Wednesday 16 September 2015

भारत की धर्म निरपेक्षता क्या खतरे में?

सभी धर्मो के लिए समान आदर ही धर्म निरपेक्षता है
हमारी संस्कृति हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाती है
हर देश का यह फर्ज है कि वह अपने नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करें
अगर हम अपने बच्चों के लिए बेहतर समाज चाहते हैं
उन्हें बेहतर नागरिक बनाना चाहते हैं तो हमें किसी भी प्रकार के नफरत को बढावा नही देना चाहिए
हर व्यक्ति को जाति ,धर्म के भेदभाव के बिना समान अवसर और समान जीवन जीने का हक है
हमें ऐसी प्रणाली बनानी होगी जहॉ काम के आधार पर लोग नेताओ को चुने ,धर्म के आधार पर नही
हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए पर अपनी इच्छा किसी पर लादनी नही चाहिए
किसी एक को संतुष्ट करने के लिए दूसरों की इच्छा का दमन करना उचित नहीं है
आज मॉस पर बंदी तो कल दूसरे पर बंदी
तुष्टीकरण की नीति क्यों
हम कैसै जीए यह हमारा फैसला होना चाहिए हॉ वह कानून के दायरे में
पर आज कल तो बंदी शब्द चल निकला है
हर धर्म अपने किसी न किसी पर्व या त्योहार पर कुछ न कुछ मॉग रखेगा और यह हो भी रहा है
सरकार किस किस की मॉग मानेगी और तुष्ट करेगी
क्यों लोग सहिष्णु नहीं हो सकते
एक ही परिवार में शाकाहारी और मॉसाहारी दोनों रहते हैं    एक ही धर्म मानने वाले अलग अलग प्रांतों की अलग जीवन शैली होती है
एक में मॉ दुर्गा को बली दी जाती है तो दूसरी जगह नही
उत्तर भारत का ब्राहण शाकाहारी तो अन्य का नहीं
क्या फर्क पडता है
यह सब छोडकर जीओ और जीनो दो की नीति अपनाई जाय तो बेहतर है

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