Monday 11 April 2016

एक बार फिर जी ले ,मुस्करा ले

चारों तरफ खुशियॉ बिखरी थी खुश होना न आया
जिंदगी जिंदादिली का नाम है जीना न आया
हौसलों की उडान भरना न आया
सपने तो देखे पर सपनों को सच करना नहीं आया
कल्पना को यथार्थ बनाना न आया
रंगबिरगी इंद्रधनुषी रंग भरना न आया
केवल विधाता को कोसते रह गए
जो मिला उसका आभार जताना न आया
न मिला उसके बारे में सोच सोचकर दुखी होते रहे
समय तो मिला पर समयका मूल्य न समझा
और व्यर्थ समय गवा दिया
रिश्ते - नाते सब बेमानी लगे
आज सब छोड चले ,हमे रोकना भी न आया
रोने के कारण हँसी भी रूठ गई
हमें खिलखिलाना न आया
अगर यह सब आ जाता
तो सच मानो जीने का मजा ही आ जाता

No comments:

Post a Comment