
पहले घोडागाडी में हिचकोले खाते थे
आज सडक पर बने गढ्ढों में
पहले रोटी में नमक- तेल चुपडते थे
आज बर्गर और मैगी का टेस्ट लेते हैं
पहले धूल और मिट्टी में लोट- लोटकर खेलते थे
आज तो एलर्जी हो जाती है
पहले ऑख भर काजल ,बालों में तेल ,बहती हुई नाक
आज लहराते केश ,फेयर इन लवली का चेहरे पर लेप
पहले स्कूल का बस्ता टांगे नंगे पैर कोसो चलना
आज घर में भी चप्पल से पैर न उतरना
मार खाना और डॉट सुनना तो रोज की बात
छिपकर रोते और खुलकर हँसते
दिन भर मौज- मस्ती करते
रसगुल्ला ,जलेबी ,नए कपडे केवल त्योहरों पर ही
आज तो हर रोज दीवाली पर मन फिर भी खाली
बनावट ,दिखावा न था ,अपनापन था
फेसबुक - वट्सअप न था
फिर भी खुश थे ,जोश से सराबोर थे
अब तो न वह पहले जैसी बातें रही ,न जमाना रहा
सच में जीवन कितना बदल गया

Wednesday 2 August 2017

हर किताब कुछ कहती है.

हर किताब कुछ कहती है
इसकी हर एक कहानी जीवन के गीत सुनाती है
यह कहानी किसी एक की नहीं
हर व्यक्ति की जिंदगानी है
जीवन का मोल ,अर्थ और जीना भी समझाती है
दुख में धीरज ,विपत्ति से मुकाबला , दूसरों के जीवन से प्रेरणा लेना भी सिखाती है
समाज में बराबरी का दर्जा कायम करना सिखाती है
अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक कराती है
ऊँच - नीच ,अमीर - गरीब का भेदभाव हरकर सबकी हमसफर बन जाती है
गुलामी और स्वतंत्रता का अंतर बताती है
जिसे यह प्रिय लगे ,उसी की हो जाती है
इतिहास का पन्ना पलटना हो या चॉद पर उडान भरना
भूगोल हो या गणित
सभी को अपने में समाती है
किताबों से जिसने दोस्ती कर ली
उसने तो असली जिंदगी जी ली
स्वयं से ही नहीं सारे संसार से नाता जोड लिया

समय की कद्र करना सीखिए

हमारी स्टाफ पिकनिक जा रही थी
सात बजे पहुंचना था , घडी में पॉच बजे का अर्लाम लगा कर रखा
सुबह एक घंटे जल्दी जो उठना था
रात में बराबर नींद भी नहीं आई ,कही जाना होता है तो अमूनन यह सानान्य बात है
सुबह कुछ काम निपटा कर ,कुछ अधूरा छोडकर ट्रेन पकडकर पहुंची तो पता चला कि केवल दो - चार लोग ही आए थे
बाकी सब धीरे - धीरे आ रहे थे
एक नई लडकी जिसने दो साल पहले ही ज्वाइन किया था , घर पर ही थी अभी तक
अपनी दोस्त से पूछ रही थी ,बस आई कि नहीं
मुझे आश्चर्य हुआ
बीस मिनट बाद वह हँसते - मुस्कराते आई
गुड मार्निग किया
मुझसे पूछा तो मैंने कहा मैं तो सात में दस मिनट कम थे तब ही आ गई
तो हँसकर बोली , इतना टेंशन नहीं लेना है
सबको लिए बिना बस जाएगी नहीं
मैं अवाक देखती रह गई
कही मैं तो गलत नहीं
लोग आराम से आठ बजे तक आए , कुछ को छोडकर
पर एहसास हुआ कि हम गलत नहीं
यह लेटलतीफ हम लोगों की वजह से बच जाते हैं
जिस दिन सब यह सोचेगे
बवाल हो जाएगा
इनको देखकर अपनी वर्षों की सही आदत को बदलना नहीं है
बचपन से सही वक्त का पालन करने की नींव जो माता- पिता ने डाली थी ,उसको छोडना नहीं है
जब कभी एकाध बार ऐसा करने की कोशिश की तो नुकसान ही उठाना पडा है
कभी भी गलत और गलत लोगों का अनुकरण नहीं करना है
जीवन ,जीने का स्वयं का अपना - अपना सिंद्धात होता है
उनकी बलि नहीं देनी है
समय का पालन करना जरूरी है