Tuesday 26 July 2016

पापा जैसा कोई नहीं

पापा शब्द ही मन को निर्भय बना देता है
चेहरे पर मुश्कान आ जाती है
पापा है न मेरे फिर क्यों चिंता
कंधे पर रखकर खिलाना
गोद में उठाकर चलना
उंगली पकडकर बाजार ले जाना
जिद करने पर इच्छा पूरी करना
खुद जी तोड मेहनत करना पर अपने लिए कुछ न करना
बच्चों के भविष्य के लिए स्वयं का जीवन समर्पण
यहॉ - वहॉ नौकरी के कारण भटकना
पर बच्चों को सुव्यवस्थित घर देने की कोशिश
ऊपर से तो धीर- गंभीर पर मन से बच्चों जैसे
एकदम भावुक
गुस्सा तो क्षण भर का
अपने बच्चों को देख कर ही भॉप जाना
हर जगह उनकी सुरक्षा को तत्पर
चौकन्नी ऑखें ,बच्चों पर कुछ ऑच न आए
हर समस्या का निदान ,दुख में ढाढस को तैयार
मॉ पर भी अपना अधिकार जताना
जो काम मॉ न कर सके वह चुटकियों में कर दे पापा
घर का प्रहरी ,पालनकर्ता
वह तो बस हो सकता है पापा
कितने अच्छे कितने प्यारे होते है पापा

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