Wednesday 7 January 2015

हमारे ग्रंथ हमारी धरोहर है।


दर्शन, गणित, विज्ञानं, भूमिति, शालिहोत्र, खगोल, भूगर्भ, सामुद्रिक, रसायन, शिल्प, कृषि, भूगोल, वाणिज्य, व्रुत्त्न, जीवविधा, व्याकरण, वैधक, मनोविज्ञान, सम्पत्तिशाश्त्र, तक्षिकी, आन्वीक्षिकी, प्रणिधी, सूचीकर्म ये नाम फिलॉसॉफी से लेकर इंजीनियरिंग तक हमारे वेदों में विद्यमान है।

पुष्पक विमान, कटे मस्तक को जोड़ना योग, वृद्ध को युवा, शब्दभेदी बाण, हड्डी से बना शाश्त्र, समुद्र के ऊपर उड़कर दूसरे छोर पर पहुँचना, समुद्र पर बाँध, संजीवनी इन सबका प्रमाण हमारे ग्रंथो में मिलता है।

लेकिन हम अपनी धरोहर को वह रूप नहीं दे सके।  डार्विन के बंदर हमारे पूर्वज थे यह तो हमें याद है, लेकिन राम ने वानरसेना का सहारा लेकर ही समुद्र पार लंका पर विजय पाई थी वह भूल जाते है।


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