Saturday 31 October 2015

संगीत तो मन को छूने की चीज है

संगीत मन को झकझोर देता है व्यक्ति को सपनों की दुनियॉ में ला खडा कर देता है
संगीत सुनते समय व्यक्ति अपनी सारी परेशानियों को भूल कर उसमें खो जाता है
उसकों जीवन का आनन्द मिलता है
वह संगीत के माध्यम से अपनी भावनाओं में खो जाता है
आज भी नई पीढी के बच्चे पुराने जमाने के संगीत सुनते दिखाई पडेगे
यह पीढियों की दुरियॉ मिटा जाते हैं
सदबहार और जिन्दगी से जुडे गाने हमेशा जवान ही रहते हैं
आजकल संगीत के नाम पर जो भौडापन और अश्लीलता परोसी जा रही है वह उचित नहीं है
संगीत तो मन को छूने की चीज है
उन संगीत कारों का शुक्रिया जिन्होने  ऐसे सुमधुर संगीत दिए

नयी पीढी और पुरानी पीढी को सांमजस्य का रास्ता निकालना पडेगा

वृद्धावस्था की समस्या आजकल मुँह बाएँ खडी है
इसके लिए केवल नई पीढी ही जिम्मेदार नही बल्कि पुरानी पीढी भी
वृद्ध अपनी सोच और मानसिकता बदलना नही चाहते
और युवा बिना किसी रोक -टोक के पूर्ण स्वतंत्रता चाहते हैं यही से टकराव शुरू होता है.
भारत में प्राचीन काल में जीवन को चार भागो में बॉटा गया था जहॉ पचास साल के बाद व्यक्ति संन्यासी जीवन में प्रवेश करता था नई पीढी को सारी जिम्मेदारी सौंपते हुए
लेकिन आज सत्तर साल का वृद्ध भी जवान है और अपने हिसाब से सबको चलाना चाहता है
पीढियों का टकराव तो पहले से चलता रहा है लेकिन आजकल ज्यादा
कोई एक दूसरे के साथ सांमजस्य नहीं करना चाहता
बुजुर्गों को भी सोचना चाहिए
उन्होंने अपनी जिन्दगी तो जी ली तथा अपने भविष्य की भी तैयारी कर के रखे
किसी पर बोझ न बने
जन्म देने का मतलब किसी के जीवन का मालिक नहीं होना है
जिन्दगी जीने दे उनकी मर्जी जैसै और अपनी भी शांति पूर्वक जीए
याद रहे कि खुद का शरीर साथ नहीं देता तो दूसरे से कैसे उम्मीद कर सकते हैं
बच्चे भी बुजु्र्गों को सम्मान दे
आपके जीवनदाता है जो प्रेम उन्होंने आपको दिया है उतना तो नहीं पर कुछ तो दे ही सकते हैं
दोनों ही एक दूसरे को समझे तभी समस्या का समाधान हो सकता है

Tuesday 27 October 2015

सरहदों को तोड इंसानियत कायम करती फिल्म बजरंगी भाईजान

भारत की बेटी का अपने घर में स्वागत है
एक फिल्म बजरंगी भाईजान का अगर इतना प्रभाव हो सकता है तो फिर इससे अच्छी बात क्या होगी
इंसानियत अभी कायम है
हॉ गीता ने महतो परिवार को पहचानने से इन्कार कियाआशा है उसका परिवार भी उसे मिल जाय जैसे देश मिल गया है
मोदी जी ने गीता की देखभाल करने वाले इडी फाउंडेशन को  एक करोड देने की घोषणा की है
बधाई के काबिल है क्योंकि बेटी को सही सलामत रखने की एवज में यह कुछ भी नही है यह कर्ज उतारा तो नही जा सकता पर फिर भी हमारा कर्तव्य तो बनता है  ऐसे ही हमारे न जाने कितने लोग पाकिस्तानी जेलों में कैद है उनको भी वतन वापसी में मदद करनी चाहिए
यह लोग न आंतकवादी है न अपराधी
किसी न किसी कारण से निरपराध पाकिस्तानी जेलों में सजा भुगत रहे हैं
एक गूंगी बहरी लडकी जो अपना नाम पता नही बता सकती अगर उसे सही सलामत पहुँचाया जा सकता है तो फिर दूसरों को क्यों नहीं
पन्द्रह साल बाद अपने वतन लौटना और खुश होना
कितना जुडाव होता है अपनी मिट्टी से
लडाई चलती रहेगी लेकिन इंसानियत भी साथ साथ चलेगी तो यह दोनों मुल्कों के लिए अच्छा होगा     आज के ऐसे तंग वातावरण मे इसकी जरूरत है

Monday 26 October 2015

साहित्य कारों को राजनीति से दूर रहना चाहिए

साहित्य कार का सबसे बडा अस्त्र और हथियार उसकी कलम और लेखनी होती है
वह अपनी कलम से समाज में क्रांति ला सकता है
लोगों की विचारधारा को बदल सकता है तो फिर उसकी ऐसी क्या मजबूरी है कि उसे पुरस्कार लौटाने की नौबत आ पडी
उनके पास तो विरोध का सशक्त माध्यम है
वे अपनी बात कलम के जरिए रख सकते हैं जो ज्यादा गरिमापूर्ण होता
एक के बाद एक अपना अवार्ड लौटा रहा है क्यों
क्या वे राजनीति कर रहे हैं
पुरस्कार तो उनके लेखन को मिला था तो वे क्या उसका अपमान कर रहे हैं
लेखक और कवि अच्छा राजनीतिग्य भी हो सकता है
अटल बिहारी वाजपेयी जी इसके उदाहरण है
राजनीति में आना है तो खुल कर आए
प्रजातंत्र में हर व्यक्ति स्वतंत्र है
विरोध के और भी तरीके हो सकते हैं
लेखक अपनी रचना अवार्ड पाने के लिए नही करता
उसकी खुशी तो पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में है
लेखक को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए
अभिव्यक्ति और न शब्दों के जादूगर को यह शोभा नहीं देता
विरोध करें  पर अपने कद के अनुरूप

आज का माहौल ,कब ठीक होगा

इस समय की हवा बडी गर्म है
न आना न जाना  ,एक जगह रूक सी गई है
हर चेहरा अजनबी  , प्रश्न से घिरा हुआ
उत्तर किसी के पास नहीं
सबकी निगाहे संभावनाओं पर केन्द्रित
पता नही भविष्य के गर्भ में क्या छिपा हुआ
हवा आती -जाती रहती है तभी ताजा रहती है
पानी बहता रहता है तभी स्वच्छ रहता है अन्यथा सड जाएगा और महामारी फैलेगी
हवा को आने-जाने दो
सबको सुनो सबको समझो ,तभी तो विकास होगा
अन्यथा सब ठहर जाएगा
ठहराव बहुत घातक होता है
खुल कर जीओ और जीने दो
डर को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाय

Sunday 25 October 2015

छात्रों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

मुंबई के कुर्ला इलाके के एक होटल में आग लगी और सब खत्म
शानदार और सुनहरा भविष्य धू- धू कर जल उठा
मरने वाले इंजीनियरिंग केछात्र थे
खाना खाने गए थे खुश होकर सेल्फी निकाल रहे थे
मौत इस तरह दबे कदमों से आएगी और उन्हे सचेत भी नहीं होने देगी
एक धमाका हुआ और संभलने का मौका भी न मिला
इसका जिम्मेदार कौन है???जो बच्चे खाना खाना गए थे वे या फिर होटल मालिक या नजायज तरीके से काम चलने देने वाला प्रशासन
मालिक ,वेटर सब अपनी जान बचाकर भाग गए
ऐसे अनधिकृत होटल हर इलाके में बने हैं
सुरक्षा कारणों को नजर अंदाज कर धडल्ले से व्यापार चल रहा है
उनको लाइंसेंस कैसे मिला 
फायर और सेफ्टी का इंतजाम बराबर है या नहीं
अब प्रशासन भी सचेत हुआ है और तोडक कारवाई चल रही है
लोगों की जान इतनी सस्ती नहीं है कि कुछ चंद लोग अपने फायदे के लिए जीवन से खिलवाड करे
ऐसे लोगों का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए और कडी कारवाई करना चाहिए

शिक्षक ,छात्र और पाठशाला

शिक्षा और जीवन.   गुरू तथा पाठशाला
एक दूसरे के बिना अधूरे
हम शिक्षक ,कर्मचारी इस पाठशाला से जुडे हुए
भिन्न ,भिन्न विषय ,भिन्न भिन्न काम
भिन्न भिन्न ,धर्म   अलग अलग भाषाएँ
पर यहॉ सब एक हैं
पाठशाला के द्वार पर कदम रखते ही
सब कुछ भूल जाते हैं
घर-परिवार ,इच्छाएं-जरूरते
याद रहती है विद्यालय की घंटी ,टाईम टेबल ,विषय
पढना -पढाना ,सीखना -सीखाना
पेपर बनाना ,जॉचना ,रिजल्ट तैयार करना
सालों से यही सिलसिला चल रहा है
छात्र आते - जाते रहे  ,हम वहीं के वहीं रहे
कोई मलाल नहीं ,संतोष है इस बात का
हम भविष्य निर्माण कर रहे हैं
अच्छे मार्ग पर चलना सिखा रहे हैं
और क्या चाहिए?
उन्नति के शिखर पर चढे बच्चों को देखना
यह उपलब्धि कम तो नहीं???

मम्मी मैं मरने जा रहा हूँ एक बालक का पत्र

पिछले दिनो टी वी पर एक खबर दिखाई जा रही थी बच्चे की आत्महत्या की साथ में पत्र पर गणित और विषय के अंक भी लिखे थे इतना तनाव वह भी ७-८ वी के बच्चे में
अगर बच्चा पढाई में अव्वल न हो तो क्या हुआ किसी और में होगा पर मरना तो हल नहीं
एक दिन एक बच्चा घर आकर एक पेपर मॉ को देते हुए कहता है कि टीचर ने आपके लिए दिया है
मॉ ने ऑसू भरे ऑखों से उस पत्र को अपने बेटे के सामने पढा कि आपका बेटा बहुत जीनियस है यह स्कूल बहुत छोटा है इतने अच्छे टीचर नहीं है जो उसे योग्य ट्रेनिग दे सके इसलिए आप स्वंय उसे देखिए
बहुत वर्षों बाद उस मॉ का देहांत हो चुका होता है पर उसका बेटा सदी का एक बडा आविष्कारक बन चुका होता है
अचानक एक दिन वह अपनी पारिवारिक चीजों को देख रहे होते है डेस्क के कोने में एक मुडा हुआ पेपर दिखता है खोल कर देखा तो उस पर लिखा था
आपका बेटा addled यानि mentali ill  है और हम अपने स्कूल में उसे रख नहीं सकते
वह बच्चा कौन था  ं थामस एडिसन
एडिसन घंटों रोते रहे और उन्होंने अपनी डायरी में लिखा
Thomas Alva adisan was an addled child that by the her mother become the genius  of the country
जरा सोचिए कितना महत्तवपूर्ण है पैरेन्टस का अपने बच्चो पर विश्वास

Thursday 15 October 2015

कलाम साहब को सही अर्थों में आदराजंली

जीने का सही ज्ञान  साहित्य ,ग्रंथ और उपन्यास से मिलता है इसलिए आप उससे प्रेम करिए यह कलाम साहब का कहना था
महाराष्ट्र सरकार ने १५ अक्टूबर उनके जन्म दिवस को वाचन प्रेरणा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है
आज पढने में रूची कम हो रही है
बच्चो को सब रेडीमेड चाहिए
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कलाम साहब वैसे तो साइंटिस्ट थे लेकिन साहित्य में भी उनकी रूची थी
उन्होंने पुस्तकें भी लिखी है
वे पुराण ,कुरान महाभारत और बाइबल आदि महान ग्रंथों को पढ उसका सार बच्चो को ,अभिभावकों और शिक्षकों को अपने भाषण में बोलते रहते थे
ज्ञान और जिग्यासा की कोई मर्यादा नहीं होती
उन्होंने सभी महान धर्मों के महान ग्रंथों का अध्यन किया
डॉ कलाम के अनुसार हर दिन कुछ न कुछ पढना चाहिए
एक सर्वेक्षण के अनुसार ७६ प्रतिशत युवा पीढी सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं
वाचन संस्कृति .कम होती जा रही है पहले कहते थे कि ग्रंथ हमारे गुरू हैं पढने से जीवन समृद्ध होता है
डॉ कलाम का कहना था कि पाठशाला में छात्रों के लिए सैकडो प्रकार की पुस्तकें रहनी चाहिए
दिन में कम से कम दो घंटे जाकर वहॉ समय व्यतीत करनी चाहिए
पुस्तकों को देखना और पढना चाहिए
अगर उनकी बात पर अमल किया जाय तो बच्चे तो ज्ञानवंत  बनेगे ही
सही अर्थो में उनको भी आदराजंली होगी 

अब्दूल कलाम जयंती ---वाचन प्रेरणा दिवस

सिकंदर ने पौरूष से की थी लडाई तो हम क्या करे
                   तो हम क्या करें       ---यह गाना तो सबने सुना ही होगा , पर यह तो मजाक में कहा गया
पर पुस्तक क्यों पढना चाहिए??
यह प्रश्नचिन्ह है आज की नयी पीढी के समक्ष
मोबाइल और इंटरनेट ने इसे सरल बना दिया है
एक बटन दबाने की जरूरत है सब हाजिर
पर हमारी मानसिक खुराक का क्या
पुस्तकें हमें जीवन ,जीना सिखाती है
जिंदगी से साक्षात्कार कराती है
भूत , वर्तमान और भविष्य से परिचित कराती है
शब्दों और वाक्यों से खेलना सिखाती है
एक हम ही है सब प्राणियों में जिसे भाषा मिली है
फिर उसकी उपेक्षा  क्यों?
मन में उमडते घुमडते विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है यें
अगर पुस्तकें न होती तो जीवन नीरस हो जाता
मोबाईल और कम्पूयटर एकबारगी धोखा दे सकते हैं पर पुस्तकें कभी नहीं
अगर पुस्तकें न होती तो कुराण ,बाईबल और गीता -रामायण कहॉ होती
संस्कृति और सभ्यता कहॉ होती
स्वतंत्रता की लडाई कैसे होती?
तिलक की केसरी और टैगोर का जन गण मन कहॉ होता
ना भूगोल होता और न ईतिहास होता.
विग्यान और गणित के प्रयोग और खेल न होते
एक पीढी से दूसरी पीढी को ग्यान कैसे हस्तांतरित होता
पंत जी और बच्चन जी की कविता कहॉ होती
कालीदास का शाकुंतलम ,प्रेमचन्द की गोदान और शेक्सपियर के नाटक कहॉ होते
सच कहा जाय तो जीवन नहीं होता
पुस्तकों से अच्छी कोई साथी नहीं
इसलिए पुस्तकों से दोस्ती करिए
जीवन को सार्थक और सरस बनाइए
कलाम साहब के सपनों को और ऊँची उडान दीजिए

Tuesday 13 October 2015

कलाकार और साहित्यकार हर सीमा से परे होते हैं

सुधीन्द्र कुलकर्णी के मुख पर कालिख पोती गई जो नहीं होना चाहिए था
एक पाकिस्तानी लेखक की किताब के विमोचन के विरोध में
आखिर क्यों इतनी नफरत
लेकिन अगर सीमा पर गोलीबारी होती रहे और हमारे सैनिकों के सर काटे जाय तो हम संगीत और गजल का आनन्द कैसे ले सकते है
और यह लेखक तो मिनिस्टर भी रह चुके है
इन लोगों को भी सोचना चाहिए
भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट का खेल खेल नहीं होता है जंग होता है
मर मिटने का प्रश्न होता है
कभी पाकिस्तानी झंडे फहराए जाते है
कभी मिठाइयॉ बॉटी जाती है
यह तो जख्मों पर नमक छिडकने जैसा है
कलाकार ,कलाकार होता है
आज भी शेक्सपियर और टालस्टाय को हम पढते है
आज भी महात्मा गॉधी को शांति और अहिंसा के पुजारी के रूप में सारा विश्व जानता है
तसलीमा नसरीन को पनाह दी जाती है
पर कब तक?
यह पाकिस्तान का इतिहास रहा है जब जब शॉति और समझौते के लिए प्रयत्न शुरू किया गया
तब तब गोली बारी हुई
यह एक अच्छी बात हुई कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्र्द फडनवीस ने सुरक्षा व्यवस्था कर विमोचन करवा दिया
सरकार ने अपना काम किया पर पाकिस्तान को भी सोचने की जरूरत है
वहॉ से लोग इलाज के लिए आते हैं
लोगों की आपस में रिश्तेदारी है फिर यह खुन खराबा क्यों.

अबकी बार बिहार चुनाव सब पर भारी

बिहार में चुनाव ,बयान पर बयान
जो कल तक दुश्मन थे आज गले मिल रहे है
साम ,दाम दंड भेद की नीति अपनाई जा रही है
भाषणो पर भाषण
रैलियो पर रैलियॉ
सारे लोग प्रधानमंत्री से लेकर दिल्ली का हर नेता ताकत आजमा रहा है
शैतान ,नरभक्षी और ब्रहपिशाच शब्दों का जमकर प्रयोग और ऊटपटांग बयान बाजी
पर लगता है इस बार बाजी पलटने वाली है
विकास पुरूष नीतिश का विकास और  जे  पी  के शिष्य समाजवादी लालु जी को छोडकर जनता आगे बढना चाहती है
वह मंडल कमंडल से ऊपर उठना चाहती है
परिवर्तन प्रकृति का नियम है
जनता का रूख भी बदला हुआ दिखाई देता है
अगर NDA जीता तो इसका एक कारण परिवर्तन भी होगा
वैसे मोदी जी का पलडा भारी दिखता है
बिहार की जनता की आशाओ पर कौन खरा उतरता है यह तो वक्त ही बताएगा
पर जो भी हो जीत लोक तंत्र की होगी

कहॉ गये वे लोग जिन पर मॉ भारती को गर्व है

तिरंगा जिनके हाथो में होना चाहिए था वे तिरंगे को ओढ न जाने कहॉ चले गये
वे मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता की लडाई लडने वाले
वह अब्दूल हमीद जिसने अकेले ही दुश्मनों को नेस्तनाबूंद कर दिया
वह कलाम जिसके इशारे पर मिसाइले उडती थी वह मिसाइल मैन कहॉ गुम हो गया
मॉ भारती को छोड कर न जाने तुम कहॉ चले गये
आज मॉ भारती को ऐसे ही लालों की जरूरत है
गर्व हो जिस पर और उनकी कुर्बानियों और योगदान पर
मॉ भारती कीऑखे तरस रही है
आज आपस में अपने बच्चो को लडती देख मॉ दुखी और उदास है
उन्हें आपस में लडने वाले लाल नहीं बल्कि उनका नाम रोशन करने वाले लाल चाहिए
और जब तक मौलाना आजाद ,अब्दूल हमीद और कलाम साहब जैसै लाल जन्म लेते रहेगे मॉ भारती को कौन तोड सकता है और हिन्दू मुसलमान को भी कोई अलग नहीं कर सकता

Sunday 11 October 2015

गौ माता भी विवादों के घेरे में

पहले बच्चों को निबंध में गाय पर कुछ पंक्तियॉ लिखने को दी जाती थी
और हर बच्चा बडे प्रेम से लिखता था क्योंकि सब इनसे परिचित थे
गाय का दूध देना और कृष्ण के साथ गाय का जुडा होना
यह बात हर बच्चे को मालूम होती थी और दूसरी बात कि गाय एक पालतू पशु है
गौ माता में तैतीस करोड देवी देवताओं का निवास होता है इसलिए वे पूजनीय है
उनके गोबर ,मूत्र से लेकर दूध हर कुछ फायदेमन्द होती है  दूसरा उसे भोली भी माना जाता है
उसी गाय को लेकर दंगा फसाद करवाया जाता है
चारा खाने वाली शॉति प्रिय और निरीह पशु
अब तो शायद बच्चो को लिखना पडेगा कि गाय एक राजनीतिक पशु है
उनके नाम पर नेता गण विवादित बयान देते हैं और वोट लेने का माध्यम बनाते है
मार काट की जाती है भावी पीढी को यही संदेश जा रहा है
घर घर में रहने वाली और सबके काम आने वाली गौ माता को इनसे दूर रखा जाय
पहले अंग्रेजों ने इनके नाम का इस्तेमाल कर लोगों में भेदभाव करवाया
और अब हमारे नेता
कम से कम राजनीतिक झगडे में गौ माता को न घसीटा जाय

दाल रोटी ,प्याज रोटी ---किसका भोजन???

कभी यह गाना सुना था दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ
पुरानी फिल्मों में गॉव की गोरी अपने पति के लिए प्याज रोटी लेकर खेत में जाती थी और पति बडे प्रेम से खाता था
पर आज हालात बदल गये हैं आज तो इनका नाम लेते ही बढती हुई मंहगाई ठेंगा दिखाने लगती है
एक मुहावरा घर की मुर्गी दाल बराबर आज आखिरी सॉसे ले रही है
आज मुर्गी सस्ती और दाल मँहगी बिक रही है
मुर्गी १२० से १४० तो दाल १५० से२०० किलो तक बिक रही है
लोग क्या खाएगे
सामान्य आदमी को पेट भर दाल रोटी भी मयस्सर नहीं
फल ,दूध और मेवे की तो बात दूर रही
सब्जियों के भाव चरम सीमा पर
मंहगाई वास्तव में डायन बन कर लोगोा का खून चुस रही है
कब जाकर यह मंहगाई थमेगी?
कम से गरीबों की थाली से दाल और प्याज और रोटी नहीं छिनना चाहिए

Friday 9 October 2015

घर की बात घर में रहे अंर्तराषट्रीय जगत को न्योता देने की जरूरत नहीं

एक धर्म के व्यक्ति की घर में घुसकर हत्या कर दी जाती है कि उसके घर में गोमॉस होने की खबर मिली और भीड ने फैसला सुना दिया
एक नेता इसकी शिकायत लिखित रूप से UNOमें करने जारहे हैं
इसी घटना के कुछ दिन बाद की घटना कि गाय के कुएँ में गिर जाने पर एक मुस्लिम युवक ने अपनी जान की परवाह किए बिना कुएँ में उतरकर और गौ माता के सींगो का वार सहते हुए उन्हें बाहर निकाला
यह दोनो घटना इसी देश की है
सदियो से लोग प्रेम और भाईचारे से रहते आए हैं
विडंबना भी देखिए अखलाक ने उग्र भीड को देखकर मदद के लिए अपने हिन्दू दोस्त सिसोदिया को ही अंतिम फोन किया था
वे पुलिस को लेकर पहुँचे ही थे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी हॉ उनका बेटा अवश्य बच गया
वह अस्पताल में तो है पर ईश्वर की कृपा से बच जाए
ऐसी घटना शर्मनाक है और होनी नहीं चाहिए
भविष्य में दोहरायी न जाय
पर अपने देश की समस्या को बाहर ले जाना उचित नहीं है
भारत ने ऐसा बहुत कुछ देखा है और सबक भी सीखा
अब्दुल हमीद और भगत सिंह की यह भुमि है
खत्म करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए न कि भडकाने की दिशा में
अगर सीखना है तो माननीय बाला साहब ठाकरे से सीखना चाहिए कि १९८४ के दंगो में उन्होंने सिख समुदाय पर ऑच नहीं आने दी थी
जब दुसरे प्रांत दंगो की चपेट में थे तो भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई शॉत थी
सभी नेताओ को आगे आकर शॉति की दिशा में पहल करनी चाहिए
अंतरराष्ट्रीय जगत को न्योता देने की जरूरत नहीं

Thursday 8 October 2015

बाप रे ं इतनी भीड ं कब तक चलेगा यह सिलसिला

, गणेश दर्शन के दौरान कतार में खडी महिला अचानक गिर पडी और अस्पताल ले जाते जाते हैं मृत्यु हो गई
भीड में से बाहर निकलना फिर ट्रेफिक जाम के कारण
उचित समय पर चिकित्सा न मिल पाना
दूसरी घटना हाल ही में जेल मे बंद नामी गिरामी मुजरिम के स्वास्थय खराब होने और पुलिस की कडी सुरक्षा  के कारण एक दूसरे व्यक्ति को एक गेट से दूसरे  गेट के चक्कर लगाते लगाते मृत्यु हो जाना
यह दोनो घटना मुंबई की है
लोगों की भीड बढती जा रही है
और ऐसे मौको पर तो और भी
उत्सव और त्योहार को कमर्शियल रूप दे देना
दही हंडी के उत्सव पर न जाने कितने लोगो को अपनी जान गंवानी पडती है
इस बार थोडी पाबंदी लगने के कारण कम दुर्घटनाएँ हुई.
कभी मंदिर तो कभी प्रवचन तो कभी नेता अभिनेता के कारण
जहॉ देखो वहॉ भीड
माउंट मेरी का जत्रा हो या लालबाग के राजा
न ईश्वर के दर्शन सही तरीके से होते हैं न पूजा पाठ
तिलक जी ने सार्वजनिक गणेशोत्सव शुरू किया था
एक उद्देश्य एकता के लिए
आज आंकडे बताते हैं कि त्योहारो के दौरान हर प्रकार के प्रदूषण बढ जाते हैं
शोरगुल और जहरीली हवा में आदमी सॉस लेने को मजबूर हैं
सारी रात माता के नाम पर लाउड स्पीकर बजते रहते हैं
न जाने कितने बीमार ,वृद्ध और बच्चे  इसका शिकार होते हैं वह भी धर्म के नाम पर
पर एक बात अच्छी हुई है कि लोगों की विचारधारा बदल रही है वे अपने घरों में इको फ्रेन्डली गणपति ला रहे हैं और घर या सोसायटी में ही टब या कृतिम तालाब बना कर विसर्जन कर रहे हैं
सारा पुलिस प्रशासन लगा रहता है
आंतक वादियों और उग्र वादी ताकतों को भी मौका मिल जाता है
रास्ते पर किसी भी धर्मस्थल को खडा करना
ईश्वर ,अल्ला ,येशु के नाम पर भीड बढाना
ट्रेफिक जाम करना
यह कहॉ की समझदारी है
एक जागरूक नागरिक होने के कारण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि इन सबसे बचा जाय
ईश्वर की जगह मन में होनी चाहिए
भीड और दिखावे में नहीं

Tuesday 6 October 2015

ताजमहल ़ मैं केवल प्रेम का प्रतीक हूँ

मैं ताजमहल हूँ  ,सदियों से ऐसे ही खडा हुआ
लोग आते रहे जाते रहे ,सदिया बीतती गई
मैं मोहब्बत का प्रतीक माना जाता हूँ
हर प्रेमी युगल जोडा मुझसे जुडना चाहता है
फोटो खिचवाएँ जाते हैं सेल्फी ली जाती है
मैं मिसाल हूँ दुनियॉ के सामने
मेरे बारे में न जाने क्या -क्या लिखा गया
कारीगरों के हाथ काटने का इल्जाम भी लगाया गया
गरिबों के खून -पसीने के पैसै से सींचने का इल्जाम लगा
किसी ने मुझे बेमिसाल माना और संसार के आश्चर्यो में शामिल किया तो किसी ने
हाय ं मृत्यु का अमर अपार्थिव पूजन करार दिया
लेकिन किसी ने मेरी व्यथा सुनी?
आज मेरा दुधिया सफेद संगमरमर का रंग काला पड रहा है
बढता हुआ प्रदुषण मेरे असतित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है
अब तक तो मैं सभी का था यहॉ तक कि पडोसी देश पाकिस्तान से तल्खी होने के बावजूद वहॉ के वजीरे आलम मेरे दर पर आने का मोह नहीं संवरण कर सके
लेकिन अब मुझे भी विवादों में घसीटा जा रहा है
धुऑ उठता दिखाई दे रहा है पर मैं यह सब सहन नहीं कर पाऊंगा
मैं प्रेम के प्रतीक के रूप में ही रहने दिया जाय
सबके दिलों में मैं विराजमान रहूं
मैं किसी धर्म का नहीं और न केवल एक बादशाह का
अपनी बेगम के प्रति प्रेम का प्रतीक नहीं बल्कि हर
मुहब्बते दिल का अजीज हूँ

Sunday 4 October 2015

सबका साथ सबका विकास --कहीं दिखाई दे रहा है?

मोदी जी का स्वच्छता अभियान की सबने सराहना की और लोगों ने बढ चढ कर भाग भी लिया
फोटो खिचवाएँ गए झाडू हाथ में लेकर
यह अभियान कितना सफल होता है यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि यह किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नही है सबको अपनी आदत में सुधार करना पडेगा
गॉधी जयंती पर स्वच्छता अभियान के साथ साथ अगर लोगों के दिलों को स्वच्छ करने का अभियान चलाया जाय तो ज्यादा बेहतर होगा
सडक ,बगीचे और जमीन पर पडी गंदगी को तो झेला जा सकता है पर जिस तरह नफरत की गंदगी फैल रही है उससे कैसै निजात पाया जाय
जबसे नई सरकार आई है कुछ तथाकथित शक्तियॉ बेकाबू हो जा रही है और विष बुझे बयान दे रही है
           एक धर्म के लोग इसलिए उसका बहिष्कार कर देते है कि वह मॉसाहारी है
एक दूसरे धर्म के लोग इसलिए घर में घुसकर हत्या कर देते हैं कि वह पूजनीय जानवर के मॉस का इस्तेमाल किया
यह कोई आज से तो नही हो रहा है सदियों से होगा
कभी कोई साध्वी अपशब्दों का प्रयोग करती है तो कभी कोई योगी
और नेताओ की बयानबाजी की तो पूछने की जरूरत ही नही
बिहार के चुनाव प्रचार में एक के बाद एक प्रहार हो रहे हैं कोई किसी को चारा चोर कह रहा है तो कोई नरभक्षी
कोई अखलाक की हत्या को सही बता रहा है तो कोई उसकी पैरवी कर रहा है
और प्रधानमंत्री जी खामोश हैं वे कुछ बोल क्यों नही रहे हैं
वे सबके प्रधानमंत्री हैं विदेशो के दौरे कर रहे हैं गुगल और फेसबुक के आँफिस जा रहे हैं पर इतनी संवेदनशील घटना पर चुप
मेक इन इंडिया मोदी जी का स्वप्न है लेकिन सिर्फ पैसो से देश का विकास नही हो सकता
विकास तभी संभव है जब देशवासियों के बीच आपस में प्रेम और सद्भभाव हो
अगर देश को कट्टरता से मुक्त नही कराया गया तो देश वैमनस्य की अग्नि में स्वाहा हो जाएगा
पहले तो उनके नेता अनाप शनाप बोलने से बचे दूसरा उन्हें मुक्त भोगी परिवार के साथ खडा होना चाहिए
उसका संग्यान लेना चाहिए
दिलों को कैसे स्वच्छ किया जा सकता है इस पर विचार करना चाहिए तभी देश का सच्चे अर्थो में विकास होगा

Saturday 3 October 2015

क्यों हो रही है मौत पर सियासत

अखलाक की मृत्यु होने पर एक के बाद एक नेता और राजनीतिक दल के लोग पीडित परिवार से मिलने को पहुँच रहे हैं 
दादरी की घटना से सबक लेने की जरूरत है
दादरी का दर्द पूरे भारत का दर्द है
सहरनपुर ,मुजफ्फर पुर  और अब दादरी
क्यों उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक घटना हो रही है
एक मंत्री महेश शर्मा इसे हादसा करार दे रहे हैं
यह किसी एक दिन में नही हुआ है
इसके कारणों की तह में जाना होगा
वोट बैंक के कारण तुष्टीकरण की नीति को अपनाया जाता है
मृतक के परिवार वाले भी इसमें राजनीति नहीं चाहते.
इतने सालों से साथ रहकर सुख दुख बॉटने वाले हत्यारे कैसै बन गए
यह किसी सोची समझी रणनीति के अंतर्गत तो नहीं
गो मॉस खाने पर किसी की हत्या
क्या विष बेल के सहारे सत्ता पर लोग पहुंचना चाह रहे हैं
क्यों माहौल बिगाडा जा रहा है
दोषीयो के ऊपर कानूनी कारवाई करने की जरूरत है
हमला ,हमला होता है किसी के ऊपर भी हो
कहीं भी हो
हर व्यक्ति इस देश का वासी है
ओ वेसी ,केजरीवाल और अब राहुल
दादरी पर सियासी दंगल शुरू है
और यह सब जगह पहुँच रहा है
देश ने ऐसे ही बहुत दंगे देखे हैं  अब और नहीं
विकास की जरूरत है आपसी भाईचारे की जरूरत है
दादरी की चिन्गारी कहीं भडक कर भयंकर रूप न धारण कर ले
चुनावों का मौसम है बिहार में चुनाव होने वाले है
U  P में भी पंचायत चुनाव होने वाले हैं
समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार को अभी से सचेत रहने की जरूरत है
ऐसा नहीं हो कि भारत जाति ,धर्म के चक्रव्यहु में उलझ कर रह जाए