Friday 8 August 2014

जिंदगी का साथ निभाती पुस्तकें ...

पुस्तक मानव को मानव बनाती है ,
पुस्तकें हमारे अतीत का आईना होती है ,
पुस्तकें हमें सच से रूबरू कराती है ,
कल्पना हो या परी लोक , सबकी सैर कराती है पुस्तकें ,
प्यार हो या संघर्ष हर जगह साथ निभाती है पुस्तकें ,
अकेलेपन का साथी है पुस्तकें ,
समाज और लोगों की प्रेणा होती है पुस्तकें ,

टेक्नोलॉजी कितना भी विकास कर लें , पुस्तक की जगह तो नहीं ले सकती ,
पुस्तक का स्थान हर युग में महत्वपूर्ण था और है।
प्राचीन युग हो या आधुनिक युग हमेशा जिंदगी का साथ निभाया है पुस्तको ने।


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