Saturday 23 January 2016

ईश्वर ,अल्ला तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान

लार्ड ,ईश्वर, अल्ला  यह सब तो है तेरे नाम
क्रास ,स्वस्तिक ,चॉद यह है प्रतीक इनके
पर ईश्वर तो सबके दिलों में निवास करता है
ईश्वर तो घट घट वासी है
सबका मालिक तो एक ही है
हमने उन्हें मजहबों की दिवार में बॉट रखा है
तेरे ईश्वर से मेरा खुदा अच्छा
इसलिए कोई स्वस्तिक लगाता है तो कोई क्रास
संदेश तो सभी का एक ही
शॉति, अहिंसा और प्रेम
पर यह कहीं दिखाई नहीं देता
एक -दूसरे को श्रेष्ठ दिखाने की होड में शॉति अशॉति का रूप धारण कर लेती है
प्रेम तो कहीं गायब हो जाता है
उसका तो अता पता नहीं
बेहतर तो यह है कि हर धर्मावलंबी एक दूसरे का सम्मान करे पर अपना उन पर थोपे नहीं
हर व्यक्ति को इतनी आजादी तो होनी चाहिए
मजाक करते वक्त भी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए
एक वाकया कि हमारे स्कूल में दो शिक्षक थे जो आपस में दोस्त भी थे
एक बार दोनों सीढी चढते चढते आपस में ही हाथापाई करने लगे तो बच्चों ने उन्हें छुडाया
बात यह थी कि एक जैन थे और दूसरे राजपूत
एक शाकाहारी दूसरा मॉसाहारी.
राजपूत सर हर रोज मॉसाहार की बात चटाखे लेकर सुनाते और जैन सर मॉसाहारियों की निंदा करते नहीं चूकते
आखिर बरसों की चली आ रही दोस्ती का यह हश्र कि दोनों एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन चुके हैं

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