Tuesday 22 March 2016

रंग बरसे भीगे चुनरवाली --++-+++++-

यह गाना सुनकर झूमने लगते हैं लोग
पर क्या सच में यह उचित समय है जब पानी की समस्या हो और लोग बूंद -बूंद पानी के लिए तरस रहे हो , होली आ रही है ,रंग- गुलाल ,अबीर लगेंगे
साथ में जम कर पानी की भी बर्बादी होगी
सरकार और समाजसेवी संस्थाएं और कॉलेज के बच्चे मुहिम छेडे हैं और लोगों से बिना पानी होली मनाने के लिए अपील कर रहे हैं
कुछ को यह बात रास नहीं आ रही है
त्योहार है और मौज - मस्ती करना तो बनता ही है
समय के साथ चलना भी जरूरी है
पानी की किल्लत हो और पानी बहाया जाय
लकडी की कमी है और लकडी जलाया जाय
धुएं से वातावरण को प्रदुषित किया जाय
गुब्बारे में पानी भर कर मारा जाय
रासायनिक रंगों का उपयोग कर सेहत के साथ खिलवाड
बदलना जरूरी है अगर हम न बदलेंगे तो बहुत पछताना पडेगा
खुशी वह है जिसमें सब खुश रहे
कोई पानी पीने को तरसे और कोई पानी से खिलवाड करें
जल ही जीवन है और प्रकृति की इस धरोहर को किफायत से खर्च करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है

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