Sunday 13 November 2016

मैं आपका प्यारा रूपया बोल रहा हूँ

मैं रूपया ,सब जगह मेरी ही तूती बोलती है
मैं जितना बडा उतना मेरा महत्तव बडा
मैं सबके इर्दगिर्द डोलता हूँ
मेरे बिना किसी का काम नहीं चलता
सब मेरे पीछे भागते है
पर आज ऐसा दिन आ गया है
कि मुझसे ही पीछा छुडा रहे हैं
कोई बंद तिजोरी से निकाल रहा है
कोई और किसी गुप्त स्थान से
मेरा स्थान आटे- दाल के डब्बे में भी रहा है
बक्सा और अलमारी में तो सदा से निवास
पर अब सब सोच में पड गए हैं
क्या करे ,कहॉ जमा करे ,कहॉ खर्च करे
पहले बचा रहे थे ,अब खर्च कर रहे हैं
पहले छुपा रहे थे ,अब निकाल रहे हैं
पहले चढावा चढाने में संकोच करते थे
अब पॉच की जगह पॉच सौ चढा रहे हैं
पहले बचाकर रखते थे
अब बहा रहे हैं
अगर मैं फट जाता था तो जोड- तोड कर चला लेते थे
अब फाडकर फेक रहे हैं
और यह दिन मैंने पहली बार नहीं देखा है
इससे पहले भी ऐसे दौर आ चुके हैं
एक समय  था कि मुझे सिगरेट बना कर फूका गया
और आज तो बंडल के बंडल जलाए जा रहे हैं
लोग मेरे नये रूप की प्रतीक्षा में कतारों में खडे हैं
जिसको भी मिल जा रहा हूँ
वह अपने को भाग्यशाली मान रहा है
पर उनका क्या जिनकी रातों की नींद उड गई है
लेकिन यह ठीक भी है
मेरा डुप्लीकेट बनाया गया
काले धन के रूप में उपयोग किया गया
ऑतकवादियों को शह देने के रूप में किया गया
हिंसा फैलाने और बम- बारूद खरिदने के लिए किया
मैं कब तक यह बर्दाश्त करता
मेरा दम घुट रहा था
लोग न जाने कितने वर्षों से मुझे कहॉ- कहॉ रखा था
मैं मुरझा गया था
बाहर निकलने को आतुर हो रहा था
मुझे भी नवीनता चाहिए थी
एक ही प्रकार से मैं ऊब गया था
अब का मेरा नया रूप गुलाबी ,मुझे भा रहा
मैं इस रंग में खिल भी रहा
और मेरा रूप बदला जाएगा
आप के घर भी मैं आउंगा
प्रतीक्षा कीजिए और स्वागत करिए मेरे नए रूप का
मैं तो आपका सदियों से साथी रहा हूँ
मेरा और आपका अभिन्न नाता है
थोडा धीरज रखिए पर इस बार मुझे बंद कर मत रखिए
मेरा उपयोग कीजिए और जीवन को खुशहाल बनाइए

No comments:

Post a Comment