Thursday 28 August 2014

पर्यावरण की सुरक्षा

प्रकृति माँ है जो हम पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है। 
उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है , लेकिन आज क्या हो रहा है ?
पेड़ काटे जा रहे हैं , जंगल समाप्त हो रहे है। 
पशु - पक्षी , चट्टान,  पहाड़, समुद्र , नदी सबको हम नुक्सान पहुँचते जा रहे है। 

इसका दुष परिणाम भी देखने को मिल रहा है ,
यह किसी एक की समस्या नहीं , सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। 
सारी पृथ्वी को हमने प्रदूषित कर रखा है। 
अगर यही हाल रहा और प्रकृति ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया तो मनुष्य जाती और उसके बनाए संसाधनो को नष्ट होते और खंडहर में तब्दील होने से कोई नहीं रोक सकता …
आज बादल फट रहे हैं
असमय बारीश हो रही है.
मौसम में परिवर्तन हो रहा है
पूरे विश्व में खतरे का आभास हो रहा है



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