Tuesday 22 March 2022

INSPIRATATIONAL



Worth Reading .....
INSPIRATIONAL .....

I boarded flight  from Bangalore to Mumbai, economy class. I put my hand bag in overhead bin and took my aisle seat. There was an old person sitting next to me on the window seat. 

I had a presentation in Mumbai, so took my documents and started going through them for the final time before the presentation. After 15–20 minutes I was done with my documents, so I put them away and started looking out of the window, and suddenly I looked at the face of this person sitting next to me. I thought I have seen him somewhere.

He was old, his face, the suit was not very expensive, and he was replying to some mails or going through some documents. I exactly don’t know. I noticed his shoes, they were average quality. 

Something stuck me and I asked him: 
*“Are you Mr. Narayana Murthy?”*

He looked at me, smiled and replied, *“Yes, I am.”*

I was shocked ! 
For one second I had no idea what to say next. I looked at him again. His shoes, his suit, his tie and his specs. Everything was average. This guy was worth $2.3 Billion and co-founded Infosys. 

I always wanted to become super rich so that I can buy all the luxury and travel business class. He could buy the whole airlines and yet he was sitting next to me in economy class!

I again asked:  *“Why are you travelling in economy class and not business class?”*

He replied: 
*“Do Business class people reach early?”*

And then introduced myself, “Hello sir! My name is Mayank Gupta and I am a freelance corporate trainer and I work with many MNCs PAN India.”

He then put his phone away and started listening to me, he also asked few questions and answered the questions I asked. We both went down deep into the conversation until I asked a question which was about to change my life entirely.

I questioned:
*Sir, You are so successful and have made so many good decisions in your life. Is there something you regret?”*

He got intense look on his face, thought for a while and answered,
*“Sometimes my knee hurts, I should have taken better care of my body. When I was young I was so busy working that I never got time to take care of myself and now even if I want to work more, I can’t. My body doesn’t permit.”*

*“You are young. You are smart and ambitious but don’t repeat the mistake I made. Take proper care of your body and take proper rest. This is the only body you have got!”*

That day I learned two things, one that he told me and another that he showed me!

Being rich is not about owning things.
I had got what I needed.
What a great and down to earth human being he is, no doubt he is so successful !!!
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Sunday 20 March 2022

प्यारी गौरैया

आंगन में आती गौरैया
ची ची करती 
सुबह-सुबह हमको जगाती
खिडकी दालान में घोसले बनाती
कुछ ज्यादा की चाह नहीं
बस कुछ दाने ही काफी
घर के आसपास मंडराती 
आज जाने कहाँ गुम हो रही
यह नाजुक सी चिडियाँ
गाँव - घर की पहचान चिडिया
इनको भी रहने का है अधिकार
कहीं हो न जाएं 
विकास की चकाचौंध में इनकी ची ची गायब
इनका भी घर रहने दो
इनको भी मुक्त विचरने दो

मैं बेजुबान कुत्ता

मैं कुत्ता हूँ
बेजुबान हूँ
अच्छा है न
केवल भौकता हूँ
किसी को अपशब्द तो नहीं कहता
अपमानित तो नहीं करता
निंदा तो नहीं करता
शब्दों के व्यंगबाण तो नहीं चलाता
जब आप कहते हैं
यह कुत्ते की तरह भौकता है
तब मुझे दुख होता है
मैं आप जैसा बिल्कुल नहीं हूँ
मैं मनुष्य नहीं कुत्ता हूँ

मुझे कहा जाता है 
मैं मालिक के पीछे दूम हिलाता है
सही है
मैं नमकहराम नहीं हूँ
स्वामीभक्त हूँ
मालिक के पीछे जान दे सकता हूँ
मनुष्य जैसा नहीं
खाए किसी का और गाए किसी का
अपनों की पीठ में ही पीछे से छुरा घोंपे
यह तो मैं नहीं करता
मैं मनुष्य नहीं कुत्ता हूँ

कहा जाता है
कि कुत्ते की दुम टेढ़ी ही रहती है
कुछ भी कर लो
सही है
मैं दलबदलू नहीं हूँ
जैसा हूँ उसी पर कायम हूँ
शेर की खाल में छुपा भेडिया नहीं हूँ
मैं मनुष्य नहीं कुत्ता हूँ

हर दम साथ निभाता हूँ
मरते दम तक
एक बार किसी का हो लिया
तब अंत तक उसका
सडकों से लेकर महलों तक में निवास
फिर भी घमंड का नामो-निशान नहीं
मैं मनुष्य नहीं कुत्ता हूँ

जमीन से जुड़ा हूं
पर स्वर्ग तक पहुंचा हूँ
धर्मराज युधिष्ठिर का सहचर हूँ
उनके साथ स्वर्ग के द्वार तक पहुंचा हूँ
तभी तो मैं अपने धर्म पर अडिग हूँ
धर्म और जाति के बंधनों से परे
स्वामिभक्ति ही धर्म मेरा
मैं मनुष्य नहीं कुत्ता हूँ .

Saturday 19 March 2022

सागर हूँ गहरा हूँ

गहरा हूँ सब कुछ समाता हूँ अपने में
फिर भी शांत रहता हूँ
परीक्षा मत लो मेरी
अगर अपने पर आ जाऊं 
तब तो किसी की खैर नहीं 
मैं तो अपनी सीमा में रहता हूँ
विशालता ही मेरी पहचान
न जाने क्या क्या समेटे हुए अपने में
मैंने न जाने कितने युग देखे हैं
इतिहास गवाह है
मैं कभी अवांछित को अपने में समाता नहीं
बाहर किनारे पर फेंक देता हूँ
जब तक सहता हूँ तब तक ठीक
अन्यथा सुनामी आने में देर नहीं ।
मेरी क्षमता का आकलन करना मुश्किल
मेरी गहराई नापना असंभव
मैं अपने में अमृत और विष दोनों समाएं हुए 
सागर हूँ साग नहीं 
कि मुझसे कैसा भी व्यवहार हो 
मुझे बंधन में बांधा जाए
मेरी सीमा जानने से पहले अपनी सीमा जाननी होगी 
तभी सभी का कल्याण ।

Friday 18 March 2022

Happy Holi

उडने दो रंगों को
रंगीन होने दो फिजा को
रंग भरो जीवन में 
अपने में औरों के जीवन में भी
सब कुछ भूलभाल कर 
मौज - मस्ती मनाओ होली में 
 Happy Holi All My dear Friends

Tuesday 15 March 2022

अंधेरा और प्रकाश

बाहर कडी धूप
चमचमाता उजाला 
प्रकाश से भरपूर
अंतरतम में  घुप्प अंधेरा
घने काले बादल
कुहासा से घिरा हुआ 
कहीं दूर तक कुछ नहीं नजर आता
कब ये बादल छंटेगे
कब प्रकाशित होगा अंतर्मन 
यह तो कोई नहीं जानता 
इस आशा के साथ जीता अवश्य है
आज नहीं तो कल
यह बादल भी छंटेगे 
अंधेरा भी दूर होगा
यही सोचते समय बीतता है
जीवन की घडियां चलती है
वर्ष दर वर्ष गुजरते हैं 
क्योंकि पता है
अंधेरे की ताकत 
उजाले की प्रकाश की 
अंदाजा तो है
क्योंकि अंधेरे को चीरना
कुहासा को हटाना 
यह तो प्रकाश करेंग ही ।

Thursday 10 March 2022

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ
मैं वह राधा हूँ जो जिसने कन्हैया को द्वारिकाधीश बनाया
मैं वह सीता हूँ जिसने राम को आदर्श राजा बनाया
मैं वह उर्मिला हूँ जिसने लक्ष्मण को महान व्रती तपस्वी बनाया
मैं वह यशोधरा हूँ जिसने सिद्धार्थ को भगवान बुद्ध बनाया
मैं वह कुंती हूँ जिसने राजा पांडु को पांच पांडवों का पिता बनाया
मैं वह द्रोपदी हूँ  जिसने पांचों पांडवों को एकसूत्र में बांध कर रखा
इनकी महानता के पीछे त्याग मेरा था
मैं टूटी
मैं बंटी
मैं परित्यक्ता बनी
मैं विरहणी बनी
मैं सिसकती रही
मैं ऑसू पीती गई
मैं समझौता करती गई
मैं त्याग की प्रतिमूर्ति बनती रही
मैं स्वयं बिखरती रही
दूसरों को संभालती रही
दर्द सहा मैंने तब ये महान बने
मर्यादा कभी नहीं लांघी तभी तो मर्यादा पुरुषोत्तम बने
प्यार को भी बांटा
पार्थ ने स्वयंवर में वरण किया
पत्नी बनी पांचों भाईयों की
जुआ खेले धर्मराज
दांव पर लगाया मुझे
आदर्श भाई बने लक्ष्मण
विरहणी बनी मैं
शांति का संदेश दिया बुद्ध ने
अशांत रही मैं
मथुरानरेश बने कृष्ण
प्रेम में पागल बन भटकती रही मैं
मेरा अस्तित्व 
मेरी भावना तार तार होती रही
मैं जोड़ती रही
संवारती रही
वह इसलिए कि मैं नारी थी
इनकी शक्ति थी
त्याग करना सबके बस की बात नहीं
वह तो स्त्री ही कर सकती है
धरती है 
धीरज है
सबकी धुरी है
वह डगमगाई तो प्रलय निश्चित
वह नारी है

Wednesday 9 March 2022

नियति

एक भूत एक भविष्य
एक बालक एक वृद्ध
एक चुपचाप खाट पर बैठे हुए
दूसरा कदम बढाते हुए
यही जीवनयात्रा है
बचपन से वृद्धत्व की ओर
यह तो सभी की नियति है

Tuesday 8 March 2022

नारी का अधिकार

नारी से नर
इसी से हैं संसार 
नारी ही सृष्टि की संपादिका
पूरा भार लेकर चलने वाली
वह पृथ्वी है
वह माता है
वह संसार की संचालिका है 
परिवार की धुरी है
वह बेटी है
वह बहन है
वह पत्नी है
वह माँ है
फिर भी वह परदे के पीछे है
उसका असतित्व?
उसका स्वाभिमान ??
उसकी महत्ता ?
शायद समझ नहीं पाया समाज
तभी तो गर्भ में ही हत्या 
इतना बडा पाप
एक जीव को 
एक सृष्टि की संचालिका को
अगर ऐसा व्यवहार होता रहा
तब संसार की
तब समाज की
सारी व्यवस्था ही गडबडा जाएंग
 वह बहुत घातक है
सम्मान कीजिए
हर उस औरत का
जो आपके साथ जुडी है
इसकी वह अधिकारी है

तुम नारी हो

तुम प्रेम हो
तुम आधार हो
तुम जीवनदायिनी हो
तुम ममता हो
तुम शक्ति हो
तुम सखी हो
तुम बेटी हो 
तुम बहन हो 
तुम माँ हो
तुम जीवनसंगिनी हो
तुम जग निर्मात्री हो
तुम बिना तो राधेश्याम ,सीताराम और गौरीशंकर भी अधूरे
वे तो ईश्वर तब सामान्य इंसान की क्या बात करे
घरनी बिना घर अधूरा
सारे जग का स्वामी भी माता बिना भिखारी
भाई का रक्षा कवच
पति की ढाल
बेटी का प्रेम
प्रेम ,विश्वास और श्रद्धा से लबालब 
साथ में शक्ति 
तुम तो अपने आप में संपूर्ण हो
स्वयं को पहचानो
तुम साधारण नहीं
संसार की धुरी हो
तुम नारी हो

Monday 7 March 2022

भरना बैंगन

आज भरे हुए बैंगन खाएं । स्वादिष्ट लगा । बहुत सारी सामग्री कलौंजी , जीरा , धनिया , सौफ तथा अन्य मसाले तेल और मसालों से यह स्वादिष्ट।वैसे ही हम भी अपने में प्रेम , दया , करूणा , क्षमा को भर ले तब हमारा व्यक्तित्व भी निखर उठेगा । नहीं तो कोरा कागज ही हैं ।
गढना , संवरना पडता है तब जाकर कहीं कुछ हासिल होता है पहचान बनती है । यह हमारे हाथ में है कोरा रखें या फिर विशेषताओं को समाहित करें ।

जनता जनार्दन

चुनाव खत्म हो गए हैं । जहाँ चार मिले वहाँ चर्चा शुरू । ये हमारे किसान हैं और ग्रामीण है । 
सबसे बडा राज्य उत्तर प्रदेश 
दिल्ली की सत्ता लखनऊ से होकर जाती है और यह सच भी है 
प्रधानमंत्री का चुनाव क्षेत्र वाराणसी
आज सबकी निगाहें टिकी है । सत्ता और विजय किसे ??
  सत्ता के निर्णायक यहीं साधारण लोग होते हैं । भारत की जनता और उसका लोकतंत्र सारा विश्व देखता है । कब सत्ता पलट दे और सब चैनलों तथा नेताओं के गुणा - गणित को फेल कर दें यह तो कोई नहीं जानता।
तभी तो नेताओं के लिए जनता , जनार्दन है

खुशबू

गुलाब डाली से अलग हो गया है
फिर भी जिस कोने में हैं वहाँ की शोभा बढा रहा है
खुशबू दे रहा है तब तक जब तक मुरझा न जाएं
हमारे बाद भी हमारे कामों की खुशबू बरकरार रहें
यह तो इस छोटे से फूल से सीखना होगा
मानो कह रहा हो
खुशबू हूँ मैं फूल नहीं 
जो मुर्झा जाऊं 
जब जब मौसम आएगा 
मैं याद आ जाऊंग
 

उपहार का मूल्य

यह किसी का प्यार भरा उपहार
हाथ से बनी हुई पंखी
छोटे और झालरें लगाकर
पंखा है ए सी है
फिर भी बिजली का भरोसा नहीं 
हाथ का बना बेचना और पंखी
यह हर वक्त उपलब्ध 
हमारे लिए हैं लाजवाब
उपहार छोटा या बडा नहीं होता
उसके पीछे का प्यार
यह और भी महत्वपूर्ण तब हो जाता है
जब किसी मुस्लिम ने हिंदू को भेंट दिया है वह भी एक बूढी गरीब महिला
तब लगता है कभी-कभी 
सब एक - दूसरे के पूरक हैं । विभाजन करने और कराने वाले कोई और होते हैं
प्रेम जात और धर्म नहीं  देखता

Sunday 6 March 2022

अपना घर

तिनका-तिनका जोड़ कर बनाया है यह घर उस छोटी सी चिड़िया ने वह भी कांटे भरे गुलाब के पौधे पर
घर तो घर ही होता है वह चाहे कहीं भी हो ।प्राकृतिक विपदा आए या बाढ या फिर ज्वालामुखी । व्यक्ति अपने घर को छोड़ता नहीं है
जीना यहाँ मरना यहाँ । इसके बिना जाना कहाँ
दो देशों के बीच जंग
बम के बीच भी हौसले बुलंद 
प्रतिकूल जवाब हर नागरिक दे रहा है
सही है अपना घर तो अपना घर होता है

गुलाब

गुलाब फूलों का राजा है लेकिन याद रहे उसने कांटों का ताज पहन रखा है । कांटो में रहकर मुस्कराता यह पुष्प 
कहता है आसानी से कुछ नहीं मिलता । अपने को निखारने के लिए बहुत कुछ सहना और झेलना पडता है
अथक परिश्रम तब जाकर मंजिल हासिल होती है

Wednesday 2 March 2022

वह बचपन

न बैट न बाॅल
न कोई मंहगा खेल
पत्थर और मिट्टी संग खेल रहे हैं
यह बाल गोपाल
ओठों पर है मुस्कान
मस्ती में भरपूर
यह है बच्चे शैतान
आ गया अपना भी बचपन याद
जब धागे में पत्थर बांध उछाला करते थे
पत्थर से गोटी गोटी खेलते थे
जिद आने पर जमीन पर लोट जाते थे
निश्छल बचपन भोला बचपन
अब समझदार हो गया
जिंदगी की आपाधापी में सब कुछ भूल गया

झुकना भी एक कला है

जो झुका वही फैला
जो तन कर खडा रहा
वह अपने में सिमटा रहा
विस्तार और विकास 
तब होगा जब 
लीक से अलग कोई होगा
अपनी शोहरत को पाना है
तब विस्तार करना होगा
उसके लिए कभी झुकना कभी टूटना 
जब तक जीवन में झुके नहीं
तब तक कुछ मिले नहीं
अपने ही दायरे में सिमटा रहना
यह तो कोई बडप्पन की बात नहीं
सीधा तना खडा वह तूफान नहीं झेल सकता
जो लचीला झेल पाएंगा
थोड़ी देर के लिए इधर - उधर 
फिर अपनी जगह पर
जो लचीला रहा वह टिक गया
जो तना रहा वह ज्यादा नहीं टिका
समायोजन ही जिंदगी का दूसरा मकसद है
जो नहीं किया वह मिट गया

Tuesday 1 March 2022

जय बाबा भोलेनाथ । हैपी महाशिवरात्रि

आज महाशिवरात्रि है
देवो के देव महादेव का दिन है
बाबा भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का दिन है
शिव पार्वती की उपासना का दिन है
डमरू वाले और जटाधारी का दिन है
भस्म मले धुनी रमाए बाबा का दिन है
अधखुली ऑखों से सारे संसार को देखने वाले बाबा विश्वनाथ का दिन है
गले में विषधर नाग और सर पर शीतल चंद्रमा धारण करने वाले योगी का दिन है
जटा में गंगा मैया को समेट कर रखने वाले का दिन है
सब छोड़ कैलाश पर्वत पर वास करने वाले का दिन है
औघड़ साधुओं और भूतो के नाथ का दिन है
भोले तो है पर संसार को भस्म करने वाले त्रिनेत्र का दिनहै
अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाने वाले
भांग धतूरे से प्रसन्न होने वाले 
नंदी के स्वामी का दिन है
गणेश और कार्तिकेय के पिता पार्वती पति का दिन है
तब आइए बाबा भोलेनाथ की भक्ति में रम जाय
आज के दिन उनकी शरण में आ जाय
अपने जीवन का कल्याण कर ले
उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर ले
सभी को महाशिवरात्रि की शुभकामना