Wednesday 31 May 2023

सब छोड़ चल पडी

जाने वाला चला गया
कुछ भूली - बिसरी यादें छोड़ गया
रिश्ता है खून का 
अपनेपन का
भावनाओं का 
सब तोड गया
इस मायामोह को छोड़ गया
जब तक सांस थी तब तक उलझती रही
अपने इर्द-गिर्द रिश्तों का जाल बुनती रही
सफर शुरू किया था अकेले ही
काफिला बनाती गई
आज अंतिम घडी में सब मौजूद है
बेटी - दामाद , बेटा- बहू , नाती - पोते 
पर वह धागा टूट गया 
जो हम सबसे बंधा था
सहोदर भाई - बहन फिर वापस नहीं मिलते 
कितना भी कोई निभाए वैसा मंजर तो फिर नहीं नसीब होता
अपने घर की मुखिया घर को छोड़ गई
हमने देखा है उस जद्दोजहद को
जिंदगी से जूझती हुई 
जिंदगी को संवारती हुई
वही व्यक्ति अब जिंदगी छोड़ गई 
सब रिश्ता तोड़ अनंत में विलीन हो गई
आदराजंली  - श्रदाँजलि 🙏🙏🌹

Saturday 20 May 2023

मैं टीचर हूँ

सबसे बडा पद शिक्षक 
हमारे यहाँ भी 
गुरु की परम्परा रही है
सर्वोच्च पद उसका
नोबल प्रोफेसन माना जाता है 
संसार के जितने भी महान लोग हुए हैं 
ज्यादातर लोगों ने कभी न कभी शिक्षक का काम जरूर किया है
आइ टी और टेक्नोलॉजी के युग में यह धारणा बदली है
किसी को मैंने यह कहते सुना
ज्यादा बुद्धिमान नहीं थी 
इसलिए टीचर के जाॅब में भेज दिया
अरे जब शिक्षक के प्रति यह सोच रहेंगी 
तो सोच लो
कैसा भविष्य निर्माण होगा
गुरू ही ज्ञानी न हो
जानकार न हो
मजबूरी में यह प्रोफेसन अपनाया हो
तब तो ऐसे लोगों का आना ठीक नहीं है
महज सरकारी नौकरी और पैसे के लिए 
आज इसका उदाहरण दिख भी रहा है
गुरु को तो पहले अपने को अपडेट करना चाहिए 
समय समय पर सीखते रहना चाहिए 
नयी नयी जानकारी हासिल करना चाहिए 
वह एक नौकरी पेशा ही नहीं जिम्मेदारी वाला हो
समाज उनको नौकर न समझे
अपने बच्चों का मार्गदर्शक समझे
अपनी सोच बदले
कारपोरेट जगत से कहीं ज्यादा महत्व उसका है
सम्मान का हकदार है
पेशे के प्रति ईमानदारी उसे भी बरतनी है
पैसे के लिए केवल 
मजबूरी में 
तब तो द्रोणाचार्य का हाल हो गया
एकलव्य का अंगूठा मांगना पडा
अश्वस्थामा को दूध के लिए मजबूर होने पर मित्र राजा दुपद्र का अपमान सहना पडा
हस्तिनापुर में बंध कर रहना पडा शर्तों में 
केवल कौरव-पांडव को शिक्षा देंगे 
उनके ज्ञान को बांधा गया 
जिस युग में शिक्षक का हाल हो
उस युग में महाभारत तो होना ही था
द्रोणाचार्य उस छिद्र के समान थे जो कौरव-पांडव की पूरी नाँव ही डुबा दी
वैसे वह सब जान बूझ कर नहीं हुआ था पर हुआ तो था
जहाँ प्रतिभा की कदर नहीं 
शिक्षक के प्रति सम्मान नहीं 
तब उनके पढाये बच्चे 
क्या सोचेगे 
टीचर तो फटीचर होते हैं 
यह जुमला सुन बडे होने वाले बच्चे 
मजाक ही उडाएगे 
यह हो रहा है दिख रहा है
ऐसी मानसिकता तो खतरनाक है
सोच को बदलना पडेगा
शिक्षक को अभिभावक को बच्चों को समाज को 

औरत तेरी यही कहानी

औरत तेरी यही कहानी 
तुझसे ही है मानव जिंदगानी 
तू ही सीता 
तू ही दुर्गा 
तू ही शक्ति स्वरूपा 
तू ही लक्ष्मी तू ही सरस्वती 
सब करते तेरी आराधना 
अबला नहीं सबसे सबल
फिर क्यों दिखती सब पर निर्भर 
सारा भार उठाती
घर संसार बनाती
सब सहेजती  संवारती 
भविष्य निर्माण की भागीदार 
बस रहती दौड़ती भागती
जिंदगी बिता देती
नाम न पा पाती
किया ही क्या है
यह भी कभी-कभी सुन जाती
फिर भी मुस्कराती 
हर बात को हंस कर टाल देती
मुसीबतों का पहाड़ टूट पडे
विचलित कभी नहीं होती
धरती है धीरज है माता है
इसी में समायी तू



Tuesday 2 May 2023

इंतजार

इंतजार अभी भी है
बरसों बीत गए 
इंतजार की घडी कभी खत्म ही नहीं हुई
शायद अब शायद तब
इस अब - तब में बहुत कुछ छूट गया
कितना कीमती 
कितना बहूमूल्य 
उसका तो हिसाब लगाना थोडा मुश्किल 
जमाना कुछ कहता रहा
हम कुछ करते रहे
नियति अपना खेल करती रही
पीछे मुड़कर देखा 
लगा अभी तो यह कल की ही बात है
इस कल - आज में न जाने कितना कुछ घटा
उस जोड़ और घटा का हिसाब 
कैसे लगाएं 
सब कुछ अंकगणित से नहीं चलता है न
भावना और दिल नाम की भी कोई चीज होती है ना 
टूटे को जोड़ते रहें 
रूठे को मनाते रहें 
अपना दिल मसोसता रहा
बार बार कहता रहा
बस अब बहुत हो चुका 
इससे ज्यादा नहीं 
नहीं तो स्वयं टूट जाओगे 
बिखर कर रह जाओगे 
जो है बाकी 
उसे ही समेट लो 
पता चला इंतजार,  इंतजार ही रह जाएंगा 
बाद में गाना पडेगा
कारवां गुजर गया 
गुबार देखते रहें। 

Monday 1 May 2023

वजूद सबका है

मेरे माता-पिता ने बडी मुश्किल से मुझे पाला है
बहुत त्याग किए हैं 
 सही है 
हर माता-पिता करते हैं 
अपनी संतान को अपनी हैसियत से ज्यादा देने की कोशिश करते हैं 
पढाते - लिखाते हैं 
खर्च करते हैं 
यह सब संतान के लिए करते हैं 
वह संतान बेटा हो या बेटी
आज के युग में फर्क नहीं पडता 
ब्याह में फर्क अब भी पडता है
ससुराल और मायके में अंतर अब भी होता है
बिना परमीशन के मायके जाएं बहु 
यह भारतीय मानसिकता बर्दाश्त नहीं कर सकती 
बेटी और बेटे का हक बराबर 
यह भी खलता है
कानून भले ही हो
मन अभी भी बना नहीं है
अंतर तो है ही
वह जाएंगा भी नहीं इतनी जल्दी 
समय तो लगेगा 
जडे इतनी गहरी जो हैं 
सदियों पुरानी 
जहाँ अपेक्षा त्याग की नारी से ही होती है 
बदलाव हो रहा है ऐसा नहीं 
बस चुनिंदा लोगों में 
शिक्षित हैं इसलिए नहीं 
सोच है इसलिए 
जो भी हो 
वजूद तो दोनों का है
इनमें अब कोई परमेश्वर और दासी का संबंध नहीं 
सात जन्मों का भी नहीं 
निभाना है तो इसी जन्म में 
नहीं तो तुम अपना रास्ता नापो मैं अपना 
परिवर्तन तो वक्त की मांग है
नहीं तो पुरुष प्रधान में पुरुष अकेला रह जाएंगा 
महत्ता तो स्वीकार करनी पड़ेगी
माँ की पत्नी की बहन की बेटी की 
परिवार के लिए 
समाज के लिए 
देश के लिए। 

हम दोनों

हम - तुम 
तुम - हम
बंधे एक बंधन में 
जिसका सफर आज तीरालीस वर्ष का हुआ 
न देखा न जाना न सुना
बस बांध दिए गए 
उस बंधन को गाँठ अभी तक लगा कर रखी है
सब कुछ अच्छा अच्छा 
सुखद सुखद 
ऐसा तो हुआ नहीं 
कभी मान कभी तकरार
कभी दुख कभी रूदन 
कभी हंसी तो कभी नाराजगी
हर बात पर 
न विचारों का मेल न परवरिश का 
कहा जाए तो
एक तीर घाट तो एक वीर घाट
हर बात पर समझौता
वो भी किसी एक ने नहीं 
दोनों ने किया होगा
हाँ किसी ने कम किसी ने ज्यादा 
बहुत से अवसरों पर मन मसोसकर भी रहना पडा 
झुकना भी पडता रहा
ऐसे ही बेमेल तालमेल के भी जिंदगी चलती रही 
हाँ वह बंधन और मजबूत बन गया
उसे तो तोड़ माना ईश्वर के सिवा और किसी के वश में नहीं 
विवाह एक सामाजिक कर्तव्य है 
उत्तरदायित्व भी है
जिसे निभाना है 
टूट टूट कर जुडे 
हार हार कर जीते
जुड़ते जुड़ते
जीतते जीतते 
 43 पार कर गए 
अब तो जो है सब संग संग है 
शादी की सालगिरह मुबारक हो 
           हम दोनों को ।

जय जय महाराष्ट्र माझा

एक ने तुझको जनम दिया रे
एक ने तुझको पाला 
कन्हैया किसको कहेगा तू मैया 

यह गाना बहुत बार सुना
आज ऐसा लग रहा है कि कुछ कहूँ 
अपने मन की बात

जन्मभूमि जहाँ भी रही हो
मुंबई हमारी कर्मभूमि है
बहुत कुछ दिया है इस शहर ने
बहुत कुछ क्या सब कुछ 
इसी की मिट्टी में हम पले - बढे 
चौपाटी की रेत में खेले
इसकी सडक पर चले
बसों और ट्रेनों में धडधडाते चढा
यही क ख ग का ककहरा सीखा
यही से विधालय से लेकर महाविद्यालय तक शिक्षा ग्रहण की
नौकरी और सम्मान दिया 
सर पर छत और आशियाना दिया
कर्जदार हैं हम 
इस शहर का कण-कण हमारी आत्मा में समाया है
हमें क्या हमारे बच्चों को भी यहीं सब कुछ मिला
यह जैसी भी है हमें तो बहुत प्यारी है
यह भागती दौड़ती है 
अपने साथ औरों को भी दौड़ लगवाती है
जो इसकी रफ्तार में शामिल 
वह तो फर्श से अर्श तक  पहुंच ही जाता है
हमारी मुंबई 
हम मुंबई कर 
महाराष्ट्र को तहे दिल से शुक्रिया करते हैं 
क्योंकि महाराष्ट्र में यह बसती है 
शान से कहते हैं 
जय जय महाराष्ट्र माझा 
 गरजा महाराष्ट्र माझा 

चाहे भी हो जिसने दिया हो जनम
मन तो माँ पालने वाले को ही माने ।

अपनों के खोने का दर्द

बहुत दर्द होता है
जब बडो के कंधों पर छोटा जाता है
वह पिता कितना बदनसीब होता है
जिसको अपने बेटे को कंधा देना पडा हो 
वह भाई पर क्या बीतती होगी
जो उसके संग खेल कर बडा हुआ हो
उस माँ पर क्या बीतती होगी
जब अपने कलेजे के टुकड़े को इस तरह देख
क्या उसका दिल सही सलामत रहेगा
उस बहन पर क्या बीतती होगी
जिनके साथ लडे झगड़े हो
हर छोटी छोटी बात को साझा किया हो
रिश्ता कोई भी हो
पति-पत्नी
बहन - भाई
भाई - भाई
बहन - बहन
या अपना कोई अजीज
वह दोस्त भी हो सकता है
पडोसी भी हो सकता है
दिल तो टूटता है
बस आवाज नहीं आती
अगर पहले से पता चल जाय
यह इस तरह बिदा होगा
तो हम कितना संभल कर रहते
ताउम्र हम लडते झगड़ते
डांटते फटकारते
अपनी इच्छा उन पर थोपते
अपना गुस्सा निकालते
शायद कदर भी नहीं
प्रेम न हो ऐसा नहीं
वह तो भरपूर
पर दुनियादारी में वह दिखता नहीं
जाने के बाद लगता है
यह क्या हुआ
क्यों हुआ
पर जाने वाला शख्स तो आने से रहा
जी करता है
एक बार वह आ जाएं
सारे गिले शिकवे दूर कर दे
पर वह संभव नहीं
शायद इसी का नाम जिंदगी है

हमारी मैरिज एनवर्सरी



आज तीरालीस बरस हो गए 
एक दूसरे से बंधे हुए
पर लगता है
अभी की तो बात है
चालीस नहीं चार बरस ही हुए हैं
जहाँ से शुरू था
लगता है आज फिर वही खडे हैं
बदला कुछ नहीं
बस वक्त बदला है
उम्र बीती है
तब भी जद्दोजहद थी
आज भी वही बात
स्थिरता तो नजर नहीं आती
जीने के लिए संघर्ष
तब भी था
आज भी है
तब भी चिंता थी
आज भी चिंता है
तब अनुभवहीन 
आज अनुभव
पर फर्क क्या पडा
ऊपर वाला मदारी नचा रहा है
हम नाच रहे हैं
हाँ यह बात जरूर है
एक साथी दिया है
जिससे शायद राह आसान हो जाती है
एक साथ इतने वर्ष 
सुख दुख के इस साथी को धन्यवाद
हर उस सहयोगी को
जो मेरी जीवनयात्रा में साथ साथ चला हो
आगे भी सबका स्नेह और आशीर्वाद बना रहे
जीवनयात्रा चलती रहें
इस अवसर पर सबको धन्यवाद

वह तोड़ती पत्थर

मजदूर यानि कामगार
इसके बिना किसी का काम नहीं चलता
देश के निर्माण में मजदूरों का अहम् योगदान
देखा जाए तो फैक्ट्री या  खेती या और कुछ
यह मालिक नहीं मजदूर चलाते हैं
देश के निर्माण में साझा योगदान
अगर मजदूर नहीं
तो सारे काम ठप्प
ये लोग देश की
समाज की शक्ति है
इनका श्रम और पसीना बहा है
तब जाकर अट्टालिकाए खडी हुई है
जिसमें हम और आप रहते हैं
इन्होंने दिन रात एक कर दिया है
तब जाकर सडकों का निर्माण
जिसमें हम और आप फर्राटेदार गाडी चलाते हैं
मार भी सबसे ज्यादा इन पर ही पडती है
आज लाकडाऊन में इनकी दयनीय अवस्था से सब अवगत है
वह जो छत निर्माण करता है
उसके सर पर छत नहीं
आज महाकवि निराला जी की प॔क्तियां याद आ रही है
       वह तोड़ती पत्थर 
देखा मैंने इलाहाबाद के पथ पर
मजदूर राष्ट्र की रीढ़ है
उनका सम्मान सभी से अपेक्षित है
Happy  Labour  day

मौत तू कितनी निर्मम

मौत तू कितनी निर्मम और निष्ठुर
दबे पैर आती है
जिंदगी को सबसे छीन ले जाती है
व्यक्ति की मुस्कान को अवरुद्ध कर डालती है
तुझसे हर कोई डरता है
कोई कितना भी जतन करे
पर तेरे कहर से कोई बच नहीं सकता
एक जिंदादिल व्यक्ति को लाश में तब्दील कर जाती है
तेरे कदमों की आहट जीना दुश्वार कर देती है
जो तुझे बुलाता है
उसके पास तू आती नहीं
जो तुझे नहीं बुलाता
चोरी छिपे आ ही जाती है
समय पर तू आए 
तो कोई बात नहीं
तेरा स्वागत है
पर असमय
जीने का अधिकार छिन लेती है
अपनो से दूर कर देती है
लोगों को बेसहारा और अनाथ कर जाती है
एक को तो अपने साथ ले जाती है
उनके अपनों को जीते जी मार डालती है
हमेशा के लिए रोने को छोड़ जाती है
उनकी खुशी और मुस्कान को अपने साथ ले जाती है
इससे तुझे कौन सा सुकून मिलता है
कैसी खुशी मिलती है
यह तो तू ही जाने
अमरता का वरदान नहीं चाहता कोई
पर जी भर जीना तो चाहता है
कुछ करना चाहता है
अपनो के साथ रहना चाहता है
सुख दुःख बांटना चाहता है
आनंद लेना चाहता है
पर तू तो यू आती है
यू जाती है
पल में देखते देखते सब खेल खत्म
एक ही पल में न जाने कितनी जिंदगानी को खत्म करती 
व्यक्ति और उसके अजीज सबकी
तुझे दया नहीं आती
तू इतनी निर्मम और निष्ठुर